Smart Materials and Structures in Hindi
‘स्मार्ट’ का अर्थ है बुद्धि रखने वाला या ‘बुद्धिमान’। समार्ट पदार्थ वह है जो किसी प्रभाव के कारण अपना आकार प्रकार और गुण बदलनेे की क्षमता अपने अंदर रखते हैं। इन पदार्थों पर बड़े पैमाने पर शोध किया जा रहा है और ये भविष्य में हमारी दुनिया को पूरी तरह से बदल सकते हैं। पढिए इस विषय पर एक शोधपकर आलेख:
स्मार्ट पदार्थ और उनके गुण
-डॉ. सुनन्दा दास
पदार्थ विज्ञान को जैसा पहले माना जाता था आज ऐसा नहीं है। चीजें बदल रही हैं। आज ऐसे कई उन्नत पदार्थ हैं जो उद्देश्यपूर्ण कार्य करते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव ला रहे हैं। ऐसे ही कुछ विशेष पदार्थों की श्रेणी में स्मार्ट पदार्थ_Smart materials भी आते हैं।
स्मार्ट पदार्थ क्या है?
ये ऐसे पदार्थ हैं जिसका गुण-धर्म बाह्य उद्दीपन_ External stimulation द्वारा एक नियंत्रित तरीके से बदला जा सकता है। यह बाह्य उद्दीपन तनाव_tension, बल_force, प्रतिबल, संपीडन_compression, प्रकाश की तीव्रता में परिवर्तन, तापमान में परिवर्तन, नमी के संपर्क में आना, संपर्क में आए हुए द्रव्य का पीएच मान, विद्युत विभवांतर_ Electric potential difference, इलेक्ट्रिक चार्ज प्रभाव या फिर उच्च चुंबकीय क्षेत्र_ High Magnetic Field. अतः स्मार्ट पदार्थ अपने परिवेश के अनुरूप या अन्य प्रत्यक्ष प्रभावों के अनुसार परिवर्तित होने की क्षमता रखते हैं, इसलिए बदलते हुए गुणधर्म के साथ इनकी अवस्था भी बदलती है।
रोजमर्रा के उपयोग से आने वाले पदार्थों के ऐसे भौतिक गुण होते हैं, जिन्हें अर्थपूर्ण तरीके से बदला नहीं जा सकता है। उदाहरण के लिए अगर तेल को गर्म किया जाय तो यह थोड़ा पतला हो जाएगा, पर यदि स्मार्ट पदार्थ, जिसकी श्यानता_Viscosity परिवर्तनीय होती है, गर्म किया जाय तो यह तरल से ठोस में बदल जाएगा। यानि स्मार्ट पदार्थों के एक से अधिक गुणों को नाटकीय रूप से बदला जा सकता है।
हमारे आस-पास पहले से ही कई प्रकार के समार्ट पदार्थ या प्रणालियाँ हैं। जैसे क्लोरोफिल युक्त पत्तियाँ, कुछ मछलियों द्वारा इस्तेमाल की गई इलेक्ट्रोडिटेक्शन प्रणाली_Electro detection system या डॉल्फिन मछली की सोनार प्रणाली_Sonar system, मांसपेशियों का प्रवर्तन, फलियों में बीजों को बाहर फेंकने की क्षमता, विनिर्माण जैसे प्रोटीन संश्लेषण_protein synthesis, वितरित इंटेलिजेंस जैसे बैक्टीरियल कालोनियाँ_bacterial colonies इत्यादि।
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‘स्मार्ट’ का अर्थ है बुद्धि रखने वाला या ‘बुद्धिमान’। समार्ट पदार्थ वह है जो तापमान, प्रतिबल_ Stress, पी.एच.मान, वैद्युत व चुंबकीय क्षेत्रों आदि में परिवर्तन के साथ अपना आकार या स्वरूप लम्बाई या विस्तार, दृढ़ता तथा अन्य यांत्रिक गुणधर्मों को बदलने का गुण अपने अंदर रखते हैं। इन पदार्थों पर बड़े पैमाने पर शोध किया जा रहा है। ये हैं पीजोइलेक्ट्रिक मैग्नेटो रीओसटेटिक Piezoelectric magneto rheostatic और शेप-मेमोरी एलॉय (Shape memory Alloy, SHA मिश्रधातु।
कुछ रोजमर्रा के इस्तेमाल में लाए जाने वाले उपकरणों में समार्ट पदार्थों का उपयोग हो रहा है, जैसे कॉफी पॉट, कारों में, अंतर्राष्ट्रीय आंतरिक शटल, थर्मोस्टेट, वास्कुलर स्टेंट, विमान के हाइड्रोलिक फिटिंग अंतरिक्ष-स्टेशन, चश्मों के फ्रेम, आदि। दिन-प्रतिदिन स्मार्ट पदार्थों से संबंधित अनुप्रयोगों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।
वैज्ञानिक अब तक विभिन्न प्रकार के समार्ट पदार्थों को विकसित करने में सफल हुए हैं। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण स्मार्ट पदार्थों एवं उनके उपयोगों की यहाँ चर्चा की जा रही है।
1. वर्णजनिक पदार्थ Chromogenic substance:
इनके अंतर्गत थमोक्रोमिक, तापनिक, फोटोक्रोमिक प्रकाश, इलेक्ट्रोक्रोमिक-वैद्युतजनिक और हेलोक्रोमिक भंजनीय पदार्थ आते हैं। ये पदार्थ विद्युत, प्रकाश की तीव्रता या फिर तापमान में परिवर्तन के फलस्वरूप रंग बदलते हैं।
(a) थर्मोक्रोमिक पदार्थ Thermochromic substance: ये खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में इनका इस्तेमाल ओवन में रखे बंद खाने के डिब्बे का सही तापमान प्राप्त करने को इंगित कराने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। स्ट्रिप थर्मामीटर या माथे पर लगाए जाने वाले थर्मामीटरों में भी इसका उपयोग है। थर्मोक्रोमिक पदार्थों को पेंट, स्याही, मोल्डिंग या कास्टिंग पदार्थों में मिलाकर विभिन्न अनुप्रयोगों में इस्तेमाल करते हैं।
(b) फोटोक्रोमिक पदार्थ Photochromic substance: ये प्रकाश की तीव्रता के अनुार रंग बदलते हैं। वास्तव में सूर्य की परा बैंगनी किरणें_ultraviolet rays इन्हें गहरे रंग में तब्दील करती हैं। अक्सर इनका उपयोग धूप के चश्मों या फोटोक्रोमिक स्याही के रूप में है। (जिसे स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों द्वारा गुजरना होता है), जो खाद्य उत्पादों में किसी भी प्रकार के हानिकारक और जहरीले पदार्थ की उपस्थिति की पुष्टि करता है।
(c) हाइड्रोक्रोमिक स्याही Hydrochromic ink: यह पानी के संपर्क में आने से रंग बदलती है। इस स्याही को एक प्लास्टिक नमी परीक्षक संयंत्र के रूप में पौधे के बगल में मिट्टी में लगा दिया जाता है। यदि मिट्टी में पानी का स्तर सही है तो इस नमी परीक्षक का रंग नीला अन्यथा मिट्टी सूखी होने पर यह पीले रंग में बदल जाती है।
(d) इलेक्ट्रोक्रोमिक पदार्थ Ilektrokromic substance: सर्किट में वोल्टेज लगाने से ये पदार्थ रंग बदलते हैं। इन पदार्थों को इमारतों को सजाने के लिए प्रकाश पट्टी_strips या वाहनों की सुरक्षा नोटिस के रूप में उपेयाग किया जाता है।
(e) हैलोक्रोमिक पदार्थ Halochromic substance: ये पदार्थ जलीय घोल की अम्लता परिवर्तन या पीएच मान के अनुसार अपना रंग बदल सकते हैं। इसका एक संभावित अनुप्रयोग पेंट के रूप में हो सकता हैं जैसे कि लोहा या स्टील धातु में पेंट के नीचे आए जंग के बारे में जानकारी मिल सकती है क्योंकि धातुओं में जंग लगाने से उसके संपर्क में आए पानी का पीएच मान बदलता है।
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2. सुगंध वर्णक Aroma pigments:
ये पदार्थ, स्याही या पेंट के रूप में सुगंधवर्णक होते हैं जिन्हें खरोचने से खुशबू निकलती है। यह तरीका खरोंच कर सूँघने वाले उत्पादों में काफी लोकप्रिय है जैसा कि अक्सर महिलाओं की पत्रिकाओं में किसी इत्र के नमूने को सुगंध-वर्णक के रूप में प्रदर्शित किया जाता है, जिसको खरोंचने से चयनित इत्र की खुशबू की जानकारी होती है।
3. हाइड्रोकार्बन-एनकैप्सूलेटिंग पॉलीमर Hydrocarbon Encapsulation polymer:
ये पॉलीमर रबड़ पर्यावरण अनुकूल पदार्थ होते हैं जो तेल को अवशोषित करते हैं, जो हाइड्रोकार्बन आधारित तरल तेल के फैलाव को रोकते हैं। इसका संभावित व्यावहारिक उपयोग पेट्रोल या डीजल ईंधन के स्टेशनों पर है। अगर पंप के अगल-बगल तेल का फैलाव होता है, तो उस जगह पर इस हाइड्रोकार्बन पॉलीमर को डालने से सारा ईंधन अवशोषित कर लेता है जिसको, बाद में ठोस ईंधन के रूप में जलाने में इस्तेमाल किया जा सकता है।
4. क्वांटम टनलिंग कम्पोजिट Quantum tunnelling composite या क्यूटीसी QTC:
यह एक लचीला बहुलक_ polymer है जो महीन धातु कणों से बना होता है (सामान्य रूप से यह एक प्रकार का इन्सुलेटर है किन्तु, जब इसे निचोड़ा जाता है तब यह एक वैद्युत सुचालक बन जाता है)। क्यूटीसी को मेम्ब्रेन स्विच, मोबाइल फोन, प्रेशर सेंसर और गति नियंत्रकों में इस्तेमाल किया जाता है।
5. फेरोफ्लुइड Ferrofluids:
ये निलंबित चुंबकीय, ठोस नैनो कणों से बना तरल पदार्थ है। प्रायः ये मैग्नेटाइट खनिज (Fe3O4) के ठोस नैनोकण होते हैं जिनको एक तरह के पृष्ठसक्रिय कारक Surfactant द्वारा लेपित किया जाता है जिससे ये नैनोकरण एक साथ मिलकर थक्का न बना सके। चुंबकीय क्षेत्र में यह तरल गंभीर रूप से चुंबकित हो जाता है। वर्तमान में हालाँकि फेरोफ्लुइडों की ज्यादा उपयोगिता नहीं है पर भविष्य में ये नैनोइलेक्ट्रिकल यांत्रिक प्रणाली के लिए काफी उपयेागी सिद्ध हो सकते हैं। वर्तमान में लाउस्पीकरों में इनका उपयोग हो रहा है।
6. हाइड्रोजेल Hydrogel:
यह क्रांस लिंक्ड पॉलीमर जिसे पानी को अवशोषित करने के लिए डिजाइन किया गया हैं इसके हाइड्रोफिलिक गुण के कारण इस पॉलीमर से पानी के संपर्क में सोडियम आयन के निकलने से यह ऋणात्मक आवेश को प्राप्त करता है, अतः इससे जल के कण आकर्षित होकर हाइड्रोजन बंध बनाते हैं। यह पॉलीमर अपने भार से 300 गुना परिणाम तक अधिक जल अवशोषित कर सकता है। पौधों के लिए और बलों में लगाने के जेल में या डिस्पोजबल नैपकिन में वाटर क्रिस्टल की तरह होता है।
7. पॉलीमार्फ Polymorph:
यह एक थर्मोप्लास्टिक पदार्थ है जिसको कई बार नयी आकृति प्रदान की जा सकती है। पॉलीमार्फ की कणिकाओं को 62oC पर पानी में गर्म करने से वे एक शुद्ध साफ पिंड के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं जिसे कोई भी आकार, हाथ या साँचे से दिया जा सकता है। ठंडा होने पर यह ठोस हो जाता है। यह 3-डी मॉडलिंग के लिए उपयुक्त है।
8. गैर-न्यूटोनयन तरल पदार्थ Non-Newtonian fluid:
ये तरल पदार्थ न्यूटन के सिद्धान्तों का पालन नहीं करते हैं। आमतौर पर एक न्यूटोनयन तरल पदार्थ अपना प्रवाह जारी रखेगा तथा इसकी श्यानता में परिवर्तन, तापमान पर निर्भर करेगा। उदाहणार्थ, यदि कोई वस्तमु जैसे ही पानी में गिरती है वैसे ही पानी इधर-उधर फैलता है पर तुरंत ही उस वस्तु द्वारा विस्थापित किए गये पानी की जगह, जल द्वारा भर जायेगा क्योंकि न्यूटोनियन तरल पदार्थां में कणों की आपसी दूरी समान होती है।
एक गैर-न्यूओनयन तरल पदार्थ की श्यानता उस पदार्थ पर निर्धारित दिशा में लगाये गये बल पर निर्भर करती है क्योंकि उच्च दाब में ये अधिक ठोस हो जाते हैं क्योंकि इसमें मौजूद कण आपस में जुटकर एक पिंड का निर्माण करते हैं, जिसकी लगभग एक ही प्रकार की क्रिस्टलय संरचना होती है। यद्यपि बल के छूटते ही यह अस्थायी संरचना अपनी नियमित संरचना में लौट आती है।
एक गैर-न्यूटोनियन तरल पदार्थ का जाना माना उदाहरण है, मकई के आटे में पानी डालने से ‘ऊब्लेक‘ या ‘सिली पुट्टी’ (वेवकूफ पुटीन)।
सिली पुट्टी-इस पदार्थ का आविष्कार सिंथेटिक रबड़ बनाने के दौरान अमेरिका में हुआ। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान ने प्रमुख रबड़ उत्पादकों में से एक-एक पड़ोसी देश पर आक्रमण किया, उस वक्त रबड़ का उपयोग बहुतायत से टायर, विमानों के कलपुर्जे, जैसे मास्क और बूट-जूते बनाने में होता था। विश्वयुद्ध के दौरान रबड़ की इतनी कमी हो गयी कि इसका राशन किया जाने लगा तथा लोगों को खुद का रबड़ बनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। तत्कालीन अमेरिकी सरकार सिंथेटिक रबड़ बनाने के लिए लाखों डॉलर लगा चुकी थी। तब 1945 में सिली पुट्टी का आविष्कार हुआ पर इसका उस वक्त कोई व्यावहारिक उपयोग नहीं था।
1949 के दशक में इसको एक खिलौने के रूप में इस्तेमाल किया गया। एक खिलौने के रूप में अपनी सफलता प्राप्त करने के बाद इसकी अन्य उपयोगिता भी पायी गयी जैसे घरों में इससे विभिन्न प्रकार की सतहों से गंदगी, कपड़ों के रेशे, पालतू जानवरों के बाल या स्याही मिटाने के लिए उपयोग में लाया गया।
इस पदार्थ के अद्वितीय गुणों के कारण इसने मेडिकल और वैज्ञानिक अनुप्रयोगों में अपना स्थान बनाया। हड्डी के चिकित्सकों ने हाथ की हड्डी को पुनः स्थापित करने में इसका इस्तेमाल किया। इस पदार्थ को उपचारात्मक प्रयोगों में, इसके गोंद रूपी विशेषताओं की वजह अपोलो अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा शून्य-गुरूत्वाकर्षण में अपने उपकरणों को सुरक्षित रखने के लिए इस्तेमाल किया गया। आजकल मॉडल के निर्माण में रूचि रखने वालों के लिए या पेंटिंग करते वक्त इसको एक मास्किंग मीडियम के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।
सिली पुट्टी Silly putty ‘क्रायोला एलएलसी’ crayola llc का ट्रेडमार्क है।
9. शेप मेमेरी एलॉय Shape memory alloys (SMA):
ये स्मार्ट पदार्थ काफी उपयोगी होते हैं। ये विशिष्ट एवं ऊष्मासंवेदी माने गये हैं, इन मिश्रधातुओं में स्मृति_memory का गुण प्रविष्ट कराने का प्रयास सबसे पहले सन् 1930 के दशक में शुरू हुआ था पर इन पदर्थों की तरफ विश्व भर के वैज्ञानिकों का ध्यान 1962 में आकर्षित हुआ जब ‘नेवल आर्डनेंस लेबोरेट्री‘ के वैज्ञानिक एन.जे. बचलर को निकल और टाइटेनियम धातुओं के संमेल से बनी ‘निटिलॉल‘Nickel Titanium Naval Ordnance laboratory अब ‘नेवल सर्फेस वारफेरयर‘ (Naval Surface Warfare Center हो गया है), मिश्र धातु को विकासित करने में सफलता मिली। निटिनॉल के अलावा गोल्ड-कैडमियम, सिल्वर-कैडमियम या गाल्ड-कॉपर की मिश्रधातुएं भी शेप-मेमोरी प्रभाव दर्शाती हैं।
निटिनॉल एक साधारण तार की तरह ही लगता है जिसमें एक तार के गुण मौजूद होते हैं, पर, इसमें सबसे विलक्षण गुण मेमोरी (स्मृति) होती है। उदाहरणस्वरूप अगर एसएमए को मोड़कर एक आकार प्रदान किया जाए और फिर इसे 900C से ऊपर गर्म किया जाय तो फिर यह अपने मूल आकार में आ जाएगा। शेष मेमोरी एलॉय अपने पुराने आकार में कैसे लौटते हैं?
इसके पीछे का विज्ञान इस प्रकार है-इस प्रकार की मिश्रधातुओं के दो प्रकार की क्रिस्टल संरचना होती है जो एक आणविक पुनर्विन्यास के माध्यम से स्थानान्तरित होती रहती है। इन दो आणविक अवस्थाओं को ‘मारटेनसाइट‘ और ‘ओस्टेनाइट‘ के रूप में जाना जाता है, जब शेष मेमोरी मिश्र धातु का तापमान बढ़ाया जाता है या फिर उस पर प्रतिबल डाला जाता है तो वे अपने नए विन्यास में चले जाते है, जिसे ‘बीटा प्रावस्था’ या ‘ओस्टेनाइट‘ कहते हैं। अब इस मिश्रधातु को तेजी से ठंडा किए जाते पर या प्रतिबल हटाने पर एक अन्य क्रिस्टलीय संरचना में आ जाते हैं जिसे ‘मारेटेनसाइट‘ संरचना कहते हैं।
हम किसी वस्तु को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए मोटर या लीवर का उपयोग करते हैं पर अब यह कार्य हम स्मार्ट मिश्रधातुओं द्वारा कर सकते हैं। ये आकार में छोटे, हल्के, सस्ते हैं जिसके परिणामस्वरूप कम ऊर्जा लगती है। चिकित्सा विज्ञान में डॉक्टर टूटी हड्डियों के इलाज के लिए शेप मेमोरी मिश्र धातु का उपयोग करते हैं। इन ठंडे मिश्र धातु को टूटी हड्डी के चारों ओर लपेटा जाता है, शरीर के तापमान द्वारा गर्म होकर यह धातु अपने मूल आकार में लौट आती है, साथ ही हड्डी को यह खींचकर अपने स्थान पर बैठा देती है। जहाँ हड्डी फिर से अपने आप जुड़ जाती है। यही बात दंत चिकित्सा में ब्रेसिज के लिए भी लागू होती है।
10. शेप-मेमोरी पॉलीमर Shape memory polymers:
इसका एक उदाहरण श्रिंक-रैप_Shrink wrap है। श्रिंक-रैप बनाने के लिए थर्मासोफ्टनिंग thesmosoftening पॉलीमर का उपयोग किया जाता है। इस गाढ़े तरल में अणु बेतरतीब ढंग से कुंडलित आकर में (जैसा कि एक गेंद जो उलझे तारों का बना हो) में रहते हैं। जैसे-जैसे यह पॉलीमर ठंडा होकर पतला और स्पष्ट तरल में परिवर्तित होता है वैसे-वैसे इसमें तवरित खिंचाव भी आने लगता है जिसमें उस पदार्थ के अणु खिंच कर फँसते जाते हैं। जब इस तरल को गर्म किया जाता है तब अचानक पदार्थ के तमाम अणु कुंडलित आकार में आकर वस्तु को चारेां ओर से ढकने के लिए सिकुड़ता है।
श्रिंक-रैप का उपयोग बड़े पैमाने पर खाद्य पदार्थों, डीवीडी, बिजली के समान और सॉफ्टवेयर जैसी वस्तुओं की पैकेजिंग में किया जाता है। यह एक अच्छा इन्सुलेटर भी है इसलिए बिजली के तारों को कवर करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
11. शेप-मेमोरी पॉलीमर SMP:
आमतौर पर जैविक पॉलीमर होते हैं जो बुद्धिमान और स्व-मरम्मत की क्षमता रखते हैं जैसा कि शेप-मेमोरी एलॉय। इन पॉलीमरों का एक अच्छा उदाहरण ‘केवलर‘ है। ‘केवलर‘ यानि ‘आरामिड‘ (खुशबूदार एमाइड), यह पॉलीमर फाइबर का ट्रेड नाम जिसे ‘नोमेक्स’ के नाम से भी जाना जाता है। यह काफी मजबूत कृत्रिम फाइबर है जिसकी बुनावट काफी हल्की और मजबूत होती है, इसलिए इसको लचीला, शरीर का कवच यानि हेवी-ब्यूटी कार्य के लिए उपयोग किया जाता है।
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12. पीजो वैद्युत पदार्थ Piezoelectric materials:
इन पदार्थों के सिरों के बीच विभवांतर उत्पन्न करने से पदार्थों के आकार में परिवर्तन होता है और विपरीत स्थिति में आकार परिवर्तन के कारण इनके सिरों के बीच विभवान्तर पैदा हो जाता है। इस घटना की खोज सबसे पहले सन् 1880 में क्यूरी भाइयों जेक्स व पियरे क्यूरी (फ्रांसीसी भौतिकीविदों) ने की थी। इसे पीजो.वैद्युत प्रभाव कहते हैं।
सन् 1940 के अंत में एक मजबूत पीजो-वैद्युत सिरेमिक पदार्थ बेरियम टाइटिनेट की खोज की गयी जिसको सोनार उपकरणों मे यांत्रिक कंपन के लिए एक सेंसर (संवेदक) के रूप में इस्तेमाल किया गया। आज उपयोग में लाया जाने वाला बसे आम पीजो-वैद्युत पदार्थ लेड-जिरकोनेट टाइटिनेट lead zirconate titanate है, जिसका संक्षिपत नाम पीजीटी है।
पीजो वैद्युत पदार्थों का सबसे व्यापक रूप से विभिन्न परिस्थितियों के अनुसार सेंसर (संवेदक) के रूप में उपयोग किया जाता है। इसे अक्सर किसी तरल पदार्थ की संरचना, द्रव्य का धनत्व द्रव्य की श्यानता या फिर बल के प्रभाव को मापने के लिए उपयोग किया जाता है।
कुछ प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले खनिज पदार्थ भी पीजो-वैद्युत होते हैं जैसे र्क्वाट्ज क्रिस्टल। इस्तेमाल किए जाने वाले एक कंपन करते हुए क्वार्ट्ज क्रिस्टल द्वारा रोजमर्रा के उपयोग में कार का एयरबैग सेंसर है, जो कार पर बल के प्रभाव अनुसार पदार्थ विद्युत तरंगे भेजता है जिससे टक्कर लगाने पर एयरबैग खुल जाता है।
कुछ और स्मार्ट पदार्थ:
लाईक्रा: यह कपड़े के बाजार में पेश किया जाने वाला सबसे इलास्टिक ‘स्पानडेक्स’ फाइबर था जिसे फैशनेबल कपड़े, खेल कूद में उपयेाग आने वाले कपड़ों में उपयोग किया गया। ये ‘लाइक्रा-स्पैन्डेक्स’ पालीमर पदार्थ काफी मजबूत लचीले फाइबर होते हैं। इन कृत्रिम फाइबरों को उनकी मूल लंबाई से 500 (यानी) तक बढ़ाया जा सकता हैं इनको अन्य फाइबरों के साथ मिलाकर एक अच्छे फिटिंग वाले आरामदायक कपड़े में तब्दील किया जा सकता है। लाइक्रा एक हल्का पदार्थ है जो सूर्य की रोशनी, पसीना या डिटर्जेंट द्वारा क्षतिग्रस्त नहीं होता जैसा कि अन्य फाइबर होते हैं।
बुलेट प्रूफ जैकेट Bullet proof jacket: ‘केवलर’ एक गैर न्यूटोनियन तरल पदार्थ है जो काफी चिपचिपा होता है पर, व्यावहारिक रूप में एक ठोस पदार्थ लगता है। चूँकि यह पदार्थ काफी कड़ा होता है इसलिए हाथ-पैरों को ढांक नहीं सकता है। वर्तमान में केवलर पर अनेक परीक्षण चल रहे हैं। इसके रेशों को एक गैर-न्यूटोनियन तरल पदार्थ जैसे ग्लाइकोल जेल में घोला जाता है जिसमें सिलिका को भिगोया जाता है, जिसका उद्देश्य यही है कि वस्त्र चीलजा और पहनने में सहज हो, मगर जब कोई वस्तु जैसे बुलेट, इस पर तेजी से टकराये तो वह स्थान काफी ठोस हो जाए। इस परीक्षण में कुछ समय लगेगा लेकिन एक दिन हम सब बुलेट पू्रफ जैकेट पहने हो सकते हैं।
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लेखक परिचय:
डॉ. सुनन्दा दास सी.एम.पी. कॉलेज, (इलाहाबाद विश्वविद्यालय) इलाहाबाद में रसायन विज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। आपने रसायन विज्ञान की अनेक शाखाओं पर शोधकार्य किये हैं। आप एक सक्रिय विज्ञान लेखक के रूप में भी जानी जाती हैं। आपकी विज्ञान विषयक अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। आपको विज्ञान संचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अनेक पुरस्कार/सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। आपसे निम्न ईमेल पर सम्पर्क किया जा सकता है:
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जवाब देंहटाएंसुनन्दा जी, आपके सभी लेख अत्यंत ज्ञानवर्द्धक होते हैं। बधाई स्वीकारें, आशा है आगे भी इसी प्रकार रूचिकर लेख पढने को मिलते रहेंगे।
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