गांधीजी की राह पे चलकर बच पाएगी धरती!

SHARE:

पर्यावरण और महात्मा गांधी का नजरिया।

गांधीजी कहा करते थे कि भोग की बढ़ती प्रवृत्ति ही प्रकृति का दोहन करवाती है इसलिए हमें इससे बचना चाहिए और जल, जमीन और भोजन जैसी अनिवार्य सुविधाओं के लिए हमें प्रकृति का दोहन नहीं बल्कि उसका उपयोग करना चाहिए। ऐसा करने पर ही यह धरती युगों-युगों तक हमारी आवश्यकताओं को पूरा करती हुई जीवन के विविध रूपों के साथ मुस्कुराती रहेगी।
गांधीजी की राह से संवरेगी धरती

-नवनीत कुमार गुप्ता

पृथ्वी अब तक ज्ञात एकमात्र जीवनमय ग्रह है। पृथ्वी ग्रह की अनोखी संरचना, सूर्य से दूरी एवं अन्य भौतिक कारणों के कारण यहां जीवन पनप पाया है। जल, वायु, मिट्टी एवं जंगल जैसे कारक प्रकृति के उपहार हैं जो पृथ्वी पर जीवन को पनाह दिए हुए हैं। इन विभिन्न प्राकृतिक कारकों के आपसी समन्वय के परिणामस्वरूप पृथ्वी पर जीवन कायम है। अनेक संतुलनों के कारण ही यह पृथ्वी जीवनदायी ग्रह बना हुआ है। और इस ग्रह के इस रूप को बरकरार रखने के लिए हम सभी का यह कर्तव्य है कि हम यहां उपस्थित विभिन्न प्राकृतिक संतुलनों का सम्मान करते हुए उनसे किसी प्रकार की छेड़छाड़ न करें अन्यथा पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन के कारण जीवन खतरे में पड़ सकता है।

mahatma gandhi and environment
लेकिन कुछ सालों से प्रकृति का यह संतुलन बिगड़ रहा है। असल में बीसवीं सदी में जब दुनिया विकास की अंधी दौड़ लगा रही थी तब हमारा पर्यावरण किसी की चिन्ता का विषय नहीं था। सबकी निगाह अंतिम विकास पर टिकी थी। आज जब हम इक्कीसवीं सदी में जी रहे हैं मगर शुद्ध वातावरण में सांस नहीं ले रहे हैं। हमने पिछली शताब्दी में पर्यावरण की कीमत पर विकास हासिल किया है। विकास के लिए हमने अपने पर्यावरण और जैव विविधता को नजरअंदाज किया है तो आज हमें जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग यानी जैसी वैश्विक चुनौतियां का सामना करना पड़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग आज पूरी दुनिया के लिए एक भयावह चुनौती बन गई है। इस पर्यावरणीय समस्या के लिए हम सभी जिम्मेदार हैं।

जलवायु परिवर्तन के कारण हमारा पृथ्वी ग्रह खतरे में है। लेकिन यह विडंबना ही है कि पृथ्वी को खतरा किसी बाहरी ताकत से नहीं बल्कि धरती के सबसे बुद्धिमान जीव यानी मानव की करतूतों से है। औद्योगिक युग के आरंभ से ही विकास की अंधाधुंध दौड़ में मानव ने धरती में से कोयला और जीवाश्म ईंधन का दोहन करना शुरू किया और आज भी ऐसा ही कर रहा है।

जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न समस्याओं ने धरती के विविध रंगों को बेरंग कर दिया है। जलवायु में होने वाले बदलावों से जीवन का ताना-बाना पूरी तरह नष्ट होने को है। वैश्विक तापमान बढ़ने से कहीं ग्लेशियर पिघलने लगे हैं तो कहीं नदियां सूखने लगीं हैं जिसके कारण कहीं धरती की प्यास बढ़ रही है तो कहीं फसलें तबाह होने लगीं हैं। इसके अलावा कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ती मात्रा के कारण महासागरीय पारिस्थितिक तंत्र भी प्रभावित हुए हैं। आज महासागरीय जल में अम्लता की मात्रा बढ़ती जा रही है। फैलते रेगिस्तान प्रति वर्ष चार करोड़ एकड़ भूमि रेगिस्तान में बदल रही है।

असल में आज मानव अधिकाधिक भौतिक सुविधाएं जुटाकर आरामदायक और वैभवशाली जिन्दगी बिताने की इच्छा रखता है। और इस राह में चलते हुए विकास और प्रगति की दौड़ में हर कोई आगे निकलना चाहता है जिससे प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन करना आम बात हो गई है। आज शुद्ध जल, शुद्ध मिट्टी और शुद्ध वायु हमारे लिए अपरिचित हो गए हैं। आज विकास की राह सिर्फ इंसान के लिए राह बनाई जा रही है, इसमें प्रकृति कहीं नही है। आज पृथ्वी के जीवनदायी स्वरूप को बनाए रखने की सर्वाधिक जिम्मेदारी मानव के कंधों पर ही है। ऐसे में मानव को ऐसे व्यक्ति या उसके विचारों का अनुसरण करने की आवश्यकता है, जिसनें प्रकृति को करीब से जाना-समझा हो और सदैव प्रकृति का सम्मान किया हो।

दुनिया में प्रकृति के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाले लोगों में महात्मा गांधी का नाम प्रमुख रूप से शामिल है। जिन्होंने कहा था कि प्रकृति प्रत्येक मनुष्य की आवश्यकता पूरी कर सकती है, लेकिन एक भी मनुष्य के लालच को वह पूरा नहीं कर सकती। और यह लालच प्रकृति के विविध संतुलनों को गड़बड़ा देता है। आज हम देखते हैं कि मानवीय लालच का परिणाम जलवायु परिवर्तन के रूप में सामने आया है।

इस समय पूरी दूनिया में मानव की प्रकृति के अंधाधुंध दोहन की बढ़ती प्रवृत्ति चिंता का विषय है। ज्यों-ज्यों मानव ने सभ्यता की सीढ़िया चढ़ी हैं, त्यों-त्यों उसकी आवश्यकताएं बढ़ीं हैं। अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने की खातिर मानव ने जरूरत से ज्यादा प्राकृतिक संपदा का दोहन करके इस ग्रहके नाजुक संतुलन को ही गड़बड़ा दिया है। लेकिन यह बात सोचने की है कि बेलगाम दोहन के बावजूद आदमी पहले से ज्यादा सुखी नहीं हुआ है, ज्यादा दुखी हो गया है।

गांधीजी कहा करते थे कि भोग की बढ़ती प्रवृत्ति ही प्रकृति का दोहन करवाती है इसलिए हमें इससे बचना चाहिए और जल, जमीन और भोजन जैसी अनिवार्य सुविधाओं के लिए हमें प्रकृति का दोहन नहीं बल्कि उसका उपयोग करना चाहिए। ऐसा करने पर ही यह धरती युगों-युगों तक हमारी आवश्यकताओं को पूरा करती हुई जीवन के विविध रूपों के साथ मुस्कुराती रहेगी।

गांधी एक व्यक्ति नहीं एक विचारधारा का नाम है। गांधी उस विचारधारा का नाम जिसे जीकर दुनिया के तीस करोड़ लोग अद्भुत क्रांति के सहारे अपने देश की आजादी के यज्ञ में शामिल हुए और आज तो उनके विचारों पर अमल करने वालों की संख्या इससे भी अधिक होगी। गांधी प्रेम, दया, समभाव, सहिष्णुता के साथ अहिंसा और सत्य के सहारे दुनिया को एक नया रास्ता देने वाले संत। उनके यही गुण उनकी असीम शक्ति थी। मानव ही नहीं अपितु प्रकृति के प्रत्येक जीव या कहें कण-कण से स्नेह रखने वाले महात्मा थे गांधी। वात्सल्य और करुणा के सागर भी थे बापू। सच कहें तो मानवता के गुणों को गांधी जी ने नए सिरे और नए रूप से परिभाषित किया। उन गुणों को जीवन में उतार कर हर मानव अपना और अपने देश के विकास में सहायक हो सकता है।

गांधीजी के स्वदेशी, आत्मनिर्भरता और अहिंसा जैसे विचार आज मानवता और पर्यावरण दोनों के लिए अपरिहार्य हो गए हैं। महात्मा गांधी द्वारा बताई सत्य और प्रेम की राह सबको विकास की मंजिल तक पहंुचा सकती है। यह राह हर मनुष्य के लिए है चाहे वह अमीर हो या गरीब। असल में गांधीजी के विचारों को जीवन में उतारने वाला व्यक्ति भी कभी भेदभाव नहीं कर सकता और न ही वह हिंसा का रास्ता अपना सकता है। सभी उनके बताए मार्ग पर चलकर समाज के उत्थान में अपना योगदान दे सकते हैं।

आज सभी को मानवीय मूल्यों और पर्यावरण में होते ह्रास के कारण पृथ्वी और यहां उपस्थित जीवन के खुशहाल भविष्य को लेकर चिंता होने लगी है। ऐसे समय में महात्मा गांधी के विचार हमारा विश्वास कायम रख सकते हैं। ग्लोबल वार्मिंग एवं इससे संबंधित विभिन्न समस्याओं जैसे प्रदूषित होता पर्यावरण, जीवों व वनस्पतियों की प्रजातियों का विलुप्त होना, उपजाऊ भूमि में होती कमी, खाद्यान्न संकट, तटवर्ती क्षेत्रों का क्षरण, ऊर्जा स्रोतों का कम होना और नयी-नयी बीमारियों का फैलना आदि संकटों से पृथ्वी ग्रह को बचाने के लिए गांधीजी के विचार प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं। इस समय गांधीजी के “सादा जीवन उच्च विचार” वाली विचारधारा को अपनाने की आवश्यकता है। गांधीजी के विचारों का अनुकरण करने पर मानव प्रकृति के साथ प्रेममयी संबंध स्थापित करते हुए इस पृथ्वी ग्रह की सुंदरता को बरकरार रख सकता है।

पर्यावरण के साथ आत्मीय रिश्ते जरूरी हैं और पर्यावरणीय दशाओं को समझने के लिए हमें प्रकृति के साथ मधुर संबंध कायम करने होंगे। पर्यावरण संरक्षण का गांधीजी का जो तरीका था वह आज से नहीं, प्राचीनकाल से रहा है। वह छीन-झपट या झगड़े का तरीका नहीं, बल्कि त्याग यानी बिल्कुल छोड़ देने-का तरीका है। गांधीजी की विचारधारा केवल भारत के लिए नहीं, बल्कि सारी दुनिया के लिए है, जिसे जीवन में उतार कर लोग पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
-X-X-X-X-X-
लेखक परिचय: 
नवनीत कुमार गुप्ता पिछले दस वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन आदि जनसंचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के लिए प्रयासरत हैं। आपकी विज्ञान संचार विषयक लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाश‍ित हो चुकी हैं तथा इन पर गृह मंत्रालय के ‘राजीव गांधी ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार' सहित अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। आप विज्ञान संचार के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ‘विज्ञान प्रसार’ से सम्बंद्ध हैं। आपसे निम्न मेल आईडी पर संपर्क किया जा सकता है:


keywords: gandhi and environment in hindi, gandhi quotes on environment in hindi, mahatma gandhi and environmental movement in india in hindi, gandhian philosophy of development in hindi, gandhian philosophy of development with respect to environment, henry david thoreau environment in hindi, GANDHI AND THE ECOLOGICAL VISION OF LIFE, Mahatma Gandhi's views on Environment in hindi, Mahatma Gandhi and Environment Protection in hindi

COMMENTS

BLOGGER: 2
  1. इस लेख में अगर गुप्ताजी आप गांधीजी के कुछ उद्धरण देते तो ज्यादा प्रभावशाली बनता ये आलेख

    जवाब देंहटाएं
  2. प्रकृति प्रत्येक मनुष्य की आवश्यकता पूरी कर सकती है, लेकिन एक भी मनुष्य के लालच को वह पूरा नहीं कर सकती।

    जवाब देंहटाएं
वैज्ञानिक चेतना को समर्पित इस यज्ञ में आपकी आहुति (टिप्पणी) के लिए अग्रिम धन्यवाद। आशा है आपका यह स्नेहभाव सदैव बना रहेगा।

नाम

अंतरिक्ष युद्ध,1,अंतर्राष्‍ट्रीय ब्‍लॉगर सम्‍मेलन,1,अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन-2012,1,अतिथि लेखक,2,अन्‍तर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन,1,आजीवन सदस्यता विजेता,1,आटिज्‍म,1,आदिम जनजाति,1,इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी,1,इग्‍नू,1,इच्छा मृत्यु,1,इलेक्ट्रानिकी आपके लिए,1,इलैक्ट्रिक करेंट,1,ईको फ्रैंडली पटाखे,1,एंटी वेनम,2,एक्सोलोटल लार्वा,1,एड्स अनुदान,1,एड्स का खेल,1,एन सी एस टी सी,1,कवक,1,किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज,1,कृत्रिम मांस,1,कृत्रिम वर्षा,1,कैलाश वाजपेयी,1,कोबरा,1,कौमार्य की चाहत,1,क्‍लाउड सीडिंग,1,क्षेत्रीय भाषाओं में विज्ञान कथा लेखन,9,खगोल विज्ञान,2,खाद्य पदार्थों की तासीर,1,खाप पंचायत,1,गुफा मानव,1,ग्रीन हाउस गैस,1,चित्र पहेली,201,चीतल,1,चोलानाईकल,1,जन भागीदारी,4,जनसंख्‍या और खाद्यान्‍न समस्‍या,1,जहाँ डॉक्टर न हो,1,जितेन्‍द्र चौधरी जीतू,1,जी0 एम0 फ़सलें,1,जीवन की खोज,1,जेनेटिक फसलों के दुष्‍प्रभाव,1,जॉय एडम्सन,1,ज्योतिर्विज्ञान,1,ज्योतिष,1,ज्योतिष और विज्ञान,1,ठण्‍ड का आनंद,1,डॉ0 मनोज पटैरिया,1,तस्‍लीम विज्ञान गौरव सम्‍मान,1,द लिविंग फ्लेम,1,दकियानूसी सोच,1,दि इंटरप्रिटेशन ऑफ ड्रीम्स,1,दिल और दिमाग,1,दिव्य शक्ति,1,दुआ-तावीज,2,दैनिक जागरण,1,धुम्रपान निषेध,1,नई पहल,1,नारायण बारेठ,1,नारीवाद,3,निस्‍केयर,1,पटाखों से जलने पर क्‍या करें,1,पर्यावरण और हम,8,पीपुल्‍स समाचार,1,पुनर्जन्म,1,पृथ्‍वी दिवस,1,प्‍यार और मस्तिष्‍क,1,प्रकृति और हम,12,प्रदूषण,1,प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड,1,प्‍लांट हेल्‍थ क्‍लीनिक,1,प्लाज्मा,1,प्लेटलेटस,1,बचपन,1,बलात्‍कार और समाज,1,बाल साहित्‍य में नवलेखन,2,बाल सुरक्षा,1,बी0 प्रेमानन्‍द,4,बीबीसी,1,बैक्‍टीरिया,1,बॉडी स्कैनर,1,ब्रह्माण्‍ड में जीवन,1,ब्लॉग चर्चा,4,ब्‍लॉग्‍स इन मीडिया,1,भारत के महान वैज्ञानिक हरगोविंद खुराना,1,भारत डोगरा,1,भारत सरकार छात्रवृत्ति योजना,1,मंत्रों की अलौकिक शक्ति,1,मनु स्मृति,1,मनोज कुमार पाण्‍डेय,1,मलेरिया की औषधि,1,महाभारत,1,महामहिम राज्‍यपाल जी श्री राम नरेश यादव,1,महाविस्फोट,1,मानवजनित प्रदूषण,1,मिलावटी खून,1,मेरा पन्‍ना,1,युग दधीचि,1,यौन उत्पीड़न,1,यौन शिक्षा,1,यौन शोषण,1,रंगों की फुहार,1,रक्त,1,राष्ट्रीय पक्षी मोर,1,रूहानी ताकत,1,रेड-व्हाइट ब्लड सेल्स,1,लाइट हाउस,1,लोकार्पण समारोह,1,विज्ञान कथा,1,विज्ञान दिवस,2,विज्ञान संचार,1,विश्व एड्स दिवस,1,विषाणु,1,वैज्ञानिक मनोवृत्ति,1,शाकाहार/मांसाहार,1,शिवम मिश्र,1,संदीप,1,सगोत्र विवाह के फायदे,1,सत्य साईं बाबा,1,समगोत्री विवाह,1,समाचार पत्रों में ब्‍लॉगर सम्‍मेलन,1,समाज और हम,14,समुद्र मंथन,1,सर्प दंश,2,सर्प संसार,1,सर्वबाधा निवारण यंत्र,1,सर्वाधिक प्रदूशित शहर,1,सल्फाइड,1,सांप,1,सांप झाड़ने का मंत्र,1,साइंस ब्‍लॉगिंग कार्यशाला,10,साइक्लिंग का महत्‍व,1,सामाजिक चेतना,1,सुरक्षित दीपावली,1,सूत्रकृमि,1,सूर्य ग्रहण,1,स्‍कूल,1,स्टार वार,1,स्टीरॉयड,1,स्‍वाइन फ्लू,2,स्वास्थ्य चेतना,15,हठयोग,1,होलिका दहन,1,‍होली की मस्‍ती,1,Abhishap,4,abraham t kovoor,7,Agriculture,8,AISECT,11,Ank Vidhya,1,antibiotics,1,antivenom,3,apj,1,arshia science fiction,2,AS,26,ASDR,8,B. Premanand,5,Bal Kahani Lekhan Karyashala,1,Balsahitya men Navlekhan,2,Bharat Dogra,1,Bhoot Pret,7,Blogging,1,Bobs Award 2013,2,Books,57,Born Free,1,Bushra Alvera,1,Butterfly Fish,1,Chaetodon Auriga,1,Challenges,9,Chamatkar,1,Child Crisis,4,Children Science Fiction,2,CJ,1,Covid-19,7,current,1,D S Research Centre,1,DDM,5,dinesh-mishra,2,DM,6,Dr. Prashant Arya,1,dream analysis,1,Duwa taveez,1,Duwa-taveez,1,Earth,43,Earth Day,1,eco friendly crackers,1,Education,3,Electric Curent,1,electricfish,1,Elsa,1,Environment,32,Featured,5,flehmen response,1,Gansh Utsav,1,Government Scholarships,1,Great Indian Scientist Hargobind Khorana,1,Green House effect,1,Guest Article,5,Hast Rekha,1,Hathyog,1,Health,69,Health and Food,6,Health and Medicine,1,Healthy Foods,2,Hindi Vibhag,1,human,1,Human behavior,1,humancurrent,1,IBC,5,Indira Gandhi Rajbhasha Puraskar,1,International Bloggers Conference,5,Invention,9,Irfan Hyuman,1,ISRO,5,jacobson organ,1,Jadu Tona,3,Joy Adamson,1,julian assange,1,jyotirvigyan,1,Jyotish,11,Kaal Sarp Dosha Mantra,1,Kaal Sarp Yog Remady,1,KNP,2,Kranti Trivedi Smrati Diwas,1,lady wonder horse,1,Lal Kitab,1,Legends,12,life,2,Love at first site,1,Lucknow University,1,Magic Tricks,9,Magic Tricks in Hindi,9,magic-tricks,8,malaria mosquito,1,malaria prevention,1,man and electric,1,Manjit Singh Boparai,1,mansik bhram,1,media coverage,1,Meditation,1,Mental disease,1,MK,3,MMG,6,Moon,1,MS,3,mystery,1,Myth and Science,2,Nai Pahel,8,National Book Trust,3,Natural therapy,2,NCSTC,2,New Technology,10,NKG,74,Nobel Prize,7,Nuclear Energy,1,Nuclear Reactor,1,OPK,2,Opportunity,9,Otizm,1,paradise fish,1,personality development,1,PK,20,Plant health clinic,1,Power of Tantra-mantra,1,psychology of domestic violence,1,Punarjanm,1,Putra Prapti Mantra,1,Rajiv Gandhi Rashtriya Gyan Vigyan Puraskar,1,Report,9,Researches,2,RR,2,SBWG,3,SBWR,5,SBWS,3,Science and Technology,5,science blogging workshop,22,Science Blogs,1,Science Books,56,Science communication,22,Science Communication Through Blog Writing,7,Science Congress,1,Science Fiction,13,Science Fiction Articles,5,Science Fiction Books,5,Science Fiction Conference,8,Science Fiction Writing in Regional Languages,11,Science Times News and Views,2,science-books,1,science-puzzle,44,Scientific Awareness,5,Scientist,38,SCS,7,SD,4,secrets of octopus paul,1,sexual harassment,1,shirish-khare,4,SKS,11,SN,1,Social Challenge,1,Solar Eclipse,1,Steroid,1,Succesfull Treatment of Cancer,1,superpowers,1,Superstitions,51,Tantra-mantra,19,Tarak Bharti Prakashan,1,The interpretation of dreams,2,Tips,1,Tona Totka,3,tsaliim,9,Universe,27,Vigyan Prasar,33,Vishnu Prashad Chaturvedi,1,VPC,4,VS,6,Washikaran Mantra,1,Where There is No Doctor,1,wikileaks,1,Wildlife,12,Zakir Ali Rajnish Science Fiction,3,
ltr
item
Scientific World: गांधीजी की राह पे चलकर बच पाएगी धरती!
गांधीजी की राह पे चलकर बच पाएगी धरती!
पर्यावरण और महात्मा गांधी का नजरिया।
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjVErlJIqScC73Y1DLFHdwaeMuHLCSKoibtWmOhwJ_eHYWmOdfS5tiNZYBjXggiEPmznwR1icrZwicwc_pIAb1z8rPrn13lzsRAw6PfeKjFUXZLazlsA2sIGlIaua6txVRK84TM_9u8AS68/s640/Mahatma+Gandhi.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjVErlJIqScC73Y1DLFHdwaeMuHLCSKoibtWmOhwJ_eHYWmOdfS5tiNZYBjXggiEPmznwR1icrZwicwc_pIAb1z8rPrn13lzsRAw6PfeKjFUXZLazlsA2sIGlIaua6txVRK84TM_9u8AS68/s72-c/Mahatma+Gandhi.jpg
Scientific World
https://www.scientificworld.in/2016/02/mahatma-gandhi-and-nvironment-protection-in-hindi.html
https://www.scientificworld.in/
https://www.scientificworld.in/
https://www.scientificworld.in/2016/02/mahatma-gandhi-and-nvironment-protection-in-hindi.html
true
3850451451784414859
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy