Benefits of Pulses in Hindi
हर भारतीय के थाली में दाल अभिन्न रूप से जुड़ी रही है। चाहे बात दाल-रोटी की हो या दाल-चावल की हर भारतीय का खाना दाल के बिना अधूरा होता है। असल में दाल प्रोटीन का अहम स्रोत है। इसलिए दाल को प्राचीन काल से हमारी थाली में शामिल किया गया है। इसके अलावा कृषि प्रधान देश होने के कारण भी हमारे यहां सदियों से दालों का उत्पादन और उपभोग किया जाता रहा है।
(अंतर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष-2016 के संदर्भ में दालों के महत्व और भारत में उनके उत्पादन पर केंद्रित विशेष लेख)
प्रोटीन का स्रोत-दालें
-नवनीत कुमार गुप्ता
हमारे भोजन की थाली में विभिन्न पोषक तत्वों का होना हमारे स्वास्थ्य (health) के लिए अहम होता है। इसलिए सदियों से काबोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामीन, वसा एवं अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व युक्त खाद्य सामग्रियों को आहार में शामिल किया गया है। हर देश में चाहे भोजन का स्वरूप एवं स्वाद अलग हो लेकिन कोशिश यही रहती है कि शरीर के पोषण के लिए आवश्यक हर तत्व आहार में शामिल हो सके। हमारे देश में प्राचीन काल से ही आहार पर विशेष ध्यान दिया जाता रहा है। हमारे यहां आहार पद्धति जीवन के अभिन्न अंग के रूप में उपस्थित रही है।
हमारे यहां अरहर, उड़ग, मुंग, चना, मटर, मसून, मोथ, राजमा, आदि दालें (Pulses) काफी पसंद की जाती है। दालों के व्यंजनों के भी करीबन सैंकड़ों प्रकार होंगे। हमारे देश में अलग-अलग क्षेत्रों में दाल बनाने के बर्तन भी अलग-अलग मिल जाएंगे। कहीं पर हांडी मिलेगी तो कहीं पर कहाड़ी। यानी दालें हमारी विविधता में एकता का प्रतीक है। और हां मीठे के शौकीनों के लिए दालों से बनने वाले विभिन्न प्रकार के लड्डू भी काफी पसंद होते हैं।
ग्रामीण विकास में दलहन का योगदान:
विकसित और विकासशील दोनों श्रेणी के देशों में दलहनी फसलें किसानों के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। विश्व की आधी से अधिक दलहनी उत्पादन विकासशील देशों द्वारा किया जाता है। अकेले भारत ही कुल वैश्विक उत्पादन में लगभग एक चौथाई हिस्सेदारी रखता है।
दालों का पोषण में महत्व:
दालें विकासशील देशों में निम्न-वसा, उच्च रेशा युक्त प्रोटीन का अहम स्रोत हैं। दालें परंपरागत आहार में शामिल रही हैं। दालें उन स्थानों में अतिमहत्वपूर्ण प्रोटीन स्रोत हैं, जहां अजैविक उत्पादों से प्रोटीन की पूर्ति की जाती है। इसके अलावा दालों से कैल्शियम, लौह और लायसिन जैसे महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्व भी मिलते हैं।
दलहन उत्पादन का 60 प्रतिशत मानवीय उपयोग के काम आता है। लेकिन दालों के बारे में महत्वपूर्ण बात यह है कि मानव आहार में इनकी मात्रा और इनका प्रकार हर क्षेत्र के हिसाब से अलग-अलग देखा गया है। विकासशील देशों में जहां कुल आहार में दालों की मात्रा 75 प्रतिशत है वहीं विकसित देशों में इनकी मात्रा केवल 25 प्रतिशत है। कुल दलहन उत्पादन में से प्रतिशत मात्रा का उपयोग जानवरों के आहार में रूप में किया जा रहा है।
दालें और धारणीय विकास:
दलहनी फसलें कई प्रकार से धारणीय विकास में योगदान देती हैं। फसल चक्रण की दृष्टि से दलहनी फसलें महत्वपूर्ण हैं। इन फसलों को अधिक उर्वर मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है। अनेक दालों का मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में भी अहम योगदान होता है। मिट्टी में नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने के कारण दालें मृदा उर्वरकता में अहम भूमिका रखती हैं। इनसे मिट्टी में ऐसे सूक्ष्मजीवों की वृद्धि होती है जो फसल की उपज को बढ़ाने में सहायक होते हैं। इसके अलावा दालें प्रोटीन का ऐसा स्रोत है जिनसे कार्बन फुटप्रिंट में कम हिस्सेदारी है। अन्य प्रोटीन स्रोतों की तुलना में इन्हें पानी भी कम चाहिए होता है। एक किलोग्राम मांस, सोयाबीन का उत्पादन करने में दालों की तुलना में क्रमश: 18, 11 और 5 गुणा अधिक पानी लगता है। इसी तरह प्रोटीन के अन्य स्रोतों की तुलना में इनके उत्पादन में होने वाला कार्बन उत्सर्जन भी काफी कम होता है।
दालों को स्थानिय स्तर पर उगाया जा सकता है जिसके कारण खाद्यात्र सुरक्षा में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। इसलिए लिए दलहन उत्पादन में मृदा प्रबंधन की अहम भूमिका है। फसलों की उत्पादन की पद्धति को उन्नत करके किसान फसल की उपज बढ़ा कर खाद्यान्न सुरक्षा में अपना योगदान दे सकते हैं।
दलहन उत्पादन:

दालों की मांग और आपूर्ति:
हमारे देश में वर्ष 2015 कृषि क्षेत्र के लिए एक चुनौतीपूर्ण साल था। देश के कई हिस्सों में रुखे मौसम और सूखे के कारण किसानों के लिए यह परेषानी भरा साल लगातार दूसरा वर्ष था। दक्षिण-पश्चिमी मानसून 2015 में लंबी अवधि औसत के सामान्य स्तर से 14 प्रतिशत कम रहा, जिसका असर खरीद फसलों पर पड़ा। इसके बाद जो उत्तर-पूर्वी मानसून आया, वह तमिलनाडु एवं आस-पास के क्षेत्रों में भारी विनाश का कारण बना। इससे वहां अभूतपूर्व बाढ़ का संकट आया। वैसे दाल एवं तिलहनों का उत्पादन पिछले कई वर्षों से मांग की तुलना में लगातार कम होता रहा है। दालों का उत्पादन 2014-15 में 19.24 मिलियन टन से कम होकर 17.20 मिलियन टन रह गया, जिसकी वजह से दालों की कीमतों में अभूतपूर्व तेजी देखी गयी।
उदाहरण के लिए अरहर की कीमतें एक साल पहले के 75 रुपए प्रति किलोग्राम से उछल कर 199 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गईं और अभी भी ये कीमतें नियंत्रण के बाहर हैं। न केवल अरहर, उरद की कीमतें बल्कि खुदरा बाजार में लगभग सभी प्रमुख दालों की कीमतें वर्तमान में भी लगभग 140 रुपए प्रति किलोग्राम के आस-पास बनी हुई हैं। ऐसी स्थिति को देखते हुए सरकार को दालों की उपलब्धता के लिए बार-बार बाजार में हस्तक्षेत्र करने को बाध्य होना पड़ा है।
हालांकि किसानों के लिए एक खबर यह अच्छी रही की पिछले वर्ष सरकार ने प्रमुख दालों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 275 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। इसके अलावा दालों के बढ़ते भावों की स्थिति पर नियंत्रण करने के लिए सरकार ने 500 करोड़ रुपए की एक संचित राशि के साथ एक मूल्य स्थिरीकरण कोश की स्थापना की है। इस वर्ष कुछ फंड ऐसे राज्यों में दालों की सब्सिडी प्राप्त बिक्री के लिए जारी किए गए थे, जिन्होंने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाभार्थियों को किफायती दरों पर दाल मुहैया कराने के लिए अन्वेषक योजनाएं प्रस्तुत की थीं।
हालांकि किसानों के लिए एक खबर यह अच्छी रही की पिछले वर्ष सरकार ने प्रमुख दालों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 275 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। इसके अलावा दालों के बढ़ते भावों की स्थिति पर नियंत्रण करने के लिए सरकार ने 500 करोड़ रुपए की एक संचित राशि के साथ एक मूल्य स्थिरीकरण कोश की स्थापना की है। इस वर्ष कुछ फंड ऐसे राज्यों में दालों की सब्सिडी प्राप्त बिक्री के लिए जारी किए गए थे, जिन्होंने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाभार्थियों को किफायती दरों पर दाल मुहैया कराने के लिए अन्वेषक योजनाएं प्रस्तुत की थीं।
प्रोटीन स्रोत के रूप में दालें:
असल में विभिन्न प्रोषक तत्वों की एक निश्चित मात्रा हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होती है। प्रोटीन भी हमारे स्वास्थ्य के लिए एक अहम तत्व है जिसके स्रोतों में दालें, सोयाबीन, दुध, मांस आदि शामिल है। लेकिन पानी की कम आवश्यकता एवं कम कार्बन फुटप्रिंट के कारण दालों को आहार में शामिल करना धारणीय विकास और प्रकृत दोनों के लिए लाभकारी होगा। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 2016 को अंतर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। 23 जनवरी, 2016 को तुर्की में आयोजित कार्यक्रम में इसका औपचारिक शुभारंभ किया जाएगा।
दलहन वर्ष के आयोजन से लोगों को दैनिक आहार में प्रोटीन के स्रोत के रूप में दालों को शामिल करने की अपील की जाएगी। हम भी इस मुहिम में शामिल होकर लोगों को दालों के महत्व के बारे में बताएं और उन्हें दालों को आहार में शामिल करने को प्रोत्साहित करें।
-X-X-X-X-X-

नवनीत कुमार गुप्ता पिछले दस वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन आदि जनसंचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के लिए प्रयासरत हैं। आपकी विज्ञान संचार विषयक लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा इन पर गृह मंत्रालय के ‘राजीव गांधी ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार' सहित अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। आप विज्ञान संचार के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ‘विज्ञान प्रसार’ से सम्बंद्ध हैं। आपसे निम्न मेल आईडी पर संपर्क किया जा सकता है:

keywords: international year of pulses article in hindi, Article on International Pulse year 2016 in Hindi, international year of pulses 2016, 2016 international year of science in hindi, international year of camelids in hindi, 2016 australian year of, 2016 international year of camelids, article on international year of pulses in hindi, international year of pulses logo, pulse production in india in hindi, pulse protein content in hindi, low protein pulses in hindi, protein in pulses list, protein in pulses chart, protein in pulses vs meat in hindi, pulses protein rich in hindi, what food has alot of protein in hindi, protein content in dal in hindi, pulses protein rich in hindi, protein rich vegetables, protein content in pulses in hindi, high protein pulse in hindi, protein rich beans, pulses and health benefits in hindi, nutritional value pulses in hindi, health benefits of cereals in hindi, health benefits of beans and pulses in hindi, benefits of pulses in hindi, benefits of pulses diet in hindi, best pulses for health in hindi, advantage of pulses in hindi, pulses good for health in hindi,
bari upyogi jankariya hai. dhanyvad.
जवाब देंहटाएं