मानव के विकास एवं सभ्यता में प्रकाश की भूमिका

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मानव सभ्यता के विकास में सूर्य के महत्व पर प्रकाश डालता शोधपरक आलेख।

लगभग 5 लाख साल पहले पृथ्वी पर मनुष्य का प्रादुर्भाव हुआ था। मनुष्य के प्रकाट्य एवं उसके अस्तित्व के संरक्षण में प्रकाश ने अहम भूमिका निभाई है। मनुष्य ने अपनी शारीरिक कमजोरी को अपने मष्तिष्क एवं बुद्धि से दूर किया होगा। जंगलों में रहने के लिया गुफाओं का निर्माण, माँसाहारी शक्तिशाली पशुओं से अपनी सुरक्षा एवं सामाजिक विकासको गति देने में किस तरह प्रकाश का सहारा मनुष्य ने लिया होगा इसकी कहानी एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि बहुत ही रोमांचकारी है।
मानव के विकास एवं सभ्यता में प्रकाश की भूमिका

-सुशील कुमार शर्मा

प्रकाश का उद्भव कैसे हुआ इस पर विभिन्न मत हो सकते है लेकिन सूर्य से पहले भी प्रकाश था ये सार्वभौमिक सत्य है क्योंकि अंतरिक्ष में सूर्य से कई अरब साल पहले कई आकाश गंगाओं, तारों एवं ग्रहों का जन्म हो चुका था। हमारे सौरमंडल के निर्माण से पहले गैसें एवं द्रव्य (Particle) अंतरिक्ष में विद्यमान थे। इन के संयोजन एवं अभिक्रियाओं से सर्वप्रथम सूर्य (Sun) का निर्माण हुआ, उसके बाद शनैः शनैः सभी ग्रहों (Planet) एवं उपग्रहों (Satellite (natural) का निर्माण हुआ। ग्रहों के निर्माण, उनके वातावरण एवं सौरमंडल में जीवन के उद्भव में सूर्य प्रकाश की महत्व पूर्ण भूमिका रही है। 45 अरब साल पहले न सूर्य था, न पृथ्वी न ही हमारा सौरमंडल (Solar system), चारों ओर सिर्फ अंतरिक्ष ही अंतरिक्ष था।

45 अरब साल पहले एक नेबुला (Nebula) जो की एक बादल था एक गुबार के रूप में उठा, दबाब के कारण ये अत्यंत सघन हो कर केंद्रीय मोल्टन मास (Central molten mass) में बदल गया। इसमें दबाब एवं ताप अंदर की और बढ़ता गया एवं इसके कोर एवं केन्द्रक का तापमान लाखों डिग्री सेंटीग्रेड हो गया। थर्मोन्यूक्लियर हाइड्रोजन (Thermonuclear hydrogen) की फ्यूज़न (Fusion) अभिक्रिया से सूर्य चमकने लगा इस तरह से प्रकाश के देवता का आविर्भाव हुआ। (इस सिद्धांत को नेबुलर सिद्धांत (Nebular theory) कहते हैं एवं इसका प्रतिपादन जर्मन दार्शनिक इमैनुएल कोट (Immanuel Kant Theory) ने 1755 में किया था।)

सूर्य के बारे में विशिष्ट तथ्य:
1: हमारा सूर्य एक स्वनिर्मित भट्टी है जो द्रव्यमान को ऊर्जा में परिवर्तित करता है। प्रति सेकेंड यह 657 मिलियन टन हाइड्रोजन (Hydrogen) को 653 मिलियन टन हीलियम (Helium) में बदलता है बाकि की 4 मिलियन टन द्रब्यमान को सूर्य अंतरिक्ष में ऊर्जा के रूप में विसरित कर देता है।

2: सूर्य 15 मिनिट में इतनी ऊर्जा का उत्सर्जन कर देता है जितना मनुष्य अपने जीवन काल में सभी स्त्रोतों से प्राप्त ऊर्जा का उपयोग करता है।

3: सूर्य से पृथ्वी की दूरी 93000000 मील है।

4: सूर्य का व्यास 864000 मील है।

5: सूर्य से पृथ्वी पर आने वाली ऊर्जा 6500 केल्विन।

6: सूर्य से पृथ्वी पर आने वाली रोशनी 100000 LUX ।

पृथ्वी पर जीवन:
जीवन के लिए तीन चीजों का होना जरूरी है 1. कार्बन, 2. पानी 3. प्रकाश। पृथ्वी पर ये तीनों जीवन उद्भव तत्व विद्यमान हैं इस लिए पृथ्वी पर जीवन का आविर्भाव हुआ। पृथवी पर करीब 3 अरब साल पहले जीवन का उद्भव हुआ था। इसके प्रमाण रोडेशिया देश (Rhodesia Country) में जीवाश्म के रूप में मिले हैं। यहाँ पर 3 अरब साल पुरानी शैवाल के जीवाश्म मिले हैं। पृथ्वी पर करीब दो अरब साल पहले प्रथम जैविक अणु का आविर्भाव हुआ था जिसने सबसे पहले सूर्य प्रकाश, कार्बन डाई ऑक्साइड एवं पानी सहायता से अपने भोजन का निर्माण किया होगा। इस तरह से दो अरब साल पहले प्रकाश संश्लेषण की क्रिया पृथ्वी पर उत्पन्न हुई। किस तरह से ये जैविक अणु कालांतर में विकसित होकर मनुष्य बना होगा? ये अकल्पनीय किन्तु सत्य है। इस विकास के क्रम को समझने के मत अलग अलग हो सकते हैं किन्तु इस विकास के क्रम की महत्वपूर्ण कड़ी प्रकाश है इसमें कोई संदेह नहीं है।

मानव विकास एवं सभ्यता में प्रकाश की भूमिका:
लगभग 5 लाख साल पहले पृथ्वी पर मनुष्य का प्रादुर्भाव हुआ था। मनुष्य के प्रकाट्य एवं उसके अस्तित्व के संरक्षण में प्रकाश ने अहम भूमिका निभाई है। मनुष्य ने अपनी शारीरिक कमजोरी को अपने मष्तिष्क एवं बुद्धि से दूर किया होगा। जंगलों में रहने के लिया गुफाओं का निर्माण, माँसाहारी शक्तिशाली पशुओं से अपनी सुरक्षा एवं सामाजिक विकासको गति देने में किस तरह प्रकाश का सहारा मनुष्य ने लिया होगा इसकी कहानी एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि बहुत ही रोमांचकारी है।

4 लाख साल पहले मनुष्य को 'अग्नि', जोकि प्रकाश का मुख्य स्त्रोत है एवं जो दैनिक जीवन एवं उसके विकास क्रम को गति देने वाला घटक है, प्राप्त हुआ था। 4 लाख साल पहले अंतरिक्षीय प्रक्रिया से बिजली गिर कर अग्नि उत्पन्न हुई होगी या वृक्षों की डालियों के आपसी टकराव से या पत्थरों के घर्षण से अग्नि की उत्पति मनुष्य के सामने हुई होगी। इस तरह से अग्नि की प्राप्ति मनुष्य के सामाजिक विकास की रीढ़ बन गई। एक किवदंती प्रचलित है की ग्रीक देवता प्रोमोथिस (Greek God Prometheus) ने ओलम्पस (Olympus) से अग्नि चुरा कर मनुष्य को भेंट की थी।

जलती हुई मशाल एवं अलाव का प्रयोग प्रारंभिक मनुष्य ने कृत्रिम रोशनी के लिए किया होगा। 4 लाख साल पहले पेकिंग मनुष्य ने अग्नि का प्रयोग गुफाओं में शुरू कर दिया था। गुफाओं में अँधेरे से निजात एवं जंगली जानवरों से सुरक्षा शायद अग्नि का प्रथम प्रयोग रहा होगा। मशाल पहला वहनीय प्रकाश स्त्रोत माना जा सकता है। सर्वप्रथम लकड़ियों को इक्कठ्ठा करके मशाल का रूप दिया होगा इस तरह से आग पर नियंत्रण कर मनुष्य सभ्यता के रास्ते पर आगे बढ़ा होगा।

प्रकाश ने ही प्रारंभिक मानव को इक्कठ्ठा कर समूह निर्माण को प्रेरित किया होगा जो कालांतर में कबीले एवं परिवार की सामाजिक रचना का माध्यम बना होगा। जिस समूह का प्रकाश पर जितना नियंत्रण होगा वह समूह उतना ताकतवर एवं श्रेष्ठ माना गया होगा इस तरह से मनुष्य के सामाजिक विकास एवं विस्तार का क्रम शुरू हुआ होगा।

भारतीय सभ्यता में प्रकाश का उद्भव और प्रयोग:
भारतीय संस्कृति विश्व की अनेक पुरातन सभ्यताओं के समकक्ष है। सिंधु घाटी की सभ्यता, मोहन जोदड़ो सभ्यता एवं हड़प्पा सभ्यता के अवशेष बताते हैं कि उस समय के मनुष्य रोशनी के लिए दिए जलाते थे एवं ये दिए चट्टानों, पत्थरों, हड्डियों एवं जानवरों के सींगों के बने होते थे। जानवरों एवं वनस्पतियों की चर्बी का उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता था। प्राचीन समय में दीयों में ईंधन का उपयोग उनकी उपलब्धता पर निर्भर रहता था। जैतून का तेल, सीसम का तेल, मूंगफली का तेल एवं मछली के तेल का प्रयोग ईंधन के रूप में किया जाता था।

भारतीय परम्पराओं में ज्ञान की मीमांसा की दो प्रमुख शाखायें 'समाख्या' एवं 'वैशेशिका' हैं। इनमें प्रकाश के सिद्धांत का वर्णन मिलता है।

'समाख्या' के अनुसार प्रकाश 5 प्रमुख तत्वों में से एक है जो अन्य चार तत्वों से मिलकर मुख्य पिंड का निर्माण करते है जिससे पृथ्वी पर जीवन का प्रादुर्भाव हुआ है।

'वैशेशिका' ज्ञान मीमांसा के अनुसार 'पृथ्वीव्यापस्ते जो वायुराकाशम् कालोदिगात्मा मनः इति दृब्याणि "अर्थात पृथ्वी, पानी, अग्नि, वायु, आकाश, काल, अंतरिक्ष, आत्मा और मन इन नौ द्रव्यों से मिल कर सृष्टि का निर्माण हुआ है। इनमें आकाश, काल, अंतरिक्ष, आत्मा और मन को प्रकाश के संघटक के रूप में प्रतिपादित किया गया है।

प्रकाश की ऐतिहासिक विकास यात्रा:
➤45 अरब साल पहले सूर्य का निर्माण।

➤35 अरब साल पहले प्रथम शैवाल अस्तित्व में आया।

➤25 अरब साल पहले प्रथम जैविक अणु का उद्भव, प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रारम्भ।

➤5 लाख साल पूर्व पृथ्वी पर मनुष्य का प्रादुर्भाव हुआ।

➤4 लाख वर्ष पूर्व मनुष्य ने अग्नि (Fire) की खोज की।

➤4 लाख वर्ष पूर्व पेकिंग मनुष्य (Peking Human) ने गुफाओं में कृत्रिम रोशनी का प्रयोग किया।

➤28 हज़ार साल पहले हिमयुग (Ice Age) में मनुष्य ने गुफाओं में कृत्रिम रंगों (Artificial Colours) द्वारा चित्रकारी की।

➤15 हज़ार साल पहले चट्टान, पत्थरों, हड्डियों एवं जानवरों के सींगों के बने दीयों का प्रयोग मनुष्य के द्वारा किया गया इनमे ईंधन के रूप में जानवरों एवं वनस्पतियों की चर्बी का उपयोग किया जाता था।

➤7000 वर्ष पूर्व जानवर, पक्षी एवं मछलियाँ जीवित दीयों के रूप में उपयोग में लाये जाते थे। वेस्टइंडीज़ एवं जापान में मिले अवशेषों के आधार पर ये माना जाता है कि यहां पर मनुष्य जुगनुओं को कैद कर कृत्रिम प्रकाश पैदा करते थे।

➤5000 वर्ष पूर्व बेबीलोन (Babylon) एवं मिश्र की सभ्यताओं में प्रकाश का प्रयोग विलासिता के रूप में किया जाने लगा था।

➤4600 वर्ष पहले खड़िया मिटटी के दिए प्रयोग में लाये जाने लगे थे।

➤2500 वर्ष पूर्व बंद दीयों का प्रयोग शुरू हुआ।

➤2300 वर्ष पूर्व अरस्तु (Arastu) जो कि प्लेटो (Plato) के शिष्य थे ने बताया की प्रकश तरंगो के माध्यम से चलता है।

➤2250 वर्ष पूर्व यूक्लिड (Euclid) ने प्रकाश के बारे में सिद्धांत प्रतिपादित किया कि प्रकाश आँख से उत्पन्न होता है एवं सीधी रेखा में चलता है। उनके अनुसार प्रकाश की गति अति तीव्र होती है क्योंकि आँख बंद करने पर दिखाई देना बंद हो जाता है एवं आँख खोलने पर तारे भी तुरंत दिखाई देने लगते हैं।

➤2000 वर्ष पूर्व मिटटी के दीयों का प्रचलन शुरू हुआ।

➤पाइथागोरस (Pythagoras) जो की ग्रीक दार्शनिक थे उन्होंने प्रकाश के आणविक सिद्धांत का समर्थन किया। इस सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक वास्तु लगातार कणों का उत्सर्जन करती है जो हमारी आँखों से टकरा कर उस वास्तु की आकृति का निर्माण करते है।

➤ अलेक्जेंड्रिया में पहले प्रकाश स्तम्भ (Lighthouse of Alexandria) का निर्माण हुआ।

➤बाइबिल के ओल्ड टेस्टामेंट में प्रकाश के बारे में कहा गया है "ईश्वर ने कहा प्रकाश होना चाहिए और प्रकाश हो गया।"

➤प्रथम शताब्दी में प्रकाश के वहनीय स्त्रोत के रूप में सींग से बने कंडील का उपयोग किया जाने लगा।

➤टॉलमी (Talmi) ने बताया की जब प्रकाश वायु से पानी या कांच में प्रवेश करता है तो उसकी किरण मुड़ जाती है।

➤चौथी शताब्दी में मोमबत्ती (Candle) का प्रयोग शुरू हुआ।

➤965 AD से 1039 AD में अरब वैज्ञानिक अल हाजेम (Al-Haytham) ने प्रकाश, दृष्टि, ग्रहण एवं सौरमंडल पर अनेक शोध कार्य किये।

➤1000 AD में अल हाजेम, रोजर बेकन (Roger Bacon) एवं गायवनी (Galvani) ने कैमरा के अविष्कार में महत्वपूर्ण प्रयोग किये।

➤1452 से 1519 तक लियोनार्डो द विंसी (Leonardo di Vinci) ने कैमरे को मनुष्य की आँख के सदृश्य बताया एवं उन्होंने प्रकाश के परावर्तन, अपवर्तन एवं दर्पण पर अनेक शोध कार्य किये।

➤1600 में गैलेलियो (Galileo Galilei) ने टेलिस्कोप (Telescope) का अविष्कार कर आधुनिक खगोल विज्ञान को नया रूप दिया।

➤1642 से 1727 तक इंग्लैंड के वैज्ञानिक सर आइजैक न्यूटन (Isaac Newton) ने सूर्य के प्रकाश में सभी रंगों का स्पेक्ट्रम (Spectrum) खोज। 1704 में न्यूटन की पुस्तक 'ऑप्टिक्स' (Optics) प्रकाशित हुई इसमें उन्होंने परावर्तन के सिद्धांत को प्रतिपादित किया है। इस नियम के अनुसार प्रकाश जब एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है तो एक निश्चित कोण पर उसका परावर्तन होता है।

➤ रंग की विवेचना करते हुए न्यूटन ने कहा है की "रंग एक संवेदनशीलता है जो विद्युत चुंबकीय क्रिया के द्वारा आँख तक पहुँचती है जिससे रेटिना प्रकाश के द्वारा उत्तेजित होकर मष्तिष्क तक संकेत पहुँचाती है जिससे हम रंगों को पहचान सकते हैं।"

➤ 1678 में पोलोराइज़्ड प्रकाश (Polarized light) की खोज ह्यूजेन (Huizen) ने की थी। इस प्रकाश में विद्युतचुंबकीय तरंगे एक ही ताल में समाहित होती हैं। इस प्रकाश को प्रवर्तन एवं द्वतीयक अपवर्तन के द्वारा पैदा किया जा सकता है।

➤1778 में सर हम्फ्री डेवी (Sir Humphry Davy) ने इलेक्ट्रिक आर्क (Electric Arc) का अविष्कार किया था।

➤1801 में विल्हम रीटर (Wilhelm Ritter) ने अल्ट्रा वायलेट प्रकाश (Ultraviolet light) की खोज की।

➤1826 में आधुनिक फोटोग्राफी का अविष्कार फ्रेंच वैज्ञानिक जोसेफ नीलोफर (Joseph Nilofar) ने किया।

➤1850 में स्पेक्ट्रोस्कोप (Spectroscope) का अविष्कार गुस्ताव राबर्ट किरचॉफ (Gustav Kirchhoff) ने किया।

➤1865 में आबर्ट ने खोज की की सूर्य प्रकाश में करीब 1000 वर्ण हैं।

➤1874 में विद्युत प्रकाश का सर्व प्रथम उपयोग 24 जुलाई 1874 को हेनरी वुडवर्ड (Henry Woodward) एवं मैथ्यूज इवांस (Mathew Evans) ने किया था।

➤1875 में जार्ज केरे (Gorg Cere) ने टेलीविज़न के सिद्धांत (Television theory) का प्रतिपादन किया।

➤1879 में एडीसन (Thomas Alva Edison) ने पहला विद्यत लैम्प (Electric lamp) का निर्माण किया जिसमे फिलामेंट का प्रयोग किया गया था।

➤1881 में रुट ने खोज की थी की सूर्य प्रकाश में करीब 2 लाख हल्के रंग एवं छाया (TINT) उपस्थित हैं।

➤1905 में आइंस्टाइन (Albert Einstein) ने प्रकाश की गति को स्थिर बताया था। उनका मानना था की प्रकाश की गति किसी भी परिपेक्ष्य में constant होनी चाहिए। आइंस्टाइन ने कहा था की चूँकि गति स्थान एवं समय का अनुपात होती है इसलिए गति का मान स्थिर रखने के लिए स्थान एवं समय को परिपेक्ष्य के हिसाब से बदलना होता है।

➤1915 में आइंस्टाइन ने सापेक्षता के सिद्धांत (Theory of Relativity) का प्रतिपादन किया।

➤1922 में आइंस्टाइन ने फोटोइलेक्ट्रिक प्रभाव (Photoelectric effect) की खोज की।

➤1969 में अप्रानेट ने कंप्यूटर नेटवर्किंग (Computer Networking) की शुरुआत की।

➤1972 में इलेक्ट्रॉनिक मेल e-mail की शुरुआत हुई।

इसके बाद का विकास क्रमिक और जटिल रहा है। प्रकाश सभ्यताओं का निर्माता एवं उनके विकास का कारक रहा है आज जहाँ मानव विकास के शिखर पर खड़ा है वहाँ तक मानव को पहुंचाने में प्रकाश की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

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लेखक परिचय: 
सुशील कुमार शर्मा व्यवहारिक भूगर्भ शास्त्र और अंग्रेजी साहित्य में परास्नातक हैं। इसके साथ ही आपने बी.एड. की उपाध‍ि भी प्राप्त की है। आप वर्तमान में शासकीय आदर्श उच्च माध्य विद्यालय, गाडरवारा, मध्य प्रदेश में वरिष्ठ अध्यापक (अंग्रेजी) के पद पर कार्यरत हैं। आप सामाजिक एवं वैज्ञानिक मुद्दों पर चिंतन करने वाले लेखक के रूप में भी जाने जाते हैं तथा अापकी रचनाएं समय-समय पर विभ‍िन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाश‍ित होती रही हैं। आपसे सुशील कुमार शर्मा (वरिष्ठ अध्यापक), कोचर कॉलोनी, तपोवन स्कूल के पास, गाडरवारा, जिला-नरसिंहपुर, पिन -487551 (MP) के पते पर सम्पर्क किया जा सकता है।
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COMMENTS

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वैज्ञानिक चेतना को समर्पित इस यज्ञ में आपकी आहुति (टिप्पणी) के लिए अग्रिम धन्यवाद। आशा है आपका यह स्नेहभाव सदैव बना रहेगा।

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Scientific World: मानव के विकास एवं सभ्यता में प्रकाश की भूमिका
मानव के विकास एवं सभ्यता में प्रकाश की भूमिका
मानव सभ्यता के विकास में सूर्य के महत्व पर प्रकाश डालता शोधपरक आलेख।
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