John F. Nash Biography in Hindi
असाधारण प्रतिभा के धनी गणितज्ञ नील्स हेनरिक एबेल (1802-1829) ने अपनी अल्पआयु में ही गणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया। उनके कार्यों की स्मृति में गणित के नोबल पुरस्कार कहलाने वाले ‘एबेल पुरस्कारों’ (Abel Prize) की स्थापना की गई है।
जॉन नैश - अद्वितीय गणितज्ञ को नमन
-नवनीत कुमार गुप्ता
अक्सर लोगों में गणित को लेकर भय होता है। लेकिन यदि हम गहराई से विचार करेंगे तो पाएंगे कि हमारे चारों ओर कहीं न कहीं गणित विद्यमान है। बाजार जाने पर चीजों को खरीदने के लिए मान-तोल से लेकर मोल-भाव करने तक में गणित छिपा होता है। विभिन्न वस्तुओं के आकार और आकृति कहीं न कहीं गणित से संबंध रखती है।
हमारा देश गणितीय विरासत से संपन्न देश है। संख्या ‘शून्य’ एवं दशमलव पद्धति की खोज गणित क्षेत्र में भारत का महत्वपूर्ण योगदान है जिससे आगे चलकर संख्याओं को लिखने का तरीका विकसित हुआ। प्राचीन भारत की गणितीय योग्यता की जानकारी उस समय के ग्रंथों में मिलती हैं। आर्यभट्ट, भास्कर, वाराहमिहिर जैसे अनेक प्राचीन विद्वानों ने गणित में अहम योगदान दिया। आधुनिक काल में रामानुजन एवं हरीश चंद्र ने गणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। असल में श्रीनिवास रामानुजन 20वीं शताब्दी के महान गणितज्ञों में से एक हैं। गणित में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार उनके जन्मदिन को ‘राष्ट्रीय गणित वर्ष’ के रूप में मनाने लगी है।
ऐसे ही एक असाधारण प्रतिभा के गणितज्ञ नील्स हेनरिक एबेल (1802-1829) हुए हैं जिन्होंने अपनी अल्पआयु में ही गणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया। उनके कार्यों की स्मृति में गणित के नोबल पुरस्कार कहलाने वाले ‘एबेल पुरस्कारों’ (Abel Prize) की स्थापना की गई है। द नार्वेजियन एकेदमी ऑफ साइंस एंड लैटर्स (Norwegian Academy of Sciences and Letters) ने 2015 के एबेल पुरस्कार से दो अमेरिकी गणितज्ञों जॉन एफ. नैश जूनियर (John Forbes Nash, Jr.) और लुई निरनबर्ग (Louis Nirenberg) को सम्मानित किया है। इस लेख में हम इन दोनों गणितज्ञों के कार्यों को समझने का प्रयास करते हैं।
एबेल पुरस्कार से सम्मानित गणितज्ञ - जॉन नैश
जॉन फोर्ब्स नैश जूनियर का जन्म संयुक्त राज्य अमेरिका के पश्चिम वर्जीनिया स्थित शहर ब्लूफील्ड में 13 जून, 1928 को हुआ था। उनके पिता एक विद्युत इंजीनियर और उसकी माँ एक शिक्षिका थीं। जॉन नैश ने पिट्सबर्ग में कार्नेगी प्रौद्योगिकी संस्थान में आरंभ में एक पूर्ण छात्रवृत्ति के साथ रसायनिक अभियांत्रिकी का अध्ययन किया, लेकिन बाद में वह रसायन विज्ञान की ओर प्रेरित हुए। रसायन विज्ञान से भी उनका मन भटका और अंत में उन्होंने गणित का अध्ययन आरंभ किया।
इसके साथ ही नैश ने वैल्पिक कोर्स के रूप में अर्थशास्त्र की पढ़ाई भी की। अर्थशास्त्र के इस अध्ययन के आधार पर ही उन्होंने प्रिंसटन विश्वविद्यालय में एक स्नातक छात्र के रूप में अपने पहले शोधपत्र ‘सौदेबाज़ी की समस्या’ का विचार सूझा। इस शोधपत्र से उनमें खेल सिद्धांत यानी निर्णय लेने के गणित संबंधी क्षेत्र के प्रति रुचि जाग्रत हुई।
नैश का पीएच.डी. शोधग्रंथ खेल सिद्धांत के मूलभूत ग्रंथों में से एक है। उन्होंने इस क्षेत्र में ‘नैश संतुलन’ (Nash balance) की अवधारणा का विकास किया, जिसका अर्थशास्त्र और सामाजिक विज्ञान में गहरा प्रभाव माना जाता है। प्रिंसटन में नैश ने शुद्ध गणित के क्षेत्र में पहली महत्वपूर्ण खोज की। उनके अनुसार यह प्रतिलिपि और वास्तवित बीजगणितीय असमरूपता से संबंधित एक सुंदर खोज थी। उनके साथियों द्वारा इस परिणाम को पहले से ही एक महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय कार्य के रूप में देखा जा रहा था।
सन 1950 में नैश ने आंशिक अवकल समीकरण के बारे में महत्वपूर्ण प्रमेयों को साबित किया। ‘एसे ऑन गेम थ्यौरी’ (Essays on Game Theory) उनकी प्रसिद्ध पुस्तक है। गणित के अलावा नैश को उनके खेल-सिद्धांत पर लिखे शोधपत्र, निर्णय-लेने के गणित के बारे में जाना जाता है। उन्हें अर्थशास्त्र में दिये गये योगदान के लिए सन 1994 का नोबेल पुरस्कार भी मिला।
खेल सिद्धांत की महत्वपूर्ण खोज करने वाले महान गणितज्ञ ने अपनी एक दर्दनाक और दुखद यात्रा के बाद अंत में अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार जीता। जिसे सन 2001 में हॉलीवुड की एक फिल्म ‘ए ब्यूटिफुल माइंड’ (A Beautiful Mind) में जोरदार ढंग से फिल्माया गया है। ‘ए ब्यूटिफुल माइंड’ फिल्म महान गणितज्ञ जॉन एफ नैश जूनियर के कार्यों और जीवन पर थी, जिन्होंने सन 1994 में अर्थशास्त्र का नोबल पुरस्कार खेल-सिद्धांत के अन्य दो प्रसिद्ध सिद्धान्तकारों के साथ साझा किया था। हाल ही में उनका नाम वर्ष 2015 के एबेल सम्मान के लिए घोषित किया गया।
असल में द नार्वेजियन एकेदमी ऑफ साइंस एंड लैटर्स ने 2015 के ‘एबेल पुरस्कार’ के लिए दो अमेरिकी गणितज्ञों जॉन एफ नैश जूनियर और लुई निरनबर्ग को अरेखिए आंशिक अवकल समीकरणों और ज्यामितीय विश्लेषण में उनके असाधारण एवं मौलिक योगदान के लिए अपने आवेदन पत्र के सिद्धांत के मौलिक योगदान के लिए सम्मानित किया गया। इस प्रकार जॉन नैश ने गणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर गणित को व्यवहारिक समस्याओं के निराकरण का माध्यम बनाने में भी महत्वपूर्ण कोशिश की।
23 मई, 2015 को इस कार दुर्घटना में इस महान गणितज्ञ ने अपनी पत्नी समेत मौत हो गयी। उनकी असमय मृत्यु पर पूरे विश्व भर में गणितज्ञों और कलाजगत के लोगों में शोक की लहर दौड़ गयी। भारत के प्रधानमंत्री ने भी उनकी मृत्यु पर शोक प्रकट किया। उनके बहुमुखी व्यक्तित्व के कारण ही विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के प्रति उनके प्रति ऐसी श्रद्धा देखी गयी है।

नवनीत कुमार गुप्ता पिछले दस वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन आदि जनसंचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के लिए प्रयासरत हैं। आपकी विज्ञान संचार विषयक लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा इन पर गृह मंत्रालय के ‘राजीव गांधी ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार' सहित अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। आप विज्ञान संचार के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ‘विज्ञान प्रसार’ से सम्बंद्ध हैं। आपसे निम्न मेल आईडी पर संपर्क किया जा सकता है:

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Naman
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