Space Shuttle Program Benefits in Hindi
अभी ज्यादा दिन नहीं बीते, जब भारत के मंगलयान ने पहली ही बार में मंगल तक की सफल यात्रा करके विश्व बिरादरी में सम्मान अर्जित किया है। लेकिन याद कीजिए उससे पहले का वह समय, जब मंगलयान का प्रेक्षण किया गया था। उस दौरान अक्सर यह चर्चा सुनने को मिलती थी कि आखिर भारत को इन मंहगे अंतरिक्ष अभियानों में शामिल होने की क्या आवश्यकता है, खासकर तब, जब वह बेरोजगारी, भुखमरी और बदहाली से घिरा हुआ है।
हालांकि ये सवाल अपनी जगह पर सही है, लेकिन इसके ये मायने नहीं कि जब तक किसी देश से उसकी सामाजिक समस्याएं जड़ से समाप्त न हो जाएं, उसे अंतरिक्ष की ओर देखना ही नहीं चाहिए। ऐसा कहने वाले भले ही कितने विद्वान क्यों न हों, निश्चय ही पूरे सच से अनजान होते हैं। क्योंकि अंतरिक्ष अभियान सिर्फ वैज्ञानिक जानकारियां लेकर ही नहीं आते, वे प्रकारान्तर से आम आदमी की सुख सुविधाओं में भी बढ़ोत्तरी करने में सहायक होतेे हैं। ये बात बहुत कम लोग जानते हैं कि आज हम अपने जीवन में जितनी प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर रहे हैं, उनका एक बड़ा हिस्सा अंतरिक्ष अभियानों की ही देन है।
उदाहरण के लिए ह़दय रोगियों की धड़कनों को नियंत्रण करने वाला 'पेसमेकर', गुर्दा फेल होने की दशा में शरीर की गंदगी को बाहर निकालने की प्रक्रिया 'डायलिसिस', शरीर की सूक्ष्मतम दशा को अपनाने के लिए अपनाई जाने वाली तकनीक 'कैटस्कैन' तकनीक आज मेडिकल के क्षेत्र में अपरिहार्य हो गयी हैं। पर आपको जानकर हैरानी होगी कि इन सभी तकनीकों का आविष्कार अंतरिक्ष यात्राओं की आवश्यकताओं के मद्देनजर ही हुआ था।
सिर्फ मेडिकल ही नहीं, चाहे घरेलू उपयोग हो, चाहे यातायात का क्षेत्र हो, चाहे कम्प्यूटर तकनकी हो, या फिर खेल हो अथवा जनकल्याण सम्बंधी कार्य, आज जीवन के हर क्षेत्र में ऐसी बेशुमार तकनीके हमारे काम आ रही हैं, जो अंतरिक्ष यात्राओं के मद्देनजर आविष्कृत हुई हैं। ये तकनीकें और इनके प्रयोग इतने विस्तृत हैं, कि उनपर 'हमारे दैनिक जीवन में अंतरिक्ष' नामक एक पूरी पुस्तक ही तैयार हो गयी है। और इस पुस्तक को तैयार करने का काम किया है चर्चित विज्ञान लेखकों कालीशंकर एवं रोकेश शुक्ला ने।
कालीशंकर भारतीय अंतरिक्ष संगठन में वैज्ञानिक के रूप में कार्य कर चुके हैं और वे लगभग 35 वर्षों से विज्ञान संचार के क्षेत्र में एक चर्चित हस्ताक्षर के रूप में जाने जाते हैं। उनके पत्र-पत्रिकाओं में 300 से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं तथा विभिन्न विषयों पर उनकी 25 पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। पुस्तक के सह लेखक राकेश शुक्ला भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग में वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत हैं। वे पिछले 15 सालों से विज्ञान संचार के क्षेत्र में सक्रिय हैं तथा उनकी अंतरिक्ष विज्ञान पर अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
यह पुस्तक आईसेक्ट, मध्य प्रदेश द्वारा मध्य प्रदेश विज्ञान एवं तकनीकी परिषद की अनुसृजन परियोजना के अन्तर्गत प्रकाशित की गयी है। पुस्तक का विषय अत्यंत रोचक है तथा प्रस्तुतिकरण बेहद प्रभावशाली। इस महत्वपूर्ण एवं नवीन विषय पर इस तरह की पुस्तक का प्रकाशन अत्यंत स्वागतयोग्य कदम है, जिसके लिए लेखक एवं प्रकाशक दोनों बधाई के पात्र हैं।
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पुस्तक: हमारे दैनिक जीवन में अंतरिक्ष
लेखक: कालीशंकर, राकेश शुक्ला
श्रृंखला संपादक: संतोष चौबे
प्रकाशक: आईसेक्ट, स्कोप कैम्पस, एन.एच.-12, होशंगाबाद रोड, भोपाल-26, फोन-0755-2499657, 3293214-16, ईमेल-aisect_bpl@sancharnet.in
मूल्य: 150 रूपये (पृष्ठ: 196)
बडे काम की पुसतक है।
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