न्यूट्रिनो के इतिहास, खोज एवं विशेषताओं का सम्पूर्ण लेखा-जोखा।
हमारे ब्रह्मांड में अरबों-खरबों कण लम्बी-लम्बी यात्राएं करते रहते हैं। इनमें से एक कण का नाम है न्यूट्रिनो। मजेदार बात यह है कि चाहे तारे हों अथवा आकाशगंगाएं कोई भी इसका रास्ता नहीं रोक पाता है। यही कारण है कि वैज्ञानिकों की इसके बारे में जानने में विशेष रूचि रही है। क्योंकि उन्हें विश्वास है कि इसके द्वारा अंतरिक्ष से संबंधित विभिन्न प्रकार की जानकारियां प्राप्त हो सकती हैं।
यह एक सर्वव्यापी कण है, लेकिन आश्चर्य का विषय है कि अब भी इसके बारे में हमें बहुत कम बातें मालूम हैं। यूं तो सन 1930 में भौतिकिविद् पॉउली (Wolfgang Ernst Pauli) ने अपने प्रयोगों के द्वारा एक सैद्धांतिक कण की अवधारणा प्रस्तुत की थी, जिसे सन् 1933 में भौतिकीविद् फर्मि (Enrico Fermi) ने न्यूट्रिनो नाम दिया। लेकिन इसके बावजूद आज भी हम इसके बारे में सब कुछ नहीं जान पाए हैं।
न्यूट्रिनों की इस रहस्यमय दुनिया के बारे में यूं तो अब तक तरह-तरह के शोध किये जा चुके हैं और कई बड़ी परियोजनाएं अब भी प्रक्रिया में हैं, ताकि ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्यों को अपने भीतर छिपाए हुए इस महत्वपूर्ण कण के बारे में और अधिक जाना जा सके।
प्रसन्नता का विषय है कि हाल ही में जाने-माने लेखक कपूरमल जैन की इसी विषय पर एक पुस्तक प्रकाशित हुई है, जिसका नाम है- 'न्यूट्रिनो की दुनिया'। इस पुस्तक में लेखक ने न्यूट्रिनो के इतिहास से लेकर उसके भूगोल तक के बारे में अब तक उपलब्ध समस्त जानकारी को बहुत रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
पुस्तक के लेखक डॉ0 कपूरमल जैन मध्य प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा संचालनायल में संयुक्त संचालक के पद पर कार्यरत हैं। वे यू0जी0सी0 के नेशनल एसोसिएट के रूप में आई0आई0टी0, नई दिल्ली में तथा यू0जी0सी0 के विजिटिंग एसोसिएट के रूप में पूना विश्वविद्यालय, पुणे में अनुसंधान कार्य कर चुके हैं तथा विज्ञान लोक-व्यापीकरण एवं विज्ञान की शिक्षण पद्धति में नवाचार लाने के लिए जाने जाते हैं। उनकी ‘हरी राह’, ‘जिज्ञासाओं के गर्भ में वैज्ञानिक चेतना’, ‘प्रायोगिक भौतिकी’, ‘महाविद्यालयीन भौतिकी’, ‘बेसिक्स ऑफ थर्मल एण्ड स्टेटिस्टीकल फिजिक्स’, ‘इंट्राडक्टरी क्वांटम मेकेनिक्स एण्ड स्पेक्ट्रोस्कोपी’, ‘1905 में भौतिकी की क्रान्ति’, 'भौतिकी की विकास यात्रा' नामक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
आलोच्य पुस्तक आइसेक्ट द्वारा मध्य प्रदेश एवं तकनीकी परिषद की अनुसृजन योजना के अन्तर्गत प्रकाशित की गयी है, जिसके अन्तर्गत पूर्व में भी अनेक रोचक एवं ज्ञानवर्द्धक पुस्तकों का प्रकाशन किया जा चुका है। इस पुस्तक में न्यूट्रिनो के बारे में विस्तार से एवं क्रमबद्ध ढंग से जानकारी दी गयी है, जोकि उसके अध्यायों के नामों से भी परिलक्षित होती है: पृष्ठभूमि: प्रकृति के संकेत, क्या है न्यूट्रिनो, न्यूट्रिनो की खामोश दस्तक, सोलर न्यूट्रिनो मॉडल, न्यूट्रिनो के स्रोत, न्यूट्रिनो को पकड़ने के लिए बनी योजनाएं, न्यूट्रिनो ने दी अपनी झलक, मिले न्यूट्रिनो के लेवर, स्टैण्डर्ड मॉडल और इलेक्ट्रोवीक सिद्धांत, फंडामेंटल पार्टिकल की दुनिया में होने वाली प्रक्रियाएं, सोलर-न्यूट्रिनो समस्या, न्यूट्रिनो ऑब्जर्वेटरी, न्यूट्रिनो दोलन, मायावी न्यूट्रिनो, न्यूट्रिनो ने खोली नई दिशाएं, न्यूट्रिनो रहेगा फोर-फ्रंट पर।
लेखक ने न्यूट्रिनो के बारे में उठने वाली समस्त जिज्ञासाओं को पुस्तक में समाहित किया है तथा इससे सम्बंधित शोधों के बारे में विस्तार से बताया है। इसकी वजह से यह पुस्तक रोचक ही नहीं ज्ञानवर्द्धक एवं संग्रहणीय भी बन पड़ी है। इस शानदार पुस्तक के लिए लेखक एवं प्रकाशक दोनों बधाई के पात्र हैं।
न्यूट्रिनों की इस रहस्यमय दुनिया के बारे में यूं तो अब तक तरह-तरह के शोध किये जा चुके हैं और कई बड़ी परियोजनाएं अब भी प्रक्रिया में हैं, ताकि ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्यों को अपने भीतर छिपाए हुए इस महत्वपूर्ण कण के बारे में और अधिक जाना जा सके।
प्रसन्नता का विषय है कि हाल ही में जाने-माने लेखक कपूरमल जैन की इसी विषय पर एक पुस्तक प्रकाशित हुई है, जिसका नाम है- 'न्यूट्रिनो की दुनिया'। इस पुस्तक में लेखक ने न्यूट्रिनो के इतिहास से लेकर उसके भूगोल तक के बारे में अब तक उपलब्ध समस्त जानकारी को बहुत रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
पुस्तक के लेखक डॉ0 कपूरमल जैन मध्य प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा संचालनायल में संयुक्त संचालक के पद पर कार्यरत हैं। वे यू0जी0सी0 के नेशनल एसोसिएट के रूप में आई0आई0टी0, नई दिल्ली में तथा यू0जी0सी0 के विजिटिंग एसोसिएट के रूप में पूना विश्वविद्यालय, पुणे में अनुसंधान कार्य कर चुके हैं तथा विज्ञान लोक-व्यापीकरण एवं विज्ञान की शिक्षण पद्धति में नवाचार लाने के लिए जाने जाते हैं। उनकी ‘हरी राह’, ‘जिज्ञासाओं के गर्भ में वैज्ञानिक चेतना’, ‘प्रायोगिक भौतिकी’, ‘महाविद्यालयीन भौतिकी’, ‘बेसिक्स ऑफ थर्मल एण्ड स्टेटिस्टीकल फिजिक्स’, ‘इंट्राडक्टरी क्वांटम मेकेनिक्स एण्ड स्पेक्ट्रोस्कोपी’, ‘1905 में भौतिकी की क्रान्ति’, 'भौतिकी की विकास यात्रा' नामक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
आलोच्य पुस्तक आइसेक्ट द्वारा मध्य प्रदेश एवं तकनीकी परिषद की अनुसृजन योजना के अन्तर्गत प्रकाशित की गयी है, जिसके अन्तर्गत पूर्व में भी अनेक रोचक एवं ज्ञानवर्द्धक पुस्तकों का प्रकाशन किया जा चुका है। इस पुस्तक में न्यूट्रिनो के बारे में विस्तार से एवं क्रमबद्ध ढंग से जानकारी दी गयी है, जोकि उसके अध्यायों के नामों से भी परिलक्षित होती है: पृष्ठभूमि: प्रकृति के संकेत, क्या है न्यूट्रिनो, न्यूट्रिनो की खामोश दस्तक, सोलर न्यूट्रिनो मॉडल, न्यूट्रिनो के स्रोत, न्यूट्रिनो को पकड़ने के लिए बनी योजनाएं, न्यूट्रिनो ने दी अपनी झलक, मिले न्यूट्रिनो के लेवर, स्टैण्डर्ड मॉडल और इलेक्ट्रोवीक सिद्धांत, फंडामेंटल पार्टिकल की दुनिया में होने वाली प्रक्रियाएं, सोलर-न्यूट्रिनो समस्या, न्यूट्रिनो ऑब्जर्वेटरी, न्यूट्रिनो दोलन, मायावी न्यूट्रिनो, न्यूट्रिनो ने खोली नई दिशाएं, न्यूट्रिनो रहेगा फोर-फ्रंट पर।
लेखक ने न्यूट्रिनो के बारे में उठने वाली समस्त जिज्ञासाओं को पुस्तक में समाहित किया है तथा इससे सम्बंधित शोधों के बारे में विस्तार से बताया है। इसकी वजह से यह पुस्तक रोचक ही नहीं ज्ञानवर्द्धक एवं संग्रहणीय भी बन पड़ी है। इस शानदार पुस्तक के लिए लेखक एवं प्रकाशक दोनों बधाई के पात्र हैं।
पुस्तक: न्यूट्रिनो की दुनिया
लेखक: कपूरमल जैन
श्रृंखला संपादक: संतोष चौबे
प्रकाशक: आईसेक्ट, स्कोप कैम्पस, एन.एच.-12, होशंगाबाद रोड, भोपाल-26, फोन-0755-2499657, 3293214-16, ईमेल-aisect_bpl@sancharnet.in
मूल्य: 100 रूपये (पृष्ठ: 123)
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