इन्सेफेलाइटिस अर्थात मस्तिष्क ज्वर/दिमागी बुखार जैसी गंभीर बीमारी के उपचार एवं बचाव पर केन्द्रित एक महत्वपूर्ण आलेख।
मच्छर और चिचड़ी जैसे कीट अनेक प्रकार के इन्सेफेलाइटिस के विषाणुओं के वाहक होते हैं। इन्सेफेलाइटिस अक्सर अन्य विषाणु संक्रमणों के साथ होता है जिससे इसके लक्षण को पहचान पाना और सूजन का उपचार कर पाना कठिन होता है । हालांकि इसके सामान्य लक्षणों की बात करें तो इनमें बुखार, सिरदर्द, भूख न लगना, कमजोरी लगना और बीमारी जैसे अनुभव होना आदि शामिल हैं।
गंभीर बीमारी-मस्तिष्क ज्वर
-नवनीत कुमार गुप्ता
अच्छा स्वास्थ्य सबसे अधिक मूल्यवान माना जाता है। लेकिन कई बीमारियां स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न करती हैं। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के संक्रमण मानव जाति के लिए कभी-कभार महामारी बन स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। मस्तिष्क ज्वर यानी इन्सेफेलाइटिस ऐसा ही एक दुलर्भ संक्रमण है जो करीबन दो लाख लोगों में से एक आदमी में पाया जाता है। यह रोग विशेषकर बच्चों, बुजुर्गों और कम प्रतिरक्षा क्षमता वाले कमजोर व्यक्तियों में पाया जाता है। इन्सेफेलाइटिस को मस्तिष्क में सूजन के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसके अनेक कारण हैं जिनमें विषाणु, जीवाणु, परजीवी, रसायन आदि शामिल हैं। कुछ मामलों में स्वप्रतिरक्षक कारक भी इसके लिए जिम्मेदार देखा गया है। इन सब कारकों के अलावा वायरल इन्सेफेलाइटिस को सबसे आम माना जाता है।
इन्सेफेलाइटिस के कारक:-
वायरल इन्सेफेलाइटिस विभिन्न प्रकार के विषाणुओं जैसे रेबिज वायरस, हरपीज सिंप्लेक्स पोलियो वायरस, खसरे के विषाणु, छोटी चेचक विषाणु आदि के कारण होता है। मस्तिष्क में सूजन किसी तीव्र विषाणु के संक्रमण से या अव्यस्क संक्रमण के कारण भी हो सकता है। विभिन्न प्रकार के विषाणुओं जैसे जापानी इन्सेफेलाइटिस विषाणु, सेंट लुइस विषाणु, पश्चिमी नील विषाणु, शीतला मानइर विषाणु और शीतला मेजर विषाणु आदि वायरल इन्सेफेलाइटिस के मुख्य कारण हैं। कुछ परजीवी या मलेरिया जैसे प्रोटोजोआ संक्रमण भी मस्तिष्क सूजन के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।
वायरल इन्सेफेलाइटिस विभिन्न प्रकार के विषाणुओं जैसे रेबिज वायरस, हरपीज सिंप्लेक्स पोलियो वायरस, खसरे के विषाणु, छोटी चेचक विषाणु आदि के कारण होता है। मस्तिष्क में सूजन किसी तीव्र विषाणु के संक्रमण से या अव्यस्क संक्रमण के कारण भी हो सकता है। विभिन्न प्रकार के विषाणुओं जैसे जापानी इन्सेफेलाइटिस विषाणु, सेंट लुइस विषाणु, पश्चिमी नील विषाणु, शीतला मानइर विषाणु और शीतला मेजर विषाणु आदि वायरल इन्सेफेलाइटिस के मुख्य कारण हैं। कुछ परजीवी या मलेरिया जैसे प्रोटोजोआ संक्रमण भी मस्तिष्क सूजन के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।
[post_ads]
जीवाणु इन्सेफेलाइटिस सिफलिस जैसे तीव्र जीवाणु संक्रमण के कारण होता है। इन्सेफेलाइटिस को मुख्य तौर पर दो नामों प्राथमिक और द्वितीयक के रूप में जाना जाता है। प्राथमिक इन्सेफेलाइटिस तब होता है जब विषाणु या अन्य संक्रामक वाहक सीधे मस्तिष्क को प्रभावित करता है। इसमें संक्रमण एक क्षेत्र में केंद्रित होता है जबकि द्वितीयक इन्सेफेलाइटिस तब होता है जब हमारा प्रतिरक्षक तंत्र दोषपूर्ण हो जाता है और गलती से मस्तिष्क की स्वस्थ्य कोशिकाओं पर हमला कर देता है।
इन्सेफेलाइटिस के लक्षण:-
यह बात ध्यान देने योग्य है कि मच्छर और चिचड़ी जैसे कीट अनेक प्रकार के इन्सेफेलाइटिस के विषाणुओं के वाहक होते हैं। इन्सेफेलाइटिस अक्सर अन्य विषाणु संक्रमणों के साथ होता है जिससे इसके लक्षण को पहचान पाना और सूजन का उपचार कर पाना कठिन होता है । हालांकि इसके सामान्य लक्षणों की बात करें तो इनमें बुखार, सिरदर्द, भूख न लगना, कमजोरी लगना और बीमारी जैसे अनुभव होना आदि शामिल हैं।
यह बात ध्यान देने योग्य है कि मच्छर और चिचड़ी जैसे कीट अनेक प्रकार के इन्सेफेलाइटिस के विषाणुओं के वाहक होते हैं। इन्सेफेलाइटिस अक्सर अन्य विषाणु संक्रमणों के साथ होता है जिससे इसके लक्षण को पहचान पाना और सूजन का उपचार कर पाना कठिन होता है । हालांकि इसके सामान्य लक्षणों की बात करें तो इनमें बुखार, सिरदर्द, भूख न लगना, कमजोरी लगना और बीमारी जैसे अनुभव होना आदि शामिल हैं।
इन्सेफेलाइटिस के विभिन्न मामले में व्यक्ति को बहुत तेज बुखार और केंद्रीय तंत्रिका सिस्टम में संक्रमण से सम्बंधित लक्षणों का अनुभव होता है जैसे कि तेजदर्द, उल्टी एवं घबराहट, गर्दन में दर्द, भ्रण, भटकाव, व्यक्तित्व में बदलाव, दौरा, बोलने या सुनने में समस्या होना, जले हुए मांस या सड़े हुए अंडे की बदबू का आना, याददाश्त कम होना, उनींदापन होना एवं कोमा आदि शामिल हैं। बच्चों और शिशुओं में देखे जाने वाले लक्षणों में खोपड़ी में एक पूरा या उभरी हुई चित्ती, शरीर की जकड़न, कम दूध पीना, चिड़चिड़ापन एवं रोने पर उठाने पर भी चुप न होना आदि शामिल है।
इन्सेफेलाइटिस का इलाज:-
इन्सेफेलाइटिस के अधिकतर प्रकार में लक्षण लगभग एक सप्ताह में उभरते हैं जबकि पूरी तरह से ठीक होने में अनेक सप्ताह या महीने लग सकते हैं। लेकिन गंभीर मामलों में ध्यान नहीं दिया जाए तो स्थायी रूप से मस्तिष्क की क्षति और विकलांगता जैसे सीखने की क्षमता का कम होना, बोलने में समस्या, याददाश्त कम होना, मांसपेशियों को नियंत्रित करने की क्षमता में कमी आना, और कुछ मामलों में तो मौत भी हो सकती है। इसीलिए इसके लक्षणों के आरंभ होने पर ही चिकित्सक की सलाह ले लेनी चाहिए। इन्सेफेलाइटिस बीमारी के निदान में इमेजिंग परीक्षण जैसे कम्प्यूटेड टोमोग्राफी यानी सीटी स्कैन, मस्तिष्क की एमआरआई एवं ईसीजी, रक्त परिक्षण, आदि शामिल हैं जोकि संक्रमण के लिए मस्तिष्कमेरू द्रव का परीक्षण करते हैं। इन्सेफेलाइटिस में प्रतिजैविक दवाओं का उपयोग किया जाता है।
पिछले कुछ महीनों में दौरान बिहार के पटना और मुजफ्फरपुर क्षेत्रों में इन्सेफेलाइटिस के अनेक मामले सामने आए। जिन्हें देखते हुए भारत सरकार ने जापानी मस्तिष्क ज्वर के खिलाफ ज्यादा पीड़ित जिलों में व्यस्कों के लिए एक टीका भी शुरू करने की घोषणा की है। इसके साथ ही जापानी इन्सेफेलाइटिस और एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम की रोकथाम और नियंत्रण के लिए व्यापक बहु आयामी रणनीति के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। पांच राज्यों असम, बिहार, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में इस कार्ययोजना के अमल पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। मुख्य गतिविधियों में जन स्वास्थ्य कार्यक्रम, जापानी इन्सेफलाइटिस के टीकाकरण को बढ़ावा देना, चिकित्सा और सामाजिक पुनर्वास, ग्रामीण और शहरी इलाकों में पेयजल और स्वच्छता में सुधार शामिल हैं।
जैसा कि पुरानी कहावत है कि इलाज से बचाव भला। इसीलिए विश्व भर में चिकित्सक इस बीमारी से बचाव के लिए कुछ उपायों को अपनाने की सलाह देते हैं। इन उपायों में से कुछ इस प्रकार हैं। किसी भी प्रकार के तेज बुखार या संक्रमण विशेषकर विषाणु संक्रमण का जल्द से जल्द उपचार करना आवश्यक है
इन्सेफेलाइटिस से बचाव के उपाय:-
बच्चों को यह रोग अधिक सताता है इसीलिए बच्चों को पूरे कपड़े पहचाएं ताकि उनकी त्वचा ढकी रहे। साथ ही कीट प्रतिकर्षकों का उपयोग करें ताकि उसे मच्छर और अन्य कीट काट न पाएं। शाम के समय जब मच्छर जैसे काटने वाले कीट अधिक सक्रिय होते हैं तब बाहर कम रहें। नवजात शिशु के बचाव के लिए मां के जननांग पथ में सक्रिय दादों का सीज़ेरियन किया जा सकता है। पोलियो, खसरा, कण्डमाल आदि विषाणुओं के कारण होने वाले इन्सेफेलाइटिस को बच्चों में टीकाकरण से रोका जा सकता है। टीके के तीन डोज से जापानी इन्सेफेलाइटिस की रोकथाम की जा सकती है। जहां ऐसी बीमारी फैली हो वहां जाने पर सावधानी रखना चाहिए।
--------------
लेखक परिचय:
नवनीत कुमार गुप्ता विज्ञान संचार के क्षेत्र में कार्यरत राष्ट्रीय संस्था ‘विज्ञान प्रसार’ से संबंद्ध होकर पिछले दस वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन आदि जनसंचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के लिए प्रयासरत हैं। विज्ञान संचार विषयक आपकी लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा गृह मंत्रालय के ‘राजीव गांधी ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार' सहित अनेक पुरस्कारों एवं सम्मानों से समादृत हैं। आपसे ngupta@vigyanprasar.gov.in पर संपर्क किया जा सकता है।
keywords: encephalitis in hindi, encephalitis in children, encephalitis symptoms in hindi, encephalitis meaning in hindi, encephalitis causes in hindi, japanese encephalitis hindu, japanese encephalitis hindi, encephalitis symptoms in hindi, encephalitis symptoms in adults in hindi, encephalitis symptoms in toddlers, encephalitis symptoms in child in hindi, encephalitis treatment in india in hindi, encephalitis treatment guidelines in hindi, encephalitis treatment in adults in hindi, mastishk jwar in hindi, dimagi bukhar,
धन्यवाद् ,नवनीत कुमार गुप्ता जी ! मस्तिष्क ज्वर से बचाव और इलाज़ को आपने बहुत सरलतापूर्वक प्रदर्शित किया हैं ! निश्चय ही यह जानकारी लोगो के लियें उपयोगी सिद्ध होगी ! :)
जवाब देंहटाएंनवनीत जी ने दिमागी बुखार के बारे में बेहद उपयोगी जानकारी दी है। इसके लिए उनकी जितनी तारीफ की जाए कम है!
जवाब देंहटाएंबधाई। बेहद की सशक्त रचना
जवाब देंहटाएंBehad ki rochak jankari ..... Dhanteras va deewali ki shubhkamnaayein aapko !!
जवाब देंहटाएंMy family member effected that type virus....plz any sazzeshion or treatment....plz help me
जवाब देंहटाएंKya yah BeMari bina bukher aaye bhi ho sakti h???
जवाब देंहटाएं