Kaderi Bhoot Ki Kahani in Hindi ( Bhooton ki Sachi Kahaniyan ).
1930 की बात है। एक शाम तीन बजे हम मानकुलम विश्राम घर पहुंचे। मेरे साथ जाफना केन्द्रीय कालेज के मेरे अध्यापक साथी एस0 जी0 मान और सैमुअल जैकब थे। हमारी योजना जंगल में शिकार करने की थी। हमारे गाइड चिनइया हमें जंगल के बारे में बता रहा था। चिनइया के अनुसार जंगल का ऐसा सबसे अच्छा स्थान जंगल के बीच पानी का एक छोटा तालाब था, जोकि नानकुलम से तीन मील दूर स्थित उलूमादू नाम की 'जंगली बस्ती' से लगभग एक मील की दूरी पर था।हमारे समाज में भूत की कहानियाँ Bhooton ki Sachi Kahaniyan काफी प्रचलित हैं। कुछ लोग तो भूत प्रेत की कहानियाँ Bhoot Pret Ki Kahani Hindi के बेहद शौकीन होते हैं और वे सभी को भूत की डरावनी कहानियाँ Bhoot Wali Kahani शौक से सुनाते रहते हैं। इसीलिए आज हम आपके लिए एक असली भूत की कहानी Bhoot Ki Kahani लाए हैं। आप इसे एक बारे जरूर पढ़ें। यकीन जानें ये भूत की कहानी Bhoot Ki Kahani in Hindi आपको जरूर पसंद आएगी।
लेकिन जब वहां जाने की बात आई, तो चिनइया बोला, ''हम वहां नहीं जा सके। चाहे यह सच है कि वहां बहुत से जानवर हैं, लेकिन हम उनमें से एक को भी नहीं मार सकते क्योंकि उस स्थान की रक्षा 'कादेरी' नाम का भूत कर रहा है। जो भी व्यक्ति उस स्थान का उल्लंघन करता है, उसकी मृत्यु हो जाती है।'' चिनईया उस वक्त अपनी रौ में था। वह बोलता जा रहा था, ''पीपल के दो वृक्ष कादरी और उसकी पत्नी का निवास स्थान हैं। उनके बच्चे भी पास के वृक्षों पर रहते हैं।''
काफी मनाने के बाद चिनइया हमें वह जगह दूर से दिखाने के लिए राजी हो गया। लेकिन इसके लिए उसने दो शर्ते रखीं। पहली यह कि हम बंदूकें लेकर वहां नहीं जाएंगे, दूसरी यह कि वहां जाने से पहले हम लोगों को एक टोटका करना होगा। हमारे पास भूतों के परिवार को देखने के लिए और उसका कहना मानना ही पड़ा।
हम लोग रात का खाना खाने के पश्चात रात्रि में 9 बजे चल पड़े। चिनइया ने अपने हाथों से हमारी कलाइयों पर हल्दी के पत्ते बांधे। जंगल में दाखिल होने से पहले उसने एक बार फिर देखा कि हल्दी के पत्ते कलाईयों पर मौजूद हैं या नहीं।
अंधेरे सुनसान और जोकों से भरे हुए जंगल में से एक मील पैदल चलने के बाद हम खुले स्थान पर पहुंचे। हमें वहां ठहरने के लिए और लपटें छोड़ रहे उन वृक्षों की ओर देखने के लिए कहा गया, जोकि सौ गज की दूरी पर चमक रहे थे।
चिनईया ने जो कुछ कहा था, वह बिलकुल ठीक था। वहां लगभग तीस वृक्ष थे, जिनके तने चिंगारियों की तरह चमक रहे थे। मैंने दुरबीन से देखा और जो कुछ मैंने देखा वह इतना सुंदर नजारा था, जिसको मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकता। सभी वृक्षों में से दो वृक्ष इतने चमकदार थे कि उनकी बिना पत्तों वाली टहनियां भी साफ देखी जा सकती थीं। चिनइया ने बताया कि वे ही दो वृक्ष हैं जिनके ऊपर कादेरी भूत का डेरा है। जैसे-जैसे वर्ष बीत रहे हैं, उनके बच्चे और बढ़ रहे हैं। वह दिन के समय भी किसी को उन वृक्षों को पास नहीं जाने देते।
मैं पास जाकर साफ और असली नजारा देखना चाहता था परंतु चिनइया और मेरे साथियों ने एक कदम भी आगे नहीं जाने दिया। हम वापिस चल पड़े। लेकिन मन ही मन मैंने निश्चय कर लिया था कि मैं दिन में आकर भूतों के इन परिवारों से भेंट अवश्य करूंगा।
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सुबह मैं अपने साथियों के विरोध के बावजूद उस जगह पर जा पहुंचा। वहां दो पुराने वृक्ष थे, जिनमें से एक पूरी तरह और दूसरे का कुछ भाग सूखा हुआ था। दक्षिण की ओर बहुत से वृक्ष सूखे हुए थे। परंतु दोनों सूखे वृक्षों में पीला रंग इनसे भी ज्यादा था। मैंने चाकू की सहायता से वृक्ष का कुछ छिलका और लकड़ी काट ली और रेस्ट हाउस वापस आ गया।
अगले दिन उस लकड़ी और छिलके को मैं जाफना कालेज की वनस्पति विज्ञान की प्रयोगशाला में ले गया। सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखने से मैंने पता लगाया कि पीपल के छिलके पर पीला रंग एक विशेष प्रकार की फंगस के कारण पैदा होने लगा था। यह किसी भी प्रकार से कोई अजीब बात नहीं थी, क्योंकि संसार में बहुत से ऐसे वृक्ष हैं, जिनके ऊपर फंगस पैदा होने के कारण प्रकाश पैदा होता है। छिलके की बाहरी सतह फंगस के पैदा होने के लिए बहुत ही उपयुक्त स्थान होता है।
प्रत्येक किस्म की फंगस में से रोशनी उत्पन्न नहीं होती। रोशनी पैदा करने वाली विशेष किस्में चाहे प्रयोगशाला में हो, चाहे किसी वृक्ष पर, वे रात को रोशनी पैदा करती हैं इसका कादेरी या किसी और भूत-प्रेत के साथ कोई सम्बंध नहीं होता।
इस फंगस की तरह ऐसे बहुत से वृक्ष और जानवर हैं जो रात के समय रोशनी देते हैं। इनको प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव और वृक्ष अधिकतर समुद्र में ही रहते हैं, इसलिए अधिकतर लोग इनसे अनभिज्ञ हैं। पृथ्वी पर रोशनी पैदा करने वाले जीवों में से सबसे आम मिलने वाला जीव जुगनू हैं। कुछ और जीव भी घने जंगलों और अंधेरी गुफाओं में देखे जा सकते हैं। जुगनू एक भंवरा है, कीट नहीं। सिर्फ नर जुगनू ही उड़ सकता है। मादा जुगनू पृथ्वी से और वृक्षों से चिपकी रहती है। नर और मादा प्रकाश द्वारा एक दूसरे को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
बहुत से बैक्टीरिया भी रोशनी देते हैं। गल रहे प्रोटीन जैसे मछली और मांस इत्यादि में ऐसे बैक्टीरिया उत्पन्न हो जाते हैं, जो रात के समय प्रकाश पैदा करते हैं।
न्यूजीलैण्ड में कुछ गुफाओं के भीतरी भागों में दीवारों के ऊपर इस प्रकार के बैक्टीरिया बड़ी मात्रा में पैदा होने के कारण रोशनी उत्पन्न् हो जाती है, जिसे हम देख सकते हैं। कुछ कीटों के सिरों के ऊपर रोशनी के स्थान होते हैं। वे रात के समय जब चलते हैं तो इस तरह दिखाई पड़ते हैं जैसे कारें अपनी लाईटें जला कर धीरे धीरे चल रही हों।
भू-मध्य सागर में एक ऐसा जीव होता है, जिसके रहते हुए हिल रहा पानी ऐसे प्रतीत होता है जैसे चमक रहा हो। इस जीव को नौकटीलिऊका कहते हैं। समुद्रों के तटों पर यह जीव अधिक मात्रा में एकत्र होने के कारण ऐसे दिखाई देता है, जैसे आग लगी हो। जिस प्रकार जंगली लोगों को प्रकाश पैदा करने वाले वृक्षों पर भूत प्रेतों का डेरा दिखाई देता है, ठीक उसी प्रकार ही समुद्री मल्लाह और मछुआरे भी पानी में से उत्पन्न हो रहे प्रकाश का कारण भूत-प्रेतों को ही समझते हैं। और इसी तरह की चीजें भूत प्रेत की कहानियाँ Bhoot Pret Ki Kahani Hindi को जन्म देते हैं।
प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीवों की तरह ही कुछ शंख, घोंघे, सीपी और कौडि़यां इत्यादि भी ऐसे होते हैं कि अगर उनको हिलाया जाए तो वे अंधेरे में चमकने लगते हैं। रैफईल डैबोई ने इस रोशनी पैदा करने वाले विषय पर अनुसंधान किया है। उसने प्रमाणित किया है कि यह चमक और रोशनी लुसीफैरीन नाम के पदार्थ के कारण होती है।
कुछ फंगस और बैक्टीरिया तो निरंतर रोशनी पैदा करते रहते हैं। परंतु कुछ जीवों में इसका सम्बंध दिमाग से होता है और यह निरंतर रोशनी पैदा नहीं करते। प्रकाश और चमक, ताप की उपज के बगैर ही पैदा होते हैं। चमक के रंग तरह-तरह के और घटने बढने वाले होते हैं। ऐसे प्रकाश का रंग आमतौर पर हरा, नीला, पीला और लाल होता है। गहरे समुद्रों की कुछ मछलियों में चमक को बढ़ाने और कम करने की शक्ति होती है।
उलूमादू जंगल के पालू वृक्ष जल नहीं रहे थे, ये चमक फंगस के कारण उन वृक्षों से पैदा हो रही थी। शायद, यह चमक पहले सूखे वृक्षों से पैदा हुई होगी और बाद में इन वृक्षों से ये पास वाले वृक्षों पर फैलती चली गयीं। इसी कारण गावं वालों ने सोचा कि कादेरी प्रेत के परिवार के सदस्यों की गिनती हर वर्ष बढ रही है।
मनुष्य जाति की यह एक मानसिक कमजोरी है कि जिस घटना का कारण नहीं जान सकते, उसे भूत-प्रेतों या किसी और चमत्कार से जोड़ देते हैं। इस अंधविश्वास के फलस्वरूप कई अजीब घटनाओं की मनगढ़ंत कहानियां दूर-दूर तक फैल जाती हैं। - अब्राहम टी0 कोवूर की पुस्तक 'और देवपुरूष हार गये' से साभार।
मनुष्य जाति की यह एक मानसिक कमजोरी है कि जिस घटना कारण नहीं जान सकते, उसे भूत-प्रेतों या किसी और चमत्कार से जोड़ देते हैं।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा आपने।
एक बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्धक आलेख। कई नई जानकारी मिली।
आप लोगों ने देखा नहीं हसि तो ऐसा कह रहे हसीन। मैं व्यसायिक शिक्षा प्राप्त एक बहु राष्ट्रीय कोणी में उच्च ओढ ओर आसीन था। आज कसल कनाडा में रहता हूँ। मैंने स्वयं भूत प्रेत को देखा है।और मेरे एक मुस्लिम मित्र को भरे मेरे कमरे में वो भूत दिखा था। आप माने या न माने, अतृप्त आत्माओं का होना सत्य है मगर उनका डरावना होना सत्य नहीं है। वो आपके साथ वैसे ही रहते हैं जैसे पेड़ पौधे और जानवर।
हटाएंapka sochna galat hai log bas thori si research karke ye soch lete hai ki bhoot kuch nahi hota kabhi akele aisi jagah par jakar unko gali dekar dekhiye fir pata chalega ap kabhi kisi ki kabra par moot ke dekhiye tab pata chalega ya vaha par jayiye jaha log batate bhoot hai vaha akele jakar unhe gali dekhar dekhiye fir apko pata chalega
हटाएंहमारे नानी के घर के पास एक बटवारे का घर था जिसमे कोई रहता नहीं था वहा पर पत्थर फेकने वाला भूत रहता था जो आते जाते सभी के ऊपर पत्थर फेका करता था जिसके कारण उसके मालिक को रोज उलाहना सुनना पड़ता था जो कही और रहता था | भूत तब भागा जब छोटे भाई ने घर का अपना हिस्सा घर के दूसरे हिस्से में रह रहे बड़े भाई को सस्ते में नहीं बेच दिया |
जवाब देंहटाएंयह हो भी सकता है लेकिन कभी देखा नहीं है तो विस्वास तो नही कर सकते
हटाएंएक रोचक और ज्ञानवर्धक आलेख.आभार यहाँ पढवाने का.
जवाब देंहटाएंरोचक और ज्ञानवर्द्धक आलेख प्रस्तुत करने के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंविज्ञान और दर्शन दोनों कार्य-कारण के सिद्धांत को स्वीकार करते हैं। हमें चाहिए कि किसी घटना के संबंध में निष्कर्ष तक पहुंचने के पहले कारणों की तलाश करें।
एक रोचक और ज्ञानवर्धक आलेख.आभार
जवाब देंहटाएंअफ़वाहे फैलाने का भी अपना ही मज़ा है :)
जवाब देंहटाएंरोचक और सिख देती हुई इस आलेख के लिए आभार . समाज में फैले हुए दिग्भ्रम समाज के लिए अभिशाप ही है .
जवाब देंहटाएं@@मनुष्य जाति की यह एक मानसिक कमजोरी है कि जिस घटना का कारण नहीं जान सकते, उसे भूत-प्रेतों या किसी और चमत्कार से जोड़ देते हैं। इस अंधविश्वास के फलस्वरूप कई अजीब घटनाओं की मनगढ़ंत कहानियां दूर-दूर तक फैल जाती हैं।
जवाब देंहटाएंदरअसल यही असली बात है.
रोचक और ज्ञानवर्धक पोस्ट.
जवाब देंहटाएंक्या यार !
जवाब देंहटाएंमैं आया था भूत से मिलने और आप हैं भूत को ही भगा दिया ..
ज्ञानवर्धक आलेख. बस्तर के कुटुमसर गुफाओं में भी सड़े गले लकड़ियों, बांस के टुकड़े आदि में ऐसा प्रकाश दिखता है.
जवाब देंहटाएंरोचक एवं पूरी तरह से ज्ञानवर्धक..बहुत-बहुत धन्यवाद...हालांकि एक बात कहना चाहूँगी कि कादेरी भूत जैसों के मिथक से कम-से-कम कुछ जंगल तथा जंगली जानवर तो बचे हुए हैं...
जवाब देंहटाएंजब तक राज ना खुले तभी तक चमत्कार है।
जवाब देंहटाएंभ्रम हटाने के लिए पढा लिखा समझ दार होना जरूरी है।
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रविष्टि !
जवाब देंहटाएंआपका ब्लॉग अन्धविश्वास को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.
जवाब देंहटाएंinsaan me vah shakti hoti he ki yadi vah nidar rahe to bhoot bhi us se darte he. islie hme darna nhi chahiye or ghatna ka vaigyanik drashti se karan jananaa chahiye.
जवाब देंहटाएंye sab and
जवाब देंहटाएंvisvas hai isko manna
Ha bhai sahi hai
जवाब देंहटाएंजब तक राज ना खुले तभी तक चमत्कार है।
जवाब देंहटाएंतो /Past को वर्तमान भी बख्शा* है तो हमने,
और झूठो तो सम्मान भी बख्शा* है तो हमने,
हो जिसमे निहित स्वार्थ, वो अच्छा न लगे क्यों?
हैवाँ को भी, शैताँ को भी बख्शा** है तो हमने.
*देना, ** माफ़ करना
bhut pret kuch nhi hota ye sb apne man ka behem he...
जवाब देंहटाएंHum jante hai ki bhoot pret ki koi ghatna satya nahi hoti,
जवाब देंहटाएंper hum phir bhi boot per yakeen karte hai hame achha lagta hai bhooton ki kahaniya,
is vajah se ham sab bhoot ka film aur kahani padhte rahte hai lekin badnaseebi se kabhi dekha nahi
jae sab kuj nhi hota
जवाब देंहटाएंjae sab kuj nhi hota
जवाब देंहटाएंmaja aa gya
जवाब देंहटाएंसही बात है । ...
जवाब देंहटाएं=))
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंजब तक राज ना खुले तभी तक चमत्कार है।
जवाब देंहटाएंतो /Past को वर्तमान भी बख्शा* है तो हमने,
और झूठो तो सम्मान भी बख्शा* है तो हमने,
हो जिसमे निहित स्वार्थ, वो अच्छा न लगे क्यों?
हैवाँ को भी, शैताँ को भी बख्शा** है तो हमने.
naice
जवाब देंहटाएंbhoot hotel h, Maine dekha h
जवाब देंहटाएंmere village me bhoot h
जवाब देंहटाएंbhoot pret hone na hone ka karan hai admi ka man job manta hai bhoot me us uske liye hai jo nhi manta uske liye nhi hai
जवाब देंहटाएंachi story
जवाब देंहटाएंBloody mary ek daayan hai ye main nahi janta ye kahani internet me published kiya ja raha hai aur ise main bhi read kar chuka hoon internet me iski kai jagah alag alag post kiye gaye hai par main read kar chuka hoon bloody mary ka test bhi kar chuka hoon par mujhe kuch mehsus na hua hai na maine dekha kai log kehte hai raat me mirror ke sampne ek mombatti sirf jalna chahiye aur har ek kamra aur room ka light switch off hona chahiye aur mirror ke samne khade hokar mirror me dekh kar 3 baar bloody marry pukaro woh tumhe dikhai degi maine to ise raat ke waqt kar ke dekha mujhe to kuch nahi dikha agar kuch aur jada jankari ho to mujhe comment karo
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