पता नहीं ये इलेक्ट्रानिक चैनलों में बढते ज्योतिषी सम्बंधी कार्यक्रमों का कुप्रभाव है अथवा सामाजिक विकृतियों का असर कि दिनों दिन समाज ...
पता नहीं ये इलेक्ट्रानिक चैनलों में बढते ज्योतिषी सम्बंधी कार्यक्रमों का कुप्रभाव है अथवा सामाजिक विकृतियों का असर कि दिनों दिन समाज में अंधविश्वास की नई-नई घटनाएं सुनने को मिल रही हैं। ये घटनाएं न सिर्फ व्यक्ति की समझ पर बौद्धिकता पर प्रश्नचिन्ह लगाती हैं, वरन हमारी आधुनिकता और प्रगतिशीलता को भी सवालों के घेरे में खडी करती हैं।
महानगरों में एक ऐसा ही एक नया मामला देखने को मिल रहा है- शुभ मुहूर्त निकलवा कर बच्चे को जन्म दिलाना। जैसा कि हम और आप जानते हैं किआजकल के अधिकतर डॉक्टर अधिक से अधिक कमाई के लिए बच्चों के सामान्य प्रसव की तुलना में ऑपरेशन पर ही जोर देते हैं। शायद इसी का लाभ उठाकर अंधविश्वासी अभिभावक अब बाकायदा ज्योतिषियों से मुहुर्त विचरवा कर तय समय में अपने बच्चे को जन्म दिलवा रहे हैं।
ऐसा नहीं है कि इस काम के द्वारा सिर्फ ज्योतिषी ही अपनी जेब भरने में लगे हुए हैं, वरन बहुत से नर्सिंग होम बाकायदा शुभ मुहुर्त विचरवाने के लिए खुद ज्योतिषियों की व्यवस्था भी कर रहे हैं और उनके द्वारा सुझाए गये समय में बच्चे को जन्म देने के बहाने अभिभवकों से मोटी रकम की मांग कर रहे हैं।
ऐसा सुझाव देने वाले ज्योतिषी और डॉक्टर इस बात की परवाह नहीं करते कि सही समय पर बच्चे का जन्म न होने से उसके मानसिक और शारीरिक विकास पर बुरा असर पड सकता है। वे इस बात को छिपाते हुए यह बताते हैं कि बच्चे का जन्म ऐसे समय में होना चाहिए, जब लग्नेश, भाग्येश और कर्मेश बली हों, सूर्य, गुरू स्वगृही मजबूत हों, 6ठा, 8वां और 12वां घर ठीक हो, कृतिका, आर्द्रा, अनुराधा व स्वाति नक्षत्र हो, मंगल दोष की स्थिति न हो, गण्ड मूल नक्षत्र, पंचक, राहुकाल, मृत्युबाण या भद्रा न हो। और खेद का विषय है कि बहुत से अभिभावक ज्योतिषियों की इन गोलमोल बातों में आ जाते हैं और अपने बच्चे की जिन्दगी तक दांव पर लगा देते हैं।
ज्यादातर डॉक्टर मानते हैं कि यह प्रवृत्ति बेहद खतरनाक है। इससे न सिर्फ बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है, वरन उसकी जिन्दगी के लिए भी खतरा उत्पन्न हो सकता है। क्योंकि अक्सर ज्योतिषि जन्म के लिए 15-20 मिनट का समय ही बताते हैं ऐसे में डॉक्टरों की टीम पर एक अनचाहा दबाव आ जाता है और क्रिटिकल सिचुएशन होने की दशा में बच्चे की जान पर भी बन सकती है। वैसे इस तरह के कुछ एक मामले सुनने में भी आए हैं, पर डॉक्टर अपने पेशे की बदनामी के कारण ऐसी घटनाओं को छिपाते हैं और केस बिगड जाने पर उसका ठीकरा दूसरी चीजों पर फोड देते हैं।
बहरहाल समझदार व्यक्ति जानते हैं कि किसी खास समय में बच्चे को जन्म दिलवाना एक सनक भर है, इससे सिर्फ ज्योतिषियों और धूर्त डॉक्टरों का ही भला हो रहा है। अभिभावक और बच्चे का इससे नुकसान ही है। क्योंकि एक ओर जहां तय समय में जन्म के दबाव में ऑपरेशन प्रक्रिया में केस बिगडने की संभावना रहती है, वहीं इस प्रक्रिया से जन्मे बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। और इसका खामियाजा बच्चे के साथ-साथ अभिभावकों को भी भुगतना पडता है।
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ज्योतिष को माने तब भी यह प्रवृति घातक है !
जवाब देंहटाएंइस शुभ मुहूर्त के पाखंड का लाभ तो होता ही है- उस ज्योतिषी को और उस डॉक्टर को जो नर्सिंग होम का व्यवसाय कर रहा है। एक कहावत है - जबतक मूर्खों के पास धन रहेगा बुद्धिमान खाने बिना नहीं मरेगा।
जवाब देंहटाएंयह सब पढ़े लिखे मूर्खों के काम हैं,प्राक्रतिक प्रसव के बजाय शुभ लगन से प्रसव कराने से महिला के स्वास्थ्य पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है.आज डॉक्टर्स इस बात से जब सहमत हैं कि प्रसव जहाँ तक हो प्राकृतिक हो,ऑपरेशन न करना पड़े,तो इस प्रकार के कार्य से महिला व बच्चे की जान को भी खतरा हो सकता है.सामान्य प्रसव से स्त्री के अंगों को जो कार्य करना पड़ता है,वह भी उसके स्वास्थ्य के लिए जरूरी है,इसलिए इन तरीकों से बचना चाहिए.वैसे भी बच्चे के मानसिक सेल्स हुक है,का गठन तो पहले ही हो चुका होता है,तो यह समय विशेष क्या महत्व रखता है.यह नितांत मुर्खता है.कुछ लोगों ने इसे व्यवसाय बना लिया है.
जवाब देंहटाएंsahi hai.
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