बलात्कार और ग्रह नक्षत्र डॉ0 दिनेश मिश्र क्या ग्रह, नक्षत्र दोष के कारण बलात्कार होते है। शायद यह पढ़कर आप आश्चर्य चकित हो गये ह...
डॉ0 दिनेश मिश्र
क्या
ग्रह, नक्षत्र दोष के कारण बलात्कार होते है। शायद यह पढ़कर आप आश्चर्य
चकित हो गये होंगे कि बारिश नहीं होने, अकाल पड़ने, भूकंप आने जैसी
प्राकृतिक आपदाओं पर ज्योतिशयों व पंडितों द्वारा ग्रह नक्षत्रों को दोषी
मानने की बातें तो सुनी होंगी। पर बलात्कार जैसे मामले को भी ग्रह नक्षत्र
दोष बताने व ग्रह शांति के लिए पूजा पाठ, यज्ञ कराने का बयान पहली बार किसी
गृहमंत्री. छत्तीसगढ़ द्वारा दिया गया है और यदि बलात्कार के मामलों की
जांच, कड़ी कार्यवाही के बदले यज्ञ, अनुष्ठान कराये जाते हैं तो वह देश ही
नहीं बल्कि संसार का पहला कारनामा होगा।ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब ऐसे
संवेदनशील मामले में किसी वरिष्ठ नेता ने ऐसी गैर जिम्मेदार बात कही
हो, बल्कि दिल्ली रेपकांड के बाद से अनेक राजनेताओं, मंत्रियों, धर्मगुरूओं
के अनर्गल बयान सामने आ रहे हैं जिससे यौन प्रताड़ना, शोषण से दुखी व हैरान
पालक हतप्रभ हैं।
दिल्ली के बाद अनेक प्रदेशों में बलात्कार की घटनाओं का खुलासा हुआ है
जिसमें स्कूलों, छात्रावासों, हॉस्टलों, आश्रमों में भी नाबालिग छात्राएं
बलात्कार की शिकार हुई है। महिला संगठन, आमजनता आक्रोश में है। विभिन्न
संगठनों द्वारा अनेक स्थानों में प्रदर्शन किये जाने की खबरें आ रही है
बलात्कार, यौन शोषण के मामलों में सजाएं व कानून को सख्त किये जाने की मांग
उठ रही है। ऐसे में सरकार व प्रशासन को ओर स्वयं पहल कर नागरिकों की
सुरक्षा के लिए इंतजाम करने व उनका विश्वास बनाये रखने के लिए कदम उठाना
आवश्यक है।
छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ने जब मीडिया में कहा कि बलात्कार की घटनाएं ग्रह
नक्षत्र दोष के कारण है तब अनेक लोगों ने उनके इस बयान पर विरोध किया तब
उन्होंने एक कदम आगे जाकर कहा जो लोग ग्रह नक्षत्र को नहीं मानते वे विदेशी
है। लगभग इसी समय शंकराचार्य का रायपुर प्रवास हुआ, उन्होंने जब यह बयान
सुना तो तुरंत इसका विरोध कर कहा, बलात्कार की घटनाएं ग्रह नक्षत्रों के
कारण नहीं होती। इसके बाद रायपुर के ही एक नेता ने आदिवासी हॉस्टलों में
बालिकाओं के साथ हुए बलात्कार की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए अपने
उद्गार व्यक्त किये कि बड़ी लड़कियों, बराबरी वालों के साथ बलात्कार तो समझ
में आता है। छोटी बच्चियों के साथ बलात्कार गलत है। इस बयान पर महिला
नेत्रियों ने कहा, बड़ी लड़कियों के साथ बलात्कार कैसे जायज हो सकता
है। मध्यप्रदेश के एक मंत्री ने इस गंभीर विषय पर अपना ज्ञान बघारते हुए कहा
कि महिलाएं यदि लक्ष्मण रेखा लांघेगी तो रावण सामने होगा। मतलब सीताहरण
इसीलिए हुआ क्योंकि सीता ने लक्ष्मण रेखा लांघी थी तथा सीता हरण के लिए वह
रावण दोषी नहीं है जिसने षडयंत्रपूर्वक सीता का अपहरण किया था। जब इस बयान
पर विवाद हुआ वे पीछे हट गये। इसी से मिलता जुलता बयान आसाराम बापू ने दिया
‘‘यदि लड़की बस में न बैठती तो उसके साथ दुष्कर्म नहीं होता। वह गिड़गिड़ा
कर उन्हें धर्म भाई बनाकर बच सकती थी’’ यानी दुष्कर्म के लिए पीड़ित छात्रा
भी उतनी ही जिम्मेदार। कुछ महिलाओं ने जवाब दिया ऐसा कैसे हो सकता है कि वह
अपने बचाव के लिए गिड़गिड़ाई न हो, विरोध न किया हो।पर संत तो ठहरे संत,
जवाब दिया-‘‘ताली तो दोनो हांथों से बजती है’’। जब मीडिया ने उनका बयान
दिखाया तो आसाराम ने भड़ककर कहा हाथी चलता है, कुत्ते भौंकते है, हाथी को
कुत्तों के भौंकने का असर नहीं होता।
भारतीय संस्कृति की बार-बार दुहाई देने वाले एक नेता ने अपना ज्ञान बघारा
कि पाश्चात्य संस्कृति को अपनाने के कारण महिलाओं के साथ दुष्कर्म होते
हैं। इसलिये उन्हें मर्यादा में रहना चाहिए, फिर एक बड़े नेता ने कहा इंडिया
में ऐसी घटनाएं होती है, भारत में नही। फिर जब समाचार पत्रों व
इलेक्ट्रानिक मीडिया से यह जानकारी आयी कि यौन शोषण, बलात्कार की शिकार
बच्चियों व महिलाओं में अधिकांश गांव, कस्बे, महिला आश्रमों, छात्रावासों
की है।प्राथमिक स्कूल की नाबालिक बच्चियां, अधेड़, दलित वर्ग की है जिन्हें
पाश्चात्य वेषभूषा, रहन सहन, संस्कृति से जरा भी लेना देना नहीं है
उन्होंने मौन साध लिया।
कुछ महानुभावों ने इस मामले में अजीबोगरीब रवैया अखित्यार किया। जैसे एक
नेता शरद यादव ने कहा-युवाओं को पन्द्रह बीस दिनों में सेक्स करने की इच्छा
होती है, ब्रम्हचर्य पाखंड है। इस बयान को न जाने क्यों योग गुरू बाबा
रामदेव ने पकड़ लिया तथा जवाब दिया कि सरकार चाहे तो मेरे ब्रम्हचर्य का
टेस्ट करा लें। दिल्ली में गैंगरेप कांड के बाद व पीड़िता व चशमदीद गवाह के
बयान के बाद देशभर में शर्मिन्दी महसूस की जा रही थी। देशभर के पालक अपनी
बेटियों, महिलाएं अपनी सुरक्षा के लिए चिंतित थे। ऐसे नाजुक समय में इन
दोनों महानुभावों को ऐसे बयानों को देने की कोई आवश्यकता नहीं थी और न यह
ऐसे बयानों का अपेक्षा थी।
देश में सामाजिक कुरीतियों, मद्यपान कानून व्यवस्था के चौक-चौबंद न होने
से महिलाओं के शोषण की घटनाएं बढ़ी है, कुत्सित मानसिकता भी इसके लिए
जिम्मेदार है। ऐसे मसलों में जनता की अपेक्षा रहती है देश में जिम्मेदार
पदों पर बैठे अधिकारी, मंत्री, समाजसेवी आगे आये तथा अपने सकारात्मक
सुझावो, बयानों व मार्गदर्शन से न केवल जनता में आत्मविश्वास बढ़ाये बल्कि
ऐसा प्रयास करें कि देश में आगे से ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। नागरिक
सरकार से आशा रखते है कि उनकी सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने, सख्त कानून
बनावे पर जब ऐसे विवादास्पद व अंधविश्वास बयानबाजियों, गैर आवश्यक उदाहरण,
आत्ममुग्धता पूर्ण चुनौतियां सामने आने लगती है तो ऐसा लगता है ऐसे
संवेदनशील मामलों में बयानवीरो का मौन रहना ही श्रेयस्कर है।
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बहुत सही बात कही है आपने नसीब सभ्रवाल से प्रेरणा लें भारत से पलायन करने वाले
जवाब देंहटाएंआप भी जाने मानवाधिकार व् कानून :क्या अपराधियों के लिए ही बने हैं ?
हमारे देश के प्रबंधन में समाजशास्त्रियों की राय लेने या मानने का रिवाज़ नहीं है, प्रबंधन से जुड़ा हर कोई अपने आपको परले दर्ज़े का प्रकांड समाजशास्त्री तो मान कर ही चलता है. क्या कीजै.
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा
जवाब देंहटाएंजैसे जैसे दवा की जा रही है मर्ज की , ये मर्ज और बढ़ता चला जा रहा है और ये तथाकथित नेता मंत्री और धर्मगुरु झोलाछाप डॉक्टर की तरह से उस मर्ज की दवा बयां कर रहे हैं और मरीज को ही इसा बात का दोषी बता रहे हैं। उनका कहना यह है कि औरत को फिर से घर की चहारदीवारी में कैद कर दो। उससे भी कुछ होने वाला नहीं है क्योंकि ये मानसिक रोगी फिर घर में ही अपने शिकार तलाशने लगेंगे . अगर ये कुछ नहीं कर सकते हैं तो फिर गलत बयानबाजी बंद करें और लड़ाई कैसे लड़नी है ? ये सब उनपर ही छोड़ दें जो इसका हल खोज रहे हैं।
जवाब देंहटाएंक्या कहूँ, समझ मेँ नहीँ आता। दलदल मेँ देख कर लोग चाँद पकङने की बात करते हैँ।
जवाब देंहटाएं====
http://yuvaam.blogspot.com/2013_01_01_archive.html?m=0
चेहरे नये पर सोच वही।
जवाब देंहटाएं""""॰
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