पारम्परिक परिवारों में बच्चों को जन्म के बाद से ही नियमित तेल-मालिश का चलन रहा है, जिसमें धूप में बैठकर बच्चे के शरीर पर सरसों के तेल ...
पारम्परिक परिवारों में बच्चों को जन्म के बाद से ही नियमित तेल-मालिश का चलन रहा है, जिसमें धूप में बैठकर बच्चे के शरीर पर सरसों के तेल की मालिश की जाती थी। इससे बच्चों को धूप भी मिल जाती थी और उनका शरीर भी हष्ट-पुष्ट रहता था। लेकिन जैसे-जैसे एकल परिवारों का चलन बढ़ा नई पीढ़ी इससे दूर होती चली गयी। कुछ तो समय का अभाव और कुछ आधुनिक दिखने के फेर ने बच्चों से उनकी मालिश छीन ली।
लेकिन अब वैज्ञानिकों ने अपने शोध के द्वारा यह साबित कर दिया है कि मालिश बच्चों के लिए बेहद फायदेमंद है। इससे न सिर्फ बच्चे का शारीरिक विकास अच्छा होता है, वरन उनका वजन भी बढ़ता है।
इस नये शोध में वैज्ञानिकों ने 1800 ग्राम से कम वजन के 48 बच्चों का चुनाव करके उनमें से 25 बच्चों की नियमित रूप से दिन में एक बार मालिश करवाई, जबकि 23 बच्चों को इससे अलग रखा। 28 दिन बाद जब इन बच्चों का अध्ययन किया गया, तो पाया गया कि मालिक वाले शिशुओं का वजन 476.76 तक बढ़ गया था, जबकि शेष बच्चों के वजन में कोई खास बढ़ोत्तरी नहीं हुई थी।
इंडियन जर्नल ऑफ पीडियाटिक्स ने इस शोध के महत्व को स्वीकार किया है। इस शोध के महत्व को बच्चों के डॉक्टर भी स्वीकार करते हैं। लखनऊ के पीजीआई के डॉ0 राम प्रमोद मिश्र कहते हैं कि नई पीढ़ी की महिलाएं मालिश को ओल्ड फैशन कहकर नकार रही हैं, लेकिन इससे स्वयं उनके बच्चों का ही नुकसान हो रहा है।
लोकबंधु राजनारायण अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ0 सुरेश सिंह तथा डॉ0 डी0सी0 पाण्डेय का मानना है कि दिन में सिर्फ एक बार सरसों अथवा नारियल के ते से मालिक करने से बच्चे के शरीर हष्ट-पुष्ट रहता है। उसके शरीर की हड्डियां मजबूत रहती हैं और उसका हाजमा भी दुरूस्त रहता है।
आशा है नए विचारों की महिलाएं इस शोध के महत्व को दृष्टिगत रखते हुए अपनी सोच में परिवर्तन लाएंगी और मालिश को अपनाकर अपने बच्चे के स्वास्थ्य को बेहतर बनाएंगी।
इस नये शोध में वैज्ञानिकों ने 1800 ग्राम से कम वजन के 48 बच्चों का चुनाव करके उनमें से 25 बच्चों की नियमित रूप से दिन में एक बार मालिश करवाई, जबकि 23 बच्चों को इससे अलग रखा। 28 दिन बाद जब इन बच्चों का अध्ययन किया गया, तो पाया गया कि मालिक वाले शिशुओं का वजन 476.76 तक बढ़ गया था, जबकि शेष बच्चों के वजन में कोई खास बढ़ोत्तरी नहीं हुई थी।
इंडियन जर्नल ऑफ पीडियाटिक्स ने इस शोध के महत्व को स्वीकार किया है। इस शोध के महत्व को बच्चों के डॉक्टर भी स्वीकार करते हैं। लखनऊ के पीजीआई के डॉ0 राम प्रमोद मिश्र कहते हैं कि नई पीढ़ी की महिलाएं मालिश को ओल्ड फैशन कहकर नकार रही हैं, लेकिन इससे स्वयं उनके बच्चों का ही नुकसान हो रहा है।
लोकबंधु राजनारायण अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ0 सुरेश सिंह तथा डॉ0 डी0सी0 पाण्डेय का मानना है कि दिन में सिर्फ एक बार सरसों अथवा नारियल के ते से मालिक करने से बच्चे के शरीर हष्ट-पुष्ट रहता है। उसके शरीर की हड्डियां मजबूत रहती हैं और उसका हाजमा भी दुरूस्त रहता है।
आशा है नए विचारों की महिलाएं इस शोध के महत्व को दृष्टिगत रखते हुए अपनी सोच में परिवर्तन लाएंगी और मालिश को अपनाकर अपने बच्चे के स्वास्थ्य को बेहतर बनाएंगी।
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बढ़िया जानकारी .... अभी तक हमारे यहाँ तो बच्चे की मालिश की जाती है :)
जवाब देंहटाएंEkdam sahi baat.
जवाब देंहटाएंआपने बिलकुल सही विषय उठाया है मालिश सिर्फ बच्चों की ही नहीं बल्कि मालिश के मामले में नव प्रसूता की मालिश भी उतनी ही जरूरी रहती है। बच्चे की हड्डियों की मजबूती और उसके स्वास्थ्य की दृष्टि से मालिश आज नहीं बल्कि हमारे माँएं भी करती रही हैं बगैर इसके महत्व को आज के डॉक्टर के द्वारा साबित किये जाने से [पहले से । आज माँएं अपने फिगर के प्रति ज्यादा जागरूक होती हैं बजाय बच्चों की मालिश के प्रति। अगर ये काम कुछ ही महीने माँ अगर अपने हाथ से करती है तो बच्चे का विकास बहुत अच्छा होता है।
जवाब देंहटाएंमालिश बच्चों के लिए ही नहीं अपितु सबके लिए अनेक दृष्टिकोण से लाभदायक है ।
जवाब देंहटाएंरविकर भाई, चर्चामंच में स्थान देने के लिए शुक्रिया।
जवाब देंहटाएं...........
एक रोचक बाल उपन्यास...
लोकबंधु राजनारायण अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ0 सुरेश सिंह तथा डॉ0 डी0सी0 पाण्डेय का मानना है कि दिन में सिर्फ एक बार सरसों अथवा नारियल के तेल से मालिश करने से बच्चे के शरीर हष्ट-पुष्ट रहता है। उसके शरीर की हड्डियां मजबूत रहती हैं और उसका हाजमा भी दुरूस्त रहता है।
जवाब देंहटाएंप्रासंगिक अति उपयुक्त जानकारी अनुकरणीय सराहनीय .
ram ram bhai
मुखपृष्ठ
शुक्रवार, 7 दिसम्बर 2012
चर्चा :यौन संचारी रोग
http://veerubhai1947.blogspot.in/
बेहतर लेखन !!!
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