दीपावली भारतवर्ष के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। इस मौके पर लोग अपने घरों को रौशनी से जगमगाते हैं और अपनी खुशियों को व्यक्त करने के...
दीपावली भारतवर्ष के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। इस मौके पर लोग अपने घरों को रौशनी से जगमगाते हैं और अपनी खुशियों को व्यक्त करने के लिए पटाखे छुड़ाते हैं। लेकिन ज़रा सी असावधानी के कारण हर साल हजारों लोग इन्हीं पटाखों के कारण न सिर्फ झुलस जाते हैं, वरन अस्थाई अपंगता तक के शिकार हो जाते हैं।
दीपावली पर होने वाली इन्हीं दुर्घटनाओं के मद्देनज़र प्रत्येक शहर के मेडिकल कालेजों में आपातकालीन व्यवस्थाओं और बर्न यूनिटों को पहले से एलर्ट कर दिया गया है ताकि दुर्घटनाग्रस्त होने वाले लोगों को फौरन और पर्याप्त इलाज मिल सके। लेकिन यह दीपावली खुशियों से आबाद रहे और आपका परिवार पूरी तरह से सुरक्षित हरे, इसके लिए अस्पतालों से भी ज्यादा एलर्टनेस की ज़रूरत आपको है।
दीपावली पर असावधानी के कारण सिर्फ लोग दुर्घटनाओं का शिकार ही नहीं होते, इस अवसर पर वातावरण में सल्फर डाई आक्साइड, नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड और कार्बन मोनो आक्साइड की मात्रा तीन गुना तक बढ़ जाने के कारण दमा और साँस से जुड़े मरीजों की तकलीफ भी कई गुना बढ़ जाती है। इसके साथ ही साथ 12 वर्ष के बच्चों में ब्रांकल अस्थमा होने का खतरा भी होता है। इसलिए बेहतर यही है कि पटाखे कम से कम छुड़ाए जाएँ, कम आवाज वाले छुड़ाए जाएँ। और यदि सम्भव हो, तो बारूद के पटाखों के स्थान पर इको फ्रैंडली पटाखे. पटाखों का इस्तेमाल किया जाए, जिससे दुर्घटाओं की कम से कम संभावना हो और पर्यावरण को भी नुकसान न हो।

दीपावली पर असावधानी के कारण सिर्फ लोग दुर्घटनाओं का शिकार ही नहीं होते, इस अवसर पर वातावरण में सल्फर डाई आक्साइड, नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड और कार्बन मोनो आक्साइड की मात्रा तीन गुना तक बढ़ जाने के कारण दमा और साँस से जुड़े मरीजों की तकलीफ भी कई गुना बढ़ जाती है। इसके साथ ही साथ 12 वर्ष के बच्चों में ब्रांकल अस्थमा होने का खतरा भी होता है। इसलिए बेहतर यही है कि पटाखे कम से कम छुड़ाए जाएँ, कम आवाज वाले छुड़ाए जाएँ। और यदि सम्भव हो, तो बारूद के पटाखों के स्थान पर इको फ्रैंडली पटाखे. पटाखों का इस्तेमाल किया जाए, जिससे दुर्घटाओं की कम से कम संभावना हो और पर्यावरण को भी नुकसान न हो।
पटाखों के कारण होने वाली तमाम दुर्घटनाएँ मूलरूप से असावधानी के कारण ही घटित होती हैं। इसलिए पटाखे जलाते समय ढ़ीले या सिंथेटिक कपड़े न पहनें। पटाखें कभी घर के अंदर न जलाएँ। पटाखों को कभी भी हाथ से न जलाएँ। बेहतर हो उन्हें जलाने के लिए कागज की बत्ती का उपयोग करें अथवा लम्बी छड़ी में मोमबत्ती लगाकर उससे पटाखों को जलाएँ और कभी भी अधजले पटाखों को न छुएँ। क्योंकि पटाखों सम्बंधी अधिकतर दुर्घटनाएँ इसी वजह से ही होती हैं।
यदि आपके आसपास कोई व्यक्ति पटाखों के कारण जल जाए, तो उसे डॉक्टर के पास ले जाने से पहले उसे 10 से 15 मिनट तक लगातार साफ सादे पानी से जले स्थान को धोएँ। ऐसे में कभी गल्ती से भी जले स्थान पर गोबर, राख अथवा मिट्टी न लगाएँ।
और इस सबके साथ ही साथ कभी भी बच्चों को अकेले पटाखे न जलाने दें। क्योंकि बच्चे उत्सुकता एवं जल्दबाजी में बहुत ही ऐसी गल्तियाँ कर देते हैं, जिसके कारण वे दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं।
आइए, हम और आप मिलकर इस दीवाली को रौशन और सुरक्षित बनाएँ तथा एक जिम्मेदार नागरिक की भूमिका निभाएँ।
आप सबको तस्लीम परिवार की ओर से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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आपको भी शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंबहुत सही सर!
जवाब देंहटाएंदीपोत्सव की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
सादर
आप सबको सपरिवार दीपावली शुभ एवं मंगलमय हो। अंग्रेजी कहावत है -A healthy mind in a healthy body लेकिन मेरा मानना है कि "Only the healthy mind will keep the body healthy ."मेरे विचार की पुष्टि यजुर्वेद क़े अध्याय ३४ क़े (मन्त्र १ से ६) इन छः वैदिक मन्त्रों से भी होती है .
जवाब देंहटाएंhttp://krantiswar.blogspot.in/2012/11/2-2010-6-x-4-t-d-s-healthy-mind-in.html
सावधानी तो बहुत जरूरी है।
जवाब देंहटाएंआपने ईको-फ्रेन्डली पटाखों का जिक्र किया है। यह बहुत अच्छी सलाह है।
रौशनी और खुशियों के पर्व "दीपावली" की ढेरों मुबारकबाद!
जवाब देंहटाएंयह बात तो सच कही आपने …
सार्थक सामयिक पोस्ट !
ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
♥~*~दीपावली की मंगलकामनाएं !~*~♥
ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
सरस्वती आशीष दें , गणपति दें वरदान
लक्ष्मी बरसाएं कृपा, मिले स्नेह सम्मान
**♥**♥**♥**● राजेन्द्र स्वर्णकार● **♥**♥**♥**
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bakrid p itne janwer kaate jate hai uska kya???
जवाब देंहटाएंbhai sahab sujhav bahut achhe hai par mujhe ek sawal ka jawab de....
जवाब देंहटाएंKabhi bakreid par jo water poluted hota hai wo apko dikhta hai????
itne bejuban mare jate hain apko unka dard nahi dikhta????
Agar samaj sudhar kar rahe hoo to burai har taraf hai use bhi dekho....
Nahi to ye faltoo k dhong mat karo....
Pandit Ji, Qurbani se koi pradushan nahi hota, kyonki usse jo blood nikalta hai, use mitti men dabaa diyaa jaata hai.
हटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंसार्थक सामयिक पोस्ट
प्रयास पसंद आया
सार्थक सामयिक पोस्ट ! शुभकामनाएं!प्रयास पसंद आया
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