यह जानकारी का युग है। आज जानकारियाँ सिर्फ लेखों और चित्रकथाओं में ही नहीं, आश्चर्यजनक ढ़ंग से कविताओं और कहानियों में भी जगह बना रही हैं। ह...
यह जानकारी का युग है। आज जानकारियाँ सिर्फ लेखों और चित्रकथाओं में ही नहीं, आश्चर्यजनक ढ़ंग से कविताओं और कहानियों में भी जगह बना रही हैं। हाल के कुछ वर्षों में बाल साहित्य में आया यह बदलाव सीधे-सीधे वर्तमान युग के प्रतियोगितात्मक माहौल के असर के रूप में देखा जाता है। यही कारण है कि जानकारी के बहाने भी सही बाल साहित्य अपना पारम्परिक ढ़ाँचा तोड़ रहा है, नया स्वरूप अख्तियार कर रहा है। बाल साहित्य के इसी नये तेवर में ढ़ली हुई है डॉ0 यतीश अग्रवाल एवं डॉ0 रेखा अग्रवाल की सद्य प्रकाशित पुस्तक ‘बुलबुलों की गिनती’।
डॉ0 यतीश अग्रवाल चिकित्सा जगत का एक चर्चित नाम है। यूँ तो वे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में वरिष्ठ चिकित्सक हैं, पर इसके साथ ही साथ वे प्रख्यात लेखक एवं स्तंभकार के रूप में भी चर्चित रहे हैं। विगत तीन दशकों से विज्ञान लेखन के पर्याय बन चुके डॉ0 अग्रवाल ‘सबके लिए स्वास्थ्य’, ‘नारी स्वास्थ्य और सौन्दर्य’, ‘सुखी दाम्पत्य की ओर’, ‘नारी शरीर के रहस्य’, ‘डायबिटीज के साथ जीने की राह’, ‘मन के रोग’ जैसी दो दर्जन पुस्तकों के लिए जाने जाते हैं। वे अपने इस महत्वपूर्ण योगदान के लिए राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार, आत्माराम सम्मान सहित अनेक पुरस्कारों एवं सम्मानों से नवाजे जा चुके हैं।
आलोच्य पुस्तक के लेखकद्वय में दूसरा नाम है डॉ0 रेखा अग्रवाल का। श्रीमती अग्रवाल भी एक जानीमानी चिकित्सक हैं और नारी स्वास्थ्य एवं आयुर्वेद विशेषज्ञ के रूप में भी जानी जाती हैं। वे स्वास्थ्य सम्बंधी अनेक पुस्तकों की रचयिता हैं और विभिन्न पुरस्कारों द्वारा समादृत हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में लेखकद्वय ने चिकित्सा विज्ञान से जुड़ी अनेक उपयोगी जानकारियों को कहानी के माध्यम से बाल पाठकों के समक्ष रखा है। ये कहानियाँ ईरा और उसके दादाजी के माध्यम से आगे बढ़ती हैं और अपने सामने जानकारी की अनोखा भण्डार परोसती चलती हैं। संग्रह में कुल सात कहानियाँ हैं, जिनके नाम इस प्रकार हैं: चंदनपुर, बुलबुलों की गिनती, प्रतिध्वनि..ता था थइया, खोखला तना बाजे घना, विदा हुई शीतला, मिशन सेफ्टी, खिड़की से आया मेहमान।
ये सभी कहानियाँ शहर से आने वाली इरा और उसके दादाजी, जोकि रिटायर्ड सिविल सर्जन हैं और गाँव में अपना क्लीनिक चलाते हैं के बीच की हैं। इन कहानियों में यूँ तो मुख्य रूप से चिकित्सा जगत की सूक्ष्म से सूक्ष्म उपयोगी बातोंको रोचक ढ़ंग से वर्णित किया गया है, लेकिन ये कहानियाँ मुख्य रूप से थर्मामीटर, परकशन तकनीक, स्टेथोस्कोप, चेचक वैक्सीन, रोग प्रतिरोधक टीकों के काम करने की विधि और एंटीबायोटिक्स की खोज एवं उनकी कार्यविधि के बारे में हैं।
ये सभी कहानियाँ शहर से आने वाली इरा और उसके दादाजी, जोकि रिटायर्ड सिविल सर्जन हैं और गाँव में अपना क्लीनिक चलाते हैं के बीच की हैं। इन कहानियों में यूँ तो मुख्य रूप से चिकित्सा जगत की सूक्ष्म से सूक्ष्म उपयोगी बातोंको रोचक ढ़ंग से वर्णित किया गया है, लेकिन ये कहानियाँ मुख्य रूप से थर्मामीटर, परकशन तकनीक, स्टेथोस्कोप, चेचक वैक्सीन, रोग प्रतिरोधक टीकों के काम करने की विधि और एंटीबायोटिक्स की खोज एवं उनकी कार्यविधि के बारे में हैं।
नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक रंगीन चित्रों से सुसज्जित है और ग्लासी पेपर पर छापी गयी है। इस कारण पुस्तक का कलेवर देखते ही बनता है। बच्चों के जन्मदिन पर भेंट देने के लिए यह एक शानदार उपहार हो सकती है। हालाँकि यह पुस्तक ‘नेहरू बाल पुस्तकालय’ योजना के अन्तर्गत प्रकाशित है, लेकिन इसके बावजूद यह पुस्तक उन सभी लोगों को पसंद आएगी, जो ज्ञान-विज्ञान के प्रेमी हैं और उपयोगी साहित्य की तलाश में रहते हैं। इस शानदार पुस्तक के लिए लेखकद्वय ही नहीं नेशनल बुक ट्रस्ट भी बधाई का हकदार है।
पुस्तक: बुलबुलों की गिनती (चिकित्सा जगत की रोमांचक कहानियाँ)
लेखक: डॉ0 यतीश अग्रवाल, डॉ0 रेखा अग्रवाल
प्रकाशक: नेशनल बुक ट्रस्ट, 5 इंस्टीट्यूशनल एरिया, फेज-2, वसंत कुंज, नई दिल्ली-110070
पृष्ठ: 94 मुल्य: 90
"संग्रह में कुल सात कहानियाँ हैं, जिनके नाम इस प्रकार हैं: चंदनपुर, बुलबुलों की गिनती, प्रतिध्वनि..ता था थइया, खोखला तना बाजे घना, विदा हुई शीतला, मिशन सेफ्टी, खिड़की से आया मेहमान।"
जवाब देंहटाएंयदि पुस्तक आपके पास उपलब्ध हो तो कृपया एक पैराग्राफ पाठकों की रूचि और जिज्ञासा जागृत करने के लिए इन कहानियों में विवेच्य चिकित्सकीय /वैज्ञानिक जानकारी पर दें -भले ही एक एक लाईन!
अरविंद जी, आपका सुझाव उत्तम है। मैं फिलहाल फिरोजाबाद में हूं और किताब लखनऊ में रखी है। यह समीक्षा मैंने लगभग एक महीने पहले लिखी थी, इसलिए अभी कहानियों के बारे में स्मृति के आधार पर लिखना संभव नहीं है। कोशिश करूंगा कि लखनऊ पहुंचने पर इसपर अमल कर सकूं।
जवाब देंहटाएंडा. यतीश अग्रवाल एवं डा. रेखा अग्रवाल का यह प्रयास सचमुच सराहनीय है. बच्चों के लिए उपलब्ध साहित्य में हो रहा परिवर्तन बदलते जा रहे परिवेश के लिए अपरिहार्य भी है. डा. द्वय के नयी पेशकश "बुलबुलों की गिनती" के बारे दी गयी जानकारी हेतु आभार.
जवाब देंहटाएंNice book.
जवाब देंहटाएंAfroz Jahan, Kanpur