आज का दौर एक तेजी से बदलता हुआ युग है। इस युग ने जहाँ एक ओर हमारे लिए सुविधाओं का एक भरापूरा संसार जुटाया है , वहीं बदलाव की इस हवा ने हम...
इन बदलती हुई स्थितियों ने आज बाल साहित्यकारों के समक्ष एक विशाल चुनौती प्रस्तुत की है। लेकिन दुर्भाग्य का विशय यह है कि जिस तेजी से हमारे समाज में बदलाव हो रहे हैं, साहित्य उसके मुकाबले में पिछड़ते से प्रतीत हो रहे हैं। बच्चों के साहित्य के नाम पर वे आज भी उन्हें वही कुत्ता-बिल्ली और राजा-रानी के पाठ पढ़ाते ही ज्यादा दिखाई पड़ते हैं। जाहिर है ऐसे में बच्चों से साहित्य का तादात्म्यीकरण सम्भव नहीं हो पा रहा है।
बच्चों और बाल साहित्य के बीच पनप रही इस खाई को कैसे पाटा जाए, किस प्रकार बच्चों को समकालीन चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित करने वाले साहित्य का सृजन किया जाए और किस तरह से बाल साहित्यकारों को बच्चों की वास्तविक आवश्यकता के अनुकूल ‘नवलेखन‘ करने के लिए प्रेरित किया जाए यह हमारे लिए चिंतन का एक गम्भीर विषय है।
इसी समस्या को दृष्टिगत रखते हुए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ एवं टीम फॉर साइंटिफिक अवेयरनेस ऑन लोकल इश्यूज इन इंडियन मॉसेज (तस्लीम), लखनऊ द्वारा संयुक्त रूप से ‘बाल साहित्य में नवलेखन’ विषयक एक दिवसीय (27 अगस्त 2011) राष्ट्रीय बाल साहित्य संगोष्ठी (लखनऊ) का आयोजन निराला सभागार, हिन्दी संस्थान, लखनऊ में पूर्वाह्न 10.30 बजे किया जा रहा है।
इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में सर्वश्री डॉ. श्याम सिंह 'शशि' (नई दिल्ली), डॉ0 मनोज पटैरिया (निदेशक-एन.सी.एस.टी.सी., नई दिल्ली), डॉ0 श्रीप्रसाद (वाराणसी), डॉ0 राष्ट्रबंधु (सम्पादक-बालसाहित्य समीक्षा), डॉ0 उषा यादव (आगरा), सरोजिनी कुलश्रेष्ठ (नोएडा), साबिर हुसैन (पलियाकलां, खीरी), चक्रधर नलिन (लखनऊ), विनोद चंद्र पाण्डेय 'विनोद' (पूर्व निदेशक-हिन्दी संस्थान) एवं डॉ0 देवेन्द्र कुमार 'देवेश' (साहित्य अकादमी, नई दिल्ली) मुख्य रूप से अपने विचार रखेंगे। कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा निम्नानुसार है:
बालसाहित्य में नवलेखन
शनिवार, 27 अगस्त, 2011 (निराला सभागार, हिन्दी संस्थान, लखनऊ)
आयोजन समय सारणी
10.30-11.30 :उद्घाटन सत्र
अध्यक्ष: डॉ0 प्रेमशंकर, कार्यकारी अध्यक्ष, हिन्दी संस्थान
मुख्य अतिथि: डॉ0 श्याम सिंह ‘शशि’, नई दिल्ली
स्वागत भाषण: डॉ0 एस.एस. सिंह, निदेशक, हिन्दी संस्थान
वक्ता: श्री विनोद चंद्र पाण्डेय ‘विनोद’, लखनऊ
संचालन: डॉ0 ज़ाकिर अली ‘रजनीश’, लखनऊ
11.30-12.00 : चाय
12.00-02.00 :प्रथम सत्र- मुख्यधारा का बालसाहित्य नवलेखन
अध्यक्ष: डॉ0 प्रेमशंकर, कार्यकारी अध्यक्ष, हिन्दी संस्थान
विषय प्रवर्तन: डॉ0 उषा यादव, आगरा
वक्ता: डॉ0 मनोज पटैरिया, निदेशक-एन.सी.एस.टी.सी., नई दिल्ली, डॉ0 श्रीप्रसाद, वाराणसी, डॉ0 सरोजिनी कुलश्रेष्ठ, नोएडा
संचालन: डॉ0 देवेन्द्र कुमार ‘देवेश’, साहित्य अकादमी, नई दिल्ली
02.00-03.00 : मध्याह्न भोज
03.00-05.0 :द्वितीय सत्र- हाशिए का बालसाहित्य नवलेखन
अध्यक्ष: डॉ0 प्रेमशंकर, कार्यकारी अध्यक्ष, हिन्दी संस्थान
वक्ता: डॉ0 राष्ट्रबंधु, संपादक- बाल साहित्य समीक्षा, कानपुर, डॉ0 चक्रधन नलिन, लखनऊ, श्री साबिर हुसैन, खीरी, डॉ0 देवेन्द्र कुमार ‘देवेश’, साहित्य अकादमी, नई दिल्ली,
संचालन: डॉ0 ज़ाकिर अली ‘रजनीश’, लखनऊ
संचालन: डॉ0 ज़ाकिर अली ‘रजनीश’, लखनऊ
धन्यवाद ज्ञापन: श्री सुनील कुमार सक्सेना, सहायक निदेशक, हिन्दी संस्थान
'ब्लॉग लेखन के द्वारा विज्ञान संचार' कार्यशिविर के सफल आयोजन के बाद 'तस्लीम' का यह एक अन्य वृहद प्रयास है। समस्त बाल साहित्यकारों, बाल हितैषियों एवं हिन्दी प्रेमियों से निवेदन है कि भारत की भावी पीढ़ी के समग्र विकास को समर्पित इस संगोष्ठी में पधार कर कार्यक्रम को सार्थक बनाएं। संगोष्ठी को सफल बनाने हेतु आपके विचार एवं सुझाव भी सादर आमंत्रित हैं।
भवदीय,
डॉ0 ज़ाकिर अली ‘रजनीश‘
महामंत्री-तस्लीम/कार्यक्रम संयोजक
ईमेल - zakirlko@gmail.com
ईमेल - zakirlko@gmail.com
मोबाइल - 9935923334
Keywords: Uttar Pradesh Hindi Sanstha Lucknow, Children's Literature in India Hindi Bal Sahitya, Hindi Children Literature, Dr. Prem Shankar, Dr. Rashtrabandhu, Chakradhar Nalin, Dr. Usha Yadav, Sabir Husain, Dr. Shyam Singh Shashi, Dr. Devendra Kumar Devesh, Vinod Chandra Pandey Vinod
Keywords: Uttar Pradesh Hindi Sanstha Lucknow, Children's Literature in India Hindi Bal Sahitya, Hindi Children Literature, Dr. Prem Shankar, Dr. Rashtrabandhu, Chakradhar Nalin, Dr. Usha Yadav, Sabir Husain, Dr. Shyam Singh Shashi, Dr. Devendra Kumar Devesh, Vinod Chandra Pandey Vinod
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एक दिवसीय (27 अगस्त 2011) राष्ट्रीय बाल साहित्य संगोष्ठी (लखनऊ) का आयोजन निराला सभागार, हिन्दी संस्थान, लखनऊ में पूर्वाह्न 10.30 बजे किया जा रहा है।
जवाब देंहटाएंATHAWA
शनिवार, 13 अगस्त, 2011 (निराला सभागार, हिन्दी संस्थान, लखनऊ)
KO
kripya spasth kare.
main bhi aana chahta hu.
आयोजन की सफलता की शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंYe to bada mahtvapoorna ayojan hai, badhai.
जवाब देंहटाएंअशोक जी, 27 तारीख को ही प्रोग्राम है। त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने का शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंI wish all success for this pious attempt.
जवाब देंहटाएंvery nice
जवाब देंहटाएंaap mare blog may aane ke liye sukariya
बाल साहित्य संगोष्ठी इस दौर में और भी प्रासंगिक है जबकि चैनलिया भीड़ में बने रहने के लिए कुछ भी परोसा जा रहा है छोटे परदे पर .कभी एक चैनल को शिव का धनुष मिलता है कभी भीम की गदा और कभी रावण की लंका .अंधविश्वास को कई चैनल समर्पित हैं .बाल साहित्य का क्षेत्र एक नवजात क्षेत्र है .इसमें अनेक संभावनाएं निहित हैं .विज्ञान परक नजरिया आस पास की खबर ,परिवेश पर्यावरण ,प्रकृति ,पारिस्थितिकी के प्रति नौनिहालोंकी खबरदारी .अपनी हवा ,पानी ,मिटटी , पेड़ ,पशु पक्षी ,खाद्य श्रृंखला ,पर्यावरण के सफाई कर्मचारी गिद्ध कौवे ,तुच्छ से तुच्छ जीव ,प्रानि- मात्र प्राकृतिक अनुरक्षण के लिए इन सभी का वजूद ,जैव विविधता बनाए रखने के लिएभी ज़रूरी है .बहुत व्यापक स्कोप है बाल साहित्य का .मेरी शुभ कामनाएं इस संगोष्ठी के लिए .डॉ .जाकिर भाई का विशेष शुक्रिया ,एक कामयाब खबरची की भूमिकामें आप सदैव ही छाये रहतें हैं दुनिया जहां की परोस्तें हैं .
जवाब देंहटाएंhttp://veerubhai1947.blogspot.com/