इसमें कोई शक नहीं कि कुछ समय पहले तक हमारे गाँवों, कस्बों और कुछ हद तक शहरों में भी सुहागरात के बाद अगले दिन लड़के अथवा उसके घरवाल...
इसमें कोई शक नहीं कि कुछ समय पहले तक हमारे गाँवों, कस्बों और कुछ हद तक शहरों में भी सुहागरात के बाद अगले दिन लड़के अथवा उसके घरवाले दुल्हन के कौमार्य (Virginity) के प्रमाण के रूप में बेडशीट पर खून के धब्बे खोजते पाए जाते थे। उस समय यह माना जाता था कि स्त्री की योनि (Vegaina) में पाई जाने वाली झिल्ली (हाइमेन) उसके कुँआरेपन का प्रमाण है। लेकिन जब इस जानकारी का प्रचार-प्रसार हुआ कि दौड़भाग, तैराकी, साइकिल चलाने आदि से भी यह झिल्ली नष्ट हो जाती है, तो धीरे-धीरे लोगों की इस सोच में बदलाव आया। अब यदि एक-आध प्रतिशत लोगों को छोड़ दिया जाए, तो शायद ही कोई ऐसा हो, जो कुँआरेपन की इस निशानी में विश्वास करता हो और उसे खोजने को उत्सुक रहता हो।
इसके पीछे दूसरा कारण यह भी है कि जब शादी के पहले पुरूष स्वयं अक्सर अनेक लोगों से शारीरिक सम्बंध स्थापित करते पाए जाते हैं, तो फिर लड़कियों से इस तरह की अपेक्षा करना मूर्खता ही है। लेकिन आश्चर्य का विषय यह है कि कुँआरेपन के प्रमाण के रूप में देखी जाने वाली यह दकियानूसी सोच वर्तमान में फिर से तेजी से पैर पसारती दिख रही है। और दुर्भाग्य का विषय यह है कि इस बार विज्ञान की पीठ पर वैताल की तरह चढ़ कर आई है यह दकियानूसी प्रवृत्ति।
सम्भवत: स्त्रियों में व्याप्त ‘कुँआरेपन के भय’ को कुछ पेशेवर डॉक्टरों ने काफी पहले पहचान लिया था। यही कारणा था कि वे मोटी कमाई की उम्मीद में वजाइना से टिश्यू लेकर कृत्रिम हाइमेन बनाने की ओर प्रवृत्त हुए थे। चिंता की बात यह है कि कुछ सालों पहले आविष्कृत हुई यह तकनीक अब भारत में भी लोगों के सिर चढ़ कर बोल रही है और अल्ट्रा मॉड लड़कियाँ भी स्वयं को कुँआरी साबित करने के लिए इस तरह के ऑपरेशन करवाने में भरपूर रूचि ले रही हैं।
रिपोर्टों के अनुसार दिल्ली में इस तह के ऑपरेशनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 60-70 हजार में होने वाले ये ऑपरेशन 'हाइम्नोप्लास्टी' (Hymenoplasty) के नाम से जाने जाते हैं, जिसे कॉस्मेटिक सर्जन सम्पन्न करते हैं। इसमें आधे घण्टे का समय लगता है और ऑपरेशन करवाने के बाद उसी दिन स्त्रियाँ अपने घर जा सकती हैं। चूँकि यह सर्जरी काफी आसान है, इसलिए यह सुविधा समाज में तेजी से लोकप्रियता हासिल कर रही हैं। डॉक्टरों के अनुसार सिर्फ गैर शादीशुदा लड़कियाँ ही नहीं शादीशुदा स्त्रियाँ भी वेलेन्टाइन डे और शादी की सालगिरह पर यह सर्जरी कराने में रूचि लेती पाई जा रही हैं।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब समाज से कौमार्य की अवधारणा ही समाप्त होने को हो, तो लड़कियाँ हाइम्नोप्लास्टी को ‘कौमार्य की पुन: प्राप्ति’ (Revirgination) के रूप में क्यों देख रही हैं? क्या यह इस बात का इशारा है कि वे शादी के पहले अपने कुँआरेपन को खोने के कारण अपराधबोध से ग्रस्त हैं अथवा अपने पति की नजर में स्वयं को ‘कुँआरी’ साबित करके वे सुखी जीवन का सार्टिफिकेट प्राप्त करना चाहती हैं या फिर यह उस मर्दवादी सोच का एक विस्तार भर है, जिसमें पुरूष घर के बाहर चाहे जितने ‘कुकर्म’ कर ले, पर अपने घर के लिए एक ऐसी लड़की की ही तलाश में रहता है, जो उसके लिए ‘सती-सावित्री’ का रोल निभा सके?
इस बारे में आप क्या सोचते हैं? कृपया हमें अवश्य अवगत कराएँ।
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राम-राम जी
जवाब देंहटाएंआपने एकदम सही कहा कि जितने कुकर्म कर लो, कोई फ़र्क ना पडेगा, कुवांरापन अब पैसों के बल पर मिल जायेगा,
http://blog.chokherbali.in/2008/06/blog-post_16.html
जवाब देंहटाएंis link par 2008 mae is vishay par hui ek charcha haen aap daekh saktey haen
मानसिक सोच में बदलाव की ज़रूरत है।
जवाब देंहटाएंनारियों का अपने शरीर से खिलवाड़ जारी हैं और रहेगा जब तक समाज में नारी के शरीर की प्रधानता पुरुष को रिझाने के लिये रहेगी .
जवाब देंहटाएंजैसे जैसे आर्थिक रूप से नारी सुदढ़ होगी वो अपने को जैसा "दिखाना " चाहेगी दिखायेगी . समाज में अपने को "सही " दिखाना जरुरी हैं ना की "सही " रहना . भारतीये समाज "छुप " कर सब कुछ करने में विश्वास रखता हैं फिर चाहे वो विवाह से पहले या इतर सम्बन्ध ही क्यूँ ना हो .
एक अच्छे आलेख के लिये बधाई हां इसमे आप अगर ब्लॉग जगत में हुई कुछ पुरानी चर्चा को भी खोज कर देते तो विस्तार होता . इसके अलावा गर्भ निरोधक गोलिया , कन्यादान , नक् छेदन इत्यादि भी इसी प्रकार का विस्तार मांगते हैं
होने दो अभी हमें इस लायक। फिर बताते हैं इसका राज।
जवाब देंहटाएंचिंता का विषय है।
जवाब देंहटाएंसार्थक लेख....
जवाब देंहटाएंस्त्रियों के कौमार्य परीक्षण तो हो रहा है। कृपया जानकरी दें कि क्या पुरुषों का कौमार्य होता है ? अगर होता है तो कहाँ? पुरुष के कौमार्य परीक्षण बिना बात नाइंसाफी की होगी।
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कहावत है, जुबां पर सत्य की ताला नहीं देखा।
मगर हर शख्स को सच बोलने वाला नहीं देखा॥
-मनोज अबोध
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सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
" शादी के पहले पुरूष स्वयं अक्सर अनेक लोगों से शारीरिक सम्बंध स्थापित करते पाए जाते हैं, तो फिर लड़कियों से इस तरह की अपेक्षा करना मूर्खता ही है।" ---क्या आप अपनी प्रेमिका,पत्नी, बेटी बहन से एसी अपेक्षा नहीं करेंगे???????????
जवाब देंहटाएं--द बेस्ट वे टू थिन्क इज़ टु कीप योर्सेल्फ़ इन दैट प्लेस...
---यह इसलिये है कि (आपकी धारण गलत है कि समाज से कौमार्य की अवधारणा समाप्त होती जारही है....अपितु बढ रही है.).आज भी.हर पढालिखा नौजवान यही चाहता कि वह स्वयं चाहे जितनों से संसर्ग करले उसकी पत्नी कुंवारी होनी चाहिये.....इसी तरह हर लडकी चाहती है कि उसका पति सिर्फ़ उसी का बन्धक होकर रहे...इसमें विग्यान क्या कर लेगा....
---और ये शत-प्रतिशत कभी होता नहीं है ...न होगा....अत: भारतीय बात...चोरी-चोरी सब सही...ही सही है...
मेरे विचार में युवा आज भी कोशिश करते हैं कि कौमार्य भंग न हो और विवाह संस्था का सम्मान करते हैं...हाँ अपवाद तो सब जगह मिलेंगे....
जवाब देंहटाएंविज्ञान में ऐसी तकनीकें फायदे के लिए ही आती हैं लेकिन हम लोग ही उनका गलत इस्तेमाल करना शुरु कर देते हैं...आपके सभी लेख आज से जुड़े हुए होते है......
अच्छी पोस्ट ... काश लोगों को यह समझ में आये .. कौमार्य से ज्यादा ज़रूरी है स्वस्थ मानसिक गठन ...
जवाब देंहटाएंisse to mahilaaon ka chheechhaledar aur badhega
जवाब देंहटाएंलोगों को अपनी मानसिक बीमारियों से मुक्ति प्राप्त करने की कम उन की संतुष्टि के लिए व्यर्थ में धन खर्च करने का शौक अधिक है।
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जब समाज से कौमार्य की अवधारणा ही समाप्त होने को हो, तो लड़कियाँ हाइम्नोप्लास्टी को ‘कौमार्य की पुन: प्राप्ति’ (Revirgination) के रूप में क्यों देख रही हैं? क्या यह इस बात का इशारा है कि वे शादी के पहले अपने कुँआरेपन को खोने के कारण अपराधबोध से ग्रस्त हैं अथवा अपने पति की नजर में स्वयं को ‘कुँआरी’ साबित करके वे सुखी जीवन का सार्टिफिकेट प्राप्त करना चाहती हैं या फिर यह उस मर्दवादी सोच का एक विस्तार भर है, जिसमें पुरूष घर के बाहर चाहे जितने ‘कुकर्म’ कर ले, पर अपने घर के लिए एक ऐसी लड़की की ही तलाश में रहता है, जो उसके लिए ‘सती-सावित्री’ का रोल निभा सके?
इस बारे में आप क्या सोचते हैं? कृपया हमें अवश्य अवगत कराएँ।
क्या कहें ?
अभी तक तो कोई ऐसी मिली नहीं जिसने यह सर्जरी कराई हो या करवाने की इच्छा रखती हो... जब कोई ऐसी महिला मिलेगी तो पूछ कर ही बता पाऊंगा... :(
...
....पैसे जेब हो तो खर्च करने के लिए नए नए तरीके ढूंढे ही जाते है...ऐसे में 'दुनिया झुकती है, झुकाने वाला चाहिए!' कहावत का लाभ उठाने वाले लोग आगे आते ही है!
जवाब देंहटाएंप्रवीण जी, इच्छा रखने वाली के बताने का इंतजार। :)
जवाब देंहटाएंनारी अपनी सोच के कारण ही दुर्गति को प्राप्त होती है ..आंतरिक कारण जो भी हो ..पुरुष वादी समाज ,हीन भावना ,सामाजिक डर..या आज का फैशन ..अच्छा विषय उठाया है..नारी सुने तब न
जवाब देंहटाएंसार्थक और बढ़िया आलेख।
जवाब देंहटाएंज़ाकिर भाई, आपकी क़रीब क़रीब सभी पोस्टों से गुजरता हूं, बस कमेंट नहीं कर पाता क्योंकि जल्दी में रहता हूं।
nice
जवाब देंहटाएंमैंने तो कहा था शिक्षित लोगों से की समझाओ बाकी को भी ...... लेकिन वो तो खुद गलत बातों को सही बताने में लगे रहते हैं .. तो बाकी लोगों से क्या उम्मीद की जाए ? :)
जवाब देंहटाएंये लेख और यहाँ मौजूद चर्चा जरूर पढ़ें
http://my2010ideas.blogspot.com/2011/04/blog-post_22.html
लगता है कुछ लोग मानते हैं ......
जवाब देंहटाएंपिछड़ी सोच का समाज = भारतीय समाज
शराबी/शोषक/गलत फहमी का शिकार पुरुष = भारतीय पुरुष
कुछ भी समझाना बेकार ही है :(
कभी इस बारे में किसी विकसित देश की मानसिकता पर भी प्रकाश डालें तो शायद कोई नतीजा निकाल पाना सम्भव हो
बढ़िया आलेख।
जवाब देंहटाएंस्वार्थी और लोभी मानसिकता ने समाज में गंदगी फैलाने का ठेका ले लिया है। सभी अपराधी हैं। कौमार्य ढूंढने वाले, कौमार्य सिद्ध करने वाले और कौमार्य बनाने वाले।
आपका आलेख तो अत्युत्तम है ही , टिप्पणियों के बहाने भी अच्छी चर्चा हो गयी . बधाई हो भाई .
जवाब देंहटाएंमूंछे नत्थू लाल की - डा. रोहिताश्व अस्थाना
http://baal-mandir.blogspot.com/
एक चिंतनीय पोस्ट ......लेकिन मानसिकता में बदलाब की जरुरत है ...इंसानियत को सही ढंग से पहचानने की आवशयकता है ....आप भले ही किसी को खुश करने के लिए किसी तरह के हथकंडे अपना लें इस खुदा की नजरों से कैसे बच पाओगे .....!
जवाब देंहटाएं# परदे कि तरह ये [hymen] भी तो अब 'उठने' लगा है,
जवाब देंहटाएंपरवाह नही...., पैसो से फिर मिलने लगा है.
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# ये [hymen] भी नक़ाब की तरह हट जाया करे है,
चादर पे न धब्बा हो तो 'इज्ज़त' पे लगे है,
'प्रवीण' की तलाश तो हो जायेगी भी पूरी,
कितने सवाल अपनी ही 'इस्मत' पे खड़े है ?
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http://aat-manthan.com
मर्द कैसा भी हो ,कुछ भी करे ,
जवाब देंहटाएंपाक दिल हो ,तो भी ख़ताऔरत ।
नफरतों में जला दी जाती ,ख्वाबे मोहब्बत की जो अदा औरत ।
समाज अपना है नाज़ कैसे करे ,मुसल्सल पेट में होती फना औरत ।
गाँव शहर या कि फिर महानगर ,हादसों से भरी एक कथा औरत ।
धूप साया नदी हवा औरत ,इस धरा को नेमते खुदा औरत ।
यही तो इस दौरका विरोधावास है ,एक तरफ सौन्दर्य प्रति -यौगिताएं और दूसरी तरफ हाई -मन की भराई .पुरुष का दिमाग कितना खाली है जिसे प्यार करता है उसे ही डरा के रख्खा है .यही तो है नीम -विकास .साक्षर होना .सारगर्भित आलेख .
बहुत ही गंभीर समस्या और चिंता का विषय है! काश लोगों के समझ में आ जाए!
जवाब देंहटाएंजो जिस मे खुश वो उस मे खुश,जाकिर जीरहने दो जी भर के खुश.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया आलेख,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
समाज के सोच में बदलाव की जरुरत है बहुत आची पोस्ट
जवाब देंहटाएंआभार
तृप्ती
Excellent post. The society today is going under a pressure guided by so many influences. People (also literates and intellectuals) are totally confused what to do and which option to opt. The mind provoking thoughts leaking from such write-ups may do change.
जवाब देंहटाएंManish Mohan Gore
very nice
जवाब देंहटाएंयह लेख कुछ उन बातों को पर है जिन पर आमतौर पर बात करने पर झिझकते हैं ..किन्तु परदे के पीछे चल रही यह हकीकत जहाँ कृतिम रूप से सुंदरता बढाने और कौमार्यता को हासिल करने के लिए इस तरह के ओपरेसन किये जातें है ... समाज में बढता झूठ और दिखावा ... जहाँ ऐसे लड़किया पुरुष को रिझाने के लिए इन तकनीकों का इस्तेमाल करती हैं ..वही पुरुष भी इन और अपनी लोलुप निगहों से गुनाहगार है... आपका लेख इस ओर सोचने पर मजबूर करता है..
जवाब देंहटाएंऐसा ही लेख मै राधा रमण जी के ब्लॉग पर पढ़ चुकी हूँ | ये सब बाते उन डाक्टरों के दौरा फैलाई जा रही है जो इस तरह के आपरेशन करते है ये सब इसलिए फैलाई जा रही है ताकि उनकी दुकानदारी चल सके ज्यादा से ज्यादा लोगो को ये पता चल सके की इस तरह का आपरेशन भी होता है और ऐसी खबरे पैसे दे कर अखबारों आदि में प्रकाशित की जाती है | "एक रिपोर्ट के अनुसार महिलाए ऐसा चाहती है " क्या आप बताएँगे की किस रिपोर्ट के अनुसार कौन सी महिलाए ऐसा करना चाहेंगी खास कर विवाहित महिलाओ द्वारा ऐसी इच्छा हास्यापद है | साफ जाहिर है इन के द्वारा ना केवल अविवाहित महिलाओ बल्कि विवाहित महिलाओ को भी मुर्ख बनने का प्रयास किया जा रहा है ये सब बिलकुल वैसा ही ही जैसा किसी नए कास्मेटिक उत्पाद के बाजार में आने के बाद लोगो को ये लगने लगता है की उन्हें उसकी जरुरत है | एक दो महिलाए किसी डर से ये चाहे तो उन्हें अपवाद मान सकते है और सोचा सकते है की लोगो में जागरूकता कम है पर ना तो आज कल की लड़किया इतनी मुर्ख है और ना ही लडके की वो अपनी पत्नी की कौमार्य की इस तरह जाँच करे |
जवाब देंहटाएंकाश लोगों को यह समझ में आये
जवाब देंहटाएं@anshumala
जवाब देंहटाएंmae aesi kuchh mahila ko jaantee hun jo vivahit haen aur 45 kae aas paas ki haen
badae badae bachae haen aur unhonae apnae pati ki sehmati sae yae karvaya haen
मानसिक सोच में बदलाव की ज़रूरी है...
जवाब देंहटाएंरचना जी
जवाब देंहटाएंउन्होंने पति की सहमती से ये आपरेशन करवाया या पति के ख़ुशी के लिए उसके कहने पर ये आपरेशन करवाया इस बातो में फर्क है | वैसे तो मैंने कहा ही है की अपवाद हर जगह होते है फिर इस तरह से इसका प्रचार होगा तो कल सभी के लिए ये वैसे ही जरुरी हो जायेगा जैसे की बाजार में आया कोई नया कास्मेटिक |
आपके लेख से पूरी तरह सहमत हूँ |
जवाब देंहटाएंयह मात्र बड़े लोगों (पैसे वालों ) का चोंचला ही है ...
काफी कुछ बदल चुका है किन्तु अभी भी पुरानी सोच में बहुत कुछ परिवर्तन बाकी है |
श्रीमान आलेख का पहला भाग किशोरों और कुछ व्यस्कों की जानकारी में भी जरूर इजाफा करेगा .दूसरा भाग जिसमें हाइम्नोप्लास्टी का ज़िक्र है लगभग सभी के लिए नया है .मेने भी अभी कुछ दिन पहले ही कही पढ़ा था और साथ में ये भी के कुछ विवाहित भी नयापन लेने के लिए जेसे शादी की वर्षगांठ पर ऐसा करा रहे हैं .बाकि अगर भरोसों पर संबंध बने तो क्या जरुरत ढोंग की
जवाब देंहटाएंअब क्या कहें. आवश्यकता थी मस्तिष्क के इलाज की करा आएँ हाइमन का!शायद हमारे समाज को स्त्री के लिए मस्तिष्क से अधिक हाइमन महत्वपूर्ण लगता है. डिमांड व सप्लाई के नियम के अनुसार ही सब हो रहा है.
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती