केली ब्रुक्स का चर्चित फोटो क्या आपने हॉट मॉडल केली ब्रुक ( Kelly Brook ) का नाम सुना है ? वे जितनी अपनी सुंदरता के लिए जानी जाती ह...
केली ब्रुक्स का चर्चित फोटो |
क्या आपने हॉट मॉडल केली ब्रुक (Kelly Brook) का नाम सुना है? वे जितनी अपनी सुंदरता के लिए जानी जाती हैं, उतना ही अपने साईकिल प्रेम के लिए भी जानी जाती हैं। साइक्लिंग के बारे में अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहती हैं- ‘मै साइक्लिंग का भरपूर आनंद उठाती हूं। मैं लोगों को बताना चाहती हूं कि यह एक आरामदायक और मजेदार साधन है। इसलिए लोगों को साइक्लिंग शुरू कर देनी चाहिए।’
काफी समय पहले तक साईकिल आम आदमी के लोकप्रिय वाहन के रूप में स्थापित रही है, लेकिन इधर के 10-15 वर्षों में दिखावे की संस्कृति की संस्कृति ने ऐसा जोर पकड़ा है कि कोई व्यक्ति बाइक से कम की बात करना ही पसंद नहीं करता है। हाल के वर्षों में लोगों की मानसिकता में कुछ ऐसा बदलाव आया है कि साईकिल से चलने वालों को अब हेय दृष्टि से देखा जाने लगा है। बावजूद इसके इंग्लैण्ड के प्रधानमंत्री डेविड कैमरून और बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान अब भी अपने साईकिल प्रेम के लिए जाने जाते हैं। इसके साथ ही नोबेल पुरस्कार विजेता वेंकटरमण रामकृष्णन भी अपने साइकिल प्रेम के लिए विख्यात हैं। वे ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में व्याख्यान देने के लिए साइकिल पर जाना पसंद करते हैं।
आपकी और पर्यावरण की सेहत के लिए फायदेमंद
सल्लू भाई साइकिल पर |
आज धरती पर दिन-प्रतिदिन बढ़ता हुआ प्रदूषण और तापमान हर किसी के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। इसके लिए जहाँ एक ओर सम्पूर्ण विश्व में ऊर्जा संरक्षण की मुहिम चलाई जा रही है, वहीं तेजी से बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने के लिए प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग पर भी बल दिया जा रहा है। ऐसे में साईक्लिंग का महत्व अपने आप बढ़ जाता है। क्योंकि इसके उपयोग के लिए न तो किसी प्रकार की ऊर्जा की जरूरत होती है और न ही इससे किसी प्रकार का प्रदूषण होता है। इसलिए पाश्चात्य देशों में हाल के वर्षों में पर्यावरण प्रेमियों के बीच साइक्लिंग का क्रेज तेजी से बढ़ा है। इसके अतिरिक्त स्वस्थ रहने के लिए टहलने और दौड़ने की तरह ही साइक्लिंग एक प्रकार का व्यायाम भी है।
कैसे करें साइक्लिंग?
साइक्लिंग के लिए सुबह अथवा शाम का समय सबसे अच्छा माना जाता है। बेहतर है कि इसके लिए प्रदूषण से रहित एवं खुली जगह का चयन करें। साइक्लिंग से दो घण्टे पहले प्रोटीन वाली चीजें जैसे दूध, अण्डा, मीट आदि का सेवन न करें। ये चीजें भारी होती हैं और इन्हें पचाने में शरीर को काफी समय लगता है। इसलिए ऐसी चीजों के खाने पर साइकिल चलाने के दौरान थकान लग सकती है और आपका हाजमा भी गड़बड़ हो सकता है। चूंकि साइक्लिंग के समय शरीर को काफी मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती है, इसलिए उसके बाद कार्बोहाइड्रेट वाले भोज्य पदार्थ जैसे दलिया, पास्ता आदि लेना बेहतर होता है। साइकिल चलाने के दौरान शरीर से काफी मात्रा में पसीना निकलता है, इसलिए बीच-बीच में पानी लेते रहना चाहिए। इस दौरान कोल्डड्रिंक का उपयोग बिलकुल नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे शरीर में पानी की कमी का खतरा उत्पन्न हो सकता है।
पर उपदेश कुशल बहुतेरे?
और ये अपनी 'हिप्पो स्नोब' |
पिछले दिनों बाबा रामदेव के नाम पर शुरू हुई चख-चख में दो ब्लॉगर्स (रचना एवं सतीश सक्सेना) की बातों (हम स्वयं भ्रष्टाचार के प्रति सचेत हो जाएँ, तो इस देश से भ्रष्टाचार का कोढ़ हमेशा के लिए दूर हो जाएगा) से प्रेरित होकर मेरा ध्यान ‘पर्यावरण दिवस’ (5 जून) की ओर गया और इस दौरान हुए आत्म-मंथन में धरती को बचाने के लिए अपनाए जा रहे सुझावों (मसलन सी0एफ0एल0 का उपयोग, पॉलीथीन का कम से कम प्रयोग, कूड़े का समुचित निस्तारण, पानी का सोच समझ कर उपयोग) के बावजूद मुझे लगा कि साइक्लिंग को अपना कर भी पर्यावरण संरक्षण में छुद्र ही सही पर कुछ योगदान तो दिया ही जा सकता है। सो मन में निश्चय करके बाजार पहुँचा और ‘हिप्पो स्नोब’ साइकिल ले आया। अब कोशिश यही होगी कि आसपास के छोटे-मोटे कामों को साइकिल से निपटाया जाए और केली ब्रुक तथा सलमान खान की तरह अपना नाम भी साइकिल प्रेमियों में लिखाया जाए।
क्या आप भी मेरे विचारों से इत्तेफाक रखते हैं? अगर हाँ, तो आप कब जुड़ रहे हैं इस साइकिल आंदोलन से?
अगर आपको 'तस्लीम' का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ। |
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वाह जाकिर जी बहुत प्रेरणा दायक आलेख आज तो मै भी सायकिल लेने पर विचार करता हूँ ..
जवाब देंहटाएंअपुन तो रोज ही कार्यालय जाने व आने के लिये पूरे तीस किलोमीटर साईकिल चलाते है। ऐसा नहीं है कि बाइक व कार नहीं है, सब है लेकिन वो उसी सूरत में जब मेरे अलावा और कोई भी साथ हो या दो से ज्यादा, या दूरी बीस किलोमीटर से भी ऊपर हो।
जवाब देंहटाएंआपने केली ब्रुक और सलमान खान के साथ मेरा नाम तो लिखा ही नहीं... :D
जवाब देंहटाएंमैं भी घर के छोटे मोटे काम साइकिल से निपटा ही लेता हूँ. स्कूल कॉलेज भी मैं साइकिल से ही जाया करता था..
सैयद भाई, चलिए अच्छा किया कि आपने खुद ही जुडवा लिया। देखते हैं और कौन कौन आता है अपना नाम लेकर...
जवाब देंहटाएंमै जब बंगलोर में होता हूँ , ५ किमी साइकिल से आफिस जाता हूँ. आजकल सीडनी में ४ किमी पैदल चलता हूँ.
जवाब देंहटाएंसी ऍफ़ एल पुराने है, एल ई डी प्रयोग करें, कमा ऊर्जा में ज्यादा रोशनी !
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआशीष भाई, हिन्दुस्तान में तो अभी सीएफएल से ही काम चल रहा है। वैसे पता करता हूं कि एलईडी कब तक मिल पाएंगी।
जवाब देंहटाएंरजनीश भाई !हमारी तो सारी उम्र ही साइकिल पे कटी .हमेशा कोलिज- यूनिवर्सिटी साइकिल से ही पढ़ाने गए .एक मर्तबा हमारे एक शिष्य नजर बचाते हुए हमारे पास आये -कहने लगे शर्माजी (हाँ अब तक ये शिष्य हमारे सहयोगी व्याख्याता बन चुके थे ,यूनिवर्सिटी कोलिज रोहतक में )साइकिल चलाने का तो हमारा भी बहुत मन करता है आप इस उम्र में भी सीटी बजाते पुर सुकून साइकिल चलातें हैं ,कितने सालों क्या दशकों से हम देख रहें हैं .हमने कहा भैया तुम भी चला लो फिर इसमें दिक्कत क्या है ?कहने लगे "शर्म आती है लोग क्या कहेंगें प्रोफ़ेसर है और साइकिल से आता है ।(हमें मन ही मन खुद पे शर्म आई ऐसे छात्र भी हमारे ही हैं ,मूल्य बोध से खाली ,शून्य -विचार की तरह .)
जवाब देंहटाएंआज इस घटना का उल्लेख करना ज़रूरी लग रहा है .हम आई आई टी चैनैई में थे दो साल रहे इस केम्पस में बेटा एम् टेक कर रहा था रेडिओ कम्युनिकेसंस में (नेवी में लेफिनेंत कमांडर था तब ,नेवी वालों का कोटा होता है यहाँ देश के सारे आई आई टीज़ में ,मेरिटके अनुसार ) यह कैम्पस एक वन शाला ,पक्षी शाला में स्थित है .यहाँ हिरन घर घर चले आतें हैं .तमाम प्रोफेसर्स नाम- चीन आई आई टी के साइकिल से ही आतें हैं यहाँपद प्रतिष्ठा पीड़ित कोई नहीं है इनमे स्वाभिमान और ज्ञान की खान हैं ये लोग .डीज़ल चालित ,जीवाश्म ईंधन चालित वाहन चलाना इस स्वच्छ परिसर में प्रति बंधित हैं अपने नेवी पुत्र के अन्य साथी जिनमे से कुछ फौज के कर्नल भी थे अपनी ठसक में कार से ही आते जाते थे .
दिक्कत यह है हमारे यहाँ अभी भी कार (और अब तो लग्ज़री कारें )पद प्रतिष्ठा का प्रतीक हैं ।साइकिल को कोंग्रेस के आम आदमी का वाहन समझा जाता है .यहाँ तो केटिलक्लास कहने वालों का डेरा है कोंग्रेस में .
साइकिल पर्यावरण मित्र वाहन है ,हार्ट -फ्रेंडली है .इस पर बैठो और गाओ -दिल मेरा एक आस का पंछी ,उड़ता है नीले गगन पर ....
Vishvavidhyala se jude rahne tak ,maine bhi cycle ko hi variyata di hai. Ab bhi yathasanbhav paidal par hi jor jyada rahta hai. Mere vichar se college/university campuses mein atleast students ke liye cycle ko preference dene ki koi scheme honi chahiye, kyonki anavashyak dikhave ki 'Dhoom' yahi pidhi jyada machati hai.
जवाब देंहटाएंनहीं जी, हिन्दुस्तान में एल ई डी उपलब्ध है, मैंने अपने नए घर (बंगलोर)में एल ई डी बल्ब लगवाए है. एवर रेडी के किसी डीलर से बात कर के देखें.
जवाब देंहटाएंआशीष भाई, पता करता हूं। घर में कुछ बल्ब लगने हैं। इस बार शुरूआत एलईडी से...
जवाब देंहटाएंआज ही साईकिल पौंछ पांछ कर निकलता हूँ...कई दिन से निकली नहीं...:)
जवाब देंहटाएंअरे भाई हम तो बाइक अभी अभी ख़रीदे हैं इससे पहले तो साईकिल ही शान की सवारी थी| अभी भी साईकिल ही विश्वसनीय लगता है बाज़ारों में
जवाब देंहटाएंSahi kaha aapney Zakir Sahab,Bharat mey to har bewakoofi aaya aur dhan se jod dee jati hai/Logo ko China se environment Conservation aur free trafic ke saath saath health ke liye jaroori cycle use key barey me seekhna hoga/aap mere blog par padharey,hardik dhanyavad,sneh
जवाब देंहटाएंaapka hi
dr.bhoopendra
rewa
पूरी तरह इत्तेफ़ाक रखते हैं जी।
जवाब देंहटाएंकोई चाहे साइकिल से पूरी दुनिया नाप ले,पर खासकर बड़े शहरों में यह ग़रीबी का ही प्रतीक है। शारीरिक श्रम घटते जाने का सबसे प्रतिकूल परिणाम भी हम शहरों में ही देख रहे हैं।
जवाब देंहटाएंसाइकिल पर भविष्य में कोई भी आलेख बिहार का उल्लेख किए बिना अधूरा होगा। नीतीश कुमार ने सभी लड़कियों को(अब शायद लड़कों को भी) साइकिल देकर वहां जो साइकिल क्रांति की है,वह देखने लायक है। छोटे-बड़े किसी भी शहर में जाइए;लड़कियां ही सड़कों पर ज़्यादा दिखेंगी। साइकिल ने उन्हें घर से बाहर निकलने में तो मदद की ही है,उनमें आत्मविश्वास भी भरा है।
sahi kaha rahe hain aaj chhote chhote bachche bhi bike chalana hi pasand karte hain aur is tarah swayam aur desh dono ki sehat ko chuna laga rahe hain.
जवाब देंहटाएंज़ाकिर जी, साईकिल चलाना अपना स्वास्थ और वातावरण दोनों के लिए फायदे मंद है ...जब तक चलाता था स्वास्थ ठीक था .. जब से छोड दिया है ... पेट निकल गया है ...
जवाब देंहटाएंबहुत सी बातें कहना चाहता हूँ ज़ाकिर भाई. इस बात में कोई दो राय नहीं कि साईकिल चलाना सेहत और पर्यावरण दोनों के लिए फायदेमंद है.
जवाब देंहटाएंपर जैसे कि मैं अगर अपना स्कूटर हफ्ते भर न चलाऊ तो उसकी बैटरी डाउन हो जाती है. ऐसा २-३ बार हो चुका है.
अब साइकिल खरीदने के लिए फिर से ३-४ हज़ार का खर्चा करो. आज कल लड़की को impress करना हो या बॉस को, आप नहीं आपकी सवारी देखी जाती है.
वैसे मैंने सुना था की पानी से चलने वाली motorcycles बनाई जा रही हैं, जो कि १०% तेल में काम कर सकती हैं.
वैसे साइकिल घर पर हो तो आदमी देर सवेर इस्तेमाल कर ही लेगा उसको. मेरे पास तो साइकिल है ही नहीं.
पहले घर छोटा था, उसके रखने कि जगह नहीं थी. अब कार ले ली, रखने की जगह तो उसकी भी नहीं, मगर.... खैर देखता हूँ, कब खरीदूंगा साइकिल...
सैल जी, तो फिर से शुरू कर दीजिए न।
जवाब देंहटाएंयोगेश भाई, स्कूटर अगर हफ्ते में पांच दिन चलाएंगे, तब तो बैटरी डिस्चार्ज नहीं होगा?
जवाब देंहटाएंबॉस और गर्लफ्रेन्ड के अलावा भी बहुत सी जगहें होती हैं, जहां साइकिल से जाया जा सकता है।
मैंने साइकिल के लिए 2900 खर्च किए हैं। वैसे साधारण साइकिल 2500 तक भी मिल जाएगी।
साईकिल चलाने में मुझे बहुत अच्छा लगता है और स्वास्थ के लिए भी लाभदायक है! बहुत ही बढ़िया, शानदार और प्रेरणादायक आलेख ! बेहतरीन प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंअगर थोड़ी दूर जाना होता है तो मैं भी साईकिल का इस्तेमाल कर लेता हूँ.
जवाब देंहटाएंलेखा बहुत अच्छा लगा ....पर इस पर कितने लोग अमल करेगे ये नहीं जानते
जवाब देंहटाएंहम किसी को क्या कहें....हमें अपना ही नहीं पता रहता ...पढने को तो सब पढ़ते है
पर पढ़ कर उसे अमल करना ..ये विषय अलग है
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चलिए कोशिश करूँगा साइकिल लेने की :)
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही लिखा है रजनीश भाई.....
जवाब देंहटाएंसाईक्लिंग .....खर्च भी बहुत कम और शरीर की वर्जिश बोनस में ..
Very commendable move. I will do the same very soon. My father is now 70 years of his age. He has been cycling constantly since 45 years. He is fit and active in 70 of his age. I think the great credit goes to his cycling habit.
जवाब देंहटाएंManish Mohan Gore
जाकिर जी,
जवाब देंहटाएंIIT में तो कोई भी मोटर वाहन रखना ही मना है, और कौन कहता है कि साईकिल शान की सवारी नहीं है? कभी यहाँ आकर देखिये मोटर-साईकिल शर्मा जायेगी ऐसी ऐसी साईकिल हैं लोगों के पास|
मेरी साईकिल तो खैर सस्ती ही है 4000/- की पर लोगों के पास 12000-18000 तक की साईकिल हैं|
और सिर्फ रखने के काम नहीं आतीं प्रतिदिन प्रयोग में लाते हैं लोग :)
में भी कभी से सोच रहा हु साइकल चलाऊ इस से बहुत से फायदे हे ।प्रयावरण को भी नुकसान नही सेहत भी अच्छी जेब में भी बचत।
जवाब देंहटाएंमें कल ही साइकिल खरीद लाता हु ।
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