‘देशभक्ति का अर्थ अपने पुरखों की भूमि की रक्षा करना नहीं अपितु अपनी संतानों के लिए भूमि संरक्षण है।’ -होमे आर्तिगा ई-गामेत(स्पेनी दा...
‘देशभक्ति का अर्थ अपने पुरखों की भूमि की रक्षा करना नहीं अपितु अपनी संतानों के लिए भूमि संरक्षण है।’ -होमे आर्तिगा ई-गामेत(स्पेनी दार्शनिक)
भारत विश्व का इकलौता राष्ट्र है, जहां धरती के साथ 'मां' का सम्बोधन उपयोग में लाया जाता है। माटी के साथ भारतवासियों का लगाव इससे भी पता चलता है कि यहां के मुहावरों तक में यह रची बसी है। माटी के लाल, मिट्टी के माधौ, मिट्टी में मिल जाना, माटी के मोल बिकना, मिट्टी खराब करना जैसे अनेकानेक मुहावरे हैं, जो सीधे-सीधे माटी से जुडे हुए हैं।
लेकिन जैसे-जैसे समय बदल रहा है, वैसे-वैसे मनुष्य की सोच में बदलाव आ रहा है और वैसे-वैसे उसकी जरूरतें भी बढती जा रही हैं। और इसका खामियाजा अगर किसी को सबसे ज्यादा भुगतना पडा है, तो वह है हमारी धरती। चाहे रासायनिक खादों का बढता उपयोग हो चाहे भूमि प्रदूषण का दबाव, सच यही है कि दिनों दिन हमारे खेत खलिहान बंजर होते जा रहे हैं। जाहिर सी बात है यह सब चिंता का विषय है। यही कारण है कि भूमि संरक्षण आज का महत्वपूर्ण मुददा बनता जा रहा है।
लेकिन जैसे-जैसे समय बदल रहा है, वैसे-वैसे मनुष्य की सोच में बदलाव आ रहा है और वैसे-वैसे उसकी जरूरतें भी बढती जा रही हैं। और इसका खामियाजा अगर किसी को सबसे ज्यादा भुगतना पडा है, तो वह है हमारी धरती। चाहे रासायनिक खादों का बढता उपयोग हो चाहे भूमि प्रदूषण का दबाव, सच यही है कि दिनों दिन हमारे खेत खलिहान बंजर होते जा रहे हैं। जाहिर सी बात है यह सब चिंता का विषय है। यही कारण है कि भूमि संरक्षण आज का महत्वपूर्ण मुददा बनता जा रहा है।

डॉ0 दिनेश मणि पिछले दो दशकों से अधिक से विज्ञान लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हैं और उनकी विविध वैज्ञानिक विषयों पर हिन्दी में 28 एवं अंग्रेजी में 6 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। श्री मणि विज्ञान पत्रिका ‘विज्ञान’ (मासिक) के सम्पादन से जुड़े रहे हैं और विज्ञान लेखन के लिए अनेक संस्थाओं से पुरस्कृत एवं सम्मानित हो चुके हैं।
यह पुस्तक आईसेक्ट द्वारा मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद की ‘अनुसृजन परियोजना’ के अन्तर्गत निर्मित है, जिसमें कुल 09 अध्याय हैं:- 1-भूमि: एक परिचय, 2-भूमि की उत्पत्ति, निर्माण एवं विकास, 3-मृदा सर्वेक्षण एवं मृदा क्षमता/उपयोगिता वर्गीकरण, 4-मृदा उर्वरता एवं इसके कारक, 5-भूमि/मृदा क्षरण या अपरदन, 6-भूमि प्रदूषण, 7-भूमि प्रदूषण नियंत्रण एवं प्रबंधन, 8-भूमि संरक्षण की विभिन्न विधियां, 9-उपसंहार।
‘अनुसृजन परियोजना’ के अन्तर्गत आईसेक्ट द्वारा कुल 13 पुस्तकें (भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम, प्राचीन भारत में वैज्ञानिक चिंतन, इलेक्ट्रानिक आधारित सामरिक सुरक्षा तकनीक, घर-घर में विज्ञान, भौतिकी की विकास यात्रा, नैनोटैक्नोलॉजी, जल संरक्षण, दूरसंचार, खनिज और मानव, वैकल्पिक ऊर्जा के स्त्रोत, खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण: दशा एवं दिशा तथा जैव विविधता संरक्षण) प्रकाशित हुई हैं।
पुस्तक: भूमि संरक्षण
लेखक: डॉ0 दिनेश मणि
श्रृंखला संपादक: संतोष चौबे
प्रकाशक: आईसेक्ट, स्कोप कैम्पस, एन0एच0-12, होशंगाबाद रोड, भोपाल-26, फोन-0755-2499657, 3293214, ईमेल-aisect_bpl@sancharnet.in
मूल्य: 80 रूपये
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