सम्पादक संतोष चौबे जी स्वागत करते हुए कल की चिन्ता् हर किसी को होती है, फिर चाहे वह आम आदमी हो अथवा वैज्ञानिक। फर्क सिर्फ इतना होता ...
![]() |
सम्पादक संतोष चौबे जी स्वागत करते हुए |
![]() |
डॉ0 मनोज पटैरिया आधार वक्तव्य देते हुए |
दूसरी ओर पत्रकारों के सामने भी यही समस्या है। क्योंकि विज्ञान पत्रकार को वह वेटेज नहीं मिलता है, जो वेटेज राजनीति अथवा फिल्म के पत्रकारों को दिया जाता है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि विज्ञान पत्रकार पाठकों को नैनो टेक्नालॉजी के बारे में बता रहा है, तो उसे चाहिए कि वह उसके संभावित खतरों को भी रेखांकित करे।
![]() |
बाएं से सर्वश्री जीशान हैदर जैदी, रवि रतलामी, जाकिर अली रजनीश, मनीष मोहन गोरे, शुकदेव प्रसाद |
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्व विद्यालय के क्षेत्रीय निदेशक डॉ0 के0एस0 तिवारी ने पुष्पेंन्द्र पाल की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि यह दुर्भाग्य का विषय है कि आज का युवा रिसर्च का काम सिर्फ डिग्री के लिए करता है। यही कारण है कि हमारे यहां होने वाले सिर्फ 10 प्रतिशत शोध काम के होते हैं। उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि हर रिसर्च संस्थान में एक सेल ऐसा होना चाहिए जो सरल भाषा में अपनी खोजों को जनता तक लेकर जाए। इस अवसर पर क्षेत्रीय विज्ञान केन्द्र , भोपाल के समन्वयक श्री प्रबल राय, म0प्र0 निजी विश्वमविद्यालय विनिमायक आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर अखिलेश पाण्डेय ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ0 सी0वी0 रमन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ0 ए0एस0 झाड़गांवकर ने की।
कार्यक्रम के दौरान ‘इलेक्ट्रानिकी आपके लिए’ के 200वें अंक का लोकार्पण भी किया गया। यह अंक ‘भविष्य की दुनिया’ पर केन्द्रित है। इस अवसर पत्रिका के सम्पादक संतोष चौबे ने पत्रिका के 23 साल के सफर को श्रोताओं के समक्ष रखा।
![]() |
स्वागत क्रम में डा0 अरविंद मिश्र |
भोजन के बाद के द्वितीय सत्र में ‘भविष्य की दुनिया’ विषय पर परिचर्चा आयोजित की गयी। परिचर्चा में आमंत्रित लेखकों एवं विद्यार्थियों ने भाग लिया। इस अवसर पर डॉ0 पी0के0 मुखर्जी ने मानव के सामने मुंह बाए खडी चुनौतियों की चर्चा की। डॉ0 के0के0 सुगंधी ने भविष्य में होने वाले सामाजिक एवं पर्यावरणीय बदलावों के प्रति आगाह रहने की अलख जगायी। जीशान हैदर जैदी ने कहा कि मनुष्य ने आज तक जितने भी आविष्कार किये हैं, उनकी प्रेरणा हमें प्रकृति से मिली है। इसलिए हमें प्रकृति की भाषा को समझने की आवश्यकता है। डॉ0 अरविंद मिश्र ने आज के वैज्ञानिकों द्वारा बनाई जा रही युद्ध प्रणालियों के संदर्भ में कहा कि कहीं यह प्रकृति का कोई षणयंत्र तो नहीं, जो वह हमें नष्ट करने के लिए उसकी भूमिका बना रही हो।
आभाष मुखर्जी ने कहा कि यह प्रकृति से दूर जाने का ही परिणाम है कि आज 15 साल की उम्र में बच्चों को हायपरटेंशन और डायबिटीज हो रहे हैं। मनीष मोहन गोरे ने मनुष्य के स्वार्थ को निशाना बनाते हुए कहा कि यह हमारी मूर्खता है, जो हम प्रकृति के व्याेकरण को गड़बड़ा रहे हैं। यदि हमने प्रकृति के साथ इसी तरह छेड़छाड़ जारी रखी, तो आने वाले दिनों में हमें इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। संतोष चौबे ने कहा कि मनुष्या में एक प्रकार की अंतश्चेूतना पाई जाती है, जो उसे अच्छे-बुरे के बीच भेद करती है। हमें विश्वास है कि यह चेतना ही उसे अंतत: नष्ट होने से बचाएगी।
![]() |
परिचर्चा कक्ष का विहंगम दृदय |
परिचर्चा की अध्यक्षता डॉ0 ए0एस0 झांड़गांवकर ने की। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य का विषय है कि आज मनुष्य मशीनी बनता जा रहा है और मशीन में मानवीयता रोपने की तैयारियां हो रही हैं। यदि यह प्रवृत्ति बढ़ती गयी, तो मानवता को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
परिचर्चा के समापन पर ‘इलेक्ट्रानिकी आपके लिए’ की सह सम्पादिका विनीता चौबे ने आभार प्रदर्शन किया। उन्होंने संस्थान द्वारा प्रकाशित विज्ञान विषयक पुस्तकों का एक सेट भी सभी अतिथियों को भेंट किया।
अगर आपको 'तस्लीम' का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ। |
---|
बहुत बढ़िया रिपोर्टिंग ज़ाकिर भाई। मैं चाहकर भी इस कार्यक्रम में न आ सका क्योंकि मुझे आपने कार्यस्थल में जाना आवश्यक था।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रिपोर्टिंग ....
जवाब देंहटाएंबढ़िया रिपोर्टिंग ..सभी सम्मानित महानुभावों को बधाई.
जवाब देंहटाएंबढ़िया रिपोर्टिंग ! वहां कुछ नाम अपनी पहचान के भी दिखे ! पहले से पता होता तो आपकी मार्फ़त दुआ सलाम कर लेते !
जवाब देंहटाएंअरविन्द जी की फोटो नहीं डाली ?
फोटो में सबके नाम डाले जाते तो अपनी एक आध उत्कंठा मिट जाती :)
फोटो लीजेंड्स न दिया जाना उचित नहीं है ,बाकी रिपोर्ट ठीक है !
जवाब देंहटाएंबढ़िया रिपोर्ट। हम भोपाली हैं मगर इस मौके पर भोपाल से बाहर थे। वर्ना आप सब महानुभावों से मिलने का मौका न चूकते।
जवाब देंहटाएंअरे वाह! बहुत बेहतरीन रहा यह आयोजन.... बहुत-बहुत शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंबढ़िया रिपोर्ट!
जवाब देंहटाएंgood infor...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा !
जवाब देंहटाएंकार्यक्रम का रिपोर्ताज पढ़कर अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंकार्यक्रम में सम्मानित किए गए सभी साथियों को बधाई।
जवाब देंहटाएंविस्तृत विवरण के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंAlee ji, AISECT dwara jo photo uplabdh karaye gaye the, unhi ka upyoh ho paya tha.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रिपोर्ट | नाम में कुछ नहीं रखा | नाम की चिंता ना करें | काम अच्छे करते चलें इतिहास देश-काल में से अपने-आप सुयोग्य नाम पिक कर लेता है |
जवाब देंहटाएंजाकिर भाई और आईसेक्ट समारोह में पहुंचे सभी सहभागी लेखकों, प्रतिभागियों को शुभकामनाएं |
मनीष मोहन गोरे
भविष्य की दुनिया, आशा है कुछ सुंदर दिखी होगी.
जवाब देंहटाएंज़ाकिर भाई! सुंदर प्रस्तुति। अच्छा आयोजन है। भले ही अपना देश 8-9% की दर से तरक्की कर रहा हो,लेकिन दकियानूसी तमाम नए रूपों में अब भी कायम है: मोहल्ले से मॉल तक। धर्म की विकृत एवँ रुग्ण परछाइयाँ इसके लिए जिम्मेवार हैं। आप लोग इस दिशा में पहल करिए...
जवाब देंहटाएंबढ़िया रिपोर्ट !
जवाब देंहटाएं