चमत्कार, जादू-टोना, भूत, प्रेत, चुड़ैल आदि को लेकर अब्राहम थॉमस कोवूर की खोजें ऑंखें खोलने वाली हैं। उन्होंने ऐसे लोगों के सामने तमाम च...
चमत्कार, जादू-टोना, भूत, प्रेत, चुड़ैल आदि को लेकर अब्राहम थॉमस कोवूर की खोजें ऑंखें खोलने वाली हैं। उन्होंने ऐसे लोगों के सामने तमाम चुनौतियों को रखा। क्या किसी ने उन्हें स्वीकारने का साहस किया?, और क्या उसमें से कोई कामयाब हुआ? पढि़ए इस कड़ी में।

1969 मं डा0 नजीम, जो बटवाला का रहने वाला था और अपने आप को आध्यात्मवादी होने का दावा करता था, ने मुझे निम्नलिखित पत्र लिखा:
प्रेत आत्माओं को सिद्ध करने के लिए मैं आत्माओं को प्रकाश के दिनों के बिना, किसी भी दिन सूर्य छिपने के बाद और निकलने के पहले प्रकट कर सकता हूँ। यह चुनोती केवल आपकी विवेकशील संस्था के सदस्यों के लिए ही है, साधारण जनता के लिए नहीं। आपमें से एक आदमी, कमरे की सारी रोशनियों को बंद करके, एक मोमबत्ती या लैंप जला देगा और कमरे को ताला लगा कर बाहर आ जाएगा। सभी उपस्थित व्यक्ति और मैं ताले वाले कमरे से बाहर रहेंगे। पांच मिनट के बाद मोमबत्ती या लैंप बुझ जाएगा। दस मिनट के बाद मोमबत्ती या लैंप अपने आप जल जाएगा तथा दरवाजे का ताला खुल जाएगा। यदि आपको इसमें दिलचस्पी है, तो मुझे तीन सप्ताह पहले लिखना।
मैंने डा0 नजीम को रजिस्टर्ड पत्र से 12 नवम्बर 1969 को मेरी कोठी में आकर जजों व पत्रकारों के सामने अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने का निमंत्रण दिया। उसने मेरा निमंत्रण स्वीकार कर लिया। लेकिन वह अपनी बातों को प्रमाणित करने के लिए नहीं पहुंचा।
मेरी चुनौती स्वीकार करने वाला एक व्यक्ति वाटवाल का एक डॉक्टर था, जिसका दावा था कि आत्माएं अवश्य होती हैं। उसने पत्र व्यवहार से यह दावा किया कि वह मेरे घर में शनिवार शाम 7 से 9 बजे के दौरान आत्माओं को प्रकट करेगा। हम लोग उस प्रदर्शन को देखने के लिए उत्सुकतापूर्वक उसका इंतजार करते रहे, पर हमारा इंतजार अधूरा ही रहा।
जनवरी 1969 में वीकैंडर टाइम्स में पहले पेज पर मुझे एक गुप्त चुनौती दी गयी, जिसमें लिखा था कि वह मुझे परमात्मा की शक्ति व अन्य अदृश्य शक्तियों को दिखाने के लिए तैयार है, यदि मैं कैलानिया बौद्ध मंदिर आऊं। मैंने उसको उत्तर दिया कि मैं उसकी चुनौती स्वीकार करने के लिए तैयार हूँ, यदि वे अपना परिचय बता दें। बिना अपना नाम बताए और मंदिर के अधिकारियों से आज्ञा लिए ही उसने वीकैंडर टाइम्स के माध्यम से ही परमात्मा के नाम से घोषणा की कि 3 मार्च को प्रात: 08 बजे वह कैलानिया के मकराथोराना मन्दिर में पहुंच जाएगा।
चुनौती देने वाले को देखने के लिए मंदिर में बहुत भीड़ जमा हो गई, क्योंकि वह ईश्वर के नाम पर ईश्वर की अद़श्य शक्तियों का प्रदर्शन करने आ रहा था। परंतु वह निश्चित स्थान पर नहीं पहुंचा। बाद में पड़ताल करने पर पता चला कि वह यूरोप का एक फिल्म निर्माता था, जो नशीली दवाएं खाने के कारण रोगी बन गया था।
ऐबीकोलावेवा के एक व्यक्ति राणा वाका ने सिलूमिना के माध्यम से यह दावा किया कि उसके लड़के की फोटो कई फोटोग्राफरों ने खींची है, लेकिन हर तस्वीर में एक ओर तलवार एवं दूसरी ओर सांप का चित्र होता है।
मैंने उसी समाचार पत्र के माध्यम से उसको बच्चे के साथ कोलम्बो आने का निमंत्रण दिया। यद्यपि मैंने उसको दोनों का खर्च देने का वादा किया था, लेकिन उसकी ओर से कोई उत्तर नहीं आया। अंत में लंका के विवेकशीलों की संस्था के दो सदस्यों के साथ बच्चे की फोटो लेने गए। परंतु जब वे वहां पहुंचे तो उन्हें बच्चे को देखने भी नहीं दिया गया। पड़ोसियों ने बताया कि राणावाका का यह पाखण्ड ता ताकि लोग उसके घर भेंट चढ़ानी शुरू कर दें।
यद्यपि बहुत से लोगों ने मेरी चुनौती के विरूद्ध और हक में समाचार पत्र के माध्यम से पत्र लिखे, परंतु कोई भी मेरी चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए नहीं आया। तमिल के एक समाचार पत्र थिनकरण वरमनजारी में तमिलनाडु के एक भगवान बाबा नीलकांडा के बारे में एक रचना छापी, जो उसके एक स्थानीय भक्त ने लिखी थी। यह तथाकथित भगवान, जिसको परमात्मा का अवतार कहा जाता था, भारत के भगवान सत्य श्री साईं बाबा की तरह बहुत से चमत्कार करने का दावा करता था।
एक बार एक स्वामी ने एक भजन मण्डली में और बाद में एक प्रेस वार्ता में कहा कि कोवूर एक अवतार है, जो सत्य की खोज कर रहा है। इस आदमी ने ऐसा गलत प्रचार भारत में सिर्फ ऐसे नौजवानों की बढ़ती हुई संख्या के कारण किया होता, जो कल्पनाओं पर आधारित धार्मिक विश्वासों से ज्यादा तर्कशीलता में विश्वास करने लगे हैं।
इस बेहूदा प्रचार का परिणाम यह हुआ कि बहुत सारे लोग मेरी कोठी में मेरे दर्शन करने एवं आशीर्वाद प्राप्त करने आने लगे। इस मूर्ख स्वामी शांतानंद द्वारा पहुंचाए गये इस नुकसान के प्रभाव को समाप्त करने के लिए मुझे इसका समाचार पत्र के माध्यम से खण्डन करना पड़ा। यदि मैं भी साई बाबा, नीलकांडा और पादरी मलाई स्वामीनल की तरह धोखेबाज होता, तो सहस्त्रों अनुयायी लोगों ने मेरा अनुकरण करना था और यह मेरे लिए सुनहरा अवसर था धनवान बनने का।
यद्यपि मेरी चुनोतियों में से बहुतों को किसी ने भी स्वीकार नहीं किया, फिरभी मुझे हर्ष है कि इन चुनोतियों ने, (जो मेरी म़ृत्यु तक खुली रहेंगी) अनेक बुद्धिजीवियों को इस बात का अहसास कराया है कि इस ब्रह्माण्ड में कोई भी अलौकिक शक्ति नहीं है। जो कुछ भी होता है, वह सब प्राकृतिक है। कोई भी चमत्कार नहीं है, परंतु कुछ रहस्य हैं। हमारे पूर्वजों के बहुत से रहस्य हमने हल कर लिए हैं, और आज के बहुत से रहस्य कल के वैज्ञानिक हल कर देंगे। उस समय तक हल न होने वाले रहस्यों को चमत्कार कहना मूर्खता ही है। - अब्राहम टी0 कोवूर
'और देवपुरूष हार गये' पुस्तक से साभार।
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अब्राहम थॉमस कोवूर श्रीलंका के प्रख्यात विज्ञानवेत्ता और विश्व के प्रमुख रेशनलिस्ट के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने अंधविश्वास को मिटाने के लिए अथक प्रयास किये। उनका कहना था कि जो व्यक्ति चमत्कारी शक्तियों का दावा करते हैं, केवल पाखंडी या दिमागी तौर पर पागल व्यक्ति हैं। उनके जीवन की कुछ प्रमुख घटनाओं को आप यहॉं क्लिक करके पढ़ सकते हैं।keywords: bhoot sadhana, bhoot sadhana vidhi, bhoot sadhana mantra, bhoot sadhana in hindi, bhoot pret sadhana, bhoot pret sadhana in hindi, bhoot vashikaran sadhana, bhoot ki sadhana, bhoot pret pishach sadhana, bhoot pret sadhana, bhoot pret sadhana in hindi, bhoot pret sadhna in hindi, bhoot pret sachi kahaniyan, bhoot pret ki sachi kahani in hindi, bhoot pret ki sachi kahani, bhoot pret ki sachi kahaniyan, bhoot pret ki sachi ghatna,
6/10
जवाब देंहटाएंजागरूक करती सार्थक प्रस्तुति
जनाब कोवूर साहब का अधिक महिमा मंडन न करें अन्यथा लोग बापू आशाराम और साई बाबा के बगल में कोवूर बाबा की भी फोटो सजा लेंगे :)
उस्ताद जी फोटो लगाने वाले उन्हें पहले भी अवतार घोषित कर चुके हैं, जिसका वर्णन इस पोस्ट में किया भी गया है।
जवाब देंहटाएंहमारा मकसद है सच को सामने लाना, सो अपना काम कर रहा हूँ।
कुछ सोचने पर मजबूर करती है ये कहानी। आपका प्रयास सफल हो य्तही कामना है।
जवाब देंहटाएंवाह जी वाह!
जवाब देंहटाएंहमारे पूर्वजों के बहुत से रहस्य हमने हल कर लिए हैं, और आज के बहुत से रहस्य कल के वैज्ञानिक हल कर देंगे।
जवाब देंहटाएं...
और इन्ही आज के रहस्यों को चमत्कार कहा जाता है। यानी जो चीज आजतक हल नहीं हुई, वो चमत्कार है।
तभी तो हर कोई इन्ही रहस्यों के बारे में कहता है कि कुछ तो है।
अच्छी जानकारी देती पोस्ट ...जब तक अप्रत्याशित घटनाओं का पता नहीं चलता चमत्कार ही लगता है ...जैसे जैसे विज्ञान द्वारा खोज होगी वैसे वैसे लोगों के भ्रम अपने आप खत्म होंगे ..
जवाब देंहटाएंज्ञानवर्धक आलेख। आभार इस प्रस्तुति के लिए।
जवाब देंहटाएंडॉ. कोवूर का यह कथन बिल्कुल सही है-
जवाब देंहटाएं‘जो कुछ भी होता है, वह सब प्राकृतिक है। कोई भी चमत्कार नहीं है, परंतु कुछ रहस्य हैं। हमारे पूर्वजों के बहुत से रहस्य हमने हल कर लिए हैं, और आज के बहुत से रहस्य कल के वैज्ञानिक हल कर देंगे।‘
प्रकृति की घटनाएं कार्य-कारण संबंध पर आधारित होती हैं। यदि काई घटना घटित होती है तो उसका अवश्य कोई कारण होता है। चमत्कार जैसी कोई चीज़ नहीं होती।
कोवूर जी का निधन हो चुका है।
भारत में भी ऐसे ही एक कोवूर की आवश्यकता है।
भारत में अन्धविश्वास गली गली नुक्कड़ नुक्कड़ बसा है वहा दावे करने वाले कम है पर मन ही मन इससे जकडे हुए ज्याद है ज्यादा जरुरी इन लोगों के मन से इस तरह के अन्धविश्वास निकलना है जो काफी मुश्किल काम है |
जवाब देंहटाएंअजी जिस देश मै मुर्तियां दुध पीती हो, ओर उसे पिलाने वाले पढे लिखे हो, ओर साई जेसोको लोग भगवान मानते हो वहां आप की बात कितने लोग सुनेगे,
जवाब देंहटाएंsarahniya paryas.............kash ham samajh payen...
जवाब देंहटाएंसंत कोवूर की जय हो !
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंAap sacche man se bina kisi nirnay ke bhoot ko khojo to mil jayega.
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