Love Problems Solution in Hindi
यूँ तो यह एक सामान्य सी प्रेम कहानी थी, जो कॉलेज में पढ़ने वाली प्रेमा और उसके अध्यापक सालगाडो के बीच चली। प्रेमा एक शर्मीली लड़की थी, पर वह सालगाडो के बातों में कुछ ऐसी आई कि उसकी दुनिया ही बदल गयी।

शादी के बाद प्रेमा की जिंदगी ही बदल गयी। पढ़ाई-लिखाई भूलकर वह घर को सजाने-संवारने में लग गई। और देखते ही देखते तीन साल कब बीत गये, पता ही नहीं चला। पर तीन साल बीतते-बीतते प्रेमा के पिता परेरा के माथे पर चिंता की रेखाएँ खिंच आईं। कारण वे अब तक नाना नहीं बन सके थे।
कई ईष्ट-मित्रों से बातचीत के बाद परेरा इस नतीजे पर पहुँचे कि किसी ओझा की सेवाएँ ली जाएँ। राह सूझते ही मंजिल मिल गयी। घर आई महिला ओझा ने बताया कि किसी रिश्तेदार ने भारी टोटका करवाया है, इसलिए प्रेमा माँ नहीं बन पा रही। टोटको को काटने के लिए एक अनुष्ठान करना पड़ेगा।
मरता क्या न करता? परेरा की सहमति के बाद अनुष्ठान शुरू हुआ। काफी टीम-टाबड़ा करने के बाद ओझा ने परेरा के आँगन से खोदकर एक बड़ा सा टोटका निकाल कर दिखाया, जिसमें बालों का गुच्छा, तांबे का सिक्का और कई प्रकार की हड्डियाँ भरे हुए थे।
ओझा को मनमानी फीस देने के बाद परेरा संतुष्ट हुए कि चलो अब वे अपनी गोद में नाती को खिला सकेंगे। पर बात फिरभी नहीं बनी। दोस्तों के कहने पर परेरा किसी दूसरे ओझा से प्यार का एक शक्तिशाली तावीज भी लेकर आए, जिसके असर से प्रेमा समस्या समाप्त होने वाली थी।
पर अफसोस, कि उम्मीदें फिरभी परवान न चढ़ीं। थक-हार कर प्रेमा की मौसी ने उसे एक स्त्री रोग विशेषज्ञ को दिखाने का फैसला लिया। यह सुनकर प्रेमा बिखर पड़ी- 'डॉक्टर क्या करेगी मौसी, जब पति मेरे पास तक नहीं आता।'
प्रेमा की बातें सुनकर उसकी मौसी स्तब्ध रह गई। प्रेमा खूबसूरत थी, जवान थी और किसी भी युवा को पागल कर देने में पूर्णत: सक्षम थी। बावजूद उसके उससे उसका पति दूर रहता था। आखिर क्यों?
उसी समय परेरा की मुलाकात एक युवक से हो गई, जिसने अब्राहम टी कोवूर से मिलने की सलाह दी। परेरा को उम्मीद की किरण नजर आई और उसने कोवूर से जाकर अपनी सारी समस्या कह दी। कोवूर ने सबसे पहले पति सालगाडो का इतिहास पता किया।
सालगाडो का पिता एक धनवान वकील था। सलगाडो के जन्म के दो साल के बाद ही उसके पिता की मृत्यु हो गई। माँ ने अपने बेटे को बहुत लाड-प्यार से पाला। वह अपने बेटे से इतना प्यार करती थी कि उसने अपने बच्चों को नौकरों और पड़ोसी बच्चों से भी दूर रखा। माँ अपने बच्चे से इतना प्यार करती थी कि वह सालगाडो के साथ उसके स्कूल जाती और स्कूल समाप्त होने के बाद उसे साथ लेकर आती।
सालगाडो अपनी माँ के प्यार में ऐसा पगा कि उसका बाहरी दुनिया से सम्पर्क ही न हो सका। वह माँ के हाथ से खाता, माँ के हाथ से पीता और यहाँ तक कि माँ के साथ एक ही बिस्तर पर सोता। और जब कभी वह अपनी माँ से दूर चला जाता, उसे घर की बहुत याद सताती। माँ से दूर रहकर उसके लिए एक-एक पल काटना दूभर हो जाता। न उसे दिन में चैन पड़ता और न ही रात को नींद आती।
इसीलिए सालगाडो ने बी ए करने के बाद अपने ही स्कूल में नौकरी कर ली। लेकिन इसी दौरान उसकी माँ का निधन हो गया। माँ के देहान्त के बाद सालगाडो बहुत उदास हो गया। उसे सारी दुनिया उदास और रूचिहीन लगने लगी। माँ के वियोग के कारण सालगाडो का दु:ख इतना बढ़ गया कि उसने एक बार आत्महत्या करने की भी ठानी।
उसी दौरान सालगाडो के जीवन में प्रेमा का आगमन हुआ। प्रेमा को देखने के बाद सालगाडो अवाक रह गया। कारण प्रेमा की शक्ल उसकी माँ से बहुत कुछ मिलती थी। यही कारण था कि सालगाडो प्रेमा को मुफ्त में ट्यूशन पढ़ाने लगा। लेकिन जब उसके पिता ने प्रेमा का ट्यूशन बंद करवा दिया, तो वह सालगाडो पागल सा हो गया और इसी पागलपन में उसने प्रेमा से शादी का ऑफर उसके पिता के सामने रख दिया।
सालगाडो का विश्लेषण करने के बाद कोवूर ने प्रेमा को सारी स्थितियाँ बता दीं। उसने कहा कि तुम्हारा पति एक मानसिक रोगी है। उसे यह रोग उसकी मूर्ख माँ की अज्ञानता के कारण लगा है। इसीलिए वह तुम्हें भी अपनी माँ के रूप में चाहता है, पत्नि के रूप में नहीं। कोवूर ने उसे ऐसे ही एक अन्य केस के बारे में बताया, जिसमें एक विधवा माँ का बेटा एक खूबसूरत लड़की से शादी करने के बाद भी अपनी माँ के साथ सोता था। वह लड़की उस दु:ख को सहन नहीं कर पाई और पागल हो गयी।
'कोवूर साहब, मेरे पति की मानसिक बीमारी कैसे ठीक हो सकती है?' प्रेम ने कोवूर की ओर उम्मीद भरी नजरों से देखा। कोवूर ने प्रेमा को जीवन के सत्य से परिचित कराते हुए कहा- 'तुमने अपने जीवन के इतनी कीमती साल सिर्फ इस इंतजार में बर्बाद कर दिये कि शारीरिक सम्बंध बनाने के लिए तुम्हारा पति तुम्हारी ओर कदम बढ़ाएगा। अब तुम्हें वह झिझक तोड़नी है, तुम्हें खुद पहल करनी है। अगर तुम अपने पति की यौन भावनाओं को जगा ले जाओगी, तभी तुम अपने पति की बीमारी को दूर भगा पाओगी।'
उस घटना के बाद कोवूर एक साल जब बाद जब प्रेमा से मिले, तो उसकी गोद में एक छोटा सा बच्चा था। जैसे ही कोवूर ने बच्चे को अपनी गोद में लिया, प्रेमा की आँखों से कृतज्ञता के दो आँसू खुद-ब-खुद निकल आए। और प्रेमा ने उन्हें पोंछा भी नहीं, क्योंकि उसे पता हो गया था कि भवनाओं को दबाने से दुनिया नहीं चलती, समय पड़ने पर उन्हें अभिव्यक्त भी करना होता है।
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अब्राहम थॉमस कोवूर श्रीलंका के प्रख्यात विज्ञानवेत्ता और विश्व के प्रमुख रेशनलिस्ट के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने अंधविश्वास को मिटाने के लिए अथक प्रयास किये। उनका कहना था कि जो व्यक्ति चमत्कारी शक्तियों का दावा करते हैं, केवल पाखंडी या दिमागी तौर पर पागल व्यक्ति हैं। keywords: health articles in hindi, mental health articles in hindi, health diseases in hindi, health diseases and conditions in hindi, women's health and diseases in hindi, sexual problems in women, sexual problems and solutions in hindi, sexual problems in marriage in hindi, sexual problems in relationships in hindi, women's sexual problems in hindi
प्रेरक प्रसंग ! पालन पोषण का असर जैविकता पर भारी पड़ रहा था :)
जवाब देंहटाएंसुंदर ...
जवाब देंहटाएंभारत ही नही पुरी दुनिया मै ऎसी मांये बहुत है जो अपने ही बच्चो को अंजाने मै ही अंधकार मय जिन्दगी दे देती है, तभी तो कहते है कि मां ही बच्चे को अच्छा बुरा ओर डरपोक , निडर बना सकती है, बहुत सुंदर ओर शिक्षा से भरपुर लगी आप की यह कहानी.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
देखा
जवाब देंहटाएंओझाओं की झाडफूंक व्यर्थ नहीं गई। हाँ नतीजा थोडी देर बाद मिला। :)
बहुत बढिया लगी जी यह पोस्ट
पता नहीं लोग अंधविश्वासों से कब उबरेंगें।
प्रणाम स्वीकार करें
...कहानी रोचक है!...प्रेम की अनुभूति से मानसिक रोग से पीडित व्यक्ति भी ठीक हो सकता है!..सुंदर रचना, बधाई!
जवाब देंहटाएंRochak ghatnakram.
जवाब देंहटाएंMithilesh Dua, Delhi
अच्छा लगा पढकर।
जवाब देंहटाएंये कहानी जिस प्रकार के मनोरोग से सम्बंधित है, इसी तरह के बहुत से मनोरोग है जिनके बारे में जानकारी न होने से लोग अन्धविश्वास के कारण ओझा और मौलवियों कि यहाँ चक्कर लगते रहते हैं. इस विषय में जागरूकता होनी चाहिए. ऐसी समस्याओं को चाहे वे नारी में हों या पुरुषों में एक बार मनोरोग विशेषज्ञ से सलाह जरूर लेनी चाहिए.
जवाब देंहटाएंअति उत्तम प्रस्तुति. अज्ञानता से प्रकाश की ओर ले जाता हुआ.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंये कहानी कई तथ्यों को उजागर करती है
जवाब देंहटाएं१) अत्याधिक लाड प्यार - बच्चे को अन्दर से कमजोर बना देता है |
२) अंधविश्वास पर यकीन - और काम बिगाड़ देता है
३ ) कुछ अनदेखी परेशानियों की जड़ मनोवैज्ञानिक तकलीफें भी हो सकती है - जिसका समाधान मनोचिकित्सक और अंतरमन को टटोलना और अपनी will power को बढ़ाना और अपने पर यकीन करना होगा |
४ ) बहुत जरूरी - भावना को अभिव्यक्ति देनी चाहिए - आज के रिस्तो में अभिव्यक्ति की कमी हो जाती है जबकि प्रेम होता है और यही कमी रिश्तों को कमजोर करती है | नवजात बच्चे को भी माँ दूध तब देती है जब वो रोता है |अगर बचा बुखा हो और रोये ना तो माँ अपने देनिक नियम के अनुसार देगी |
कहानी मनोवैज्ञानिक पहलूवो को छूती है | धन्यवाद
प्रेरक प्रसंग !
जवाब देंहटाएंPrernaprad.
जवाब देंहटाएंVery interesting
जवाब देंहटाएंअच्छी कहानी...सबक सिखाती हुई। बच्चों को मां-बाप से प्यार मिले यह अच्छा है, लेकिन इस कदर नहीं कि वे समाज से ही कट जाएं।
जवाब देंहटाएंप्यार तो किस्मत वालों को ही मिलता है. अगर किसी का पति पैसों का भूखा हो तो क्या करें. पहले पहल करने पर कहे की तुम उसे परेशान कर रहे हो. और जब उसकी ज़िन्दगी में पहले से कोई औरत हो तो क्या होगा खुद पहल करने पर????????????
जवाब देंहटाएंसच बयां करती साथ ही सार्थक संदेश देती कहानी।
जवाब देंहटाएंjakir ji aaj ki charchamanch pe aapki yah adbhut kahani hai...aapka shukriya is post ke liye aur abhaar..
जवाब देंहटाएं"भवनाओं को दबाने से दुनिया नहीं चलती, समय पड़ने पर उन्हें अभिव्यक्त भी करना होता है।"
जवाब देंहटाएंsundar pankti!