इस बात में कोई दो राय नहीं हो सकती कि भारत की अधिकाँश जनता गाँवों में बसती है। और गाँवों में स्वास्थ्य सेवाओं का क्या हाल है, यह किसी से छ...
इस बात में कोई दो राय नहीं हो सकती कि भारत की अधिकाँश जनता गाँवों में बसती है। और गाँवों में स्वास्थ्य सेवाओं का क्या हाल है, यह किसी से छिपा नहीं है। यही कारण है कि गाँवों में जहाँ लोग झोला छाप डॉक्टरों के पास जाने को विवश होते हैं, वहीं वे झाड़-फूँक करने वालों और ओझाओं की भी गिरफ्त में आते हैं। इन स्थितियों पर आँसू बहाने वाले आपने तमाम लोग देखे होंगे, लेकिन इन स्थितियों को बदलने के लिए काम करने वाले कुछ ही लोग हैं। वॉलन्टरी हैल्थ एसोसिएशन ऑफ इण्डिया एक ऐसा ही नाम है।
वॉलन्टरी हैल्थ एसोसिएशन ऑफ इण्डिया ने इन्हीं स्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए लिखी गयी एक अत्यंत उपयोगी पुस्तक Where There is No Doctor : A village health care book के भारतीय संस्करण को 'जहाँ डॉक्टर न हो: एक स्वास्थ्य रक्षा पुस्तक' (लेखक-डेविड वर्नर) को प्रस्तुत करने का सराहनीय कार्य किया है। 565 पृष्ठों की यह वृहद पुस्तक अपने आप में रोग, रोगी और स्वास्थ्य सम्बंधी जानकारियों का प्रामाणिक भण्डार है। पुस्तक में कुल 27 अध्याय हैं, जिनमें मानव स्वास्थ्य के विभिन्न मुद्दों को बड़े सहज ढ़ंग से समझाया गया है। पुस्तक की उपयोगिता की कहानी उसके विभिन्न अध्याय स्वयं ही कहते हैं। कुछ प्रमुख अध्यायों के नाम हैं-
घरेलू उपचार और लोकप्रिय विश्वास
ऐसे रोग, जिनमें प्राय: भ्रम हो जाता है
बीमार व्यक्ति की जाँच कैसे करें?
बीमार व्यक्ति की देखभाल कैसे करें?
एंटीबायोटिक्स क्या हैं और उनका प्रयोग कैसे करें?
प्राथमिक चिकित्सा
पोषण: स्वस्थ रहने के लिए क्या खाएँ?
आँख/कानऔर नाक/श्वसन तंत्र/पाचन तंत्र/मूत्रीय तंत्र/जनन तंत्र
स्त्रियों से सम्बंधित समस्याएँ
माताओं और दाइयों के लिए सूचना
बच्चों का स्वास्थ्य और उनके रोग
परिवार नियोजन-उतने ही बच्चे होना जितने आप चाहें
यह पुस्तक यूँ तो मूल रूप में अंग्रेजी में लिखी गयी है, किन्तु भारतीय समाज की बनावट और बुनावट को दृष्टिगत रखते हुए इसके पुनर्लेखन एवं संशोधन का कार्य काफी श्रम से किया गया है। यही कारण है कि इसमें एक ओर जहाँ जादू-टोना, टोटका, बुरी नजर के बारे में आम आदमी के विश्वास के बारे में विस्तार से चर्चा की गयी हैं, वहीं विभिन्न बीमारियों के लिए प्रचलित पारम्परिक तरीकों को भी बताया गया है। इसके साथ ही सभी आवश्यक जगहों पर रेखाचित्र, ग्राफ आदि का सहारा भी लिया गया है, जिससे पुस्तक काफी उपयोगी बन पड़ी है।
पुस्तक में जहाँ मुख्य रूप से बीमारियों के एलोपैथी उपचार, उसके लिए उपलब्ध दवाओं के कम्पनी नाम सहित जानकारी दी गयी है, वहीं प्रत्येक दवा के सम्बंध में आवश्यक चेतावनी को भी प्रमुखता से बताया गया है। पुस्तक के अंत में हरे पृष्ठों में दवाओं के बारे में एक अलग परिशिष्ट भी संजोया गया है, जिसमें अल्फाबेट के अनुसार दवाओं और उनके सम्बंध में आवश्यक समस्त जानकारी को पाठकों के साथ साझा किया गया है।
560 पृष्ठों के इस महाग्रन्थ का मूल्य मात्र 290 रू0 है। जो व्यक्ति इसे डाक से मंगाना चाहते हों, वे डाक खर्च के 43 रूपये जोड़कर पुस्तक के प्रकाशक: वॉलन्टरी हैल्थ एसोसिएशन ऑफ इण्डिया, टौंग भवन, 40, इंस्टीट्यूशनल एरिया, साउथ ऑफ आई0आई0टी0 (कुतुब होटल के पीछे), नई दिल्ली-110016 पर मनीआर्डर/ड्राफ्ट भेज कर पुस्तक को मंगा सकते हैं।
यह पुस्तक हिन्दी के अतिरिक्त सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं में में उपलब्ध है। अलग-अलग भाषा की पुस्तकों को मंगाने के लिए निम्नानुसार सम्पर्क किया जा सकता है:-
आसामी:
वॉलन्टरी हैल्थ एसोसिएशन ऑफ इण्डिया, आशीर्वाद, द्वारा-श्री एन सी चक्रवर्ती, गीता नगर एरिया, (अबीटा आफिस के पास), जू-नरेनजी रोड, गुवाहाटी-781024
बंगाली:
वेस्ट बंगाल वी एन ए, 19-ए, सुंदरी मोहन, एवेन्यू, कलकत्ता-700014
नेपाली:
बाल क्लीनिक, 15/504, डिल्ली बाजार, पी ओ बॉक्स 2730, काठमाण्डू, नेपाल
तमिल:
तामिलनाडु वी एच ए, 18 अप्पादुराई मेन स्ट्रीट, अयानावरम, चेन्नई-600023, तमिलनाडु
पंजाबी:
वी एच ए ऑफ पंजाब, एस सी एफ 18/1, सेक्टर 10-डी, चंडीगढ़-160011
तेलगू:
हैदराबाद बुक ट्रस्ट, 3-6-697 हिमायत नगर, हैदराबाद-500029, आंध्र प्रदेश
उर्दू:
का़सिद पब्लिशिंग हाउस, बाक्स-32, लाहौर, पाकिस्तान
उड़िया:
उड़ीसा वी एच ए, 317, पार्क व्यू, मौसीमा चौक, भुवनेश्ववर-751014
कन्नड़:
वी एच ए ऑफ कर्नाटका, नं0 60, रजिनी निलया, दूसरा क्रास, गुरूमूर्ती स्ट्रीट, रामाकृष्ण मट्टन रोड, अलसूर, बंगलौर-560008, कर्नाटक
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बहुत काम की जानकारी दिया है आपने।
जवाब देंहटाएंfree men milne ka rasta ho to batayen.
जवाब देंहटाएंमौका मिला तो पुस्तक खरीदी जाएगी।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंUpyogi pustak lagti hai, soochna ke liye aabhar.
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंबड़े काम की पोस्ट है !
जवाब देंहटाएंबहुत काम की जानकारी दिया है आपने।
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी दी आपने ,मैं हमराही पर भी गयी थी पर कुछ लिखने का मन नहीं किया ,लेकिन इस पोस्ट ने तो ये कहने के लिए मजबूर कर दिया कि वाकई ये काम लायक जानकारी है
जवाब देंहटाएंसाधुवाद
उपयोगी जानकारी।
जवाब देंहटाएं*** राष्ट्र की एकता को यदि बनाकर रखा जा सकता है तो उसका माध्यम हिन्दी ही हो सकती है।
यह एक महत्वपूर्ण सन्दर्भ ग्रन्थ बन जाएगा. इसकी उपयोगिता अकल्पनीय है. आभार इस जानकारी के लिए.
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