क्या आपने कभी किसी बड़े से मैदान में खड़े होकर अपनी धरती को निहारा है? इधर-उधर, चारों तरफ जहाँ तक हमारी नज़र जाती है, पृथ्वी नज़र आती है और ...
क्या आपने कभी किसी बड़े से मैदान में खड़े होकर अपनी धरती को निहारा है? इधर-उधर, चारों तरफ जहाँ तक हमारी नज़र जाती है, पृथ्वी नज़र आती है और साथ ही हमें नज़र आते हैं पेड़-पौधे, नदी-नाले, खेत-खलिहान, पहाड़, जंगल आदि। और इसी के साथ हमारे दिमाग में बहुत सारे प्रश्न भी कौंधने लगते हैं कि पृथ्वी कितनी बड़ी है? इसका निर्माण कैसे हुआ? यह सूरज के चारों ओर क्यों घूमती है? इसमें ऋतुएँ कैसे बदलती हैं? वगैरह-वगैरह।
इन्हीं तमाम सवालों का एक सटीक जवाब है प्रोफेसर अजित राम वर्मा की सद्य प्रकाशित पुस्तक 'ब्रह्माण्ड सुंदरी हमारी पृथ्वी'। प्रो0 अजित राम वर्मा जोकि राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला, नई दिल्ली के पूर्व निदेशक हैं, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, नई दिल्ली की 'पढ़ें और सीखें' योजना से जुडे़ रहे हैं। इस योजना के अन्तर्गत लिखी गयी उनकी दो पुस्तकें 'नापो तो सच पता चले' तथा 'हमारा अद्भुत वायुमण्डल अब मैला क्यों?' पूर्व में प्रकाशित हो चुकी हैं। 'ब्रह्माण्ड सुंदरी हमारी पृथ्वी' भी प्रो0 अजित राम वर्मा की इसी योजना के अन्तर्गत लिखी गयी एक अन्य पुस्तक है, जिसका प्रकाशन 'विज्ञान प्रसार' द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय प़थ्वी ग्रह वर्ष-2008 के उपलक्ष्य में पेपरबैक संस्करण के रूप में किया गया है।
विज्ञान प्रसार ने गत वर्षों में वैज्ञानिक विषयों पर रोचक शैली में अनेकानेक पुस्तकों का प्रकाशन करके विज्ञान संचार की दुनिया में एक जोरदार उपस्थिति दर्ज कराई है। इसी श्रृंखला के अन्तर्गत प्रकाशित इस पुस्तक में लेखक ने बहुत ही रोचक एवं सुबोध शैली में पृथ्वी के बारे में बताने की कोशिश की है। लेखक की प्रवाहमयी शैली को जाँचने के लिए यह एक पैरा ही काफी है-
''इस पृथ्वी के विषय में अभी कई और प्रश्न उठने हैं। यह मिट्टी, चट्टान व पानी से बनी पृथ्वी कितनी भारी है? यदि हम इस तोल सकें, तो इसका भार कितने किलोग्राम के बराबर होगा? क्या विज्ञान में ऐसा कोई प्रयोग है, जिसके द्वारा इस पृथ्वी का भार नापा जा सकता है? वह कब और कैसे किया गया? पृथ्वी पर उपस्थित समुद्रों की ओर ध्यान दीजिए। ये कितने बड़े हैं और इनका कितना विस्तार है? इनकी गहराई सब स्थानों पर एक सी नहीं है। इन समुद्रों की कितनी गहराई है? गहराई का पता कैसे लगाया जाता है?'' -भूमिका, 12
पृथ्वी के मिनी इंसाइक्लोपीडिया के रूप में रची गयी यह पुस्तक अपने भीतर बहुत कुछ समेटे हुए है। पुस्तक की महत्ता का अंदाजा उसकी विषय सूची से ही लग जाता है, जो निम्नानुसार है-
अध्याय 01: पृथ्वी का आकार और विस्तार
अध्याय 02: पृथ्वी के गोलक पिंड की यथार्थतापूर्वक नाम और वास्तविक आकार
अध्याय 03: पृथ्वी का घूर्णन-स्थानीय समय
अध्याय 04: पृथ्वी तथा सौर परिवार-सूर्य का परिक्रमण
अध्याय 05: पृथ्वी का निकटतम अद्भुत पड़ोसी-चंद्रमा
अध्याय 06: सूर्य और चंद्रमा पर आधारित विभिन्न कैलेण्डर
अध्याय 07: पृथ्वी की उत्पत्ति, संरचना और प्राकृतिक घटनाएँ
अध्याय 08: सागर, जल का संचलन तथा अंतर्राष्ट्रीय जगत
अध्याय 09: हमारा अद्भुत वायुमण्डल-वर्तमान प्रदूषण का संकट
अध्याय 10: ग्लोबल वार्मिंग की समस्या, ऊर्जा के विभिन्न स्रोत एवं स्वच्छ ईंधन की खोज।
पुस्तकों के सम्बंध में प्राय: पाठकों की यह भी शिकायत रहती है कि वे स्तरहीन कागज पर मुद्रित की जाती हैं, जिससे वे कुछ समय के बाद ही पीली पड़ने लगती हैं। आलोच्य पुस्तक इस कमी से भी सर्वथा मुक्त है तथा रंगीन छपाई एवं चित्रों से सुसज्जित होने के कारण विज्ञान के विद्यार्थियों ही नहीं बल्कि अभिभावकों और समस्त पाठकों के लिए उपयोगी हो गयी है। पुस्तक का मुद्रण एवं प्रोडक्शन वर्क भी सराहनीय है। हमें आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि विज्ञान प्रसार का प्रयास पुस्तक प्रेमियों के बीच पसंद किया जाएगा।
लेखक - प्रो0 अजित राम वर्मा
प्रकाशक- विज्ञान प्रसार, ए-50, इंस्टीट्यूशनल एनिया, सेक्टर-62, नोएडा-201307
फोन- 0120-2404430/35
मूल्य- 120 रूपये।
Keywords: Science books, science books in hindi, scientific books, scientific books in hindi, Vigyan Prasar Books, Pro. Ajitram Verma, Our Earth, earth science
अच्छी पुस्तक से परिचय कराती पोस्ट ,शानदार प्रस्तुती ...
जवाब देंहटाएंउपयोगी पुस्तक लगती है, मिले तो पढी जाएगी।
जवाब देंहटाएंAabhaar.
जवाब देंहटाएंइस उपयोगी पुस्तक के लिए विज्ञान प्रसार बडाई का पत्र है.
जवाब देंहटाएंइस उपयोगी पुस्तक के लिए विज्ञान प्रसार बडाई का पत्र है.
जवाब देंहटाएंब्रह्मांग नहीं ब्रह्माण्ड सुन्दरी -शीर्षक बदलें ....
जवाब देंहटाएंकिताब मेरे पास भी आयी है !
मैं तो शीर्षक "ब्राहम्ण सुंदरी" समझ कर चला आया था पर यह तो "ब्रह्मांड सुंदरी" है...मेरा ख़्याल है कि शीर्षक correction मांगता है :)
जवाब देंहटाएंविज्ञान विषयक इस प्रकार की रूचिकर पुस्तकों की आज बहुत ही आवश्यकता है। लेखक एवं प्रकाशक दोनों को बधाई।
जवाब देंहटाएंNICE BLOG.
जवाब देंहटाएंAchchhe book lagti hai.
जवाब देंहटाएंइसमें कोई सहलेखक तो नहीं?
जवाब देंहटाएंInteresting book
जवाब देंहटाएं---
चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
The Vinay Prajapati
अच्छी पुस्तक से परिचय कराती पोस्ट ,शानदार प्रस्तुती ...
जवाब देंहटाएं@ ज़ाकिर भाई
जवाब देंहटाएंआपने रेकमेंड की है ज़रूर अच्छी होगी !
जैदी साहब के सवाल का जबाब दिन बा दिन मुश्किल होता जाएगा अब से !
इस जानकारी के लिए आभार. हाँ, कीमत भी अधिक नहीं है.
जवाब देंहटाएंग्लोबल वार्मिंग की चिंताओं के बीच एक ज़रूरी क़िताब। आज की पीढी अगर हमारी धरा की सुंदरता से वाक़िफ हो जाए,तो शायद हम इसे बदरंग होने से बचा सकें।
जवाब देंहटाएंउपयोगी सामग्री।
जवाब देंहटाएंउपयोगी सामग्री।
जवाब देंहटाएंइस जानकारी के लिए आभार,मिले तो पढे गे जरुर
जवाब देंहटाएंमिले तो पढी जाए.....
जवाब देंहटाएंउपयोगी जानकारी ..!
जवाब देंहटाएंउपयोगी समीक्षा!!
जवाब देंहटाएंमिले पुस्तक तो अवश्य देखते हैं।
जवाब देंहटाएंहमने सोचा कि ये ब्रह्माण्ड सुंदरी यहां कैसे बिचर रही है
ब्रह्माण्ड सुन्दरी नामक पुस्तक से परिचय कराने का बेहद आभार....उत्सुकता है पढने की आज ही मंगवाते हैं...
जवाब देंहटाएंregards