सचमुच कठिन थी पहेली (चित्र पहेली-85) इस बार की! धुरंधर धराशायी हुए, सुज्ञ ने बाजी मारी, दर्शनलाल बवेजा और समीर लाल के भी सटीक जवाब, ...
सचमुच कठिन थी पहेली (चित्र पहेली-85) इस बार की! धुरंधर धराशायी हुए, सुज्ञ ने बाजी मारी, दर्शनलाल बवेजा और समीर लाल के भी सटीक जवाब, राज भाटिया जी का तुक्का भी लगभग निशाने पर लगा! इस पहेली का चित्र जब मैंने भी पहली बार देखा था तो एक पिजड़े में दो बिंदु किसी निरीह प्राणी की आँख से दिखे थे! उसी भ्रामक बिंदु ने सबको छकाये रखा और मुझे लग रहा है कि ब्लॉग पहेलियों की दो विशेषज्ञ विदुषियों ने मन ही मन पहेलीकर्ता को जरूर जली-कटी सुनायी होगी! मगर मजा आया! पहेली बुझाने वाले और बूझने वालों के बीच ऐसी उत्साहभरी स्पर्धा और चुनौती का माहौल न बने तो फिर इस खेल का मजा ही क्या? मगर इस बार हम भी मान गए कि पहेली पूछने वाले की तुलना में पहेली बूझने वाला महान प्राणी होता है!
आखिर एक बड़ी चुनौती भी उसके सामने फुस्स हो जाती है! आखिर चित्र के पिजरों और अंदर के जीवों को देखकर कोई जो सचमुच वस्तुस्थिति न जानता हो भला कैसे सही जवाब दे सकता था? जैसा कि पहला सही जवाब सुज्ञ का रहा और बिल्कुल सटीक! मोतियों की खेती, सीपियों के पिजरे! सचमुच यही तो पहेली का सही जवाब था! बधाई हो सुज्ञ, अपने नाम को चरितार्थ किया आपने ....ज़ाकिर भाई आपको एक सुन्दर सा सर्टिफिकेट देगें ही .आगे भी अपनी सुविज्ञता से हमारा उत्साहवर्धन करते रहिएगा!
दर्शन लाल बवेजा विज्ञान के अनन्य प्रेमी हैं! कालेज से लौट कर बिचारे ने पहेली देखी और माथा पीट लिया, उन्ही के शब्दों में "माल तो लुट चुका होगा" हा हा हा! उन्हें लग गया था कि सुबह से पूछी गयी पहेली का सही उत्तर आ चुका होगा। उनकी आशंका सही थी ...भारी मन से उन्होंने भी सही जवाब टीप ही दिया. समीर भाई भी मुझे अक्सर पुराने पहेलीबाज लगे हैं। क्या सटीक जवाब उछाला है ...क्या कहने समीर जी, बधाई! भाटिया जी भी गजब की नजर रखते हैं यह तो पहचान ही लिया कि पिजरे में सीपियाँ हैं ...
पहेली बीच पहेली -मुर्गी का अंडा या मोती ?
बाकी उत्तरों के बारे में क्या कहें- बड़े बड़े सूरमा धराशायी हुए, किसी किसी को तो सूअर तक नजर आ गया। भैया, पिछली बार नजर का चश्मा कब चेक करवाया था? हा-हा -कई निरीह प्राणी जो इस पहेली के जवाब में याद किये गए वे -हिप्पोपोटेमस (दरयाई घोडा), लेमर, गिनीपिग और बिज्जू (भाई जान ने पिज्जू कहा) रहे.. अब गलत उत्तरों और उत्तरदाताओं पर कौन सा भाष्य या मीमांसा ? -मगर हम उनके शुक्रगुजार जरूर हैं कि उन्होंने खेल भावना का परिचय दिया और अपनी मौजूदगी दर्ज की ..एक दुखी आशिक को आशिक ही पिजरो में कैद नजर आये -एक आशिक की पीड़ा आशिक ही समझ सकता है और हम उनकी भावनाओं का कद्र करते हैं ..
जी हाँ यह मोतियों की खेती है -और इसलिए मोती के लिए विख्यात आयेस्टर नामक सीपियों को भारी तादाद में पिजरों में समुद्र के अंदर उनके आंतरिक कोमल भाग में एक सूक्ष्म 'नाभिक' शल्य प्रत्यारोपण से डाल कर छोड़ दिया जाता है -अब सीपी का सुरक्षा तंत्र उस बाह्य पदार्थ के विरुद्ध प्रतिक्रिया स्वरुप स्राव निकालता जाता है जो उस प्रत्यारोपित नाभिक के इर्द गिर्द इकट्ठा होता जाता है और इस तरह मोती का रूपाकार जन्म लेता है -निर्धारित समय में सीप से उसे बाहर निकाल लिया जाता है ..सीप में मोती बनने की प्रक्रिया को लेकर तरह तरह के कयास पुराने जमाने में लगाए जाते रहे -सबसे खूबसूरत कवि -मान्यता है कि जब सीप में स्वाति नक्षत्र की बूँद आ गिरती है तो वही मोती बन जाती है ...अब क्या यह महज संयोग ही है कि मोती की चर्चा हो रही है और इस समय स्वाति नक्षत्र भी है -और यहाँ बनारस में तो भरपूर अमृत वर्षा हो रही है ....एक कविता बचपन में पढी थी जिसमे बादल से निकली एक सहमी सकुची बूँद की कहानी के जरिये कवि ने मनुष्य जीवन की विषमताओं और अंततः उसकी मोती की परिणति में विजयोल्लास का हृदयस्पर्शी वर्णन किया था ...सन्देश यह था कि बिना गृह त्याग की पीड़ा सहे मोती सी परिणति नहीं मिल सकती ? सच कह रहा हूँ न अल्पना जी?
लगता है मेरी हिंट ने भी पहेली बूझने वालों को भटका दिया -मैंने महिलाओं के सजने सवरने का हिंट दिया था तो मन में आभूषण और उसमें भी मोती की दमक ही दिप दिप फ्लैश हो रही थी .... मगर लोग उचित ही निरीह जानवरों पर सौन्दर्य प्रसाधनों से जुड़े प्रयोग परीक्षणों की ओर भटक गए ... बहरहाल मोती प्राचीन आभूषणों में से एक है और कितनी ही क़िस्से कहानियों में,जीवन जीने और गूढ़ दार्शनिक बातों में मोती का जिक्र होता आया है ....जिन खोजा तिन पाईयां गहरे पानी पैठ -मगर मनुष्य की जिजीविषा और तकनीक की उन्नति तो देखिये वही मोती आज थोक मात्रा में उपलब्ध है ..मगर आज भी सर्वसुलभ नहीं है ..आज भी यह बड़े बड़ों के गले का ही हार है! ज्यादातर मोतियों की माला नकली मोतियों की होती है ...हैदराबादी मोती सब असली कहाँ होते हैं ?
भारत के ट्यूटीकोरिन में समुद्री सीपियों का उत्पादन हमने चित्र वाले तरीके से ही देखा था ..
मोती पर एक आलेख हम साईंस ब्लागर्स पर करेगें ...फिलहाल इस कथन मोती के साथ पोस्ट का समापन करते हैं -
“All art is autobiographical; the pearl is the oyster's autobiography” -Frederico Fellini
(सभी कलाकृतियाँ आत्मकथात्मक होती हैं-मोती सीपी की आत्मकथा है!)
पिछली पोस्ट देखी तब समझ आया
जवाब देंहटाएंमाजरा क्या है।
मोती तो सदा से आभूषण एवं आयुर्वेदिक उपचार में भस्म एवं पिष्टी बनाकर उपयोग में लाए जाते हैं।
इनकी आभा ने ही इन्हे आभुषणों के रुप में स्थापित किया होगा।
वर्तमान में कृत्रिम रुप से भी मोती बनाए जा रहे हैं।
उसी भ्रामक बिंदु ने सबको छकाये रखा और मुझे लग रहा है कि ब्लॉग पहेलियों की दो विशेषज्ञ विदुषियों ने मन ही मन पहेलीकर्ता को जरूर जली कटी सुनायी होगी
जवाब देंहटाएं" हा हा हा हा हा हा हा हा हा आदरणीय अरविन्द जी पहेली का जवाबा देने का ये अंदाज भी बेहद पसंद आया, पर हाँ जली कटी नहीं सुनाई थी पर ये जरुर सोचा था की, क्या चला जाता अगर पहेली की फोटो थोड़ी सी बड़ी कर देते तो हा हा हा " मोतियों की खेती के बारे में आलेख और जानकारी बेहद रोचक लगे.
सुज्ञ जी को इस कठिन पहेली बुझने पर हार्दिक हार्दिक बधाईया , और अन्य सभी विजेताओं को भी बधाई.
regards
सुज्ञ जी के साथ साथ अन्य विजेताओं को बधाई .. यह पहेली ज्ञानवर्द्धक रही .. मोती पर एक और आलेख का इंतजार रहेगा !!
जवाब देंहटाएंविजेताओं को बधाई.
जवाब देंहटाएं---------
@अल्पना जी से सवाल क्या किया है ,समझ ही नहीं आ रहा..आप की पहले की पहेलियों को बूझते बूझते अक्ल सारी घिस गयी है ,अब पहेलियाँ बूझने की इच्छा नहीं होती.[लीगल क्लेम करना पड़ेगा! सुन रहे हैं न अरविन्द जी?]
*ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कल से पोस्ट लिखी जा रही है .
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@दर्शन जी ...कल से पूछ रही हूँ कि कल्पना वर्मा कौन हैं?
बढ़िया जानकारी...विजेताओं को बधाई
जवाब देंहटाएंएक बूँद जो मोती बन गयी कि विजय गाथा यहाँ पर है -इसलिए आपसे तस्दीक करने को कहा !
जवाब देंहटाएंhttp://alpana-verma.blogspot.com/search?updated-max=2010-04-22T10%3A31%3A00%2B04%3A00&max-results=२
नहीं नहीं कोई कानूनी दावा नहीं हुजूर!
पोस्ट एक ही सिटिंग में सुबह पूरी हुयी !
दर्शन जी का जवाब आपको नहीं भायेगा (एक मिटा चुका हूँ,सारी दर्शन जी -इतनी उत्सुकता भी ठीक नहीं :
@अरविन्द जी ,आप की पहेलियाँ बूझने में मेरी अक्ल जो 'कम 'हो गयी है न उसके लिए क्लेम की बात कही थी![हल्का सा मज़ाक था]
जवाब देंहटाएं------------------------------
**हाँ ,सवाल भी अब समझ आ गया.
सही कहते हैं आप.सही लिखा है.
**अच्छी पहेली थी इस बार और जानकारी भी .
आभार.
@दर्शन जी से अपना सवाल वापस ले लिया.आभार.
जवाब देंहटाएंसचमुच कठिन थी इस बार की पहेली, पर मिश्रा जी ब्लॉग जगत के बुझक्कड़ों को कम न समझिए, आखिर बूझ ही ली गयी पहेली। सुज्ञ भाई को बहुत बहुत बधाई पहेली का विजेता बनने पर। और हाँ, दर्शन जी और समीर जी को भी सही जवाब देने के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद्…। अरविंद जी,
जवाब देंहटाएंहमने कोई धुरधरों को धराशायी नहिं किया महाराज।
अक्ल जो सीप में बंद थी, मोती बन निकल आई।
सीमाजी,संगीताजी,अल्पनाजी,
बधाई के लिये आपका आभार।
आप सभी की प्रोत्साहन शीला पर ही अपनी अक्ल की धार घीसता हुं।
धन्यवाद, ज़ाकिर भाई
जवाब देंहटाएंइस बहुमूल्य मोती के लिये!!
Vijetaon ko bahut badhaii...very tricky paheli Arvindji this time ,,Great n cheers !!
जवाब देंहटाएंSwaad aya vaise ..hahaha
सभी विजेताओं और प्रतिभागियों को हार्दिक बधाई !
जवाब देंहटाएंसुन्दर जानकारी के लिए धन्यवाद
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बड़े-बुजुर्गों की बात न मानने का नतीजा भुगतना पड़ा ... बचपन से ही समझाया गया था कि नक़ल मत करो,,लेकिन काहिली दिखाते हुए गलत उत्तर के साथ सहमति दे दी !
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वैसे मुझे तो पहली नजर में ही लग रहा था कि यह "कृत्रिम मोती उत्पादन" का चित्र है :)
न यकीन हो तो देखिये मुझे कल ही ये लिंक दिख गया था :
http://akoyapearlfarm.com/images/harvest.jpg
[इलाहबाद के श्री सोनकर जी ने कृतिम मोती के संबंध में बहुत ख्याति प्राप्त की है, बहुत पहले कई पत्रिकाओं में जिक्र हो चुका है,, शायद आपने सुना हो ]
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आपके द्वारा दिया गया हिंट ही सारी ग़लतफ़हमी की जड़ था... ये हिंट नहीं बल्कि प्रतियोगियों को भटकाने का कुचक्र था :)
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आशा है आगे से अल्पना जी ज्यादा मेहनत और जांच-पड़ताल के उपरान्त जवाब देंगी ताकि अनुसरणकर्ताओं को निराशा न हो :)
हिंदी ब्लॉग लेखकों से आग्रह - हमारीवाणी.कॉम
जवाब देंहटाएंब्लॉग लेखकों का अपना ब्लॉग संकलक हमारीवाणी अभी साज-सज्जा की अवस्था पर है, इसलिए इसके फीचर्स पर संदेह करना उचित नहीं है. यह आपका अपना ब्लॉग संकलक है इसलिए यह कैसा दिखना चाहिए, कैसे चलना चाहिए, इन जैसी सभी बातों का फैसला ब्लॉग लेखकों की इच्छाओं के अनुसार ही होगा.
Feedcluster संस्करण के समय प्राप्त हुए ब्लॉग जोड़ने के आवेदनों को नए संस्करण में जोड़ने में आ रही समस्याओं को ध्यान में रखते हुए हमारीवाणी के पूर्णत: बनने की प्रक्रिया के बीच में ही आप लोगों के सामने रखने का फैसला किया गया था.
अगर आप अपना कोई भी सुझाव देना चाहते हैं तो यहाँ दे सकते हैं अथवा "संपर्क करें" पर चटका (click) लगा कर हमें सीधें भेज सकते हैं. आपके हर सुझाव पर विचार किया जाएगा.
धन्यवाद!
हमारीवाणी टीम</
एम ए शर्माजी,
जवाब देंहटाएंप्रकाश जी,
आपकी बधाई के लिये आभार
@शुक्रिया अल्पना जी ,इस सदभाव के लिए !
जवाब देंहटाएंकुचक्र के लिए माफी चाहता हूँ प्रकाश जी ,आप नियमित तो रहें !
जवाब देंहटाएंहाँ सोनकर वाली बात सही है -मगर बाद में सारा मामला टाय टाय फ़िस हो गया लगता है !
उनका दावा है की अंडमान में स्थापित उनका मोती केंद्र सुनामी की भेट चढ़ गया !
ज्ञानवर्धक पहेली, हम तो आज लगभग पहली बार ही आये हैं, अब नियमित हुआ करेंगे।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी मिली, और पहली बार में ही इतनी सटीक जानकारी।
tukka galat dhadaam.
जवाब देंहटाएंसभी को बधाई ।
जवाब देंहटाएंबधाईयाँ....पहेली वैसे वाकई काफी कठिन थी.
जवाब देंहटाएंअल्पना जी का कोन्फिडेन्स देख तो मैं भी वही जबाब देने जा रहा था मगर फिर सोचा कि उल्टी दिशा में बह कर भी देखा जाये..काम आया.
:)
@सुज्ञ जी --आप का वाक्य 'प्रोत्साहन शिला पर ही अपनी अक्ल की धार घिसता हूँ' बहुत पसंद आया.
जवाब देंहटाएं@प्रकाश जी -सुझाव के लिए धन्यवाद लेकिन आगे से मैं अनुसरणकर्ताओं की कतार में खड़े होना बेहतर समझूंगी..सेफ रहेगा.इस बार के लिए करबद्ध क्षमा कल ही मांग चुकी हूँ.
@समीर जी ,अच्छा किया न आप ने..जो मेरे जवाब से विपरीत गए....बधाई.
@-अगली बार अगर reptiles के अलावा कोई भी पहेली होगी तो शिरकत करेंगे.
-सेहर जी और संजीव गौतम जी के कमेन्ट भी मजेदार हैं.
-जवाबी एपिसोड रोचक रहा .
आभार.
विजेताओं को हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
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