कहा जाता है कि इस देश में अलौकिक शक्ति प्राप्त लोगों की कमी नहीं। ऐसे-ऐसे लोग इस दुनिया में मौजूद हैं, जो अपनी सिद्धि के बल पर कुछ भी पैदा क...
कहा जाता है कि इस देश में अलौकिक शक्ति प्राप्त लोगों की कमी नहीं। ऐसे-ऐसे लोग इस दुनिया में मौजूद हैं, जो अपनी सिद्धि के बल पर कुछ भी पैदा कर सकते हैं। बस उन्होंने आँखें बंद की, मंत्र बुदबुदाए और हाथ में मनचाही चीज़ हाजिर। कहने वाले कहते हैं यह सब मंत्रों का प्रताप है।
लेकिन सावधान, ऐसे लोगों की बातों में आप कत्तई न आएँ, क्योंकि ऐसे लोग धोखेबाज हैं, वे आपको मीठी-मीठी बातों में फंसाकर हाथ की सफाई दिखाकर अपना उल्लू सीधा करते हैं। क्योंकि आइंस्टाइन ने अपने 'लॉ ऑफ कन्जर्वेशन' में यह बहुत पहले प्रमाणित कर चुके हैं, कोई नया पदार्थ तब तक प्रकट नहीं हो सकता, जब तक वह वायुमण्ड में न हो या दो पदार्थों की प्रतिक्रिया से न बना हो।
यह तमाम बातें लखनऊ में 'वालेंटरी इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिटी एप्लाइड सांइस' द्वारा आयोजित कार्यशाला में प्रख्यात तर्कशास्त्री डा0 नरेन्द्र नायक ने कही। दक्षिण कन्नड़ रेशनलिस्ट एसोसिएशन के सचिव तथा फेडरेशन ऑफ इण्डियन रेशनलिस्ट ऑर्गनाइजेशन के संयुक्त संयोजक डा0 नायक ने कहा कि जो व्यक्ति चमत्कारी तथा दिव्य शक्तियों का दावा करता है, वह ढ़ोंगी तथा फरेबी है। ऐसे लोगों से सावधान रहें। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग हवा से वे ही चीज़ें प्रकट करते हैं, जो आसानी से हाथों में अथवा कपड़ों में छुपा सकते हैं।
डा0 नायक ने ऐसे तमाम तथाकथित चमत्कार स्वयं करके भी दिखाए। साथ ही उन्होंने उसकी प्रक्रिया समझाते हुए कहा कि ढ़ोंगी लोग ऐसा करते समय आपको मीठी-मीठी बातों में उलझा कर आपका ध्यान दूसरी चीजों की ओर केन्द्रित कर देते हैं तथा मौका देखकर छिपाई हुई चीज़ों को निकाल सफाई से इस तरह प्रस्तुत कर देते हैं कि वह किसी चमत्कार का हिस्सा लगने लगती हैं। यदि ऐसे लोगों की परीक्षा लेनी हो, तो उनसे कहें कि वे अपने चमत्कार से कद्दू अथवा तरबूज प्रकट करके दिखाएँ। वे इन चीजों को कदापि नहीं प्रकट कर पाएँगे। इसके अतिरिक्त बहुत छोटी चीजें जैसे गेहूँ, सरसों, चावल आदि के दाने तथा पिसा हुआ आटा भी छुपाना मुश्किल होता है, इसलिए इन्हें भी तथाकथित मंत्रों से प्रकट करना असम्भव होता है।
यूथ हास्टल, चौक, लखनऊ में आयोजित इस पाँच दिवसीय कार्यशाला में डा0 नायक ने हाथ में अंगारे रखने, अंगारों पर चलने तथा जलती हुई आग को खाने के वैज्ञानिक कारणों की भी विवेचना की और लोगों को ऐसे तथाकथित चमत्कारों के झाँसे से दूर रहने की सलाह दी। इस अवसर पर उन्होंने अपने अंधविश्वास निवारण यात्रा का उल्लेख करते हुए बताया कि देश से अंधविश्वास का खात्मा उनका लक्ष्य है। इसके लिए वे देश के कोने कोने में घूमते रहते हैं। अब तक डा0 नायक 2000 से अधिक ऐसे प्रदर्शन कर चुके हैं और उनके कार्यक्रम 'डिस्कवरी', 'बी0बी0सी0' तथा 'नेशनल जियोग्राफिक' सहित अनेक टीवी चैनलों पर दिखाए जा चुके हैं।
चित्र- साभार विकीपीडिया।
लेकिन सावधान, ऐसे लोगों की बातों में आप कत्तई न आएँ, क्योंकि ऐसे लोग धोखेबाज हैं, वे आपको मीठी-मीठी बातों में फंसाकर हाथ की सफाई दिखाकर अपना उल्लू सीधा करते हैं। क्योंकि आइंस्टाइन ने अपने 'लॉ ऑफ कन्जर्वेशन' में यह बहुत पहले प्रमाणित कर चुके हैं, कोई नया पदार्थ तब तक प्रकट नहीं हो सकता, जब तक वह वायुमण्ड में न हो या दो पदार्थों की प्रतिक्रिया से न बना हो।
यह तमाम बातें लखनऊ में 'वालेंटरी इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिटी एप्लाइड सांइस' द्वारा आयोजित कार्यशाला में प्रख्यात तर्कशास्त्री डा0 नरेन्द्र नायक ने कही। दक्षिण कन्नड़ रेशनलिस्ट एसोसिएशन के सचिव तथा फेडरेशन ऑफ इण्डियन रेशनलिस्ट ऑर्गनाइजेशन के संयुक्त संयोजक डा0 नायक ने कहा कि जो व्यक्ति चमत्कारी तथा दिव्य शक्तियों का दावा करता है, वह ढ़ोंगी तथा फरेबी है। ऐसे लोगों से सावधान रहें। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग हवा से वे ही चीज़ें प्रकट करते हैं, जो आसानी से हाथों में अथवा कपड़ों में छुपा सकते हैं।
डा0 नायक ने ऐसे तमाम तथाकथित चमत्कार स्वयं करके भी दिखाए। साथ ही उन्होंने उसकी प्रक्रिया समझाते हुए कहा कि ढ़ोंगी लोग ऐसा करते समय आपको मीठी-मीठी बातों में उलझा कर आपका ध्यान दूसरी चीजों की ओर केन्द्रित कर देते हैं तथा मौका देखकर छिपाई हुई चीज़ों को निकाल सफाई से इस तरह प्रस्तुत कर देते हैं कि वह किसी चमत्कार का हिस्सा लगने लगती हैं। यदि ऐसे लोगों की परीक्षा लेनी हो, तो उनसे कहें कि वे अपने चमत्कार से कद्दू अथवा तरबूज प्रकट करके दिखाएँ। वे इन चीजों को कदापि नहीं प्रकट कर पाएँगे। इसके अतिरिक्त बहुत छोटी चीजें जैसे गेहूँ, सरसों, चावल आदि के दाने तथा पिसा हुआ आटा भी छुपाना मुश्किल होता है, इसलिए इन्हें भी तथाकथित मंत्रों से प्रकट करना असम्भव होता है।
यूथ हास्टल, चौक, लखनऊ में आयोजित इस पाँच दिवसीय कार्यशाला में डा0 नायक ने हाथ में अंगारे रखने, अंगारों पर चलने तथा जलती हुई आग को खाने के वैज्ञानिक कारणों की भी विवेचना की और लोगों को ऐसे तथाकथित चमत्कारों के झाँसे से दूर रहने की सलाह दी। इस अवसर पर उन्होंने अपने अंधविश्वास निवारण यात्रा का उल्लेख करते हुए बताया कि देश से अंधविश्वास का खात्मा उनका लक्ष्य है। इसके लिए वे देश के कोने कोने में घूमते रहते हैं। अब तक डा0 नायक 2000 से अधिक ऐसे प्रदर्शन कर चुके हैं और उनके कार्यक्रम 'डिस्कवरी', 'बी0बी0सी0' तथा 'नेशनल जियोग्राफिक' सहित अनेक टीवी चैनलों पर दिखाए जा चुके हैं।
चित्र- साभार विकीपीडिया।
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ऐसे प्रदर्शन हर गली हर शहर में होने चाहिए, तभी लोगों की आँखें खुलेंगी।
जवाब देंहटाएंऐसे प्रदर्शन हर गली हर शहर में होने चाहिए, तभी लोगों की आँखें खुलेंगी।
जवाब देंहटाएंPahle pata chalta to is workshop me avashya jata.
जवाब देंहटाएंbahut umda jaankari
जवाब देंहटाएंhttp://sanjaykuamr.blogspot.com/
Sundar prayaas.
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब!ऐसे प्रयासों को और सुसंगठित और सशक्त करने की आवश्यक्ता है।
जवाब देंहटाएंबिलकुल, जागरूकता ही समाज को दकियानूसी विचारों से ऊपर उठा सकते है !
जवाब देंहटाएंभाई चमत्कारों से तो हम भी परहेज़ करते हैं। लेकिन एक बार एक छोटे से जादूगर ने पता नहीं कैसे हमारे हाथ पर बिना छुए खुशबू लगा दी जो काफी देर तक आती रही। मैं आज तक इसका राज़ नहीं समझ सका ।
जवाब देंहटाएंबढिया जागरूक करती पोस्ट.....
जवाब देंहटाएंनब्बे के दशक में थोड़े बहुत स्कूलों / होस्टल्स वगैरह में वर्कशाप करके ज़ोर आज़माइश की है पर अब खुद किसी चमत्कार की उम्मीद में बैठे हैं :)
जवाब देंहटाएंऐसे प्रदर्शन हर गली हर शहर में होने चाहिए!
जवाब देंहटाएंबढिया जागरूक करती पोस्ट.....
जवाब देंहटाएंअपने शहर में हमारी टीम 'चमत्कारों का पर्दाफाश' नाम से लोगो को अंधविश्वासो के खिलाफ जागरूक करती है समाज को जरूरत है इस चेतना की ...
अंधविश्वासों पर लगाम कसने को जागरूक करती रचना ...
जवाब देंहटाएंमैं भी चमत्कार में ज्यादा यकीन नहीं रखता लेकिन एक बार एक बाबा ने मेरी जन्म तिथि बिलकुल सटीक बता दी थी
जवाब देंहटाएंमुझे आज तक ये समझ में नहीं आया, कि उसने कैसे बताई ? अगर किसी महाशय में पास इसकी possible method हो, तो कृपया बताने का कष्ट करें.
सार्थक एवं सराहनीय अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंयह पोस्ट सराहनीय है
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