लगता है ब्लॉग जगत में खाने पीने के शौकीनों की संख्या काफी कम है -तभी तो व्यंजनों से जुडी पिछली पहेली ( चित्र पहेली-63 ) पर अपेक्षानुकूल जवाब...
लगता है ब्लॉग जगत में खाने पीने के शौकीनों की संख्या काफी कम है -तभी तो व्यंजनों से जुडी पिछली पहेली (चित्र पहेली-63) पर अपेक्षानुकूल जवाब नहीं आये .आये भी तो आधे अधूरे आये -कुछ लोगों ने शाकाहार की दुहाई दे कर ही किनारा कर लिया .अंकित ने बिस्मिलाह ही गलत कर दिया -मछली को झींगा बता दिया. फिर नोश फरमाया महफूज ने जिन्हें फागुन का ऐसा नशा चढ़ा है कि हर मछली उन्हें रोहू -नैन ही दिख रही है.
प्रकाश गोविन्द जी ने भी इस बार पहला ब्लाइंड शाट मारकर निराश कर दिया हालांकि बाद में सही जवाब लेकर आये. सीमा गुप्ता जी ने भी जवाब दिया मगर आंशिक ही .(पता नहीं इतनी जल्दीबाजी क्यों कर रही हैं इन दिनों ). मगर अल्पना जी का जवाब बिलकुल ठोक बजा कर आया- मछली का नाम भी और उससे बनने वाला व्यंजन भी. अब सीमा जी ठहरी मेरी मित्र और अल्पना जी शायद कुछ फैन (हा हा दिल को बहलाने को ग़ालिब यह मुगालता अच्छा है) अब मित्रता और फैन (ता ) में वरीयता किसे दिया जाय ?.मगर तब मुझे कुछ छुपे रुस्तमों ने टोका कि, "ये मैं क्यूं अनावश्यक भाव विह्वलता के मोड में चला जाता हूँ (अब उन्हें कैसे समझाएं कि विदुषियों का सम्मान भी आखिर कोई चीज है)-मामला बिलकुल साफ़ है अल्पना जी ने पूरा जवाब दिया है इसलिए जीत का सेहरा उन्ही के सिर पर बंधेगा.आप अपनी फैन के फेवर में निर्णय लें ."निर्णय लेने का काम जाकिर का है -हम तो यहाँ बेगार किये जाते हैं बस. सो, जाकिर भैया विजेता का निर्णय आप ही कर दीजियेगा हम तो बहुत धर्मसंकट में हैं जानी -ऐबी असहज साहब वैसे भी डरा चुके हैं .
पहेली साम्राज्ञी के खिताब की अगली दावेदारी के लिए रेखा प्रहलाद की इंट्री हो चुकी है ---फिजायें सावधान हो जायं -उनका जवाब भी इस बार बिलकुल दुरुस्त है मगर वो कहावत है न गुड गर्ल्स फिनिश लास्ट .हा हा (शायद मैं कहावत कुछ भूल रहा हूँ ..हा हा ) -पता नहीं वे सही जवाब देने सबसे पहले देने कब आयेगीं ? तब तक तो अल्पना वर्मा जी और सीमा गुप्ता जी के पास ही चान्दी सोने का ताज बना रहेगा .बारी बारी से ...
यह मछली पफर फिश (Puffer Fish) है -वैज्ञानिक नाम है tetraodan और प्रजातियाँ कई हैं -इनसे एक बहुत ही खतरनाक विष निकलता है टेट्राओडोटाक्सिन (tetrodotoxin) -इसका प्रयोग कर हाईती में मानव गुलामों को जोम्बी बनाये जाने की खबरे हैं. जोम्बी का मतलब ऐसा गुलाम जिसकी सोचने समझने की क्षमता गायब हो गयी हो -जो बस पुतले की तरह मालिक की हुक्म उदूली करता हो.
अरे हाँ इस मछली से एक विश्वप्रसिद्ध जापानी व्यंजन बनया जाता है -फूगू .और इसके लिए प्रशिक्षित खानसामें रखे जाते हैं जो फूगू बनाने के पहले मछली के आतंरिक हिस्सों से विष निकालते हैं -ज़रा सी चूक हुई तो मेहमान टे बोल जाय -जापान में प्रति वर्ष फूगू से लोग मरते हैं मगर फिर भी इसके प्रति खाने के शौकीनों की दीवानगी में कोई कमी नहीं है .
व्यंजन फूगू
इस मछली की एक प्रजाति भारत में भी नदियों में मिलती है -जो गलफुलनी कही जाती है -हाथ से छूने पर शरीर को गुब्बारे जैसा फुला लेती है-डराती है. मगर इससे यहाँ फूगू नहीं बनाया जाता- इसमें विष होता है या नहीं इस पर कोई रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है. इलाहाबाद में यमुना के किनारे मैंने मछुआरों के बच्चों को इन मछलियों से खेलते हुए देखा है मगर गेंद की तरह फूलने पर इन्हें नृशंसता से पैर से मारकर इनके एयर सैक में भरी हवा को आवाज के साथ निकालते भी देखा है. मना भी किया है उन्हें मैंने ऐसा करने से!
मैं खुद मोहकमाये मछलियान में हूँ..एक सार्वजनिक शाकाहारी भी मगर फोगू चखना चाहता हूँ! बताईये कौन बनाएगा मेरे लिए फूगू-सीमा जी आप या अल्पना जी आप ?
पहेली में भाग लेने वाले सभी महानुभावों को धन्यवाद और विजेताओं (नंबर एक अल्पना जी ) को बधाई !
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फोगू के बारे में जानकारी के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंजब आपकी दावत पक्की हो जाए, तो मुझे भी बताइएगा, अर-रे, खाने नहीं, सिर्फ देखने के लिए।
aachchi jankari ke liye danyavad
जवाब देंहटाएंअल्पना जी को हार्दिक बधाई.....आदरणीय अरविन्द जी, आपका निर्णय बिकुल सही है जिसका पूरा सही जवाब वो बीना संदेह विजेता है. अब रही बात "फूगू" बनाने की तो वेसे हम शाकाहारी हैं मगर अगर आप खाने को तैयार हैं तो हमे भी बनाने में कोई एतराज नहीं.
जवाब देंहटाएंregards
अन्य सभी विजेताओं को भी हार्दिक बधाई...
जवाब देंहटाएंregards
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंखूबसूरत मगर खतरनाक मछली पफर फिश और फूगू के बारे में जानकारी के लिये धन्यवाद
जवाब देंहटाएंवैसे इतनी सुन्दर मछली को खाने के लिये मन नही मानता
प्रणाम
सभी को बधाई ..सीमा जी अपनी हैं [आप से भी पहले से उन्हें जानती हूँ]उन्हें प्रथम स्थान ग़लत भी देते तो भी मैं कभी शिकायत नहीं करती ...
जवाब देंहटाएं***रही बात फुगू बनाने की...तो मुझे तो मछलि की गंध से ही नफ़रत है..बनाने की बात ही नहीं उठती ...और यह ज़हर है जानते हुए भी खाना चाहें तो सीमा जी बना ही रही हैं...खाइए.:D
**रही बात प्रशंसक होने ना होने की. तो यह मुझे खुद भी मालूम नहीं !अब सोचती हूँ फिर जवाब देती हूँ कि यह ख्याल सही है या ग़लत!
आप तब तक इस मामले mein Confuse ही रहें तो ठीक है.
[Pahla bheja detailed comment publish karne ke liye nahin tha---aap ke liye hi tha--
जवाब देंहटाएंjo jeeta vahi sikandar, baaki sab? ;)
जवाब देंहटाएंअल्पना जी को विजेता बनने की हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंअल्पना जी लगता है आपकी शान में इस नाचीज से न चाहते हुए भी असावधानीवश गुस्ताखी हो गयी -माफी चाहता हूँ .
जवाब देंहटाएंअब पहेलियों का जवाब देने में किसी तरह की काव्यात्मकता से बचूंगा .
सच है सीमा जी मित्रता का फर्ज निभायेगी ही ........
उन्हें भी पता तो है ही यह जहर है ....फिर भी दोस्ती का तकाजा तो देखिये जरा सा कहना भर था मेरी मौत के रिस्क पर भी व्यंजन बनाने के लिए तैयार हो गयीं ....
और वे बनायीं तो सच मैं खा भी लूँगा -प्रेम से खिलाने पर जहर भी खा लेना महज मुहावरा ही नहीं ......
मेरी बात जो निश्चित ही विवेकपूर्ण नही थी के लिए एक बार फिर माफी.....
अरे अरविंद जी आप माफी माँग कर शर्मिंदा कर रहे हैं..ऐसा कुछ नहीं है जो मुझे बुरा लगा.
जवाब देंहटाएं--Well...there is nothing wrong in saying 'Yes I am your fan'.Fan of your vast knowledge which you have not only in science but in other fields too.
tht says it all!:)
फोगू के बारे में जानकारी के लिए आभार।अल्पना जी को हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएं@अल्पना जी ,लम्बे अनिश्चय के बाद /बावजूद भी यह टिप्पणी प्रकाशित कर रहा हूँ -.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, मगर इतनी प्रशंसा के योग्य तो बिलकुल नहीं हूँ -
आपके बौद्धिक निवेशों की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी यहाँ -जो बीत गयी सो बात गयी ...
फागुन का असर हर कहीं है.
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