क्या आपको 26 जनवरी 2001 की याद है, जब एक ओर देश की राजधानी में गणतंत्र दिवस की 51वीं वर्षगांठ के अवसर पर देश के राष्ट्रपति परेड की सलामी ल...
क्या आपको 26 जनवरी 2001 की याद है, जब एक ओर देश की राजधानी में गणतंत्र दिवस की 51वीं वर्षगांठ के अवसर पर देश के राष्ट्रपति परेड की सलामी ले रहे थे, वही दूसरी ओर वहां से काफी दूर 23.40 अक्षांश और 70.32 देशांतर पर गुजरात में सुबहर 8 बजकर 46 मिनट और 41 सेकण्ड पर भूकम्प का ऐसा झटका आया कि उसने भुज और उसके आसपास के क्षेत्र को पूरी तरह से नेस्तानाबूद कर दिया। वह काली सुबह आज भी जब याद आती है, तो लोगों के दिल दहल उठते हैं। उसी विनाश, उसी दहशत को हाल ही में हैती में आए भूकम्प ने फिरसे जैसे याद दिला दिया है।
इन महाविनाश की घटनाओं को देखकर सहसा ही मन में सवाल उठता है कि क्यों आते हैं ये भूकम्प? वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी की बाहर पर्त या भूपटल की बनावट बड़ी और छोटी कठोर प्लेटों से बनी चौखरी आरी जैसी होती है। इन प्लेटों की मोटाई सैकड़ों किलोमीटर तक हो सकती है। ऐसा माना जाता है कि इन प्लेटों के नीचे बहने वाली संवहन धाराओं के कारण ये प्लेटें एक दूसरे के सापेक्ष गति करती हैं। हालाँकि इन प्लेटों की गति काफी धीमी होती है, लेकिन जहां पर ये प्लेटें आपस में मिलती हैं, वहां पर इनके किनारे आपस में एक दूसरे में फंस जाते हैं। इस वजह से इनकी गति में बाधा उत्पन्न होती है। ऐसी दशा में इनके मध्य जब अत्यधिक दबाव उत्पन्न हो जाता है, तो ये प्लेटें एक दूसरे को जोरदार झटका देकर खिसकती हैं। इसी झटके के कारण भूकम्प उत्पन्न होते हैं।
भूकम्प्ा द्वारा होने वाली भयानक तबाही के कारण वैज्ञानिक इसके आधार पर जुटाए गये आंकणों के आधार पर इसकी भविष्यवाणी के प्रयास में लगे हुए हैं। लेकिन अभी तक उन्हें इनमें पर्याप्त सफलता नहीं मिल पाई है। लेकिन यदि सभी लोगों को यह जानकारी हो कि भूकम्प के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं, तो लोगों की जान-माल की सुरक्षा काफी हद तक की जा सकती है।
ऐसी ही तमाम उपयोगी जानकारियों को पुस्तक के रूप में लेकर हाजिर हुए हैं कुशल विज्ञान संचारक सुबोध महंती। उनकी इस सद्य प्रकाशित पुस्तक का नाम है- 'धरती का आक्रोश-भूकम्प, ज्वालामुखी एवं सुनामी'। ''विज्ञान प्रसार' द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में उन्होंने भूकम्प, ज्वालामुखी और सुनामी जैसी प्राकृतिक घटनाओं की विस्तृत विवेचना की है। महंती जी बताते हैं कि जब भूकम्प आने पर लोगों को घर के बाहर नहीं निकलना चाहिए। जहां तक हो सके उन्हें मजबूत फर्नीचर और दीवारों से दूर रहना चाहिए। भूकम्प के दौरान लिफ्ट, एलीवेटर और सीढ़ियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यदि आप बिस्तर पर हैं तब वहीं रहें। अने सिर को तकिये से ढक लें और बिस्तर को कस कर पकड़ लें। ऐसे समय में दरवाजों, अलमारियों, दर्पण और कांच की खिड़कियों से बिलकुल दूर रहना चाहिए। भूकम्प के दौरान यदि आप खुले स्थान में हों तो वृक्षों, बिजली की लाइन, होर्डिंग से दूर रहें तथा खुले स्थान में जमीन पर लेट जाएं। यदि आप वाहन के अंदर हों, तो उसे खुले स्थान पर ले जाकर इंजन बंद कर दें तथा भूकम्प के समाप्त होने तक उससे बाहर निकलें।
इसके अतिरिक्त भी अन्य बहुत सी महत्वपूर्ण बातों को इस पुस्तक में सरल और सुबोध शैली में समझाया गया है, जिसके कारण यह पुस्तक बहुत उपयोगी बन पड़ी है। सभी शैक्षिक संस्थाओं, विद्यार्थियों, विज्ञान प्रेमियों और धरती को जानने की इच्छा रखने वाले पाठकों के लिए यह एक उपयोगी पुस्तक है। सम्पूर्ण पुस्तक रंगीन चित्रों सज्जित है, जिससे यह पठनीय के साथ ही साथ आकर्षक भी बन पड़ी है। इस उपयोगी प्रकाशन के लिए विज्ञान प्रसार बधाई का पात्र है।
पुस्तक- धरती का आक्रोश-भूकम्प, ज्वालामुखी एवं सुनामी
लेखक- सुबोध महंती
प्रकाशक- विज्ञान प्रसार, ए-50, इंस्टीटयूशनल एरिया, सेक्टर-62, नोएडा-201307 फोन- 0120-2404430/35
मूल्य- 95 रूपये।
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जानकारी के लिए धन्यवाद .. देखें पुस्तक को पढने का मौका कब मिलता है ??
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया जानकारी दी है आपने शुक्रिया पढेंगे इस को जरुर
जवाब देंहटाएंइस जानकारी के लिये धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर जानकारी, लेकिन जब भुकम्प आयेगा तो उस समय किसे होश होती है ओर भुकम्प तो कुछ मिंटो मै अपना काम कर देता है, ओर लोग बचना भी चाहे तो बच नही सकते उन्हे अपनो को भी तो बचाना होता है, ओर उसी चक्कर मै सब फ़ंस जाते है.
जवाब देंहटाएंआप का धन्यवाद
जानकारी के लिए धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंइसे पढना पड़ेगा,धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी के लिये धन्यबाद
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी तरह याद है वह भूकंप ...बच्चे स्कूल में थे ...
जवाब देंहटाएंपुस्तक और भूकंप की जानकारी के लिए आभार ....
पुस्तक के बारे मे अच्छी जानकारी दी है आपने ........
जवाब देंहटाएंगुजरात का भूकंप किसे याद नही होगा और अब हैती भी उसी के चपेट मे है । आप ने िस महत्वपूर्ण पुस्तक की विवेचना करके बहुत अच्छा काम किया है । भूकंप आने से पहले कुछ बाये इंडिकेटर्स को भी ध्यान में रखा जाये तो लाभकारी होता है अक्सर जानवर जिनकी संवेदनाएं हम से ज्यादा कार्यक्षम होती हैं हमें इसकी सूचना देते है। कभी इसके बारे में भी बतायें ।
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