ठंड का मौसम हो तो मयखाने में लोगों की आमद बढ़ जाती है। इसके पीछे कारण यह है कि शराब का सेवन करने के बाद शरीर में गर्माहट पैदा होती है। ...
ठंड का मौसम हो तो मयखाने में लोगों की आमद बढ़ जाती है। इसके पीछे कारण यह है कि शराब का सेवन करने के बाद शरीर में गर्माहट पैदा होती है। लेकिन इस खतरनाक ठंड में जब लखनऊ जैसा शहर भी मंसूरी का एहसास करा रहा है, दो पैग आपके लिए जानलेवा भी साबित हो सकते हैं।
क्या कहा आपने? आपको यकीन नहीं होता। तो सुनिए जब वातावरण ठंडा होता है, तो आपका शरीर अपने भीतर की गर्मी को बचाने के लिए शरीर की धमनियाँ हल्की सी सिकुड़ जाती हैं। लेकिन जब कोई व्यक्ति मदिरा का सेवन करता है, तो शरीर की यह प्राकृतिक सुरक्षा प्रणाली काम नहीं करती है और धमनियाँ ठंड लगने के बावजूद सिकुड़ नहीं पाती हैं। इस वजह से शरीर को ऊर्जा देने वाले जिगर की ग्लूकोज पैदा करने वाली इकाई ठप्प हो जाती है। ऐसी अवस्था में ठंड भारी पड़ती है। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि यदि आप घर के बाहर निकल रहे हैं, तो भूल कर भी पैग न लें, क्योंकि ये पैग आपको वाकई भारी पड़ सकते हैं और आपको लेने के देने पड़ सकते हैं।
अगर आप इस सर्दी का पूरा आनंद लेना चाहते हैं, तो जब भी घर से बाहर निकलें, शरीर के सभी अंगों को गर्म कपड़ों से ढ़क लें।
जहाँ तक सम्भव हो थोड़ी थोड़ी देर पर गर्म पदार्थ जैसे चाय, कॉफी, सूप आदि लेते रहें। इनके स्थान पर सिर्फ गुनगुना पानी लेना भी फायदेमंद होता है। इससे शरीर को गर्मी मिलती रहती है और शरीर में पर्याप्त ऊर्जा बनी रहती है।
बच्चों को भूल से भी सादा अथवा ठण्डा पानी न दें, यह उनके लिए खतरनाक हो सकता है। उनके लिए अच्छा हो कि आप हॉट पॉट में गुनगुना कर के रख लें और उन्हें आवश्यकता पड़ने पर देते रहें।
सर्दी से बचाने के लिए शरीर को यथा सम्भव सक्रिय रखना बेहद आवश्यक होता है। इसलिए कोशिश करें कि बंद स्थान पर थोड़ी बहुत एक्सरसाइज अवश्य करें। इसके साथ ही साथ समय समय पर थोड़ा बहुत चलते फिरते भी रहें। इससे शरीर की ऊर्जा इकाइयां सक्रिय रहती हैं और शरीर में आंतरिक ऊष्मा का संचार बराबर बना रहता है।
शरीर को गर्म रखने के लिए सम्भव हो, तो आग की सेंक लेते रहें। लेकिन यदि आप इसके लिए लकड़ी अथवा कोयले का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो धुंए की निकासी की उचित व्यवस्था अवश्य रखें। लेकिन सोते समय आग को अवश्य बंद कर दें। क्योंकि आग के जलने से कमरे में आक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है और कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा बढ़ती जाती है। और यह आपके लिए बेहद खतरनाक हो सकता है।
कमरे में आग जलने से हवा की नमी भी प्रभावित होती है और हवा शुष्क हो जाती है। ऐसी दशा में वाइरस और बैक्टीरिया के संक्रमण बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए यदि कमरे में आग जला रहे हैं, तो उसके पास किसी भगोने आदि में पानी भर कर रख लें, जिससे उसकी भाप हवा में मिलती रहे और हवा की आवश्यक नमी बरकरार रहे।
तमाम सावधानियों के बावजूद भी अगर आपको सर्दी, जुकाम जो जाए, तो गर्म पानी की भाप लें, एक भगोने में गुनगुना पानी रख कर उसमें अपने पैर रख कर बैठें। इससे काफी लाभ मिलेगा।
सर्दी से बचाव के लिए अजवाइन एक बेहद कारगर प्राकृतिक तत्व है। सर्दियों में दिन में सप्ताह में चार बार लगभग दो चाय के चम्मच के बराबर अजवाइन बिना चबाए पानी के साथ निगलने से शरीर में सर्दी से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है। बच्चों को लगभग इसकी आधी खुराक दी जा सकती है।
यदि आप इन छोटे-छोटे उपयों को अपनाएं तो न सिर्फ ठंड के दुष्प्रभावों से बच सकते हैं, बल्कि घर बैठे ही शिमला और मंसूरी का पूरा आनंद भी ले सकते हैं।
लेकिन डाक्टर के मुताबिक़ ज्यादा ठण्ड में ज्यादा शराब नहीं पीनी चाहिए; शायेद ऐसा कुछ है !
जवाब देंहटाएंaapne to chintit kar diya.
जवाब देंहटाएंaapke sujhav ka dhyan rakhna padega
जवाब देंहटाएंसलीम भाई, वही तो मैं भी कह रहा हूँ।
जवाब देंहटाएंयेसा डरावना मजाक .....
जवाब देंहटाएंठ्न्ड मे ही तो पीते थे साकी, सब कुछ भूलजाने को
कौन कमब्ख्त पीता है यहॉ जान बचाने को
सलाह तो भाईजान उम्दा है लेकिन तस्वीर तो आपनें तूफानी लगा रखी है.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन। लाजवाब। आपको नए साल की मुबारकबाद।
जवाब देंहटाएंआपने सोच में डाल दिया !
जवाब देंहटाएंलोग डाक्टर की सलाह मानते कहां हैं ! बल्कि डाक्टर भी ....? हुआ यूँ की डाक्टरों की कांफ्रेंस में घंटों तक चर्चा हुई जिसमें तय पाया गया की धूम्रपान सेहत के लिए ख़राब है ! बाद में सबसे ज्यादा सिगरेट्स के टुकड़े उसी कांफ्रेंस हाल में से निकले !
अब पीने के लिए इतनी मेहनत करना ही पड़ेगी. :)
जवाब देंहटाएंकाम की जानकारियां नोट कर ली हैं , आभार
जवाब देंहटाएंबढ़िया और काम की पोस्ट। इसी वजह से हर साल इकतीस दिसम्बर को नए साल का जश्न मनाकर लौटते हुए दुर्घटनाओं का शिकार भी होते हैं वे शौकीन जिन्हें सचमुच लगता है कि साल की शुरुआत तो एक दिन ही होती है।
जवाब देंहटाएंतस्लीम भाई,
जवाब देंहटाएं२०१० में आप सपरिवार स्वस्थ रहें
लेख अच्छा लिखा है ये
हमारे देसी नुस्खे शामिल करने का शुक्रिया
पुरुषों के श्रेष्ठता के जींस से मैं सहमत नहीं ,इस पर कमेन्ट के नाम पर मैं पूरी किताब लिख सकती थी ,इसलिए डर के मारे नहीं लिखा
वैसे भी आपका ब्लॉग पढ़े बिना चैन नहीं मिलता
रोचक जानकारी परक मगर ये बात ठीक नहीं आप लोगों को असुर बना रहे ...जो सुरापान न करे वही तो असुर है .....मजाक नहीं यही सच है ...
जवाब देंहटाएंऔर इसलिए ही तो शेख जी ने आर्तनाद किया है
....फिर मुझे वो जगह बता दे जहाँ खुदा न हो .....
बहुत ही सार्थक लेख।
जवाब देंहटाएंसम्भवत: शेख सादी ने ऐसा कुछ कहा था कि जिन्दगी में दो बातें हैं - अच्छी और बुरी। अच्छी बात करना चाहिए। ... ऐसी सादगी पर कौन न क़ुरबाँ हो जाए!
अरविन्द जी को 'खोजी ब्लॉगर' का सम्मान मिलना चाहिए। आप प्रतियोगिता में यह एक श्रेणी रख लें और उनका नाम भी नामांकित कर के आगे के नामांकन बन्द कर दें। जिस ब्लॉग लेख का लिंक उन्हों ने दिया है, वह वाकई अद्भुत है। सभी को उसका 'सेवन' करना चाहिए।
सुर की 'देव दानवी' लिंक पर वह शोधरत हैं। शीघ्र ही लेख आने वाला है।
देखिए ये सुर की सुरसुरी बहुत दूर तक जाती है। सुर, बेसुर संगीत से सम्बन्ध रखते हैं। सुरा के बारे में आप ने लिखा ही है। आगे बढ़ाएँ तो जो न पिए वो बेसुरा। आप के अनुसार जाड़े में बेसुरा होने में कोई बुराई नहीं। ठंड में गदहे तक रेंकना बन्द कर देते हैं। माने जो जाड़े में न पिए वह गर्दभ श्रेणी में आता है।
सुर का विलोम असुर होता है। इसी तर्ज पर सुरा का विलोम असुरा होता है - हमने संगीत और संगत-ए-जाम का घालमेल जो कर दिया है! अब इस घालमेल को आगे नहीं बढ़ाऊँगा क्यों कि मुआमला निषिद्ध क्षेत्र में चला जाएगा। अभी पिछ्ला कोलाहल ही शांत नहीं हुआ है । मुझे न तो एक और हल्ला काटने का शुक है और टिप्पणियों को पोस्ट की तरह से लिख मारने से मैं really दु:खी हूँ। सच्ची !
धन्यवाद मेरा तो पैसा बच जायेगा जो डाक्टर साहेब लेने वाले थे ...पर सारे डाक्टर नाराज़ ना हो जाएँ आपसे
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मेरा तो पैसा बच जायेगा जो डाक्टर साहेब लेने वाले थे ...पर सारे डाक्टर नाराज़ ना हो जाएँ आपसे
जवाब देंहटाएंतौबा....तौबा
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कसम खाता हूँ
आज से बंद
भैया ... बिलकुल बंद
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इस तरह की पोस्ट पे आना ही बंद ...:)
अच्छी जानकारी दी है आपने.
जवाब देंहटाएंबेहद जरूरी और ज्ञानवर्धक पोस्ट..!
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