प्ले ब्वॉय (Playboy) के संस्थापक हॉग हेफनर (Hugh Hefner)
सेक्स एक ऐसा विषय है, जिसमें हर स्त्री-पुरूष की रूचि होती है, लेकिन भारतीय समाज में इसे ‘टैबू’ की संज्ञा प्राप्त है। इस पर सार्वजनिक रूप से बात करना, अपने अनुभव शेयर करना सब कुछ प्रतिबंधित है। बावजूद इसके लगभग हर व्यक्ति दबे-छुपे ढ़ंग से इसको देखने, सुनने, जानने, समझने में लगा रहता है।
जब सेक्स चुटकुलों में ढ़लता है, तो नॉनवेज जोक्स के रूप में एस0एम0एस0 पर राज करता है, जब इसे दबे छुपे देखने की हसरत परवान चढ़ती है, तो यह नीली फिल्मों के रूप में समाज के सामने आता है और जब इसके लिए परिवार के बच्चों को अनावश्यक रूप से प्रताणित किया जाता है, तो तरह-तरह की यौन विकृतियों से त्रस्त व्यक्तित्व सामने आते हैं। नतीजतन तमाम तरह के यौन रोग और पारिवारिक अशान्ति।
लेकिन अब समाज बदल रहा है। अब लोगों को यौन शिक्षा का महत्व समझ में आ रहा है, उसकी आवश्यकता पर बात की जाने लगी है। भले ही धार्मिक रूढियों से ग्रस्त लोग अब भी इसे अंधेरे कमरे की चीज़ समझते हों, पर अब लोग इस पर चर्चा ( एक, दो, तीन, चार ) करने के लिए हिम्मत दिखाने लगे हैं। और इसी व्यापक दृष्टिकोण वाले ब्लॉगर्स की खोज के लिए आयोजित की गयी थी यह पहेली (चित्र पहेली-54), जिसमें संजय बेंगाणी, सीमा गुप्ता, घोस्ट बस्टर और पंडित वत्स जी ने सही जवाब देकर विजेता का खिताब जीता है। इन सभी लोगों को ‘तस्लीम’ परिवार की ओर हार्दिक बधाईयाँ।
इस पहेली को पोस्ट करते समय अरविंद जी के मन में कहीं यह बात पहले से ही थी कि संजय बेंगाणी जी इसका सही जवाब दे सकते हैं। और जब उनका पहला ही सही जवाब आया, तो इसे देखकर हमें आश्चर्यमिश्रित प्रसन्नता हुई। सीमा जी दूसरी विजेता रही है और घोस्ट बस्टर जी तीसरे। इन दोनों लोगों को भी बधाई। पंडित वत्स जी का सही जवाब पाकर हमें प्रसन्नता हुई कि वे सिर्फ ज्योतिष की दुनिया में खोए रहने वाले रूढिवादी व्यक्ति नहीं हैं। उन्होंने इस पहेली का सही उत्तर देखकर यह साबित किया कि उनका व्यक्तित्व और दृष्टिकोण बहुत व्यापक है। इसके लिए उन्हें भी बधाई। चूंकि इस बार की पहेली वाकई कठिन थी, इसलिए सभी सही जवाब देने वाले विजेताओं को विजेता घोषित करते हुए उन्हें विजेता प्रमाण पत्र प्रेषित किये जा रहे हैं।
चित्र में दिखाए गये व्यक्ति हॉग हेफनर (Hugh Hefner) हैं, जो अमेरिकी एडल्ट मैग्जीन 'प्ले ब्वॉय (American adult magazine- Playboy) के प्रकाशक हैं और स्वयं द्वारा स्थापित 'प्ले ब्वॉय इंटरप्राइजेज' (Playboy Enterprises) के चीफ क्रिएटिव आफिसर भी हैं। 'प्ले ब्वॉय इंटरप्राइजेज' एक मीडिया एण्ड लाइफ स्टाइल (media and lifestyle) की ग्लोबल कम्पनी है। इसका मुख्यालय Beverly Hills, California में स्थित है।
‘प्लेब्वॉय’ की चर्चा सोमवार को लखनऊ में आयोजित पहली नॉन आफीशियल ब्लॉगर मीट में भी छाई रही। इससे सम्बंधित कुछ बातें आप वहाँ भी पढ़ सकते हैं। लेकिन अब आते हैं हम सबसे जरूरी बात पर कि इस पहेली को यहाँ क्यों प्रकाशित किया गया। तो इसका मुख्य कारण यह था कि ‘प्लेब्वॉय’ भले ही न्यूड फोटोग्राफी (Nude Photography) के लिए कुख्यात हो, पर इस पत्रिका में अच्छे लेख और कहानियाँ भी प्रकाशित होते रहे हैं, जिसमें आसिमोव (Asimov) की विज्ञान कथाएँ (Science Fiction) भी हैं।
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"इस पहेली को पोस्ट करते समय अरविंद जी के मन में कहीं यह बात पहले से ही थी कि संजय बेंगाणी जी इसका सही जवाब दे सकते हैं।""
जवाब देंहटाएंप्रसंशा हो रही है या बदनाम कर रहें हैं? :)
Dear Sir,
जवाब देंहटाएंHef was in news recently for celebrating his 83rd birthday. The event was widely covered by Indian media. Even Khushwant Singh noticed this. He wrote in his column in HT on 08.11.2009 the following : " He celebrated his 83rd birthday in grand style in his mansion in Los Angeles. He invited three girls featured earlier in all their naked glory as the month’s beauties to stay with him for a few weeks. All three are young enough to be his granddaughters. But there he was in his nightgown posing with the girls grinning ear to ear for the readers to see — and envy. I certainly did not envy him. I said to myself: “The fellow has got old and has started making an ass of himself.”
2. Playboy is not published in India but it is available here. It is quite expensive. So till its cheap edition is made available, you may like to read some other desi stuff for enhancing your knowledge on Sex, which is, according to Taslim, very essential.
@संजय जी ,प्रसंशा हो रही है -और मेरे पूर्वाभास का अभी लोहा तो मानिए !
जवाब देंहटाएंMr.Shamim ,Thanks for pun,play boy has been my favorite since it published beautiful sci fi stories as well which are not found in what you called the deshi versions -you seem to be an expert on the matter !Kudos!
जवाब देंहटाएंअरविन्दजी का पूर्वाभास अचम्भित करने वाला है क्योंकि पहेलियों पर बहुत कम जाता हूँ, यहाँ भी ऐसे ही चटका लगाया और प्लेबॉय की उपस्थिति ने मुस्कुराने पर मजबूर कर दिया. तो टिप्पणी कर दी. अनायस ही हो गया जो अरविन्दजी की धारणा थी!
जवाब देंहटाएंइस सम्मान में रुसवाई का भी डर है. हमें भी सफ़ाई पेश करने का मौका दिया जाए.
जवाब देंहटाएंप्लेब्वॉय कभी नहीं पढ़ी. पहेली में दो हिंट थे. एक बैकग्राउंड में मैक्सिम का लोगो था दूसरा अरविंद जी ने रसिया शब्द का प्रयोग किया था. इंटरनेट पर सर्च करने गये और मैक्सिम के एडिटर को खोजा. बात नहीं बनी. फ़िर प्लेब्बॉय का खयाल आया. शक्लों को थोड़ा मिलान करने के बाद कन्फ़र्म हो गया. उत्तर दाग दिया.
इससे ज्यादा कुछ नहीं माई-बाप.
हमें तो लगता है कि घोस्ट बस्टर जी ने ये सफाई हमारे लिए पेश की है :)
जवाब देंहटाएंहूबहू हमारे साथ भी कुछ ऎसा ही हुआ था...चित्र खोजने पर नाम तो पता चल गया था कि ये कोई हांग हफनर नाम के महाशय है...लेकिन ये आप से ही पता चला कि ये ऎसी-वैसी किसी पत्रिका के संस्थापक हैं ।
कमाल हो गया, प्रोतियोगिता जीतने पर भी सफाई देनी पड़ रही है।
जवाब देंहटाएंलेकिन सीमा जी कहाँ रह गयीं? क्या उन्हें अपनी सफाई में कुछ नहीं कहना?
@ ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ ji … आपने हमारा नाम लिया तो हम भी हाजिर हो गये, पहले तो ये की ये कहाँ लिखा है की जिन्होंने ये playboy पत्रिका पड़ी हो व्ही इसमें भाग ले सकते हैं. हमे न तो इस पहेली को बुझने का कोई अफ़सोस है न ही हमने कुछ कहना बेहतर समझा. हमे आदरणीय अरविन्द जी पर पूरा भरोसा है और तस्लीम की पहेलियों में हम बराबर हिस्सा लेते रहे हैं. और हमने इस पहेली को भी अन्य पहेलियों की तरह ही लिया. जब बंदर , पशु, वनस्पति , पक्षियों के बारे में पुचा जाता है तब भी हम अंतरजाल पर सर्च करके ही अधिकतर जवाब ढूंढ़ पाते हैं , तो जाहिर सी बात है ये पहेली भी सभी ने नेट पर ही सर्च करके जवाब दिया होगा. बाकि पहेलियों को बुझने से सम्मान पर कोई आंच आएगी ये हमारा मानना नहीं है.
जवाब देंहटाएंअंत में सभी विजेताओ को हार्दिक बधाई.
regards
अंत में सभी विजेताओ को हार्दिक बधाई.
जवाब देंहटाएंregards
@भूत भावन भाई अब ज्यादा स्पष्टीकरण न दीजिये -आप भी किसी रसिया से कम नहीं हैं -अब तो आप पूरी तरह गोल के आदमी हो गए हैं ,ha ha -और तेजस्विता तो खैर है ही जो इतने बारीक क्लूज से सभी विजेता सही हल तक जा पहुंचे !
जवाब देंहटाएं@Seema ji ,aap jaantee hain ham aapkaa kitnaa samman karte hain -yah pahelee pahchaananaa aapkee vilakshan pratibhaa kaa parichaayak hai !(sorry indic transliteration has just got defunct.....