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baat to aapne sahi kahi hai magar aaj kaun naitikta ki sochta hai........har koi apna pet kaise bhare yehi sochta hai.
जवाब देंहटाएंHindi media is full of dalals, mediocres and silly persons. Don't expect much.
जवाब देंहटाएंज्योतिषाचार्च डा0 लक्ष्मण दास से कितने में निपटा जा सकता है?
जवाब देंहटाएंआपका डालर कन्वर्सन पसंद आया !लेटेस्ट रेट पकडा आपने !!
जवाब देंहटाएंवाराणसी के तथाकथित सिद्ध ज्योतिषाचार्च डा0 लक्ष्मण दास के अनुसार ऐसा समभव है। वे मात्र 3285 रू0 “दक्षिणा” लेकर “सर्वबाधा निवारण यंत्र” प्रदान करते हैं
जवाब देंहटाएंबिलकुल सत्य है मैं इससे पूर्णतया सहमत हूँ इस यन्त्र को लेने से "ज्योतिषाचारी डा0 लक्ष्मण दास जी की सर्व बाधा हट जाएँगी!!!
आप ले कर देखिये अगर दिन में १ भी बिकता है तो सोचिये monthly income क्या होगी!!! लक्ष्मण दास जी की बाधा तो हटेगी ही, उनके साथ और भी कईयों की हट जायेग!!! उन्होंने ऐसा थोडा ही कहा है लेने वाले की हटेगी ! ! ! ! हा...हा...हा...
is bat ko koi moorkh hi manega ..kyon jyotshi mahraj desh hit me chidambarm ji konahi bhej dete??apne ko dono (hindustan,jyotshi )jyada syanae samjhte hain....
जवाब देंहटाएंis baat ko koi moorkh hi maanega,
जवाब देंहटाएंwaise is desh me moorkho ki koi kami thore hi hai..
' hindustan , me hee naheen sabhee shamil hain . aye mere pyare vatan ,kya hoga tera ? bhagwan ko bhee to naheen manata . varna uske bharose chhod deta .
जवाब देंहटाएंबेवकूफ बनाने वाला ? अजी भारत मै इन्ही बेवकूफ़ो की वजह से इन की दुकान चलती है, यानि बने बनाये को यह क्या बनायेगे ?
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लेख लोगो की आंखॆ खोलने वाला
हम दुसरो को क्यो दोष दे , यहाँ तो गलती तो हमारी ही है जिसे हम बढावा दे रहे है ।
जवाब देंहटाएंहा...हा...हा... रजनीश भाई बढ़िया क्लास ली है आपने। लक्ष्मण दास जी को चीन से लड़ने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। वैसे ये तो अंधविश्वास को ही बढ़ावा देने वाला विज्ञापन है। अख़बार तो मसाज पार्लर के नाम पर भी देह व्यापार के विज्ञापनो से पटे होते हैं। लेकिन पैसे के आगे कौन बोलता है।
जवाब देंहटाएंप्रबुद्ध लोगों की करनी और कथनी में इस कदर फर्क है तभी शायद इस 'समागम 2009' को बहुत से लोगों ने बौद्धिक अय्याशी का नाम दिया था ! शशि शेखर जी से पूछा जाना चाहिए कि हमने तो शुरुआत कर दी लेकिन आप कब करेंगे ?
जवाब देंहटाएंयह बात सही है कि अखबार और पत्रिका चलाने के लिए विज्ञापन की जरूरत होती है लेकिन क्या इसकी खातिर आप समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लेंगे ? कल को अगर तालिबान जेहाद की खातिर नवयुवकों की भर्ती का विज्ञापन देगी तो वो भी छापोगे ?
आजकल आपने देखा होगा एक-दो टीवी चैनल पर इसाई मिशनरीज किस तरह अपने धर्म की हास्यस्पद तरीके से मार्केटिंग कर रही हैं ! पता ही नहीं चलता कि यीशु की मार्केटिंग चल रही है या सोना बेल्ट की ?
मीडिया का अजीब तमाशा देखने को मिल रहा है .... अखबार में जिस बाबा का जोरदार भ्रामक विज्ञापन पचासों बार छपता है ...कुछ दिनों बाद उसी अखबार में उनकी गिरफ्तारी और ठगी के किस्से भी छापे जाते हैं ! कुछ दिनों पहले जब केंद्र सरकार ने मीडिया पर अंकुश लगाने की बात कही तो सारे रंगे सियार एक होकर आन्दोलन पर उतर आये थे ! लेकिन मेरा मानना है कि मीडिया पर अंकुश अवश्य लगना चाहिए !
आज समाज का शिक्षित और सुविधाभोगी वर्ग जिस तरह अपने जीवन में तर्क-विरोधी होता जा रहा है - वो शर्मनाक व निराशाजनक है ! आज संपन्न वर्ग के ज्यादातर लोग अन्धविश्वासी हैं ! स्थिति यह है कि समाज के सबसे संपन्न तबकों के लोग अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए किसी भी तरह की हास्यास्पद और ऊलजलूल की सीमा तक जाने को तैयार हैं , हर तरह के टोटके करने को तैयार हैं ! संपन्न वर्ग जो ऊपर से तो अत्याधुनिक, अतिआत्मविश्वासी दिखायी पड़ता है, मगर अन्दर से उतना ही पिछडा और डरा हुआ है ! इसीलिये बाबाओं-तांत्रिकों के धंधे भी अब ज्यादा तेजी से पनप रहे हैं !
बढ़िया आलेख.. आखें खोलने वाला...
जवाब देंहटाएंमुझे कुछ महंगा लग रहा है ! इसे खरीद पाने में आ रही बाधायें दूर हो जायें ऐसा कोई यंत्र है क्या ?
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