रेगिस्तान शुष्कता का प्रतीक है। लेकिन वैज्ञानिकों की बात करें तो जहाँ वार्षिक वर्षा 250 मिमी० से कम होती है, उस क्षेत्र को रेगिस्तान कह...
रेगिस्तान शुष्कता का प्रतीक है। लेकिन वैज्ञानिकों की बात करें तो जहाँ वार्षिक वर्षा 250 मिमी० से कम होती है, उस क्षेत्र को रेगिस्तान कहते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि पृथ्वी की एक तिहाई भूमि रेगिस्तानों से घिरी हुई है। जबकि कुल रेगिस्तानी भूमि में से केवल 15 से 20 प्रतिशत भाग पूरी तरह रेत से ढका हुआ है। और आश्चर्य का विषय यह है कि अधिकांश रेगिस्तान कर्क रेखा व मकर देखा के निकटवर्ती क्षेत्रों में ही स्थित हैं।

रेगिस्तान के रूप में ऐसे बहुत से रोचक और चिंताजनक तथ्यों का खुलासा करती पुस्तक है “रेगिस्तान: पृथ्वी के शुष्क क्षेत्र”। श्री सुबोध महंती द्वारा रचित यह पुस्तक न सिर्फ हमारी अनेक धारणाओं को विखंडित करती है, वरन अनेक ऐसी पर्यावरणीय समस्याओं की ओर ओर भी हमारा ध्यान आकृष्ट कराती है, जिनपर आमतौर से लोगों की नजर नहीं जाती है। वे पुस्तक के प्राक्कथन में चेताते हुए लिखते हैं-
“रेगिस्तान पृथ्वी पर दूसरा सबसे विशाल वातावरण स्थापित करते हैं। रेगिस्तान भूमंडलीय जलवायु तंत्र का एक अत्यंत महत्वपूर्ण भाग हैं। आज रेगिस्तान तथा उनका वातावरण संकट में हैं। लाखों हेक्टेअर भूमि अपनी उपजाऊ शक्ति खोकर मरूभूमि में बदलती जा रही है, जिसे कि “डिजर्टीफिकेशन” अथवा रेगिस्तानीकरण कहा जा सकता है। रेगिस्तानीकरण की यह प्रक्रिया विगत अनेक दशकों से हो रही है और अनेक प्रमाण इसकी पुष्टि भी करते हैं। यह प्रक्रिया निसंदेह अपना दायरा बढ़ाती हुई मानव तथा वातावरण के लिए एक संकटकारी व घातक स्थिति की सूचक है।”
आलोच्य पुस्तक में रेगिस्तान और उसके बारे में वह सब कुछ जाना जा सकता है, जो उससे जुड़ा हुआ है। यह पुस्तक बताती है कि धरती के प्रमुख रेगिस्तानी इलाके कौन से हैं, रेगिस्तानी जीव कैसे होते हैं, रेगिस्तान के निवासी वहां पर किस तरह से रहते हैं, रेगिस्तान में जल की क्या स्थितियां हैं और रेगिस्तान कैसे बनते हैं। इसके साथ ही साथ जहां यह पुस्तक रेगिस्तान में पाये जाने वाली खनिज सम्पदा को बताना नहीं भूलती, वहीं रेगिस्तानीकरण को किस प्रकार से रोका जाए इसकी जानकारी भी उसके पास है। प्रसन्नता का विषय यह है कि यह महत्वपूर्ण पुस्तक संयुक्त राष्ट्र के रेगिस्तानी सम्मेलन के दस वर्ष पूरे होने और उसके महासचिव कोफी अन्नान की उस चिंता से भी जुड़ी हुई है, जिसमें वे कहते हैं- “मैं समस्त राष्ट्रीय सरकारों से अपेक्षा करता हूँ कि वे मरूभूमि के निकट रहने वाले लोगों पर अपनी दृष्टि केन्द्रित करें तथा उनकी शान्ति, स्वास्थ्य व सामाजिक उत्थान को सुनिश्चित करें।”
“विज्ञान प्रसार” द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक, जिसे रंगीन चित्रों से भरपूर मात्रा में सजाया गया है, ग्लासी पेपर पर प्रकाशित हुई है। आलोच्य पुस्तक इस अर्थ में भी महत्वपूर्ण है कि इस विषय पर हिन्दी में कोई भी किताब खोजने से नहीं मिलती। आशा है “रेगिस्तान के इंसाइक्लोपीडिया” के रूप में हमारे सामने आई यह किताब अपने महत्वपूर्ण विषय के कारण न सिर्फ बच्चों बल्कि विद्वतजनों के बीच भी समान रूप से सराही जाएगी।
पुस्तक- रेगिस्तान: पृथ्वी के शुष्क क्षेत्र
लेखक- डा0 सुबोध महंती
संपादन- बी0के0 त्यागी एवं नवनीत कुमार गुप्ता
प्रोडक्शन- डा0 सुबोध महंती, मनीष मोहन गोरे
प्रकाशक- विज्ञान प्रसार, ए 50, इंस्टीटयूशनल एरिया, सेक्टर 62, नोएडा 201307 उ0प्र0, भारत।
फोन- 0120 2404430, 35
मूल्य- 105 रूपये
पृष्ठ- 138
EK SUNDAR POST ..........ATISUNDAR.
जवाब देंहटाएंEK SUNDAR POST ..........ATISUNDAR.
जवाब देंहटाएंBAHUT ACHHA LAGAA KOI REGISTAAN KE BAREY ME BHI SOCHTA TO HAI
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी है...
जवाब देंहटाएंएक महत्वहीन विषय पर महत्वपूर्ण पुस्तक।
जवाब देंहटाएंमहंती जी के लेख ड्रीम 2047 में पढती रहती हूं, वे अच्छे विज्ञान संचारक हैं। इस पुस्तक के प्रकाशन पर उन्हें कोटिश बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिखा है आपने! अत्यन्त सुंदर! इस बेहतरीन पोस्ट के लिए बधाई!
जवाब देंहटाएंआप ने इस लेख मै बहुत सुंदर जानकारी दी, कभी यह पुस्तक मिली तो जरुर खरीदेगे.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
रेगिस्तान के बारे मे तथ्यात्मक जानकारी के लिये लेखक को धन्यवाद । साहित्य मे भी कई बार बिना तथ्यो को जाने इसका बिम्बों मे प्रयोग होता है ।
जवाब देंहटाएंजाकिर भाई, आपने बहुत महत्वपूर्ण पुस्तक की जानकारी दी है। इस विषय में गहन रुचि है। मुझे तलाश थी हिन्दी में ऐसी पुस्तक की। हालांकि नेट पर गूगल बुक्स और अन्य वेबसाईट्स पर अथाह सामग्री है और उसके जरिये जिज्ञासा पूरी करता हूं, मगर अपनी भाषा की बात कुछ और है। तकनीकी विषयों पर वैसे भी हिन्दी में सूना है। इसे पाने का प्रयास करता हूं। शुक्रिया फिर।
जवाब देंहटाएंजैजै
pustak sameeksha achchee likhi hai.
जवाब देंहटाएंdusree bhashaon mein likhi kayee pustaken hain jinke hindi anuvaad se gyan ke prasaar mein madad milegi.
Vigyan prasaar aur S.N.Sharma ji ko hindi anuvaad ke liye dhnywaad.
shubhkamnayen.
जानकारी के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंAse informative lit. ki aaj aavashyakta hai.
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