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दर्दनाक घटना क्या करेग सरकार तो मूर्ती लगवाने में कगी है मंत्री तो उदघाटन में लगे है तो यहाँ तो ये सब होगा ही
जवाब देंहटाएंये सभी दिल दहला देने वाली घटनाएं हैं..
जवाब देंहटाएंआश्चर्य है कि आज भी हिन्दुस्तान में यह सब हो रहा है और कोई कडा कानून नहीं..हम क्या तरक्की कर रहे हैं?समझ नहीं आता..एक तरफ चन्द्र यान की सफलता दूसरी तरफ यह सब!
हिंदुस्तान कब अपनी 'सपेरों /जादू टोने वाले' देश की छवि से बाहर निकलेगा ??
ऐसे तांत्रिकों को तो सरे आम इसी तरह तडपा कर मारना चाहिये..
हद्द है इंसानियत की भी और लोगों के जाहिलपन की भी ..जो ऐसे निर्दयी को अपने बच्चे सौंप देते हैं.
ऐसे केसों में स्वयंसेवी संस्थाएं ही कुछ मदद कर सके बाकि प्रशासन से क्या उम्मीद करेंगे?
यह हमारी समझदारी अप्र निर्भर है कि हम इन ढोंगियों के चक्कर मैं पडें या नहीं. सभी को अपनी दुकान चलानी होती है और सभी को पैसे कमाना होता है. इसी का फायदा तथाकथित धर्म गुरु, साधु सन्यासी, तांत्रिक, ज्योतिषी लेते रहते हैं. जो सच्चे हैं, वे किसी भी तरह से किसी को गुमराह नही कर सकते. जगना हमें ही होगा.
जवाब देंहटाएंयह हमारी समझदारी अप्र निर्भर है कि हम इन ढोंगियों के चक्कर मैं पडें या नहीं. सभी को अपनी दुकान चलानी होती है और सभी को पैसे कमाना होता है. इसी का फायदा तथाकथित धर्म गुरु, साधु सन्यासी, तांत्रिक, ज्योतिषी लेते रहते हैं. जो सच्चे हैं, वे किसी भी तरह से किसी को गुमराह नही कर सकते. जगना हमें ही होगा.
जवाब देंहटाएंविकास ही एकमात्र रास्ता है ! उसकी रोशनी से ही यह दूर हो सकता है ! यह सब अशिक्षा और गरीबी में ज्यादा होता है !
जवाब देंहटाएंइस दर्दनाक सत्य को पढ़कर कुछ कहने की स्थिति में नहीं हूँ......इतना भयानक होता होगा ये सब कुछ.....रोंगटे खडे हो जाते है सोच कर
जवाब देंहटाएंregards
uff.... taqleef tab aur badhti hai jab kisi ko parwah nahin hoti.... neta vote ki rajneeti tak seemit hain aur dharm vaigyanik chetna ko dushman samajhta hai
जवाब देंहटाएंइतिहास बोध और वैज्ञानिक द्रष्टि का विकास बस यही दो रास्ते है और दोनो पर साथ साथ चलना ज़रूरी है । जितना यह अशिक्षितों के लिये आवश्यक है उतना ही पढ़े -लिखे लोगो के लिये ।इसमे कानून के जानने वाले भी शामिल है और राजनीतिज्ञ भी । पहले इन्ही से शुरुआत करनी होगी ।
जवाब देंहटाएंbahut dardnaak ghatna...rongate khade ho gaye.....shiksha hi is burayi ko dur karne ka sadhan hai....ek jagrookta pradan karne wala lekh....badhai
जवाब देंहटाएंइक्कीसवीं सदी में भी इस कदर अंधविश्वास सुन कर दिल दहल जाता है..बढ़िया प्रसंग...पर भारत की जनता की आँखें तो खुले..धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंइन घटनाओं का घटना दुखद तो है ही खतरनाक भी है इस समाज के लिये । शिक्षित और जागरुक होना ही इसका निदान है ।
जवाब देंहटाएंत्रुटी सुधार ***मेरे कमेन्ट में [insaniyat ki jagah]कृपया पढें ' कोई हद्द नहीं है हैवानियत की भी!'
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही बढ़िया लिखा है आपने! सही मुद्दे को आपने बड़े ही सुंदर रूप से प्रस्तुत किया है!
जवाब देंहटाएंइन सब के लिये केवल अशिक्षा और गरीबी ही जिम्मेदार नही है। अभी कुछ समय पहले हरियाणा के रोहतक शहर में एक डाक्टर दम्पत्ति ने भी इसी तरह (तंत्र-मंत्र के चक्कर में) अपने पुत्र की हत्या कर दी थी। इन तांत्रिकों के खिलाफ
जवाब देंहटाएंकानून ही कडे हों तो शायद कुछ रोकथाम हो सकती है।
अखबारों में धडल्ले से इन के विज्ञापन छपते हैं, खबरिया चैनल भी इन्हें बेच रहे हैं। मीडिया भी अपने फर्ज नहीं निभा रहा है।
प्रणाम
दर्दनाक घटना. ऐसी घटनाएं रोकने के लिये केवल शिक्षित होना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकसित किया जाना आवश्यक है. क्योंकि मैने तो अनेक पढे-लिखे लोगों को भी इन जंजालों में पडते देखा है.
जवाब देंहटाएंहमारे समाज में जो अज्ञानता है .. उसी का फायदा उठाते हैं ये तांत्रिक .. बहुत दर्दनाक है ये घटनाएं !!
जवाब देंहटाएंइस प्रकार के अंधविश्वासों से छुटकारा
जवाब देंहटाएंपाने का एकमात्र उपाय है -शिक्षा !!!!!!!!
इसकी शुरुआत जागरूकता से होगी ...
हमे ही करना होगा ..........इस तरह
का लेख निश्चित रूप से इसका आगाज है !
इसके लिए बधाई !
इस विषय में तो हम भी आपसे पूरी तरह से सहमत हैं कि बिना समाज को जागरूक किए इस प्रकार के अन्धविश्वासों से मुक्ति नहीं पाई जा सकती.....तंत्र विधा की आड में किए जा रहे ऎसे अमानुषिक दुष्कृ्त्यों के लिए कानून में भी कठोर से कठोर दण्ड का प्रावधान होना चाहिए...
जवाब देंहटाएंघोर भर्त्सनीय ....
जवाब देंहटाएंसुबह ही ब्लोग्वानी पर इस पोस्ट को देखा था और हिम्मत नहीं हुई थी डीटेल्स पढने की...कविता जी के लिंक देने पर किसी तरह हिम्मत जुटाई.हम पढ़े लिखे लोगों को कुछ करना होगा,इन अंधविश्वासों के चंगुल से लोगों को बचाने के लिए,कुछ सार्थक प्रयास करने होंगे,बड़े स्तर पर न सही....अपने कामवालियों से ही शुरुआत की जा सकती है,जबतक अशिक्षा का अन्धकार नहीं हटेगा...पता नहीं कितने बच्चों को इन अमानुषिक अत्याचारों का शिकार होना पड़ेगा.
जवाब देंहटाएंसरकार को भी कुछ सख्त कदम उठाने चाहिए,इन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए और 'bail ' की तो गुंजाईश ही नहीं होनी चाहिए
इन घटनाओं के पीछे अज्ञानता का अन्धकार है. बड़ी शर्मनाक स्थिति है.
जवाब देंहटाएंमानवता और सामाजिकता सिमट गयी है इसलिए विज्ञान के फैलाव के बाद भी न तो अंध-विश्वास समाप्त हो रहे हैं और न सामाजिक बुराइयाँ। हमारे स्वार्थ में जीने के कारण समस्त बुराइयाँ नष्ट तो हुईं नहीं और बाज़ार और उपभोक्ता की लाइन पर लाइफ़ चल पड़ने के कारण पनप और रहीं हैं नए रुप अपनाकर।
जवाब देंहटाएंआड़ लेकर हम स्वार्थ सिद्ध कर रहे हैं तो दूर कौन करे बुराई?
बहुत दूर से तो यह बुराई नज़र आती है पास अगर घटित हो तो सौ बार सोचते हैं विरोध दर्ज करने पर। इंतजार करते हैं कोई और ही बोल पड़े तो हम बुरे न बने चाहे बुराई पनप कर कहर ढ़ा दे!
पहल करने की ज़रुरत है।
सामूहिक पहल और समजह बढ़ाकर हर बुराई दूर हो सकते है। कहाँ है आजके राजाराममोहन राय?
वीभत्स !!!!! केवल इतना ही कह सकती हूँ. धर्म ,जाति से इसका क्या वास्ता? ऐसे लोगों को कठोरतम सज़ा दी जानी चाहिए. पर क्या हमारे देश में सचमुच ऐसा हो पाएगा?
जवाब देंहटाएंबहुत ही दर्दनाक घटनाये आप ने लिखी, ऎसी बहुत सी बाते रोजाना सुननए को मिलती है, एक दो साल पहले रोहतक मै कार्यरत डाकटर पति ओर पत्नि ने भी किसी तांत्रिक के कहने पर अपने दो लडको मो मार दिया था... लेकिन कसुर बार कोन ? तांत्रिक? मेरे ख्याल मै लोगो को जब तक नही अकल आती तब तक यह सब होता रहेगा, ओर जब लोगो को जागरुक करोगे तभी इन तांत्रिको की दुकान बन्द होगी, क्योकि इन की दुकान पर जब कोई जायेगा ही नही तो....
जवाब देंहटाएंबस लोगो को जागरुक करने की आवशकता है,यह लोग लालच मै पड कर ही ऎसा करते है, ऎसा करने वालो को सखत से सख्त सजा दी जाये
ninneey kary .
जवाब देंहटाएंजागरूकता और शिक्षा का प्रसार ही ऐसी बुराई को दूर कर सकता है समाज से ..........
जवाब देंहटाएंपिछड़ापन, मानसिक दारिद्र्य जो चाहे कहें, मगर सिर्फ और सिर्फ सर्वशिक्षा से ही इन बीमारियों का इलाज होगा। गोकि सौफीसद नहीं क्योंकि कई पढ़े लिखे भी अंधविश्वास के शिकार होते हैं।
जवाब देंहटाएंअफ़सोस की आज भी सब यह होता है ..बहुत दर्दनाक है यह सब ..न जाने कब इन चीजों से छुटकारा मिलेगा ..
जवाब देंहटाएंवाकई दर्दनाक। तालीम ही ऐसे अंधविश्वासों को ख़त्म करने में अहम भूमिका निभा सकती है। वैज्ञानिक चेतना फैलाने वाले इस ब्लॉग की तरह गांव-गांव, इस तरह के अभियान भी मददगार होंगे।
जवाब देंहटाएंAGREE WITH DIGAMBAR NASWA
जवाब देंहटाएंजागरूकता और शिक्षा का प्रसार ही ऐसी बुराई को दूर कर सकता है समाज से
इन तांत्रिकों और बाबाओं को तो जेल में दाल देना चाहिए या फिर पुब्लिक धुलाई होनी चाहिए इनकी !!
जवाब देंहटाएंबहुत दुखद घटनाएं हैं यह. न सरकार इन्हें रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठा रही है और न ही पुलिस. यह धर्म के ठेकेदार नहीं हैं और न ही इनका धर्म से कोई लेना देना है. यह अपराधी हैं जो लोगों की अज्ञानता और लालच का फायदा उठा रहे हैं. अफ़सोस की बात यह है कि अक्सर पढ़े लिखे लोग भी इनके बह्काबे में आ जाते हैं.
जवाब देंहटाएं"In chijon se kab chutkara milega",Sharmnak" ityadi kah kar apna palla nahin jhad sakte.Hum sabhi ko mil kar prayas karne ki jarurat hai.Isse badi badi buraiyaan, jaise sati pratha, samaj me thin.Unka unmulan sahi disha me kiye gaye prayason ke dwara hua ki nahin?
जवाब देंहटाएंबहुत पाशविक !दरिंदों को कठोर सजा मिले !
जवाब देंहटाएंबहुत ही दुःखद और सोचने को मजबूर करती घटना ।
जवाब देंहटाएंदर्दनाक घटना. कठोर se कठोर सजा मिले
जवाब देंहटाएंतंत्र-मंत्र हो या आधुनिक यौनवर्धक यंत्र, अंधविश्वासों का अंत नहीं दिखता।
जवाब देंहटाएंबढ़िया।
जवाब देंहटाएंअच्छे प्रश्न छोड़े हैं।
कभी-कभी आपकी भाषा और प्रस्तुतिकरण ‘सत्यकथाएं’ जैसी पत्रिकाओं की याद दिला देता है। इस पर भी सोचा जाना चाहिए।
परिवर्तन का रास्ता सदैव विचारों से होकर गुजरता है, क्या खूब?
और विचार?
विचार अपनी परिस्थितियों की ही उपज होते हैं।
इन प्रश्नों पर माथापच्ची की ही जानी चाहिए।
marmik ghatna ,,tantr-mantr jhad -fuk ye sab aadmi ko bhatka kar taklifon me daalte hai .sunkar dil dahal jaata hai .andhkaar se prakash ki aur le jaati hui rachana .
जवाब देंहटाएंbahut hi dil ko hila dene wali ghatna ......
जवाब देंहटाएंis desh me pata nahi kab tak andhviswaas ke chalte aisi ghatnaaye hoti rahengi ..
bahut hi sharmnaak ... desh ke adhikariyo ko aisi ghatnao ko rokne ke liye kuch na kuch kade kadam uthane honge..
regards,
vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com
ऐसे कुकृत्यों के लिए कठोर से कठोर सजा मिलना चाहिए .
जवाब देंहटाएंsach k kurup chehra...
जवाब देंहटाएंदर्द्ननाक घटनाओं से मन आहत हुआ। सच तो यह है कि समाज का दृष्टिकोण बदलना होगा। आपका प्रयास उचित लगा। बधाई।
जवाब देंहटाएंkatu satya,dardanaak----jhad-fuk, jaadu tone peer ankush lagna chahiye.sach ko saamne lane ke liye dhanyabaad.
जवाब देंहटाएंkrantidut.blogspot.com
इन सबके लिए अभिशप्त हैं हम।
जवाब देंहटाएं