--> अक्सर आप ज्योतिष को लेकर ज्योतिषाचार्यों के तरह तरह के दावे पढ़ते होंगे कि यह विज्ञान है, शुद्ध गणना पर आधारित है, इसकी गणनाएं एमद...
अक्सर आप ज्योतिष को लेकर ज्योतिषाचार्यों के तरह तरह के दावे पढ़ते होंगे कि यह विज्ञान है, शुद्ध गणना पर आधारित है, इसकी गणनाएं एमदम सटीक होती है, वगैरह वगैरह। पर वस्तुस्थिति क्या है यह आपके सामने है।
हिन्दी के जाने माने दैनिक समाचार पत्र (नाम छापने से कोई फर्क पड़ता है क्या?) में रविवार प्रत्येक रविवार पूनम वेदी और बेजान दारूवाला के भविष्यफल रंग बिरंगे चित्रों के साथ छपते हैं। जहाँ पूरम वेदी जन्मतिथि के अनुसार राशियों को वरीयता देती हैं, वहीं दारूवाला साहब नाम के अक्षरों के अनुसार राशि का निर्धारण करते हैं।
अब मान लीजिए राजेश नाम का एक व्यक्ति जिसका जन्म 22 मार्च को हुआ है, तो उसकी जन्मतिथि क्या होगी? पूनम वेदी के अनुसार उसकी राशि होगी मेष और दारूवाला के अनुसार उसकी राशि तुला होगी। तो सवाल यह उठता है कि राजेश की असली राशि कौन सी है? और अगर एक असली राशि है, तो दूसरा भविष्यफल छापने का क्या औचित्य है?
अब आते हैं राशिवार भविष्यफलों पर। 5 जून 2209 को छपे इन भविष्यफलों में इतना उलटफेर है कि पढ़ने वाला का सिर चकराने लगे। दोनो ज्योतिषियों के अनुसार राशिवार भविष्यफल निम्नप्रकार से है-
मेष
पूनम वेदी- अवसाद से बचें। धन का निवेश न करें।
बेजान दारूवाला- परिवार का कोई सदस्य या बुजुर्गों के संबंध में चिंता खड़ी होने की संभावना।
वृष
पूनम वेदी- रिलेशनशिप टूटने के कगार पर है। आर्थिक हानि का भय।
बेजान दारूवाला- आर्थिक क्षेत्र में बहुत अच्छा समय है।
मिथुन
पूनम वेदी- विवाद की स्थिति बनेगी। विरोधी पर विजय प्राप्ति का समय।
बेजान दारूवाला- जोश और उत्साह से ओत प्रोत होंगे और आम लोगों का ध्यान आकर्षित करेंगे।
कर्क
पूनम वेदी- जीवन का सफलतम समय है, इसका सदुपयोग करना जरूरी।
बेजान दारूवाला- पैतृक सम्पत्ति प्राप्त करेंगे। विवाह का प्रबल संयोग, खूब खरीददारी करेंगे।
सिंह
पूनम वेदी- रिलेशनशिप में प्रेम को लेकर दबाव देने से बचें।
बेजान दारूवाला- आप सबसे बड़ी सिद्धि प्राप्त करेंगे।
कन्या
पूनम वेदी- अपने मौजूदा उददेश्य, इच्छाओं और जरूरतों पर ध्यान दें।
बेजान दारूवाला-अपनी कार्यकुशलता और काबिलियत को कई माध्यमों से अधिक धारदार बनाएंगे।
तुला
पूनम वेदी- अपनी सफलता का जश्न मनाने की तैयारी करें।
बेजान दारूवाला- मित्रों के साथ सुखद क्षणों का आनंद लेंगे। समाजिक प्रवृत्तियों में व्यस्त रहेंगे।
वृश्चिक
पूनम वेदी- रिलेशनशिप में साथी को यथा स्थिति स्वीकारे कर लें, ज्यादा तोड़फोड़ न करें।
बेजान दारूवाला- भौतिक सुख समृद्धि और वित्तीय मामलों की ओर वापस लौटेंगे।
धनु
पूनम वेदी- आप जो चाहें वह प्राप्त कर सकते हैं। हर स्थिति में सुधार होगा।
बेजान दारूवाला- प्रगति के लिए खूब अच्छे अवसर पाने के लिए श्रेष्ठ समय है।
मकर
पूनम वेदी- आत्मविश्वास मजबूत होगा। भावनात्मक डर दूर करने का समय।
बेजान दारूवाला- बातचीत में तेजस्वी बुद्धिमत्ता का परिचय देंगे। आर्थिक क्षेत्र में भी अच्छा समय।
कुंभ
पूनम वेदी- जल्दबाजी में निर्णय न लें, रेट रेस से बचें।
बेजान दारूवाला- परिवार और स्वास्थ्य पर ध्यान केन्द्रित करेंगे। आपका घर, संपत्ति, पैतृक सम्पत्ति की आवश्यकता पड़ी होगी।
मीन
पूनम वेदी- रिलेशनशिप में हावी न हों, वर्ना फायर हो सकता है। आर्थिक स्थिति उत्तम।
बेजान दारूवाला- किसी के प्रेम में पड़कर शारीरिक सम्बंध बनाएंगे। धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों में मग्न होंगे।
ये है उन दो चर्चित ज्योतिषियों का साप्ताहिक भविष्यफल, जो इसकी वैज्ञानिकता का हल चीख चीख कर बयां कर रहा है। आप स्वयं ही देख सकते हैं कि दोनों महानुभावों द्वारा की गयी एक भी राशि की भविष्वाणी दूसरे भविष्यवक्ता से कतई उल्टा है। यानी एक वीरघाट जा रहा है, तो दूसरा तीरघाट।
अब आप ही बताइए कि इस भविष्यफल को पढ़ कर अगर मन में यह सवाल उभरे कि “इन भविष्यवक्ताओं, इसे छापने वाले अखबार और पाठकों में बेवकूफ कौन है”, तो इसमें हैरानी की क्या बात है।
बेवकूफ कौन है”
जवाब देंहटाएंजाहिर है ..."पाठक "
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जवाब देंहटाएंइस राशिफल से ज्योतिषियों या अखबारों के तो ग्राहक बढ रहे हें .. पर पाठकों को तो कोई फायदा नहीं होता .. इसलिए वास्तव में बेवकूफ तो पाठक ही हैं .. पर एक राशिफल की अवैज्ञानिकता के कारण के कारण पूरे ज्योतिष को तो गलत नहीं साबित किया जा सकता ।
जवाब देंहटाएंसंगीता जी, यह एक राशिफल की बात नहीं है। आप दस समाचार पत्र अथवा मासिक पत्रिकाएं उठा कर उनमें छपे भविष्यफल पढ लें, यही अवैज्ञानिकता अथवा यही बेवकूफी सभी जगह विराजमान है।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
main bhi bevkoof hoon bhai,
जवाब देंहटाएंkyonki main bhi kabhi kabhi is rashifal ke chakkar me time kharaab kar leta hoon
आज कल तो हर जगह इनकी दूकान चलती है... टीवी पर भी जहाँ देखिये यही मिलेंगे....
जवाब देंहटाएंक्या करे पाठक/दर्शक बेचारा..
पाठक ही बेवकुफ़ है,
जवाब देंहटाएंवही तो मैं भी कह रही हूं .. साप्ताहिक , मासिक या वार्षिक भविष्यफल के रूप में भविष्य का कोई संकेत दे पाना पूरे ज्योतिष शास्त्र का सौंवा हिस्सा माना जा सकता है .. अब किसी शास्त्र के सौंवे हिस्से की वैज्ञानिकता पर प्रश्नचिन्ह लगाकर पूरे ज्योतिष पर तो प्रश्नचिन्ह नहीं लगाया जा सकता ।
जवाब देंहटाएंसबके अपने फायदे हैं एक्सेप्ट पाठक !
जवाब देंहटाएंमेरी निगाह में तो तीनों ही बेबकूफ हैं। पर सबसे बड़ा ज्योतिष और ज्योतिषी ही है।
जवाब देंहटाएंज्योतिष और ज्योतिषी या आस्था या भगवान यह सभी दीन दुखीयो का साहरा है। यह सही है या नही यह तर्क सदीयो से लम्बित पडा है। कि इतनी खोट तो हर व्यापर मे होगी ही। रही बात भारत मे हर चोथा व्यक्ति अलग धर्म-महजब-या विचारो को मानता है। कहने का अर्थ यहॉ ऐसे मुद्दो पर क्रान्ति कि सम्भावना कुछ कम है। प्रकृति और समय इसका हल है।
जवाब देंहटाएंआभार/मगलभावानाओ सहित
हे प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई टाईगर
कोई ऐसे कॉलम गम्भिरता से लेता भी है?
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमीडिया के हर रूप में इनकी आक्रामक प्रचार शैली से आम पाठकों में यह भ्रम बैठ जाता है कि कुछ तो सच्चाई होगी ही.
जवाब देंहटाएंये भविष्यफल तो भुनी मूंगफली माफिक हैं - टाइमपास चिनियांबदाम!
जवाब देंहटाएंबहुत घपला है जी।
जवाब देंहटाएंWe should not believe such things. Govind Sir says that things are all nonsense.
जवाब देंहटाएंOn television, I don't know why this show is stupid ? What it can not be stopped?
ज्योतिषियों की सही नब्ज़ पकड़ ली है आपनें .
जवाब देंहटाएंसमाचार पत्र/पत्रिकाएं या फिर टी.वी. चैनल के माध्यम से इस विषय में जो कुछ प्रस्तुत किया जा रहा है,उसे किसी भी लिहाज से ज्योतिष नहीं कहा जा सकता,किन्तु ये कमी ज्योतिषी की है न कि ज्योतिष विधा की.यदि दोष देना है तो उस ज्योतिषी को दीजिए न कि ज्योतिष को।
जवाब देंहटाएंअपने तो भविष्य बांच कर अपनी राशि रोज बदल लेते हैं. :)
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंअजी ज़नाब, जहाँ लोगबाग तोते से पर्ची उठवा कर अपना भविष्य जान लेने में यकीन रखते हों, वहाँ इस पर दिमाग ही क्यों लगाना ?
आपने अच्छा लिखा है पर मैं ज्योतिषी पर कभी भी यकीन नहीं करती !अगर इंसान मेहनत करें तो उसे फल ज़रूर मिलता है! ज्योतिष के कहने से कुछ नहीं होता! ये तो बेवकूफ बनाने का एक ज़रिया है!
जवाब देंहटाएंअख़बारो को क्या कहे?वे तो समाज सुधार के नये ठेकेदार है।वे देश के नई दिशा देने और उसकी दशा सुधारने का दावा भी करते हैं। सोचना समझना तो पाठक चाहिये।और अखबारो का क्या कहे देश को ठीक से चलाने वाले टीवी वाले भाई लोग भी इसके मोह से नही बचे हैं।एक तो भविष्य बांचने वालियों को देविया कहता है,देविया।क्या कहा जा सकता है।सब कुछ पाठक को तय करना है।उसे हंस की तरह चुन-चुन कर चुगना पड़ता है।बहुत सही लिखा आपने पूरी तरह सहमत हूं।
जवाब देंहटाएंअर्शिया जी,
जवाब देंहटाएंमेरी एक दोस्त ने ज्योतिषियों से पूँछकर आज यानि ९.७.२००९ को अपने बच्चे को जन्म देने का फैसला किया है. उन्हें सीजेरियन होना है. हम माँ और बेबी दोनों की अच्छी सेहत की दुआ करते हैं.
२. संगीता पुरी जी, क्या आप इस बारे में कुछ जानकारी देंगी. ज्योतिषशास्त्र का इस पर क्या कहना है?
सही कहा आपने कोई भी भविष्यवाणी सही नहीं जाती ज्योतिषियों की ,यह सब सिर्फ मन bahlane के लिए हैं ,padhe और bhul jaye
जवाब देंहटाएंbahut sahi farmaya hai aapne...........
जवाब देंहटाएंशमीमुद्दीन जी , किसी खास दिन आसमान के सारे ग्रह एक शक्ति के तो होते हैं .. उसके आधार पर बच्चे की कार्यक्षमता , महत्वाकांक्षा और जीवनभर के उतार चढाव को तो स्पष्टत: देखा जा सकता है .. पर पूरे 24 घंटों के अंदर दो दो घंटों में ही लग्न की स्थिति के बदलने से उन ग्रहों के द्वारा जातक पर पडनेवाले प्रभाव पर स्वभाव , व्यवहार और अन्य वातावरण में काफी अंतर आ जाता है .. इसलिए दिनभर एक सा योग नहीं माना जा सकता .. वैसे इस पूरे दिन चंद्रमा और शनि का प्रभाव है .. इसलिए चंद्रमा के कारण बडा सुख और शनि के कारण छोटा कष्ट दोनो की थोडी थोडी संभावना दिखती है .. चूंकि बच्चे के माता या पिता की पूरी कुंडली हमने देखी नहीं है .. इसलिए इसे मात्र संभावना ही समझा जाए .. पर शनि के कारण यदि कोई जटिलता उपस्थित भी हो तो दो दिनों बाद हल्का सुधार और चार दिनों बाद पूरा सुधार हो जाना चाहिए .. आज की तिथि के अनुसार 12 वर्ष की उम्र तक बच्चे का बचपन भी इसी प्रकार का बना रहेगा .. मतलब किसी सुख की मामूली कमी होने के बावजूद हर सुविधा के पूरा होने से बाल मन का मनोवैज्ञानिक विकास सही ढंग का होगा .. वैसे अत्यधिक लाडप्यार से उसके कुछ जिद्दी भी बने रहने की संभावना भी बनेगी।
जवाब देंहटाएं12 sun signs---aur poori duniya ke logon ka bhavishyphal ek page par!
जवाब देंहटाएंऐसे बेवकूफों की वजह से ही तो कईयों की दुकाने चल रही हैं .
जवाब देंहटाएंसंगीता जी आपका बहुत शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंक्या व्यक्ति की किस्मत उसके अपने हाथ में होती है? हमारे ऊपर के उदाहरण से तो ऐसा ही लगता है.
अत्यंत आश्च्रर्य है मुझे , ऎसा लग रहा है कि मेरे ही सोचने का तरीका गलत है ,इस पोस्ट को देखकर घोर आश्चर्य हो रहा है। अगर किसी को किसी विषय की जानकारी नही है तो उचित यह है कि पोस्ट लिख्नने से पहले आवश्यक शोध और गम्भीर चिंतन किया जाय क्युकि आपको जो भी बात कहना है उसको वैज्ञानिक और तर्किक रुप से विश्लेषित भी करना है । ज्योतिष और खगोलशास्त्र गम्भीर विषय है यह मदारी का तमाशा नही है जो कुछ भी बोल दिया जाय कैसे भी नचा दिया जाय । एक समाचार पत्र पढ्कर किसी भी निष्कर्ष पर नही पहुचा जा सकता है ।ज्योतिष मे जो नामाकरण है वो जन्मतिथी के अनुसार है तो कुलमिलाकर बात वही हुइ - "जन्मतिथी और समय " एक ही तिथी पर राशिया अलग अलग हो सकती है समय बदल जाने के कारण । मै कार से अपने घर जा रहा था एक परीचित के साथ ,उसने मुझसे कहा- मेरा ग्यान कहता है कि आपको घर पहुचने मे 2 घ्ंटे लगेंगे ( उसे पता था कि दूरी 80 किमी है और गति 40 की है ) मै घर 3 घ्ंटे मे पहुचा - रास्ते मे जाम लग गया और रास्ता भी खराब था बीच मे। मैने उस परीचित को खूब भला बुरा कहा खूब गालियाँ दी - "कुछ ग्यान नही है तुम्हे , कोइ गणित नही जानते हो तुम,सिर्फ अनुमान लगाते रहते हो ,गणित के नाम पर अपनी दुकान चला रहे हो ,लोगों को ठगते हो बस" अब बताइये बेवकूफ कौन ? गणित ,गणितज्ञ या मै ? मेरे विचार से इतना इशारा काफी है
जवाब देंहटाएंसत्येन्द्र जी, माफ कीजिए, आपका इशारा समझ में नहीं आया। जिन दो ज्योतिषियों की बात यहां पर की गयी है, ये दोनों हिन्दुस्तान अखबार में रविवार को छपते हैं। इसमें पूनम वेदी के अनुसार मेष राशि 21 मार्च से 20 अप्रैल के लोगों के लिए बताई जाती है, जबकि बेजान दारूवाला के अनुसार चु, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो आ अ से शुरू होने वाले नामों के लिए मेष राशि का प्रयोग किया गया है।
जवाब देंहटाएंपोस्ट में यह पूछा गया था कि दोनों लोगों के अनुसार राशियों के निर्धारण का पैमाना अलग अलग क्यों है और दोनों भविष्यवक्ताओं का एक ही राशि का भविष्य अलग अलग क्यों है।
अब आप कृपया यह समझाने का कष्ट करें कि इसमें गणित, गणितज्ञ और पाठक कहां पर कैसे बैठने हैं।
Kahan chakkkar men paden hain jakir bhai, jyotishiyon ka doosra naam chaalbaj hota hai.Aap inse paar nahi pa sakte.
जवाब देंहटाएंपहली बात तो दोनो ही ज्योतिषियों के नाम बडे और दर्शन छोटे है ज्योतिष के बारे मे विस्तार से वर्णन अलग से करूंगा फिलहाल ज़ाकिर भाइ एक और इशारा देता हूँ । मुझे एक रोग हो गया - मै अपनी चिकित्सा के लिये एक के बाद एक 7 चिकित्सको के पास गया सबने सिम्ट्म के आधार पर 7 अलग अलग रोग की आश्ंका की और 7 अलग अलग प्रेसक्रिपशन लिखे उसमे से तीन चार झोला छाप चिकित्सक भी थे । फायदा न होने पर मैने आठ्वे चिकित्सक को दिखाया और अब मुझे पता चला कि आठ्वा रोग है और इस बार कुछ फायदा भी हुआ ।अब बताइये एक ही सिम्ट्म पर आठ अलग अलग रोग तो बेवकूफ कौन ?चिकित्सा,चिकित्सक या मै ?
जवाब देंहटाएंहूं। सत्येन्द्र जी, पर आपने शायद ध्यान नहीं दिया, ये किसी ऐरे गैरे समाचार पत्र की बात नहीं है, इस देश के सबसे ज्यादा बिने वाले समाचार पत्रो में शायद तीसरा या चौथा नम्बर है इसका और प्रसार संख्या एक करोण से भी अधिक। ऐसा समाचार पत्र लगभग आधे पेज में रंग बिरंगे चित्रों के साथ रविवार की मैग्जीन में जिन ज्योतिषियों को छाप रहा है, अगर वे झोला छाप हैं, तो फिर असली कौन से हैं और कहां मिलेंगे?
जवाब देंहटाएंऔर जब इतना बडा अखबारी तंत्र असली नहीं खोज सका, तो फिर आम आदमी की क्या बिसात है। इसका एक सीधा सा मतलब तो शायद यही निकलता है, जो ज्यादातर लोग उपर कमेंट में कह चुके हैं।
वैसे भी इस पोस्ट का आश्ाय था, समाचार पत्र पत्रिकाओं में छपने वाले राशिफलों की सार्थकता के बारे में बताना। और मेरी समझ से यह पोस्ट इसमें सफल रही है। इससे तो आप भी समहत होंगे।
जवाब देंहटाएंयूँ तो मेरी बीच में टपकने की आदत नहीं,
पर .. नाचीज़ अर्ज़ करना चाहता है कि,
विज्ञान पढ लेने का मेरे साथ एक दोष यह भी रहा कि बिना तथ्य और तर्क जाने कोई निष्कर्ष न निकालो !
इस वस्तुनिष्ठ जग के लिहाज़ से मेरी बात नाज़ायज़ तो कतई नहीं है न, सत्येन्द्र जी ?
सो, इस विधा की तह तक पहुँचने के लिये, मैंने अपने जीवन के चार वर्ष इसको अर्पित कर दिये,
यह जानते हुये कि यह ज़ूता मेरे पैर के लिये नहीं है !
खैर.. अँतिम अवस्था आते न आते यह रहस्योद्घाटन हुआ कि दैविक शक्तियों के सहायता के बिना सही भविष्यवाणी और एक परिपक्व दृष्टि सँभव नहीं है । वह भी किया, यहाँ तक कि प्याज़ लहसुन एवँ अन्य तामसिक वस्तुयें छोड़ा, जो कि अब आदत में शुमार है ।
बा्डी लैंग्वेज़, मुखाकृति ज्ञान, सामुद्रिक रहस्य, गणितीय खगोल को मिलाजुला कर एक ऎसी विधा तैयार हुई, जो औसत जनसमूह के सामान्य ज्ञान को प्रभावित और प्रस्तावित करने वाला सामान्य ज्ञान ही है !
मैं अपरिमित ज्ञान के शिखर से बहुत दूर हूँ, पर यह कह सकता हूँ कि यह वाक्चातुर्य और दोहरे अर्थों को व्यक्ति ( जातक विशेष ) पर आरोपित करने की विधा है, जिसमें अर्थ में निकल भागने के कई रास्ते सदैव खुले रखे जाते हैं !
रही बात समाचारपत्रों की तो वह आर्थिक हितों के लिये साण्डाह आयल विज्ञापित कर सकते हैं, तो जनता की रुझान के नाम पर कुछ और कतरने क्यों नहीं जोड़ सकते ?
सौ फ़ीसदी आपसे सहमत हैं हम जी। बिल्कुल बजा फ़रमा रहे हैं आप।
जवाब देंहटाएंग्रह, नक्षत्र, सितारे, चांद, सूरज, दिस डैट... सब कुछ बहुत ताकतवर है भाई। मेरा एक सवाल है। अगर आप सिनेमा देखते हैं, तो उसमें कुछ भी हकीकत दिखता है क्या? नहीं न! तो फिर ज्योतिष विद्या को भी फैंटासी माल लेने में क्या हर्ज है। अरे बहुत सारे लोग अपने-अपने ढंग से जीविका चला रहे हैं। ज्योतिष भी एक कला है। करने दीजिए कलाकारी। कितने दिन तक करेंगे। जब पाठक जागरूक हो जायेंगे, तो न अखबार छापेंगे और न ही ज्योतिष विद्या की कहीं कोई दुकान नजर आयेगी।
जवाब देंहटाएं"जिन दो ज्योतिषियों की बात यहां पर की गयी है, ये दोनों हिन्दुस्तान अखबार में रविवार को छपते हैं। "
जवाब देंहटाएंकिसी बडे अखबार में उनका राशिफल प्रकाशित होता है .. इसलिए वे बडे ज्ञानी ज्योतिषी हो गए क्या ? जबतक ज्योतिषियों की व्यवसायिक योग्यता उनकी सफलता का मापदंड बनी रहेगी .. ज्योतिष इसी तरह विवादित विषय बना रहेगा।
"इस पोस्ट का आश्ाय था, समाचार पत्र पत्रिकाओं में छपने वाले राशिफलों की सार्थकता के बारे में बताना।" अगर बात सिर्फ इतनी है तो मै सहमत हू
जवाब देंहटाएंपरंतु यदि कोइ ज्योतिष की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है तो थोडा जल्दबाजी कर रहा है अमर जी की बात सही है "बिना गहन तथ्य और तर्क जाने कोई निष्कर्ष न निकालो !" जो मै हमेशा से कहता आया हू जो वत्स जी भी कहते रहे है जल्दबाजी मत करिये नकारने या स्वीकारने की थोडा पका लिजिये , अनुभव कर लिजिये ,थोडा डुब जाइये , सतही ज्ञान को लेकर उछलना ठीक नही इतना तर्क नही करना पडेगा खुद ही पा जायेगे सत्य को । अमर जी जिसे दैविक शक्ति समझ रहे है वह वास्तव मे खुद वही है कोइ और नही । उच्च स्तर पर आप ही देव बन जाते है जैसे आप किसी पहाड पर चढते है तो शिखर पर पहाड उँचा नही होता है पहाड तो पहले से ही उतना है आप उच्चता को प्राप्त करते है और उच्चता ही देवत्व है । हाँ ज्योतिष विधा की सत्यता पर अलग से चर्चा की जा सकती है
शमीमुद्दीन जी ,
जवाब देंहटाएंआपने कहा "क्या व्यक्ति की किस्मत उसके अपने हाथ में होती है? हमारे ऊपर के उदाहरण से तो ऐसा ही लगता है."
जवाब -- नहीं , बिल्कुल नहीं .. पर जिस तरह एक वैज्ञानिक प्रकृति के नियमों को समझकर तद्नुरूप जीन के संयोग द्वारा मनचाहे स्वभाव वाले संतान को पैदा करने का दावा करते हें तो ग्रहों नक्षत्रों का रहस्य जानने के बाद ज्योतिषियों द्वारा भविष्य में ऐसे संतान को जन्म देने में क्या बाधा रह जाती है ?
पर ये दोनो नामुमकिन हैं .. विज्ञान की प्रगति के बाद भी आप वही काम कर सकते हैं .. जितना हद तक और जितनी दूर तक प्रकृति करवाना चाहती है .. आज भी विज्ञान के क्षेत्र में हुई प्रगति कितने प्रतिशत लोगों के लिए लाभप्रद हो पायी है ?
मैं संगीता जी और सत्येन जी की बात से शत प्रतिशत सहमत हूं.
जवाब देंहटाएंअगर यहां नीम हकीमों की बातें कर रहें है, तो इस नतीजे पर नही कूदना चाहिये कि मेडिकल सायंस ही बकवास है.
मगर :
१. मात्र जन्म दिन या नाम के आधार पर आधारित राशि (कुल केवल १२) का संबंध कई अरब लोगों से किसी भी तर्क से नही लगाया जा सकता है. ये पूरी बेवकूफ़ी है.
२.इन बडे या छोटे ज्योतिषी (या डोक्टर) की सफ़लता का आईना उसकी काबिलियत या मेहनत(कर्म)मात्र से नही होगी बल्कि उनके भाग्य से भी हो सकती है.मगर , उसका निदान करने का तरीका शास्त्रसम्मत हो तो.
(यहां ओझा,तांत्रिकों के श्रेणियों में ज्योतिषीयों को कृपया ना बिठायें)
३.ज्योतिष भी शास्त्र है. मगर उसका उपयोग करने वाले की एनेलिटिकल विस्डम याने विश्लेषण योग्य बुद्धि , उसके ग्यान और अनुभव के धरातल या आधार पर उसका फ़ल निर्भर करना चाहिये.ये एक से एक ही सही है, (One to One),थोक में नहीं!!
४. यह फ़लित दो भागों में होता है. एक,चरित्र निर्धारण/ भूतकाल का विवरण. ( यह थोडा आसान है, क्योंकि हम उसे चेक कर सकते है )दूसरा, उसका भविष्यफ़ल.(यहां आकर बात जरा टेढी हो जाती है, क्योंकि मरीज़ या डॊक्टर के पास कोई पैमाना नहीं होता)
अब सभी परेशानीयां यहीं पर हैं, कि भविष्य फ़ल का अब क्या अचार डालें? बस ,आदमी की आदिम काल से इच्छा है कि वह भविष्य को नियंत्रण कर सके. अधिकतर ज्योतिषियों को यहां यह गलत फ़हमी पालने का मौका मिल जाता है, (मरीज़ के कारण )कि वह डाक्टर है, और इसके बाद वह ओझा या तांत्रिक की श्रेणी में काया परिवर्तन कर लेता है, अगर वह अवसरवादी है तो.
(मैं भविष्यफ़ल की कामना करने वाले को मरीज़ की श्रेणी में रखता हूं.)
मेरे खयाल से यहां हमें इस वैग्यानिक आधार वाले प्लेटफ़ार्म पर इस दुकानदारी की अच्छाई या बुराई का विष्लेषण करना चाहिये, ना कि उस विधा की या शास्त्र की. क्योंकि उसमें भी हज़ारों सालों से मूर्धन्य ऋषियों नें काफ़ी काम कर रखा है, जिसे नकारना भी बुद्धिमानी नही होगी.
अगर करना हो तो ज़ाहिर है, उसके लिये अलग पोस्ट, और व्यापक रिसर्च किये हुए साधक द्वारा.
मैं सुधि पाठकों को आगे यह भी बता दूं , इस शास्त्र के आगे भी एक विधा है, जिसे हम अंतर्बोध या Intuition कहते हैं.
जवाब देंहटाएंएक अच्छे ज्योतिषी या डोक्टर के निदान में जहां भी इसका साथ होगा वह उतना ही अचूक फ़ल देगा.(सफ़ल होना यहां नही कहा जा रहा है)
ज्योतिषियों की हर विधा की तरह तीन श्रेणियां है-
१. प्रेक्टिसिंग ,व्यावसायिक
२. रीसर्च, अनुसंधान रत साधक
३. दोनों....
जैसा कि हर व्यवसाय में होता है, यहां उससे जुडी अच्छाई या बुराई भी साथ ही आयेगी. तो आक्षेप ?
जागो ग्राहक, जागो ...
जवाब देंहटाएंसंतोष शर्मा
आने वाला पल क्या मुश्किल लायेगा, यह सोचकर लोग परेशान हैं। लेकिन इस परेशानी को पल में छू मंतर कर देने का दावा करने वाले हैं ज्योतिष, तांत्रिक जैसे बाबा। बाबा की 'दुकान ' पर हर मर्ज की 'दव' उपलब्ध रहती है। इसलिए तो इस बंगाल में ज्योतिष, तांत्रिकों तथा अन्य तथाकथित बाबओं की दूकानें पर मुश्किलों में फंसे भोक्तों की भीड़ लगी रहती है। इन भक्तों को मुश्किल से बहार निकलने के लिए ज्योतिष, तांत्रिक जैसे बाबा पहले ढेरों आश्वासन, भरोसा देकर उन्हें कवच, गृह्रात्न, ताबीज आदि धारण करने की सलाह देते हैं। सलाह को सच मन कर वे भक्त कवच, गृह्रात्न, ताबीज आदि धारण करते हैं। मगर सच में ऐ अंध भक्त ज्योतिष,तांत्रिक जैसे बाबाओं के हाथों दिन-दहाड़े ठगे जाते हैं .
जागो ग्राहक, जागो ...
जवाब देंहटाएंसंतोष शर्मा
आने वाला पल क्या मुश्किल लायेगा, यह सोचकर लोग परेशान हैं। लेकिन इस परेशानी को पल में छू मंतर कर देने का दावा करने वाले हैं ज्योतिष, तांत्रिक जैसे बाबा। बाबा की 'दुकान ' पर हर मर्ज की 'दव' उपलब्ध रहती है। इसलिए तो इस बंगाल में ज्योतिष, तांत्रिकों तथा अन्य तथाकथित बाबओं की दूकानें पर मुश्किलों में फंसे भोक्तों की भीड़ लगी रहती है। इन भक्तों को मुश्किल से बहार निकलने के लिए ज्योतिष, तांत्रिक जैसे बाबा पहले ढेरों आश्वासन, भरोसा देकर उन्हें कवच, गृह्रात्न, ताबीज आदि धारण करने की सलाह देते हैं। सलाह को सच मन कर वे भक्त कवच, गृह्रात्न, ताबीज आदि धारण करते हैं। मगर सच में ऐ अंध भक्त ज्योतिष,तांत्रिक जैसे बाबाओं के हाथों दिन-दहाड़े ठगे जाते हैं .