तंत्र मंत्र के द्वारा किसी व्यक्ति को कोई फायदा हुआ है, इसका पुख्ता प्रमाण किसी के पास नहीं है, पर इसके चक्कर में लोगों को किस कद प्रताड़ना...
तंत्र मंत्र के द्वारा किसी व्यक्ति को कोई फायदा हुआ है, इसका पुख्ता प्रमाण किसी के पास नहीं है, पर इसके चक्कर में लोगों को किस कद प्रताड़ना सहनी पड़ती है, इसका एक ताजा उदाहरण लखनऊ में फिर देखने को मिला है। और इसके शिकार हैं सिंचाई विभाग के सेवानिवृत्त मुख्य अभियन्ता श्री आर० के० पाठक।
इस काण्ड ने जहाँ रिश्तों की मर्यादा को तार तार कर दिया है, वहीं यह सवाल भी खड़ा किया है कि जब मुख्य अभियन्ता जैसे लोग तांत्रिकों के झांसे में आ रहे हैं, तो आम आदमी इस गर्त में कितने गहरे तक धंसा हुआ है, यह कैसे पता लगाया जाए।
यह मामला यूँ है कि श्री पाठक के तीन बेटियाँ हैं। बीच वाली लड़की की शादी नही होने पर उन्होंने बड़ी बेटी के श्वसुर के सुझाव पर तांत्रिक भारतेन्दु चतुर्वेदी से सम्पर्क किया। उसने मंझली लड़की की शादी अपने किसी परिचित से तो करा दी, पर जब छोटी लड़की की शादी की बात आई, तो उसने कहा कि इसकी कुण्डली में शादी का योग नहीं है। बाद में तांत्रिक ने छोटी लड़की, जो इंजीनियरिंग की स्कॉलर थी, को अपने प्रभाव में लेकर श्री पाठक से उनका मकान जबरन अपने नाम लिखवा लिया। धीरे धीरे तांत्रिक ने अपनी गतिविधियां कुछ इस तरह से फैलाईं कि श्री पाठक को मकान के एक कमरे में सिमटना पड़ा। बाद में तांत्रिक ने अपने श्वसुर को धमकाया और उनसे मकान में रहने के एवज में ११ हजार रूपये किराया मांगने लगा।
लेकिन पाठक साहब फिरभी अपना मुंह सिए अफसोस करते रहे। हद तो तब हो गयी, जब फरवरी में उन्हें मकान खाली करने का नोटिस मिला। कारण उनकी लड़की ने वह मकान किसी और को बेच दिया था। इस तरह जब पानी सर से ऊपर निकल गया, तो पाठक महोदय ने पुलिस की शरण ली। इस तरह से यह मामला लोगों के सामने आया है। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद भी श्री पाठक बेहद घबराए हुए हैं। क्योंकि उन्हें डर है कि वह तांत्रिक मकान पर कब्जा करने के लिए उनके साथ किसी भी हद तक जा सकता है।
फिलहाल तांत्रिक फरार है। सुनने में आ रहा है कि वह नीदरलैण्ड चला गया है। इधर पाठक साहब कोर्ट कचेहरी के चक्कर में हैं और उधर तांत्रिक महोदय का पता नहीं। हो सकता है, नीदरलैण्ड में भी उसने एक आध ऐसी चेले फंसा रखे हों और उनको बेवकूफ बना कर मौज कर रहा हो।
अब आप ही बताएं कि पाठक जी को क्या कहा जाए? वैसे इतना तो तय है कि इस काण्ड के बहाने लोगों के सामने कुछ तो तांत्रिकों, बाबाओं की कुछ तो असलियत सामने आई ही है। इस बारे में आपका क्या विचार है?
और हाँ, आप सबसे निवेदन है कि “तस्लीम” पर चल रही चर्चा के बारे में अपनी संतुलित प्रतिक्रियाएं ही व्यक्त करें। और यदि आप इससे प्रेरित होकर इस विषय पर अपने ब्लॉग पर कुछ लिखते हैं, तो हमारे पाठकों को कमेण्ट के द्वारा उससे अवश्य सूचित करें। जिससे वे लोग भी आपके विचारों से अवगत हो सकें और उनपर खुल कर अपनी राय दे सकें।
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यह मामला यूँ है कि श्री पाठक के तीन बेटियाँ हैं। बीच वाली लड़की की शादी नही होने पर उन्होंने बड़ी बेटी के श्वसुर के सुझाव पर तांत्रिक भारतेन्दु चतुर्वेदी से सम्पर्क किया। उसने मंझली लड़की की शादी अपने किसी परिचित से तो करा दी, पर जब छोटी लड़की की शादी की बात आई, तो उसने कहा कि इसकी कुण्डली में शादी का योग नहीं है। बाद में तांत्रिक ने छोटी लड़की, जो इंजीनियरिंग की स्कॉलर थी, को अपने प्रभाव में लेकर श्री पाठक से उनका मकान जबरन अपने नाम लिखवा लिया। धीरे धीरे तांत्रिक ने अपनी गतिविधियां कुछ इस तरह से फैलाईं कि श्री पाठक को मकान के एक कमरे में सिमटना पड़ा। बाद में तांत्रिक ने अपने श्वसुर को धमकाया और उनसे मकान में रहने के एवज में ११ हजार रूपये किराया मांगने लगा।
लेकिन पाठक साहब फिरभी अपना मुंह सिए अफसोस करते रहे। हद तो तब हो गयी, जब फरवरी में उन्हें मकान खाली करने का नोटिस मिला। कारण उनकी लड़की ने वह मकान किसी और को बेच दिया था। इस तरह जब पानी सर से ऊपर निकल गया, तो पाठक महोदय ने पुलिस की शरण ली। इस तरह से यह मामला लोगों के सामने आया है। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद भी श्री पाठक बेहद घबराए हुए हैं। क्योंकि उन्हें डर है कि वह तांत्रिक मकान पर कब्जा करने के लिए उनके साथ किसी भी हद तक जा सकता है।
फिलहाल तांत्रिक फरार है। सुनने में आ रहा है कि वह नीदरलैण्ड चला गया है। इधर पाठक साहब कोर्ट कचेहरी के चक्कर में हैं और उधर तांत्रिक महोदय का पता नहीं। हो सकता है, नीदरलैण्ड में भी उसने एक आध ऐसी चेले फंसा रखे हों और उनको बेवकूफ बना कर मौज कर रहा हो।
अब आप ही बताएं कि पाठक जी को क्या कहा जाए? वैसे इतना तो तय है कि इस काण्ड के बहाने लोगों के सामने कुछ तो तांत्रिकों, बाबाओं की कुछ तो असलियत सामने आई ही है। इस बारे में आपका क्या विचार है?
और हाँ, आप सबसे निवेदन है कि “तस्लीम” पर चल रही चर्चा के बारे में अपनी संतुलित प्रतिक्रियाएं ही व्यक्त करें। और यदि आप इससे प्रेरित होकर इस विषय पर अपने ब्लॉग पर कुछ लिखते हैं, तो हमारे पाठकों को कमेण्ट के द्वारा उससे अवश्य सूचित करें। जिससे वे लोग भी आपके विचारों से अवगत हो सकें और उनपर खुल कर अपनी राय दे सकें।
बहुत ही रोचक पोस्ट है इससे एक बात तो स्प्ष्ट हो जाती है कि त्ंत्र और मंत्र के चक्कर मे पढे लिखे लोगों की संख्या उतनी ही है जितनी अनपढ लोगों की होगी ..............अच्छी जानकारी
जवाब देंहटाएंtantra mantra me kuchh toh sacchai hai, lekin bada afsos hai is baat par ki ek alaukik vidya ka galat fayda uthakar insan insan ko loot raha hai...........bahut achhi post !
जवाब देंहटाएंअफसोस इसी बात का है कि इस सब के बावजूद भी लोग सचेत नहीं होते हैं। उम्मीद है कि लोग इसे पढ़ कुछ तो सचेत होंगे
जवाब देंहटाएंक्या कहें जी जब पढे-लिखे भी इन चक्करों में पड जाते हैं।
जवाब देंहटाएंसलाम आलेकुम
वाकई चिंतन का विषय है.. आभार इस जानकारी के लिए..
जवाब देंहटाएंआज पडे लिखे अनपडो की कमी नही है, बात केवल पाठक जी नही है और बहुतेरे है जो इन कर्म कांडो मे विश्वास रखते है। आज के समय मे लोग तन्त्रिको के पास क्यो जाते है यह एक विचारणीय प्रश्न है,कही न कही ये हमारी मजबुरीयो का फायदा उठा जाते है। अत: लोगो से यही गुजारीश आप अपने आप को मजबुत करे जिससे लोग आप का फायदा न उठा सके.......
जवाब देंहटाएंis maamle ko sahara samay vale kisee aur tarah se pesh kar rahe the....
जवाब देंहटाएंbehad afsosnaak
जवाब देंहटाएंमानव-मन की थाह लगा पाना बेहद मुश्किल है जी। कौन सी बात किसको अपील कर जाय यह बता नहीं सकते। यहाँ एक वरिष्ठ पुलिस अफसर वर्दी उतारकर घाघरा चोली और चूड़ी-बिन्दी के साथ सोलह श्रृंगार करने लगता है। अपराधियों को पकड़ना छोड़कर भजन गाने लगता है।
जवाब देंहटाएंइसी रहस्य को अपने स्वार्थ का विषय बना कर बहुत लोग जी खा रहे हैं। विज्ञान को अभी लम्बी लड़ाई लड़नी है।
बहुत ही अफ़सोस जनक पहलू है ये ,वैसे अभी ज्ञान के प्रकाश को लम्बा सफर तय करना है .
जवाब देंहटाएंकमाल है जाकिर भाई................. आजकल भी मूर्खों की कमी नहीं...
जवाब देंहटाएंआज भी लोगों को ऐसा करते देख सिर्फ अफसोस ही कर सकते हैं.
जवाब देंहटाएंसीधा सा सारे धर्मों का एक ही फंडा है, जैसे कर्म करोगे, वैसा ही फल मिलेगा. हर व्यक्ति अपने कर्मों का जिम्मेदार है. कोई अपने कर्म किसी को ट्रांसफर नहीं कर सकता. फिर साधु, सन्यासी, बाबा आदि के पीछे भागना क्यों. वे अपने कर्म से, चाहते हुए भी, अपने सुकर्मों का एक धेला भी हमें नहीं दे सकते. दुखद यह है कि पढे-लिखे लोग भी, एक बहुत बडी संख्या में बाबाओं के पीछे भागकर अपनी और परिजनों की जिंदगी तबाह कर रहे हैं. पाठक जी की जिंदगी से कोई क्या सबक लेगा. अभी देश के एक महान संत, लखनऊ में तीन दिनों तक ज्ञान गंगा बहा कर गये हैं. हजारों नर-नारी उनका प्रवचन सुनकर धन्य हुए. शायद स्वयम कर्म/पुण्यकर्म घटिया काम है. प्रवचन बेडा पार करने के लिए काफी हैं ना!
जवाब देंहटाएंबेहद चिन्ताजनक......
जवाब देंहटाएंउफ़ ! कैसे कैसे लोग !
जवाब देंहटाएंओह!
जवाब देंहटाएंhairat hai ki aaj bhee ye sab badastoor jaaree hai.....
जवाब देंहटाएंअपने जीवन में सुख को तो हम आराम से व्यतीत कर लेते हैं .. पर दुख झेलना हमारे लिए कठिन हो जाता है .. वैसे समय में हम किसी चमत्कार की उम्मीद लगाए ढोंगियों के चक्कर में पड जाते हैं .. हमें यह समझना चाहिए कि दुख का समय भी बहुत आसानी से निकल जाता है .. हमें सिर्फ धैर्य बनाए राने की जरूरत है।
जवाब देंहटाएंतांत्रिक उन्हे ही अपने जाल में फाँसते हैं जिनकी गाँठ में ज्यादा पैसा होता है मै शीघ्र ही अपने ब्लॉग " ना जादु ना टोना" पर ऐसे तांत्रिकों के भंडाफोड की एक सीरीज प्रस्तुत करने जा रहा हूँ
जवाब देंहटाएंमैं ने स्वैच्छा से खुद को जंजीरों और तालों में जकड़े लोग देखे हैं जो चौबीसों घंटे उन्हें ढोते रहते हैं।
जवाब देंहटाएंचिंतन का विषय है.. आभार
जवाब देंहटाएंaise bahut se kisse maine bhi sune hai. mere ek jaankar bhi yahan madhuban chowk ek tantrik ke pas gaye. usne unse kafi paise loot liye aur phir dhamki diye jaane par vo aasam bhag gaya. aasam mei suna hai tantriko ka garh hai aur vo log vahan sadhnaye karte hai......
जवाब देंहटाएंमरता क्या न करता,वाली बात है,जाकिर भाई। आज कल तो आपरेशन के लिये भी मुहुर्त निकाले जा रहे हैं।आपका ये प्रयास बहुत ही सराहनीय है।यंहा छत्तीसगढ मे तो ये नई बात नही है।
जवाब देंहटाएंवाकई वैज्ञानिक चेतना जगाने का एक लंबा सफ़र तय करना है.
जवाब देंहटाएंआखिर छुटकारा किसे मिले...
जवाब देंहटाएंसबक दी पोस्ट है ये...
मीत
सोचने की बात है ..इस अन्धविश्वास से निकलना जरुरी है ..पोस्ट बहुत अच्छी लगी यह आपकी शुक्रिया
जवाब देंहटाएंaaj bhi ye sub ho raha hai ye sun ke behad afsos hota hai...
जवाब देंहटाएंआप जैसे महान लेखक कि दुआ से मैं लिख पाती हूँ और मेरी कोशिश ये रहती है कि मैं बेहतर लिख सकूँ!
जवाब देंहटाएंआपका ये पोस्ट मुझे बेहद पसंद आया! बिल्कुल सच्चाई बयान किया है आपने और सोचने पर मजबूर कर दिया है ! आपकी लेखनी को मेरा सलाम!
सामाजिक चेतना के लिये आपका प्रयास सराह नीय है शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंबहोत बहोत शर्मनाक।
जवाब देंहटाएंयह प्रपंच तो अपने ऊपर अविश्वास से उपजता है।
जवाब देंहटाएंयहाँ हर तरह का इलाज होता है ... जैसे जादू-टोना, सेहर, टोटका, भूत-प्रेत, नजर का लगना, बाँझपन .. हर तरह की परेशानी का तुंरत इलाज ...... गारंटीकार्ड साथ में ले जाएँ !
जवाब देंहटाएं(शहर की दीवारों पर ... पत्रिकाओं में .. अखबारों में छपता रहता है)
क्या कहती है आपकी कुंडली ... कौन सा पत्थर आपको रातों-रात राजा बना सकता है .... क्या आज आपके बिगडे काम बनेंगे .... बिल्ली रास्ता काट जाए तो क्या करें ... छींक आ जाए तो क्या करें ... आज कौन सा रंग आपके लिए सही होगा .... आपकी कुंडली में है हर बात का जवाब ... जानने के लिए देखिये सवेरे सात बजे
(दिन भर एक चैनल पर आता रहता है )
स्क्रीन पे झलकता है ... एक ट्रांसपोर्ट व्यवसायी के पास चालीस ट्रकें थीं ... एक दोस्त आया .. उसने जलन और ईर्ष्या भरी नजरों से दोस्त के व्यवसाय को देखा और तारीफ की ... बस उस दिन के बाद से घाटे पे घाटा ... बिजनेस चौपट हो गया ... ! किसी ने "नजर रक्षा यन्त्र" के विषय में बताया ... यन्त्र को आफिस और ट्रकों पर लगा दिया समस्या सुलझने लगी ... धीरे-धीरे पुराने दिन फिर लौट आये !
यह सब बानगी भर है आजकल चारों तरफ छाये हुए तंत्र-मन्त्र और ज्योतिष मायाजाल का ! मार्केटिंग का सीधा सा फंदा है ... विज्ञापन को इतनी बार दिखाओ कि देखने वाले के दिमाग में बैठ जाए या दिमाग काम करना बंद कर दे ! आपने वो ब्राह्मण और चार ठग का पुराना किस्सा अवश्य सुना होगा जिसमें एक ब्राह्मण दान में मिली बछिया सर पर उठाये जा रहा था .. एक-एक कर ठग आये और ब्राह्मण से कभी कुत्ता .. कभी गधा .. कभी बकरी के बारे में पूछा ... ब्राह्मण बछिया को मायावी समझ कर छोड़ के भाग गया ... बाद में ठगों ने बछिया अपने कब्जे में कर ली !
आजकल बिलकुल वैसा ही हाल है ! रजनीश जी ने जिस तांत्रिक का किस्सा बयां किया है वो पिछले १०-१२ साल से लखनऊ में सक्रिय था .... दो कमरे की कोठरी और साईकल से चलने वाला तांत्रिक पांच हजार स्क्वायर फीट में बने आलीशान एयर कंडीशंड बंगले में आ गया .... लक्जरी गाड़ियों से चलने लगा !
आज सिंचाई विभाग के रिटायर्ड चीफ इंजिनियर श्री आर के पाठक जी बुरी तरह कलप रहे हैं ... मदद की गुहार लगा रहे हैं ... अपने ही घर से बेदखल होकर घर के बाहर धरने पर बैठे हैं .... आपको दया आ रही है न ... सहानुभूति की लहर दौड़ गयी .... लेकिन आपके लिए यह जानना भी जरूरी है कि यही मक्कार तांत्रिक कुछ समय पहले श्री पाठक का बड़ा ही विश्वसनीय हुआ करता था ... कोई भी काम उससे पूछे बिना नहीं करते थे .... लगभग रोज का आना-जाना था ! आज उसी तांत्रिक ने बर्बाद कर के रख दिया ... लड़कियों को अपने जाल में फंसाया अलग ! कहते हैं कि इस तांत्रिक ने श्री पाठक की छोटी बेटी अमृता से शादी भी रचा ली है ... जब कि इस ४५-४६ वर्षीय तांत्रिक पहले से शादीशुदा है .. इसके दो युवा बच्चे भी हैं ! बलिहारी तो लडकी की भी है जो कि आई आई टी कानपुर से कम्प्युटर साईंस में पीएचडी कर रही है .... इसके बावजूद भी उसके दिमाग में ताले पड़ गए और धूर्त तांत्रिक के चंगुल में आ गयी !
एक अनोखी बात और है जब भी कोई इस तरह के तांत्रिक की धोखाधड़ी का खुलासा होता है ... तब अचानक ही बहुत सारे भुक्त-भोगी सामने आ जाते हैं ... पहले क्यों चुप थे ? मैं समझ सकता हूँ ... ऐसे धूर्त लोगों के सम्बन्ध बड़े - बड़े मंत्री, विधायक, आई जी, डीआईजी इत्यादि से भी होते हैं ... कौन करेगा कार्यवाही ?
वैसे भी लोग शांतिप्रिय होते हैं ... कोई फालतू के चक्कर में पड़ना नहीं चाहता ! अभी पिछले साल शहर के न्यू हैदराबाद में मैंने एक औघड़ तांत्रिक को डंडे से पीटा था ... मामला कुछ यूँ था कि खाली प्लाट में रहने वाले मेट का छोटा बेटा तीन दिन से लापता था ... ये औघड़ बच्चे को वापस बुलाने के लिए पांच हजार रुपये मांग रहा था ... किसी तरह मेट ने पंद्रह सौ रुपये में बाबा को मना लिया ... बाबा रफूचक्कर होने की तैयारी कर ही रहा था कि हम लोग आ गए ...मामला पता करना चाहा तो मुझे तबाह करने की धमकी ... उसका रौद्र रूप देखने लायक था ... बस कर दी धुनाई ... भीड़ लग गयी ... दो पुलिस कांस्टेबल भी आ गए .... लेकिन उस मेट ने उस तांत्रिक के खिलाफ शिकायत लिखाने से मना कर दिया ... वो तो अच्छा हुआ कि उस औघड़ के झोले से थैली में गांजा बरामद हो गया वरना अगर वो औघड़ मेरे खिलाफ एफ आई आर लिख देता तो मेरे लिए ही मुसीबत हो जाती !
वाह क्या रोचक पोस्ट है! बहुत ही सच्चाई है आपके इस लेखन में!
जवाब देंहटाएंआजकल के ज़माने में भी ऐसे मूर्खों की कमी नहीं, विश्वास नहीं होता!
Duniya mein to har tarah k logatey hi rahengey depend ap par karta ki ap kis par trust karen or kis par nahin.
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