(जी हॉं, अब आपके लिए एक भूत पहेली हाजिर है। कृपया यहॉं दी जा रही सत्य घटना पढ़ें और अपने विचारों से अवगत कराऍं।) लता ने जब सोलहवें साल...
(जी हॉं, अब आपके लिए एक भूत पहेली हाजिर है। कृपया यहॉं दी जा रही सत्य घटना पढ़ें और अपने विचारों से अवगत कराऍं।)
लता ने जब सोलहवें साल में कदम रखा, तो उसकी सुंदरता के चर्चे दूर-दूर तक गूंजने लगे। वह सुंदर होने के साथ-साथ अच्छी खिलाड़ी भी है। साथ ही नृत्य में भी उसका कोई जवाब नहीं। जो भी उसे देखता है, बस देखता ही रह जाता है।
पर किसे पता था कि लता की यही खूबियॉं उसके लिए अभिशाप बन जाऍंगी। हुआ यूं कि एक दिन जब वह सुबह नहाने के लिए अपने कपड़े उतार रही थी, तो उसने देखा कि उसकी फ्राक सामने से फटी हुई है। रात को सोते समय फ्राक कैसे फटी, यह उसके लिए ही नहीं उसके घर वालों के लिए भी आश्चर्य का विषय था। पर जब दूसरे, तीसरे और चौथे दिन भी यही हुआ, तो उसके माता-पिता के माथे पर चिंता की लकीरें गहरा गयीं। कारण यह था कि उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी।
लता की मॉं को लगा कि कहीं लता जानबूझ कर तो ऐसा नहीं कर रही है। इसलिए उन्होंने लता को डांटा और एक चाटा भी रसीद कर दिया। लेकिन मामला और बिगड़ गया। अगले दिन जब लता उठी, तो उसकी फ्राक सीने के पास बुरी तरह से कटी हुई थी। फिर तो यह रोज का ही क्रम बन गया। लता के पास जितने भी कपड़े थे, सब का यही हश्र हुआ। नतीजतन लता को पेबंद लगा कर कपड़े पहनने के लिए मजबूर होना पड़ा।
रोज-रोज कपड़े फटने की घटना देख कर लता की मॉं को लगा कि यह किसी भूत-प्रेत का काम है। इसलिए उन्होंने एक भूत झाड़ने को बुलाया। ओझा आया, उसने अपने अपना क्रिया कर्म किया, मन्त्रों का जाप किया, अभिमंत्रित करके ताबीज लता को पहनाया और फीस लेकर चला गया। लेकिन अगले दिन तो गजब ही हो गया। लता की पहनी हुई फ्राक आग से जली हुई थी। और जलने का निशान ठीक सीने के उपर था। यह देख कर लता के मॉं-बाप बुरी तरह से डर गये। लता के लिए नये कपड़े खरीदना अब उनके वश में नहीं था, इसलिए उन्होंने उसके कमरे से बाहर निकलने पर पाबन्दी लगा दी।
अगले दिन जब लता उठी, तो उसके लम्बे बाल कटे हुए बिस्तर पर बिखरे पड़े थे। यह देखकर लता जोर-जोर से रोने लगी। माता-पिता की समस्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही थी। उन्होंने शहर से एक मशहूर ओझा को बुलाने का फैसला किया।
ओझा साहब नियत समय पर आ गये। उन्होनें बताया कि एक आत्मा लता पर मोहित हो गयी है। वह रोज रात को लता के कमरे में आती है और उससे जबरदस्ती करती है। लता जब उसका विरोध करती है, तो वह उसके कपड़े फाड़ देती है अथवा जला दिती है। ओझा ने आश्वस्त करते हुए कहा कि मैं एक ताबीज इसके दाहिने हाथ में बॉंध रहा हूँ, अब यह भूत इसे परेशान नहीं कर पाएगा। लेकिन अगले दिन जब लता उठी, तो उसके कपड़े तो फटे हुए थे ही, साथ ही सीने पर खरोंच के गहरे निशान भी बने हुए थे। उन निशानों में खून का रिसाव भी हुआ था और वह बह कर जम गया था। यह देख कर लता बुरी तरह से घबरा गयी और जोर-जोर से रोने गयी।
मित्रो, यह है 16 साल की एक होनहार लड़की लता की कहानी। अब आप ही बताएं कि लता के साथ ऐसा क्यों हो रहा है? इस भूत से मुक्ति पाने के लिए लता को क्या करना चाहिए? क्या आपके पास लता को भूत से मुक्त कराने का कोई उपाय है? इस घटना के सम्बंध में आपका क्या विचार है, कृपया जरूर लिखें।
आपके यहाँ टिप्पणी करने से तो कहीं वह भूत हमारे ही कपड़े ना काटने लगे!!
जवाब देंहटाएंवैसे उस लडकी के कमरे से सारे काटने/जलाने वाले औज़ार तो हटा ही दिये होंगे??
(हमारे विचार तो भूलभूलैया चलचित्र पर ही आधारित हैं)
किसी अछे मनः चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए.
जवाब देंहटाएंयह सब बकवास है जी, जब इतना कुछ हो रहा है तो लता के मां बाप उसे अपने संग अपने कमरे मै क्यो नही सुला सकते ? या फ़िर क्यो नही लता के कमरे मै सोये,
जवाब देंहटाएंसब से अच्छी राय हमारे P.N. Subramanian जी ने दी है,उन की बात से सहमत हुं
ताज्जुब है खुबसूरत लोगों के पीछे भुत पड़ जाते हैं और बदसूरत लोगों पर डायन होने का इल्जाम लगाना सहज हो जाता है ! पहेली के हल के लिए शायद कुछ और क्लू की जरुरत है.
जवाब देंहटाएंअच्छे मनोचिकित्सक से दिखाएँ और चौबीसों घंटे उसपर निगरानी रखें ..चाहे तो उसके कमरे में कैमरा लगा सकते हैं
जवाब देंहटाएंसाहब अपना ज्ञान इस मामले में सिर्फ़ किताबी ही है, कभी सामना नही हुआ. तो अब क्या अपनी लालबुझकडी लगानी जरुरी तो नही है?
जवाब देंहटाएंइस लिये चुप ही रहेंगे और लोगों की राय सुनेंगे इस मामले में.
रामराम.
पहेली तो यह लगती नहीं । प्रश्नावली लगती है ।
जवाब देंहटाएंखैर, लगता तो यह कोई मनोरोग ही है, कोई नींद की बीमारी या नींद में सक्रिय होने का मनोवैक्षिप्त्य । सब कुछ लता का ही काम लगता है ।
यह सत्य घटनाक्रम कुछ हजम नहीं हो रहा है ..
जवाब देंहटाएंकृप्या पीड़ितों को हमारा मेल आई डी दीजिये.
जवाब देंहटाएंजाकिर भाई इस पोस्ट को देखकर तो लग रहा है एनडीटीवी इंडिया चैनल देख रहे हों :
जवाब देंहटाएंजाईयेगा कहीं नहीं
हम इसी घटना पर बने रहेंगे ...
फिर मिलते हैं ब्रेक के बाद
हा,,,,हा,,..हा
आज तो पहले ही प्रबुद्ध लोगों ने घटना की यथोचित विवेचना कर डाली है ! मेरे कहने के लिए कुछ बचा ही नहीं !
वैसे मैं यह जानना चाहता हूँ कि घटना कहाँ की है ? संभव हो तो पता देने की कृपा करें ! मुझे लग रहा है कोई भूत पुनः मुझे आमंत्रित कर रहा है ! ऐसा तो नहीं है कि आपने सत्य कथा या मनोहर कहानियां से यह घटना उतार ली है पोस्ट में !
आपकी पोस्ट को पढ़ते ही जहन में कई सवाल उभरे थे :
घटना की पुनरावृत्ति होते ही लडकी अपनी मां के पास क्यों नहीं सोयी या मां ने स्वयं ही लडकी को अपने पास क्यों नहीं सुलाया !
घटना घटित होते समय क्या लडकी बेहोश हो जाती थी थी ? यदि नहीं .... तो चिल्लाई क्यों नहीं ?
क्या घटना में प्रयुक्त औजार कमरे में ही थे ?
लडकी को ओझा की बजाय एक बार किसी मनो-चिकित्सक को क्यों नहीं दिखाया गया ?
इस तरह के कई सवाल हैं जो जानने जरूरी हैं ! यह घटना तो फिल्म "भूल भुलैया" जैसी प्रतीत होती है !
यह कैसा विचित्र भूत है :
अगर यह सौंदर्य प्रेमी है तो इसको बालीवुड जाना चाहिए ! ग्लैमर जगत में क्यों नहीं गया ?
क्या शहर में यही एक लडकी सुन्दर है ?
अगर भूत नृत्य प्रेमी है लडकी के बाल काटकर बदसूरत क्यों बनाना चाहता है ?
नृत्य ही देखना है तो उसे राखी सावंत या अन्य किसी बेहतरीन डांसर के पास भी जाना चाहिए !
अगर यह भूत लडकी पर आशिक है या पूर्व जन्म का दीवाना है तो लडकी को नुक्सान क्यों पहुंचाना चाहता है ... उसे बेइज्जत क्यों करना चाहता है ?
क्या भूतों में भी इंसानों की तरह हवस होती है ? तो फिर मरने से फायदा ही क्या हुआ ?
क्या हवस का शिकार बनाने के लिए सीने पर घाव करना जरूरी होता है ?
लडकी के माता-पिता चाहें तो घटना की तह तक पहुंचना कठिन नहीं है ... एक महत्त्वपूर्ण तरीका सुश्री लवली जी ने सुझा ही दिया है !
भैया पूरा मामला जलेबी की तरह सीधा है !
आज की आवाज
जाकिर भैया एक बात तो रह ही गयी !
जवाब देंहटाएंये कमबख्त भूत ही इस तरह की खुराफात क्यों करते हैं ?
कोई चुडैल इस तरह की हरकत क्यों नहीं करती ?
कभी भी किसी मर्द ने यह आरोप नहीं लगाया की फलाना चुडैल उसकी पीछे पडी हुयी है और उसको हवस का शिकार बनाना चाहती है ?
कहीं यह मर्दों के खिलाफ (मरने के बाद ही सही) कोई साजिश तो नहीं ?
क्या हो रहा है और इसका निदान तो नहीं पता, पर आगे क्या हुआ यह अवश्य बतायें. हां सबूत के साथ.
जवाब देंहटाएंआज के वैज्ञानिक युग में भले कोई इस बात को माने या माने लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि दुनिया में जहां देवीय शक्तियां हैं, वहीं शैतानी शक्तियों का भी वजूद है। शैतानी शक्तियों के ऐसे किस्से आम है जैसा आपने बताया है। कहीं कोई जादू-टोने का चक्कर हो सकता है।
जवाब देंहटाएंआज के वैज्ञानिक युग में भले कोई इस बात को माने या न माने लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि दुनिया में जहां देवीय शक्तियां हैं, वहीं शैतानी शक्तियों का भी वजूद है। शैतानी शक्तियों के ऐसे किस्से आम है जैसा आपने बताया है। कहीं कोई जादू-टोने का चक्कर हो सकता है।
जवाब देंहटाएंमनोवैग़्य़ानिक रोग हो सकता है........पर अच्छी पोस्ट .....सम्भावानाओ से इंकार नहि किय ज सकता.
जवाब देंहटाएंअब चाहे ये जो कुछ भी हो, हम तो इस मामले में मूक दर्शक बन कर आपसे ही यह जानने को उत्सुक बैठे हैं कि वास्तव में ये सब क्या है?
जवाब देंहटाएंहमें तो लगता है जी,लता को सब कुछ पता है।
जवाब देंहटाएंजाकिर भाई मै भूत-प्रेत पर विश्वास तो नही रखता पर ऐसा कुछ मैने देखा है कि उससे सीधे-सीधे इंकार नही कर सकता।मै यंहा की पुलिस द्वारा बनाई गई एक राज्य स्तरीय समिति का सदस्य भी हूं जो यंहा की आम समस्या टोना टोटका के खिलाफ़ बनाई गई है।मै जो आपको बताना चाह रहा हूं वो मेरे अपने घर की कहानी है। हम लोग पहले मौदहापारा मे रहा करते थे।पीछे दादाबाड़ी थी जिसके एक इमली के पेड़ की डंगाले हमारे घर के भीतर तक़ आती थी।इमली तोड़ना और चटनी बना कर खाना सालो से चल रहा था एक साल होली जलाने का प्रोग्राम बना और सबने मिलकर कुछ डंगाले उस पेड़ की काट कर जमा की और होली जला दी।उसी समय मेरी छोटी बहन की तबियत बिगड़ी और उल्टी-दस्त के बाद होली होने के कारण उसे सरकारी अस्पताल मे भर्ती कर दिया गया।सबने इसे फ़ुड प्वायज़निंग का केस समझा।दूसरे साल भी ऐसा ही हुआ और फ़िर तो सिलसिला बन गया।लगातार छे साल हर होली पर भर्ती होता देख सरकारी अस्पताल के बड़े-बड़े डाक्टरो ने झाड-फ़ूंक की सलाह दी।बाबूजी(स्व पिताजी)इन सब बातो पर बहुत ज्यादा विश्वास नही करते थे मगर उन्होने इस बात को माना और बाहर से एक झाड-फ़ूंक करने वाले को बुलाया गया।उसने रेल से रायपुर आते समय ही घर का नक्शा बता दिया और घर मे आने के बाद जो कुछ उसने किया सो किया मगर जाते समय उसने हम लोगो से कहा कि आप लोग कभी होली मत जलाईयेगा और खासकर इस पेड की लकडियां।इस बात को पास-पडोस के सभी लोग जान्ते थे और सभी ने होली नही जलाने का फ़ैसला ले लिया।उस रात मेरी बहन की तबियत नही बिगड़ी और फ़िर कभी नही बिगड़ी।उसकी शादी हो चुकी है और उसकी बड़ी लड़की इंजिनियरिंग के फ़ायनल ईयर मे पहुंच गई है।उसे आज तक़ दुबारा तक़्लीफ़ नही हुई।होली जलाना बंद करने के कई साल बाद हम लोगो ने भी मौदहापारा छोड़ दिया और साथ ही होली जलाना भी। होली हम लोग आज भी उतनी ही मस्ती से खेलते हैं। अब आप खुद फ़ैसला कर लिजिये ये क्या है?ये सुनी-सुनाई नही है आपबीती है इसलिये मै समझता हूं किसी सबूत की ज़रुरत भी नही होगी।लता का माम्ला कुछ अलग ज़रूर है मगर उसे एकदम से अंधविश्वास कह कर खारिज़ नही किया जा सकता।
जवाब देंहटाएंउसको किसी अच्छे मनोचिकित्सक को दिखाना चाहिए ..जरुर कोई ऐसी बात ही जो उसके मन में है जिस से वह इस तरह से सबका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर रही है
जवाब देंहटाएंkisi manovaigyanik se milna uchit hoga
जवाब देंहटाएंkisi manovaigyanik se milna uchit hoga
जवाब देंहटाएंमुझे लगता है कि चाहे कितनी भी कवायद की जाए सब व्यर्थ है ! लोगों की मन में जमी धारणाओं को निकाल पाना नामुमकिन सा है ! हजारों चमत्कारी घटनाओं का खुलासा हुआ ...... हजारों तांत्रिकों का भंडाफोड़ हुआ ... लेकिन नतीजा क्या हुआ ? पहले से ज्यादा लोगों के जीवन में तंत्र-मन्त्र घर कर गया !
जवाब देंहटाएंराजकुमार ग्वालानी जी कहते हैं :- आज के वैज्ञानिक युग में भले कोई इस बात को माने या न माने लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि दुनिया में जहां देवीय शक्तियां हैं, वहीं शैतानी शक्तियों का भी वजूद है !
प्रिय राजकुमार जी मैं आपसे जानना चाहता हूँ की आप शैतानी शक्ति के वजूद की बात किस आधार पर कह रहे हैं ? मैं तो आपकी बतायी गयी जगह पर जाकर या आप जो भी कहें करके अपनी धारणा की पुष्टि करा सकता हूँ क्या आप भी अपनी बात की पुष्टि करा सकते हैं ? आशा है आप जवाब देंगे !
जाकिर भाई एक बात और भी दिलचस्प है मैंने जब भी किसी के मुंह से भूत-प्रेत जैसी कोई बात सुनी है वो कहता यही है कि "मैं इन सब चीजों को नहीं मानता हूँ" ! लेकिन जाता तांत्रिकों और ओझाओं के पास ही है ! एक बात तो स्पष्ट हो जाती है कि भूत-प्रेतों को भारत देश ही ज्यादा रास आता है मुनाफिक लगता है वरना अमेरिका, ब्रिटेन या आस्ट्रेलिया जैसे देशों में क्यों नहीं जाते ?
कोई जब किसी घटना का उल्लेख करता है तो उसमें चमत्कार के अन्दर भी ऐसा चमत्कार जोड़ देता है कि सुनने वाला नतमस्तक हो जाए ! जैसा कि Anil Pusadkar साहब ने वर्णन किया - "बाहर से एक झाड-फ़ूंक करने वाले को बुलाया गया।उसने रेल से रायपुर आते समय ही घर का नक्शा बता दिया !" अब जाकिर साहब मैं आपके माध्यम से उस ओझा को चुनौती पेश करता हूँ कि मेरे चार घर हैं वो ओझा किसी भी एक घर का नक्शा बता दे तो एक घर उसके नाम वरना उसको अपना धंधा बंद करना होगा ! मंजूर ?
अब मैं ऐसी घटनाओं पे क्या कहूँ ? मैंने ऐसे तीन-चार बच्चे ऐसे देखे हैं जो कि इक्जाम से पहले बीमार पड़ जाते हैं .... झूठ-मूठ के नहीं सच में बीमार ...... तो क्या किया जाए ? ओझा को दिखाया जाए ? गाँव-देहात में तो गाय या भैंस भी अगर दूध नहीं देती या कम देती है तो उसकी नजर उतारी जाती है .. झाड़-फूँक की जाती है ! यार मेरे वहम का इलाज कैसे किया जाए ..... मैं तो सिर्फ इतना ही कर सकता हूँ कि इनका वहम दूर करने के लिए इनके सामने वो इमली का पेड़ काट के जला सकता हूँ ! सारे जंगल के जंगल काट डाले गए ....... सारी हरियाली लुप्त हो गयी तब तो भूत चुप रहे अब एक जरा सी इमली में भूत की जान अटकी है ........ हद है !
आज की आवाज
गोविंद जी,
जवाब देंहटाएंहम सबसे पहले आपसे यह जानना चाहते हैं कि क्या आप भगवान को मानते हैं। अगर मानते हैं तो क्या आपने उन्हें कभी देखा है। इस दुनिया को बनाने वाले को सब भगवान, ईश्वर, अल्ला या फिर किसी भी नाम से मानते हैं लेकिन उसको किसी ने देखा नहीं हैं। जिस तरह से देवीय शक्तियां होती हैं उसी तरह से शैतानी शक्तियां भी होती हैं। अगर आप इस बात को नहीं मानते हैं तो न सही आपसे किसी ने जोर जबरदस्ती तो नहीं की है कि आप ऐसी बातों को मानें। भारतीय क्या विदेशी भी इस बात को मानते हैं कि इस दुनिया में शैतानी शक्तियां हैं। आपको इंटरनेट पर ही कई तस्वीरें ऐसी मिल जाएंगी जिनको भूत या फिर जो भी कहा जाए, उसकी बताया जाता है। हम आपसे इतना ही कहना चाहते हैं कि अगर आप किसी शैतानी शक्ति में विश्वास नहीं करते हैं तो फिर अमावस्या की रात को छत्तीसगढ़ में एक हरेली का त्यौहार होता है। इस दिन के बारे में प्रचलित हैं कि तंत्र-मंत्र साधना करने वाली टोनही या उनको जो भी कहा जाता है निकलती हैं। यह हरेली 22 जुलाई को पडऩे वाली है। इस दिन आप जरा शमशान घाट में रात को 12 बजे के बाद जाकर बैठ जाए फिर बताएं कि शैतानी शक्तियां होती हैं या नहीं। हमने तो कम से कम ऐसी शक्तियों के कई किस्से सुने हैं। अब आप ज्यादा जानते होंगे तो हमें नहीं पता। क्या करें हम लोग थोड़े अज्ञानी किस्म के लोग हैं। हममें तो इतनी हिम्मत नहीं है कि किसी शैतानी शक्ति से लडऩे के लिए या उसकी हकीकत जानने के लिए किसी शमशान घाट में चले जाए, लगता है आप जरूर जा सकते हैं। तो जाने के बाद अपने अनुभव जरूर बताएँ।
अनिल जी ने इतना बड़ा उदाहरण आपके सामने रखा है। अगर यही घटना कभी भगवान न करे आपके घर में घट जाए तब आप क्या करेंगे। वैसे भी मरने वाले को तिनके का सहारा वाली बात तो आपने सुनी होगी। ऐसे में जब कोई रास्ता नहीं बचता है तो इंसान न चाहते हुए भी ऐसे आदमी के पास चला जाता है जिसके बारे में कहा जाता है कि वह मदद कर सकता है। इस दुनिया में ऐसे कई सच्चे साधु-संत मिल जाएंगे आपको जो शैतानी शक्तियों के खिलाफ लड़ते हैं। अनिल जी एक वरिष्ठ पत्रकार हैं और वे अगर कोई बात बता रहे हैं तो गलत नहीं हो सकती है। अब अगर आप किसी बात को न मानना चाहे तो उसका कोई इलाज नहीं है।
आदरणीय राजकुमार जी सर्वप्रथम तो मैं आपको बधाई देता हूँ कि कम से कम आप परिचर्चा में शामिल तो हुए !
जवाब देंहटाएंप्रतिक्रिया का जवाब देने के लिए तहे दिल से धन्यवाद !
आपको जानकार अफसोस होगा कि मैं भगवान् को नहीं मानता ! ऐसा कहा जाता है कि सम्पूर्ण श्रष्टि का रचयिता भगवान है उसकी मर्जी के बगैर एक पत्ता भी नहीं हिल सकता ! तो मैं जैसा हूँ .... उसकी ही इच्छा है ! देखिये एक बात स्पष्ट कर दूँ कि यहाँ न तो किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना मंतव्य है और न ही स्वयं को तीस मार खां साबित करना ध्येय है ! यहाँ लगातार चर्चा इस बात पर हो रही है कि समाज में अभी भी किस कदर अज्ञानता है ! तंत्र-मन्त्र के नाम पर कैसे बेवकूफ बनाया जा रहा है ! स्वयं भू अवतारों और मठाधीशों की जालसाजी किस तरह परवान चढ़ रही है !
आज जरूरत इस बात की है कि विज्ञान को किसी तरह स्कूल की कक्षाओं से निकालकर जन-सामान्य के बीच लाया जाए ! ईश्वर पर विशवास करना या न करना ... यह किसी का भी व्यक्तिगत मामला है ! यहाँ ईश्वर के अस्तित्व पर बहस न होकर यह प्रयास किया जा रहा है कि लोगों में जागरूकता और वैज्ञानिक द्रष्टिकोण उत्पन्न हो !
स्वयं का बखान न करते हुए मैं बताना चाहूँगा कि मैंने बहुत - बहुत - बहुत घूमा है .. बिलकुल बंजारा टाईप ! हाँ यह जरूर है कि मेरा घूमना आप जैसा नहीं था ! मैं वैष्णो देवी गया तो गुफा में दर्शन करने नहीं गया ... बस प्राकृतिक द्रश्यों का आनंद लेता रहा ! अजमेर शरीफ गया तो मजार से दूर बैठकर कव्वालियाँ सुनता रहा ! सिरडी गया तो आस-पास के गाँव में घूमता रहा ! भैया ऐसा ही हूँ मैं ! मुझे मेले से ज्यादा मेले में आये हुए लोग ज्यादा आकर्षित करते हैं !
आपने हरेली की बात कही ! आपने सोनडोंगरी और रायपुरा का नाम सुना होगा ..... जहाँ तक मेरा ख्याल है हरेली से ज्यादा दूर नहीं होगा ........ मैं गया हूँ वहां ........ हरेली का नाम भी तब से ही सुन रहा हूँ ! ये वो पिछडे हुए इलाके हैं जहाँ पर अशिक्षा का बोलबाला है ! चिकित्सा सेवाओं की नितांत कमी है ! ओझाओं का राज चलता है ..... कोई पढ़ा-लिखा डाक्टर वहां जाकर समाज सेवा करना चाहे तो उसको साजिस करके भागने पर मजबूर कर दिया जाता है !
हरेली में अमावस्या के दिन जादू-टोने और तंत्र-मंत्र का जमकर प्रयोग होता है ! यह परंपरा कोई आज की नहीं है सदियों से चली आ रही है ! इसके खिलाफ बहुत वर्षों से कुछ संस्थायें कार्य कर रही हैं लेकिन कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ा है ! अमावस्या के दिन वहां नवविवाहित स्त्रियों और कुंआरी कन्यायों को बहुत बचा के रखा जाता है , उन्हें आज के दिन घर में ही बंद कर दिया जाता है !
जहाँ तक आपके नीम का सवाल है .... मैंने तो देखा कि उस पूरे प्रांत में ही नीम के प्रति श्रद्धा बहुत ज्यादा है ! अधिकतर घरों के आगे नीम का पेड़ देखा जा सकता है ! नीम के प्रति वहां अनेक धारणाएं जन-मानस में व्याप्त हैं ! नीम को काटना बहुत अमंगलकारी समझा जाता है ! इसलिए वहां के लोग नीम के काटने के नाम से ही भयभीत हो जाते हैं !
राजकुमार जी आपने नाम भी लिया तो ऐसी जगह का जहाँ पर उल्टे पाँव वाले भूत से ज्यादा सीधे पाँव वाले भूत खतरनाक हैं ! सिर्फ पत्रकार, डाक्टर, या बालीवुड एक्टर होने मात्र से सोच नहीं बदल जाती ! मेरा प्रोफाईल भी देख लीजिये .... छोटा-मोटा कलम घिस्सू मैं भी रहा हूँ ! आज मीडिया ही इन तांत्रिकों ... ज्योतिषों को पाल-पोस रही है ! आप भी टी वी देखते ही होंगे .... रात-दिन सूट और टाई लगाए पत्रकार लोग क्या दिखा रहे हैं ?
न जाने ऐसे कितने कब्रिस्तान ... पीपल के ब्रह्म देवता .. भुतहा मकान देख चूका हूँ ! अगर आपके भगवान ने चाहा तो हरेली भी देख लिया जाएगा .... लेकिन मुझे भली-भाँती मालूम है कि इसके बावजूद भी मैं आपकी धारणाओं को इंच मात्र भी नहीं हिला पाऊंगा !
गोविंद जी,
जवाब देंहटाएंहमें पहले ही यह लगा था कि आप भगवान में भी यकीन नहीं करते होंगे। जब आप देवीय शक्ति को ही नहीं मानते हैं जिसके कारण आज सारे संसार का अस्तित्व है तो फिर यह अपने आप में स्पष्ट बात है कि आप शैतानी शक्ति को कैसे मान सकते हैं। हमारी भगवान से यही दुआ कि एक दिन वह आपको नास्तिक से आस्तिक बना दे फिर आप अपने आप दुनिया जहांन के उस सच को कबूल कर लेंगे जिस सच को चाहे वह डॉक्टर हों या वैज्ञानिक मानते हैं। दुनिया के वैज्ञानिकों के काफी कोशिश की कि वे देख सकें कि आखिर इंसान के मरने के बाद उसकी आत्मा जाती कहां है, पर सफलता नहीं मिली। अगर सफलता मिल जाती तो उस न देखी हुई देवीय शक्ति को कौन मानता और वैज्ञानिक भगवान हो जाते। अगर किसी में दम है तो फिर इंसान की मौत को रोककर बताए, समय को रोक कर बताए, फिर कहे कि इस दुनिया में भगवान नाम की चीज नहीं होती है। जिस तरह से वेद-पुराणों में देवताओं की बातें मिलती हैं, उसी तरह से राक्षसों की बातें भी हैं। हर चीज के दो पहलू होते ही हैं सिक्के का एक पहलू और ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती है। फिर ये कैसे संभव है कि दुनिया में जहां देवीय शक्ति हैं, वहां उसके विपरीत शैतानी शक्ति न हो। कोई माने न माने सच को बदला नहीं जा सकता है।
लता किसी मानसिक व हो सकता है शारीरिक कष्ट से भी गुजर रही है। अपनी बेटी के लिए कुछ रात जागकर पहरा देना, उसके साथ रहना बहुत असंभव तो नहीं है। उसके कमरे को सुरक्षित करना, सभी फ़ालतू सामान और औजार हटाकर उसके साथ ही रहकर देखना चाहिए कि वह यह सब सोए में कर रही है या जागे में। या कोई उसे परेशान करने को तो नहीं कर रहा। वैसे यह सभावना कम ही है।
जवाब देंहटाएंउसे किसी मनोचिकित्सक के पास ले जाना चाहिए। यदि महानगर में हैं तो निद्रा क्लिनिक में उसे रात भर रखा जा सकता है और जाँच की जा सकती है।
घुघूती बासूती
प्रकाश जी इस मामले मे मै बहस नही करना चाहता और मैने जो बताया वो मेरे घर का वाक्या है मुहल्ले के किसी और घर का किस्सा नही।ये तो मानने ना मानने का मामला है।उस वाक्ये को कभी हम लोगो ने किसी को बताया नही था इत्तेफ़ाक से उस दिन बात निकल आई।मै खुद अंध श्रद्धा या विश्वास के खिलाफ़ बनाई गई राज्य स्तरीय समिति का सदस्य हूं।समाज मे ईश्वर के होने या नही होने को लेकर जिस तरह मतभेद है उसी तरह शैतानी ताक़तो के बारे मे भी है।इन सबके बावज़ूद डाक्टर जैसी वैज्ञानिक कौम भी आपरेशन के पहले मुहूर्त देखने लगे हैं।ये विसंगतिया तो है इन सब का कोई क्या कर सकता है।देश को चलाने वाले लोकतंत्र के सिपाही चुनावी जंग मे उतरने के पहले ही पर्चा भरते समय बिना मुहुर्त देखे एक कदम आगे नही बढते।सारे शराबी नवरात्र मे शराब पीना बंद क्यों कर देते हैं,अधिकांश कवाबी(मांसाहारी)मंगलवार,शनिवार,गुरुवार य सोमवार जैसी बातों को लेकर कवाब खाना क्यों छोड़ देते हैं।और भी बहुत सी बातें है प्रकाश जी,कभी फ़ुरसत से उस पर पोस्ट ही लिख देंगे। हम भी आप जितने ही अंधविश्वास के विरोधी है,यकीन मानिये उसे बढावा देना मेरा मकसद नही है लेकिन जो मैने देखा है उसे तो नही झुटला सकता।एक नही कई साल तक़ उसे हमने झेला था।
जवाब देंहटाएंआदरणीय़ प्रकाश जी,
जवाब देंहटाएंआपको देखकर "अध घघरी छलकत जाये" वाली कहावत याद आ रही है। बिल्कुल भी गम्भीरता नही झलकती। अपने आप को फन्ने खाँ समझ रहे है। स्वस्थ्य चर्चा के लिये जरुरी है कि सभी को धैर्य से सुना जाये। दूसरे के तर्को को बेहरमी से नही काटा जाये। अनुभव और ज्ञान गम्भीरता देता है। कोई भी सर्वज्ञाता नही है। आप भी नही है। रजनीश ने इतना अच्छा ब्लाग शुरु किया है। आप जैसे तानाशाहो से तो कोई चर्चा मे भाग भी नही लेगा। लोगो के अपने विश्वास है। ऐसे जलील तो न करे दूसरो को। मुझे लगता है कि आप समय से पहले विज्ञान के पैरोकार बन बैठे है। गम्भीर प्रात: स्मरणीय अर्विन्द जी से कुछ गम्भीरता सीखे। आप का ऐसा उचकना आम पाठको को परिचर्चा से दूर कर रहा है।
और हाँ यदि आप भगवान को नही मानते तो मुझे लगता है कि आपको अपनी माँ से मिलना चाहिये जिन्होने आपको जन्मते वक्त उसका ही नाम लिया था। लगता है कि संस्कारो की घुट्टी मे कुछ कमी रह गयी है।
यह चर्चा इस उददेश्य से शुरू की गयी है कि समाज में जो अंधविश्वास फैला है और उसके कारण जो नुकसान हो रहा है, उसपर विचार किया जाए। मेरा आप सभी से आग्रह है कि किसी के उपर व्यक्तिगत आक्षेप न लगाएं और स्वस्थ चर्चा करें।
जवाब देंहटाएंइस पहेली का एक ही उत्तर है लता अपनी ओर सबका ध्यान आकर्षित करने के लिये यह सब खुद कर रही है महाराष्ट्र मे इसे "भानामती" कहते हैं अन्द्धश्रद्धा निर्मूलन समिति नागपुर ने ऐसे कई केसेस का पर्दा फाश किया है
जवाब देंहटाएंWhat did u think about reader's comments for this post which is publish in a blog of a mamber of science blogger assosiation. :)
जवाब देंहटाएंyou did place a weak story.
missing points are
- living condition (metro or small town)
- family members
- about school
- if she is intelligent then how did she react
one thing could be possible that metro girl is trying to escape from house and her poor family. medically she may be suffering from split personality.
lata ki sadi mujse kara do mai bhut ki maa bhen ek kar dunga.... sach kahta hu.
जवाब देंहटाएंanil ji ne jo lika hai,bilkul sahee ho saktha hai.jis imlee ke darakht ko jalaya tha osper shayadh jinnath ka basera tha hoga.
जवाब देंहटाएंआज 26/06/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
आज 26/06/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!