--> पापा, आप जब सिगरेट पीते हैं, तो उसका धुंआ हमारी नाक में घुस जाता है। लगता है, जैसे हमारा दम ही निकल जाएगा। हमें आपके पास बैठने ...
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पापा, आप शाम को रोज इतनी देर से आफिस से आते हो, हमारा मन करता है कि आपके साथ ढेर सारी बात करें, आपसे अपने दोस्तों की बातें करें, अपनी टीचर की बातें बताएं। पर पापा, आपकी सिगरेट मुझे आपके पास नहीं आने देती। इसीलिए मैं जानबूझकर टीवी खोलकर बैठ जाता हूं। आप मुझे बुलाते रहते हैं, पर चाहकर भी मैं आपके पास नहीं आ पाता हूँ। और आप सोचते हो कि मैं बहुत बदतमीज हो गया हूँ, आपका कहना नहीं मानता हूँ। मैं आपसे कैसे कहूं पापा कि मैं आपको कितना प्यार करता हूँ। आपके लिए तो मैं कुछ भी कर सकता हूँ। आप कहें, तो मैं चॉकलेट और कार्टून भी देखना छोड़ सकता हूँ। पर पापा, मैं चाहकर भी सिगरेट का धुआँ नहीं बर्दाश्त कर सकता।
सच कहूं पापा, जब आप खांसते हो तो मुझे लगता है कि आपको कहीं फेफड़े की बीमारी तो नहीं हो गयी। मुझे बहुत डर लगता है पापा, कहीं आपको कोई बीमारी तो नहीं? और पापा सिगरेट पीने से तो कैंसर भी हो जाता है न? पापा, कैंसर से तो आदमी मर जाते हैं न? मेरा दोस्त राशिद कह रहा था कि उसके पड़ोस में एक अंकल को कैंसर हो गया था। वे तड़प-तड़प के मरे थे। पापा, क्या आप भी-----?
नहीं पापा, आप मर नहीं सकते। आपको कैंसर नहीं हो सकता पापा। आप नहीं जानते मैं आपको कितना प्यार करता हूं पापा। मैं तो रोज भगवान से प्रार्थना करता हूँ पापा कि मेरे पापा को कुछ न हो। मैं आपके बिना नहीं रह सकता पापा। प्लीज पापा, मेरा एक कहना मान लो पापा। मैं आपके साथ रहना चाहता हूँ, आपसे बात करना चाहता हूँ, आपके साथ खेलना चाहता हूँ पापा।
पापा, आप मुझसे बहुत प्यार करते हो न? पापा, क्या आप मेरे लिए एक काम नहीं कर सकते? पापा, क्या आप मेरे लिए सिगरेट नहीं छोड़ सकते?
पापा, आप जब सिगरेट पीते हैं, तो उसका धुंआ हमारी नाक में घुस जाता है। लगता है, जैसे हमारा दम ही निकल जाएगा। हमें आपके पास बैठने में बहुत तकलीफ होती है पापा। हमारा मन करता है कि हम आपसे दूर चले जाएं।
पापा, आप शाम को रोज इतनी देर से आफिस से आते हो, हमारा मन करता है कि आपके साथ ढेर सारी बात करें, आपसे अपने दोस्तों की बातें करें, अपनी टीचर की बातें बताएं। पर पापा, आपकी सिगरेट मुझे आपके पास नहीं आने देती। इसीलिए मैं जानबूझकर टीवी खोलकर बैठ जाता हूं। आप मुझे बुलाते रहते हैं, पर चाहकर भी मैं आपके पास नहीं आ पाता हूँ। और आप सोचते हो कि मैं बहुत बदतमीज हो गया हूँ, आपका कहना नहीं मानता हूँ। मैं आपसे कैसे कहूं पापा कि मैं आपको कितना प्यार करता हूँ। आपके लिए तो मैं कुछ भी कर सकता हूँ। आप कहें, तो मैं चॉकलेट और कार्टून भी देखना छोड़ सकता हूँ। पर पापा, मैं चाहकर भी सिगरेट का धुआँ नहीं बर्दाश्त कर सकता।
पापा, कल अखबार में छपा था कि सिगरेट पीने से बहुत सारी बीमारियाँ हो जाती हैं। हडिडयां कमजोर हो जाती हैं, फेफड़े खराब हो जाते हैं, दिल की बीमारी हो जाती हैं। सच बताइए पापा, कहीं आपको ये बीमारियाँ तो नहीं हो जाएंगी?
सच कहूं पापा, जब आप खांसते हो तो मुझे लगता है कि आपको कहीं फेफड़े की बीमारी तो नहीं हो गयी। मुझे बहुत डर लगता है पापा, कहीं आपको कोई बीमारी तो नहीं? और पापा सिगरेट पीने से तो कैंसर भी हो जाता है न? पापा, कैंसर से तो आदमी मर जाते हैं न? मेरा दोस्त राशिद कह रहा था कि उसके पड़ोस में एक अंकल को कैंसर हो गया था। वे तड़प-तड़प के मरे थे। पापा, क्या आप भी-----?
नहीं पापा, आप मर नहीं सकते। आपको कैंसर नहीं हो सकता पापा। आप नहीं जानते मैं आपको कितना प्यार करता हूं पापा। मैं तो रोज भगवान से प्रार्थना करता हूँ पापा कि मेरे पापा को कुछ न हो। मैं आपके बिना नहीं रह सकता पापा। प्लीज पापा, मेरा एक कहना मान लो पापा। मैं आपके साथ रहना चाहता हूँ, आपसे बात करना चाहता हूँ, आपके साथ खेलना चाहता हूँ पापा।
पापा, आप मुझसे बहुत प्यार करते हो न? पापा, क्या आप मेरे लिए एक काम नहीं कर सकते? पापा, क्या आप मेरे लिए सिगरेट नहीं छोड़ सकते?
धूम्रपान निषेध के लिए बच्चे के पत्र के माध्यम से आपकी बेहतरीन कोशिश। वाह।
जवाब देंहटाएंधसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
बहुत ही भावपूर्ण आग्रह .
जवाब देंहटाएंबहुत ही उपयोगी और शिक्षादायक आलेख, काश इससे लोग कुछ सबक लेते.
जवाब देंहटाएंरामराम.
तम्बाकू इस्तेमाल करने वालों तक इस बच्चे की आवाज पहुंचनी चाहिए.
जवाब देंहटाएंbahut achchhi post
जवाब देंहटाएंमैं अपनी 5 साल की बेटी के हर सवाल का जवाब देने की कोशिश करता हुं, लेकिन कुछ दिनों पहले उसके द्वारा पूछे गये इस प्रश्न पर मैं ना केवल चुप रह गया बल्कि अब तक ग्लानि महसूस कर रहा हूं - "पापा आप सिगरेट क्यों पीते हो ?"
जवाब देंहटाएंश्रीमान जी बहुत ही भावपूर्ण लिखा है और ऐसा लगा कि मानों मेरी बिटिया ही मेरे को ऐसा बोल रही हो अब हमें छोडनी पडेगी सिगरेट पता नहीं कब ये दिन हमारे सामने भी आ जाए बहुत ही अच्छा लिखा है आपने बेहतरीन शब्दों के साथ
जवाब देंहटाएंपापा, आप जब सिगरेट पीते हैं, तो उसका धुंआ हमारी नाक में घुस जाता है। लगता है, जैसे हमारा दम ही निकल जाएगा। हमें आपके पास बैठने में बहुत तकलीफ होती है पापा। हमारा मन करता है कि हम आपसे दूर चले जाएं।
जवाब देंहटाएंयही शव्द मेरे बेटे ने आज से १७ साल पहले मुझे कहे थे, ओर मेने उसी समय भरी डिब्बी फ़ेंक दी थी, ओर आज तक कभी भी नही फ़िर से सिगरेट पी.
बहुत सुंदर.
धन्यवाद
मैंने बचपन में पापा की सिगरेट पीनी शुरू कर दी थी. नतीजे में उसके बाद न तो उन्होंने कभी पी, न मैंने.
जवाब देंहटाएंवाह! कहने का अंदाज खुब रहा। अगर ये पापा लोगों को एकबार किसी ओंन्कोलोजी डीपार्ट्मेंट में ले जायें तो ही समज पायेंगे।
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट बडी अच्छी लगी।
काश! तरह से ही कुछ लोगो को शिक्षा मिल जाए!
जवाब देंहटाएंबालक का अपने पापा के नाम बहुत ही बढ़िया भावपूर्ण पत्र. बच्चे आग्रह पर बडो को भी ध्यान देना चाहिए . उम्दा
जवाब देंहटाएंये सिगरेट का धुंआ जब मुझसे बर्दास्त नहीं होता तो बच्चे तो बहुत ही 'सेंसटिव' होते हैं !
जवाब देंहटाएंपहले कई बार इस धुंए को लेकर बस एवं ट्रेन में लोगों से पंगा हो चूका है !
बधाई आपको इस तरह की पोस्ट के लिए !
vaah ...bahut achchhee post...
जवाब देंहटाएंवाह... अपीलिंग अपील पर भाई हमने इस का स्वाद कभी नहीं चखा..
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट को पढ़ने के बाद भी
जवाब देंहटाएंजिस पापा ने सिगरेट पीना नहीं छोड़ा,
वह पापा कहलाने के लायक नहीं!
मैंने भी अपने बेटे के प्यार के खातिर ही सिगरेट और मद्यपान छोड़ दिया कि कल उसे ये छोड़ने के लिये बोलना न पड़े।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी पोस्ट ! काश लोग ये आग्रह मान लें !
जवाब देंहटाएंहर बच्चे को अपने पिता को [जो धुम्रपान करते हैं]यह चिट्ठी देनी ही चाहिये.कौन इस बालक के आग्रह को नकारेगा?
जवाब देंहटाएंबढ़िया तरीके से आपने इस विषय को लिया है ..काश सिगरेट पीने वाले इस को समझ सके
जवाब देंहटाएंDil ko chho lene waali baat.
जवाब देंहटाएंApka baat ko kahne ka andaaz bahut achha aur damdaar hai...umid hai logo pe iska asar jarur parega...
जवाब देंहटाएं@Admin--
जवाब देंहटाएं--Blog archive..kahin nahin dikh raha hai--
--old post se latest post ya main page par nahin ja pa rahi hun.
--only search box is not enough.
-blog logo par/header kahin bhi click karne se main page par le jana chaheeye-jo nahin ho raha hai.
-please do needful-thanks
आप सब को यह भावपूर्ण पाती पसंद आई, शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंअल्पना जी, कुछ बेसिक चीजों पर ध्यान दिलाने के लिए शुक्रिया।
पापा, आप जब सिगरेट पीते हैं, तो उसका धुंआ हमारी नाक में घुस जाता है। लगता है, जैसे हमारा दम ही निकल जाएगा। हमें आपके पास बैठने में बहुत तकलीफ होती है पापा। हमारा मन करता है कि हम आपसे दूर चले जाएं। yah dard us bachchen ka hai..jo lachar hai ..kuchh nahi kar sakta...
जवाब देंहटाएंपता है पापा ?
जवाब देंहटाएंआप मेरे प्रति एक कानूनी सामाजिक और नैतिक अपराध भी कर रहे हैं .
मैं आपसे दूर भी रहूं तब भी , घर मे कहीं भी रहूं तब भी , कोयी भी , खास कर के मैं ,आसानी से दमे का शिकार हो सकता हूं . और साथ ही वह हर रोग जो सिगरेट से हो सकता है .
पता है पापा बचपन मे बच्चों के फ़ेफ़डे कितने नाज़ुक होते हैं .
पापा आप ऐसा चाहेंगे ?
पहली बार यहां आना हुआ और लगता है कि अब हर बार यहां आना होता रहेगा। आप मेरे ब्लॉग पर आकर अपनी राय छोड़ गए वो अच्छी लगी और बाद में आने वाले सभी ने उसी को कॉपी किया।
जवाब देंहटाएंथैंकस की आपने एक बेटे की बात एक पिता तक कुछ यूं पहुंचाई। बहुत अच्छा लगा पढ़ कर दिल से, कह रहा हूं ऊपरी नहीं। सचमुच बेहतर।
aapko is aalekh k liye vishesh badhaiyan !
जवाब देंहटाएंbhai.....bahut achha!
bahut achcha lekh likha apney. Asha hai logon ko issey dhumrapan chodney mein sahayta milegi.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया !
जवाब देंहटाएंसाधुवाद !