यह एक बहुत मुश्किल पहेली थी -खास तौर पर मत्स्य विशेषज्ञों के लिए .मकसद था इस मछली के बारे में आपको बताना .ठीक उसी दिन मैं अपने दौरे पर जब ...
यह एक बहुत मुश्किल पहेली थी -खास तौर पर मत्स्य विशेषज्ञों के लिए .मकसद था इस मछली के बारे में आपको बताना .ठीक उसी दिन मैं अपने दौरे पर जब तालाबों का निरीक्षण कर रहा था तो सारनाथ के वन बिहार के एक चैनेल में यह दिखी -इसकी एक बिल्कुल सफ़ेद वेरायटी भी थी वह तो नहीं मिली पर इसे मैं जीवित ही ला पाने में सफल रहा और अब तक इसने लगभग ५० हजार अंडे भी दे दिए हैं और शायद आज ही उनसे करीब तीस हजार जीरे के मानिंद बच्चे भी मिल जायेंगे ।
यह भारतीय मूल की मछली नही है -इसे करीब चार दशको पहले चीन से लाया गया और आज तो इसकी ही दूसरी नस्लों ने गंगा जमुना में अधिपत्य जमा लिया है और अपने देशी मछलियों का अस्तित्व संकट में है -इसकी तीन मुख्य नस्लें इस समय भारतीय जल संपदा पर तेजी से काबिज होती जा रही हैं जो चिंता का विषय है -दरअसल ये हमारे लिए विलेन मछलियाँ हैं जिन्हें कंट्रोल कर के तो एक्वेरियमऔर मानव उपभोग के लिए पाला जा सकता है मगर खुला छोड़ देना ठीक नहीं है .इस मछली पर कुछ और जानकारी आप यहाँ ले सकते हैं ।
अब जवाब देने वाले सुधी जनों की चर्चा ! सच कहूं अल्पना जी के ज्ञान के खोज की इमानदारी देकर मन प्रमुदित हो जाता है -वे अंत तक जूझती रहीं इसका उत्तर पाने को -फिकर नाट यंग लेडी प्रयास तो आपका खूब रहा ,बहुत करीब तक आप पहुंच भी गयीं थी मगर यह आपका फील्ड भी तो नहीं है और फिर यह पहेली मैंने आप सभी को इस मछली के बारे में कुछ बताने को पूँछी थी -मेरा तो यह दिन रात का काम है !
बहरहाल पहला जवाब शाश्वत जी का था उन्होंने इसे गोल्ड फिश ही बताया जो सहज ही था -गोल्ड फिश भी लगभग इसी परिवार की मछली है .ज्ञानदत्त जी को इसकी चिंता ज्यादा थी कि यह मरी या बची -तो अब तो आप आश्वस्त हो गए होंगे ज्ञान जी ! संगीता पुरी जी का जवाब भी गोल्ड फिश ही था .अल्पना जी ने इसे 'Crucian Carp (Carassius carassius) के रूप में देखा जो बहुत मिलती जुलती मछली है मगर भारत में शायद हे मिलती है -मगर इस जवाब पर उन्हें बाद में कुछ शंका हो गयी थी -पर उनके प्रयास को देखते हुए उन्हें सांत्वना पुरस्कार से नवाजे जाने का निर्णय तस्लीम ने लिया है ।
पी एन सुब्र्हमनयन साहब तो कांफिडेंस से बोले -गोल्ड फिश ! कोई बात नहीं अब आगे की पहेली भी है ! देखिये Pt।डी.के.शर्मा"वत्स" जी क्या कह रहे हैं -हे राम्! घोर कलयुग.
शान्तम पापं........शान्तम पापं.....
मिश्रा जी, कहां सुबह सुबह मांस मछली के दर्शन करवा दिए। अब दोबारा से स्नान करना पडेगा. आप कहाँ से बोल रहे हैं वत्स ! सम्मुख आयहु दधि औ मीना ,मीन पीन पाठीन पुराने ,भरि भरि कान्ह कहारन लाने -यह कहाँ का प्रसंग है यह नयी पहेली आपके लिए वत्स ! सादर !
महेंद्र मिश्रा और मोहन वशिष्ठ बोले गोल्ड फिश ! मौदगिल जी कवि हैं तो जल थल की मछलियाँ देख कर काव्यमय हो जाते हैं गोत्र वोतर भी नही देखते -आज के कवियों में बस यही बुराई है -बस नाम जरूर बांच दिया जलतोरी- वह भी इसलिए कि इसे उदरस्थ करने की पेशबंदी हो रही है -खुदा मंचीय मछलियों को इनसे बचाए ! राज भाटिया भी इतने घबराए कि मुझे ईमेल कर बताना पडा कि भाई यह मअरी नही जिन्दा है -अब जर्मनी में रहकर भी महराज शाकाहार पर पल बढ़ रहे हैं -मछलियाँ जरूर आशीर्वाद दे रही होंगी ! शास्त्री जी आए पर जवाब जीवशास्त्रियों के लिए छोड़ गये -अनुभवी हैं ना ! अभिषेक ओझा जी ने गोल्ड फिश का तुक्का मारा पर विनम्रता से यह स्वीकार लिया कि उन्हें मछलियों की जानकारी नहीं है -सब्र कीजिये ओझा जी आपको तितलियों की अच्छी जानकारी है अगली बार कोई तितली ही यहाँ उडेगी ! सीमा गुप्ता जी ने भी विनम्रता दिखाई और गोल्ड फिश बोलकर इसकी प्रजातियों की जानकारी से तोबा कर ली ! आशीष खंडेलवाल जी ने क्रूसियन कार्प ,रंजना (रंजू ) जी ने भी यही जवाब और मीत ने एक एकदम पीछे जाकर इसे मछली का बच्चा बता दिया ! pankajrago ने गोल्ड फिश और अंत में एक बार फिर अल्पना वर्मा जी की उत्तर देने की बेकसी दिखी !
पहेली में भाग लेने के लिए आप सभी का आभार !
छपते छपते-ज़ाकिर अली ‘रजनीश’
आमतौर से ऐसी मछली व्यक्तिगत में देखी हैं, जिन्हें आमतौर से गोल्डेन फिश ही कहा जाता है।
यह भारतीय मूल की मछली नही है -इसे करीब चार दशको पहले चीन से लाया गया और आज तो इसकी ही दूसरी नस्लों ने गंगा जमुना में अधिपत्य जमा लिया है और अपने देशी मछलियों का अस्तित्व संकट में है -इसकी तीन मुख्य नस्लें इस समय भारतीय जल संपदा पर तेजी से काबिज होती जा रही हैं जो चिंता का विषय है -दरअसल ये हमारे लिए विलेन मछलियाँ हैं जिन्हें कंट्रोल कर के तो एक्वेरियमऔर मानव उपभोग के लिए पाला जा सकता है मगर खुला छोड़ देना ठीक नहीं है .इस मछली पर कुछ और जानकारी आप यहाँ ले सकते हैं ।
अब जवाब देने वाले सुधी जनों की चर्चा ! सच कहूं अल्पना जी के ज्ञान के खोज की इमानदारी देकर मन प्रमुदित हो जाता है -वे अंत तक जूझती रहीं इसका उत्तर पाने को -फिकर नाट यंग लेडी प्रयास तो आपका खूब रहा ,बहुत करीब तक आप पहुंच भी गयीं थी मगर यह आपका फील्ड भी तो नहीं है और फिर यह पहेली मैंने आप सभी को इस मछली के बारे में कुछ बताने को पूँछी थी -मेरा तो यह दिन रात का काम है !
बहरहाल पहला जवाब शाश्वत जी का था उन्होंने इसे गोल्ड फिश ही बताया जो सहज ही था -गोल्ड फिश भी लगभग इसी परिवार की मछली है .ज्ञानदत्त जी को इसकी चिंता ज्यादा थी कि यह मरी या बची -तो अब तो आप आश्वस्त हो गए होंगे ज्ञान जी ! संगीता पुरी जी का जवाब भी गोल्ड फिश ही था .अल्पना जी ने इसे 'Crucian Carp (Carassius carassius) के रूप में देखा जो बहुत मिलती जुलती मछली है मगर भारत में शायद हे मिलती है -मगर इस जवाब पर उन्हें बाद में कुछ शंका हो गयी थी -पर उनके प्रयास को देखते हुए उन्हें सांत्वना पुरस्कार से नवाजे जाने का निर्णय तस्लीम ने लिया है ।
पी एन सुब्र्हमनयन साहब तो कांफिडेंस से बोले -गोल्ड फिश ! कोई बात नहीं अब आगे की पहेली भी है ! देखिये Pt।डी.के.शर्मा"वत्स" जी क्या कह रहे हैं -हे राम्! घोर कलयुग.
शान्तम पापं........शान्तम पापं.....
मिश्रा जी, कहां सुबह सुबह मांस मछली के दर्शन करवा दिए। अब दोबारा से स्नान करना पडेगा. आप कहाँ से बोल रहे हैं वत्स ! सम्मुख आयहु दधि औ मीना ,मीन पीन पाठीन पुराने ,भरि भरि कान्ह कहारन लाने -यह कहाँ का प्रसंग है यह नयी पहेली आपके लिए वत्स ! सादर !
महेंद्र मिश्रा और मोहन वशिष्ठ बोले गोल्ड फिश ! मौदगिल जी कवि हैं तो जल थल की मछलियाँ देख कर काव्यमय हो जाते हैं गोत्र वोतर भी नही देखते -आज के कवियों में बस यही बुराई है -बस नाम जरूर बांच दिया जलतोरी- वह भी इसलिए कि इसे उदरस्थ करने की पेशबंदी हो रही है -खुदा मंचीय मछलियों को इनसे बचाए ! राज भाटिया भी इतने घबराए कि मुझे ईमेल कर बताना पडा कि भाई यह मअरी नही जिन्दा है -अब जर्मनी में रहकर भी महराज शाकाहार पर पल बढ़ रहे हैं -मछलियाँ जरूर आशीर्वाद दे रही होंगी ! शास्त्री जी आए पर जवाब जीवशास्त्रियों के लिए छोड़ गये -अनुभवी हैं ना ! अभिषेक ओझा जी ने गोल्ड फिश का तुक्का मारा पर विनम्रता से यह स्वीकार लिया कि उन्हें मछलियों की जानकारी नहीं है -सब्र कीजिये ओझा जी आपको तितलियों की अच्छी जानकारी है अगली बार कोई तितली ही यहाँ उडेगी ! सीमा गुप्ता जी ने भी विनम्रता दिखाई और गोल्ड फिश बोलकर इसकी प्रजातियों की जानकारी से तोबा कर ली ! आशीष खंडेलवाल जी ने क्रूसियन कार्प ,रंजना (रंजू ) जी ने भी यही जवाब और मीत ने एक एकदम पीछे जाकर इसे मछली का बच्चा बता दिया ! pankajrago ने गोल्ड फिश और अंत में एक बार फिर अल्पना वर्मा जी की उत्तर देने की बेकसी दिखी !
पहेली में भाग लेने के लिए आप सभी का आभार !
छपते छपते-ज़ाकिर अली ‘रजनीश’
आमतौर से ऐसी मछली व्यक्तिगत में देखी हैं, जिन्हें आमतौर से गोल्डेन फिश ही कहा जाता है।
'सांत्वना[पुरस्कार]' देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया..तस्लीम की टीम को धन्यवाद मेरे प्रयासों की सराहना करने के लिए.
जवाब देंहटाएंवैसे मैं ने अपने तर्क भी लिख दिए थे..और मोडरेशन ओन रहता तो समझ आ जाता है की जवाब सही है या ग़लत...यहाँ तो अजब confusion था..
जानकरी बढ़ रही है..'अनोखी मछली हो या अजीब अजीब तरह की सब्जियां!'
ऐसी मछलियों के खतरों के बारे में आम लोगों को भी जागरूक किया जन चाहिए. विजेताओं को बधाई.
जवाब देंहटाएंइस तरह की पहेली जो ज्ञान देती हैं वह न भूलने वाला होता है ....जीतने वालों को बधाई ..शुक्रिया
जवाब देंहटाएंअच्छा बताया जी। बाकी चीनी मूल की होने पर क्या जल शुद्ध करने में कुछ कोताही करती है क्या?
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, जी मे शाका हारी हूं, दुख तो होता है, लेकिन आप से कोई गिला नही.
जवाब देंहटाएंकमाल है दादा... मेरी बहूत तारीफ कर दी आपने, दरअसल मैं भी क्या करूं.... मछलियां हैं ही ऐसी...
जवाब देंहटाएंमिश्रा जी, धन्यवाद.........ये पहेली आपने हमारे मतलब की पूछी.तनिक प्रतीक्षा कीजिए,उत्तर अवश्य दिया जाएगा.अगर इसके लिए आपने कोई समयसीमा निर्धारित की है तो कृ्प्या वो भी बतला देंते तो सुविधा रहती.
जवाब देंहटाएंपुन: धन्यवाद..........
रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी देने के लिए आपको पुन: धन्यवाद।
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