वसंत पंचमी के अवसर पर पूछी गयी इस पहेली का 21 लोगों ने जवाब दिया, जिसमें सिर्फ एक जवाब ( पारूल ) गलत हुआ, बाकी सभी ने एक स्वर में कह...
वसंत पंचमी के अवसर पर पूछी गयी इस पहेली का 21 लोगों ने जवाब दिया, जिसमें सिर्फ एक जवाब (पारूल) गलत हुआ, बाकी सभी ने एक स्वर में कहा कि ये हंस वाहिनी, ज्ञान दायिनी देवी सरस्वती ही हैं और वसंत पंचमी के अवसर पर इनकी विशेष रूप से पूजा की जाती है।
जवाब देने वालों में अर्श, ज्ञानदत्त पाण्डेय, विवेक सिंह, समीर लाल, शुभम आर्य, सुरेश चिपलूनकर, सीमा गुप्ता, विनय, पारूल, सीमा गुप्ता, राज भाटिया, मीत, पी एन सुब्रमण्यम, ताऊ रामपुरिया, मीनू खरे, डी0के0 शर्मा वत्स, स्मार्ट इंडियन, उबूनटू, सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी, रंजना भाटिया, अल्पना वर्मा के नाम शामिल हैं। आप सबको इस पहेली में भाग लेने हेतु हार्दिक धन्यवाद।
सीमा गुप्ता जी ने पहेली का जवाब विस्तृत रूप में दिया है-
"हिंदू धर्म मे देवी सरस्वती , विद्या , ज्ञान , कला और संगीत की देवी है उनका वाहन बत्तख राजहंस है इसलिए इन्हे हंसवाहिनी भी कहा जाता है. बत्तख राजहंस श्रष्टि रचिता प्रभु ब्रम्हा के भी वाहक हैं. कहा जाता है की राजहंस की चोंच इतनी संवेदनशील होती है की वो पानी मिले दूध मे से पानी और दूध को अलग यानि पहचान सकता है. इसलिए राजहंस अच्छे और बुरे की पहचान का प्रतीक है, और देवी सरस्वती जो सत्य की संस्थापक है इसलिए राजहंस को अपने वाहन के रूप मे अपने साथ रखती हैं. हमेशा सफेद परिधान मे सुसज्जित देवी का सफेद रंग पवित्र और सत्य ज्ञान का सूचक है. देवी की चार भुजाये मनुष्य के सिखने के व्यक्तित्व के चार पहलू मस्तिष्क, समझ, सतर्कता और अहम का प्रतिनिधित्व करता है. हिंदू तिथि के हिसाब से माघ माह के पांचवे दिन सरस्वती पूजा की जाती है...." सीमा जी इस विस्तृत उत्तर के लिए धन्यवाद।
दूसरा समझदारी भरा जवाब स्मार्ट इंडियन का रहा। उन्होंने अपनी स्मार्टनेस दिखाते हुए कहा- ‘‘वाग्देवी - यदि चित्रकार ने हंस बनाने का प्रयास किया है और आपने पहेली को वसंत पंचमी से जोड़ने का तो फ़िर तो यह वीणा वाहिनी ही होनी चाहिए - भले ही वीणा न दिखे.’’
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी जी ने अपने विद्यालय के दिनों की यादों को ताजा करते हुए कहा- ‘‘वसन्त पंचमी के दिन हमारे शिशु मन्दिर में ‘सरस्वती पूजन’ होता था। उसमें यह प्रार्थना जरूर गायी जाती थी।
हे हंसवाहिनी, ज्ञानदायिनी,
अम्ब विमल मति दे...।
आज वही वसन्त पंचमी है। बेटी के कॉन्वेन्ट स्कूल में छुट्टी कर दी गयी है। यानि विद्या की इस देवी की जानकारी बच्चों को देना अभिभावकों के जिम्मे है।
आपने इस पहेली के माध्यम से यह पुनीत कार्य करने का मन बनाया है, इसलिए आपको साधुवाद।’’
सबसे अंतिम और विस्तृत जवाब पहेली विशेषज्ञा अल्पना वर्मा जी का रहा। उन्होंने अंग्रेजी में बताया
“Saraswati has far many forms in Jain and Buddhist pantheons. Saraswati as a Jain deity essentially carries a Tirthankara idol in her coiffure,
-Some of Saraswati’s early idols are also two-armed. In contemporary art, too, she is sometimes represented with normal two arms.
-Her votive images are often defined with an elaborate ‘prabhavali’ – fire-arch. Her most forms reveal rhythm but not dance.
-However, a few of her early dancing images are also reported, one from Udeshvara temple, Udayapur in Madhya Pradesh। As deity, river Saraswati has the same imagery as has Saraswati the goddess except that corresponding to her moving character she is more often conceived as swan-riding, not as lotus-seated or seated.’’
साथ ही उन्होंने उन्होंने अंग्रेजी में जवाब देने के लिए खेद भी व्यक्त किया और ईमानदारीपूर्वक कहा कि यह मैटर कॉपी/पेस्ट किया है। अल्पना जी, यही खेल भावना है। मैं आपकी इस भावना को सलाम करता हूँ।
इस तरह पहेली का यह अध्याय समाप्त हुआ। आप सबका उत्साहपूर्वक इसमें भाग लेने हेतु शुक्रिया। वैसे तो यह काम अरविंद जी को करना था, पर उनकी व्यस्तता के कारण जवाब का जिम्मा मुझे संभालना पड़ा। आशा है, आप सब लोग इस काम चलाऊ सरकार से संतुष्ट होंगे।
चित्र के साथ एक समस्या थी. वहां हंस कम और बगुला ज्यादा लग रहा था.
जवाब देंहटाएंसीमा जी का जवाब बहुत विद्वतापूर्ण लगा, बधाई।
जवाब देंहटाएंhame to alag se inaam milna chaahiye :))))))
जवाब देंहटाएं"sbhi vijetaon ko bdhai"
जवाब देंहटाएंRegards
आशा है दूध और पानी की तरह सच्चे विद्यार्थियों की भी पहचान देवी सरस्वती कर लेती होंगी. विजेताओं को बधाई.
जवाब देंहटाएंदेवी माँ, हमें ज्ञान एवं सदबुद्धि प्रदान करें, हमारा मार्ग प्रशस्त करें।
जवाब देंहटाएंबधाई सीमा जी नेबहुत अच्छी जानकारी दी है
जवाब देंहटाएंसुब्रमनियम जी ने ठीक कहा कि चित्र में हंस की अपेक्षा बगुला ज्यादा लग रहा था.खैर ये तो कलाकार की कल्पना पर निर्भर करता है.
जवाब देंहटाएंसभी विजेताओं को बधाई...........
Thanks Zakir!
जवाब देंहटाएंसभी विजेताओं को बधाई. और कामचलाऊ सरकार ने भी ओफ़िशियेटिंग के बजाये पुर्ण्कालिक सरकार जैसा ही कार्य नि्र्वहन किया है तो आपको भी बधाई.
जवाब देंहटाएंरामराम.
we are happy
जवाब देंहटाएंcontgratulations to all winners
meet
विजेताओं को बधाई.
जवाब देंहटाएंविजेताओं को बधाई
जवाब देंहटाएं@माननीय सुब्रमनियम जी यहाँ तो फिर भी देवी पहचानी जा रही हैं.
देवी सरस्वती के और भी कई रूपों में चित्र और मूर्तियाँ हैं.
अगर आप देखेंगे तो एक दम से पहचान भी नहीं पायेंगे..
इस लिए मुझे वह जानकारी जो रोचक लगी.मैं ने अपने कमेन्ट में
दी थी.जिसे रजनीश जी ने भी पोस्ट में दिया है.
आप वह लिंक जरुर देखियेगा सच में हम सभी ने अक्सर सरस्वती के एक ही रूप की तस्वीरें देखीं हैं मगर
ऐसा नहीं है ..उन के कई सुंदर रूप और भी हैं.
इस लिए पहेली वाली तस्वीर में ..पक्षी -- हंस जैसा नहीं बगुले जैसा भी नहीं बल्कि मिला जुला सा कोई fictious जीव लग रहा है.
सभी विजेतओ को बधाई,
जवाब देंहटाएंbadhaiyan.
जवाब देंहटाएं---------------------"VISHAL"