जी हाँ अपने प्राईमरी के मास्टर साहब ,प्रवीण त्रिवेदी जी इसबार की पहेली के पहले विजेता बन बैठे हैं और आश्वस्त करते हैं कि शिक्षा का हमारा ...
जी हाँ अपने प्राईमरी के मास्टर साहब ,प्रवीण त्रिवेदी जी इसबार की पहेली के पहले विजेता बन बैठे हैं और आश्वस्त करते हैं कि शिक्षा का हमारा बेसिक ढांचा अभी भी संभावनाशील बना हुआ है -काश उनके सरीखे और भी लोग हमारी शिक्षा की आधारशिला को मजबूत करने को उपलब्ध होते ! इसलिए हम उन्हें विश्वविद्यालय के प्रोफेसर होने की कामना नहीकरेंगे जब कि वे उनसे बेहतर हैं - कोटिशः बधाई ! हाँ यह हाग डीयर या पाड़ा ही है -Axis porcinus ! चर्चा आगे बढ़ाने के पहले कुछ मूलभूत बातें !
हम भारतीय मृग [एंटीलोप ] और हिरन [डीयर ]की पहचान को लेकर काफी कन्फ्यूज रहते है -पहले तो मृग और हिरन के फ़र्क को समझ लें !मोटा फ़र्क यह है कि जिसकी सींगे साल दर साल झड़ती और नया उगती हैं वह हिरन है और जिनकी सींगे गाय भैंसों की भाति पूरे जीवन भर स्थायी बनी रहती हैं वह मृग है ! तो वादा करें कि यह बात आप अपने बच्चों को और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचा देंगे -क्योंकि मृगऔर हिरन कीपहचान को लेकर पढ़े लिखे लोग भी गच्चा खाते रहते हैं ! अब आप ही बताईये कि राम ने सीता जी की फरमाईश पर किसका बध किया था -मृग या हिरन ? आप कहेंगे मृग -पर जिसे हम मृगछाला कहते हैं दरअसल वह अमूमन चीतल का ही होता है -चित्तीदार हिरन का ! सीता जी ने मृगछाला की फरमाईश की थी -तो मारा गया मृग और "मृगछाला " बनी हिरन की !! यही सब गड़बड़झाला हमारे यहाँ हजारो साल से है -वस्तुतः वह मृग प्रसंग चीतल यानी स्पाटेद डीयर को लेकर ही था उसकी खाल ही बहुत मोहक होती है पर चूंकि हमारे लोकजीवन में मृग और हिरन का विभेद बहुत साफ़ नही रहा है इसलिए भ्रम बना रहता है .
अब देखिये यहाँ भी जो उत्तर आए हैं उनमें भी यही भ्रम दिखता है -हम पहले कुछ मृगों को जान पहचान कर उनके नाम हृदयंगम कर लें -पहले मृग -चीरू [ मृग ] ,चिंकारा [इंडियन गजेल ]क्रष्ण मृग [ब्लैक बग -जिसे सलमान ने मारा था ],चौसिंगा और नीलगाय [ब्ल्यू बुल -घड़रोज ] जो एशिया की सबसे बड़ी/बड़ा मृग है {क्या आप जानते थे ??}
और अब हिरन -बारहसिंगा ,चीतल जिसका अक्सर मृगछाला दिखता है ! कस्तूरीमृग जो वस्तुतः हिरन ही है (यहाँ भी नाम का गड़बड़झाला है -कस्तूरी कुंडल बसे मृग ढूंढें वन माहिं ! ) ,साम्भर ,और इस पहेली वाला पाड़ा -हाग डीयर ,काकड़ या मुन्तजैक ,और छोटा सा मगर प्यारा हिरन पिसूरा या माउस डीयर -
अगली बार जब आप चिडियाघर या किसी वन्यजीव विहार बच्चों के साथ जायं तो यह फ़र्क ख़ुद समझें और उन्हें भी आजीवन याद रखने के लिए समझाएं और मृग या हिरन को भलीभांति पहचानने में उनकी मदद करें ! तो इस पिंगल को झेलने के बाद आईये दूसरे विजेताओं -पहेली चीयर लीडर्स का नाम बताएं ! पर अफ़सोस कि अल्पना वर्मा जी अपनी हैट्रिक से चूंक गयीं- वे अतिरिक्त बुद्धिमानी के चलते क्रिसमस के फेर में पड़ गयीं और सांताक्लाज की सवारी रेनडियर की कल्पना कर बैठीं और ख़ुद मुझे भी सुंदर पहेली बुझाने के एक मौके से वंचित भी कर डालीं ! उन्होंने उत्साह में शायद पहेली का विवरण भी ठीक से नही पढा जिसमे इस जानवर को आजमगढ़ -उत्तर प्रदेश में पाए जाने कीबात कही गयी थी ! अब रेनडियर भला भारत में कहाँ पाया जाता है ? मैंने उन्हें हिंट किया तो फिर वे सही जवाब पर तुरत फुरत लौटीं -अक्लमंद को इशारा काफी -पर तब तक देर हो चुकी थी -प्राईमरी के मास्टर साहब पहेली जीत चुके थे !
एक जवाब जो आंशिक रूप से सही था, रंजना (रंजू ) जी द्वारा दिया गयाथा -और पहले ही आया था _" हिरन जाति का कोई प्राणी" था ,पर सटीक नही था ! पहला जवाब ताऊ लेकर आए थे पर ग़लत -बारहसिंघा ,इन दिनों वे एक सैम नामक कुत्ते से बतियाने में इतने मशगूल है कि चित्र में बिना बारह सींगों को गिने ही बारहसिंगा बोल दिया . ताऊ यह सरासर ग़लत जवाब है ,यहाँ ब्लागजगत में तुम्हारी लट्ठ थोड़े ही चलेगी ! अब ताऊ के ग़लत जवाब से ज्ञान जी भी भरमा गए -बारहसिंगा ही बोला ! पहले तो प्राईमरी के मास्टर भी भरमाये थे पर सेकंड इफोर्ट में बूझ ही गए ! सीमा जी से मेरी गुहार रही है कि रोमन लिपि के बजाय देवनागरी में अपना जवाब दिया करें और अगर उन्होंने देवनागरी में दिया होता तो उनका जवाब सही होता पर अफ़सोस उन्होंने रोमन में लिखा और ग़लत जवाब दिया -साम्भर ! शमीमुद्दीन ने भी यही ग़लत जवाब दिया-साम्भर या चीतल ! मीत ने टेक्निकली तो सही उत्तरदिया हिरन का भाई ! पर सही और सटीक उत्तर तो पहले ही आ चुका था ! राज जी ने काकड़ बताया ! विष्णु वैरागी भी बारहसिंगा ही बोले ! अमित कुमार उत्तर जानते थे पर पहेली के रोमांच बनाए रखने के लिए सही उत्तर बताने के ख्वाहिश की बलि दे बैठे -मानवता उनके इस त्याग के लिए उनकी चिर ऋणी रहेगी ! वर्षा जी ने भी हाग डीयर ही बताया पर इसके लिए फिलीपींस जा पहुँची- उनका उत्साह सर माथे पर मोहतरमां अपना घर तो पहले देखना था -इसी को तो कहते हैं ना -कस्तूरी कुंडल बसे....! मोहन वशिस्ठ जी भी बारह बजा गए ! उनके जवाब में बारह तो आया सींग गायब हो गयी ! लवली जी कस्तूरी ढूंढ रही हैं -कस्तूरी मृग था उनका जवाब ! अभिषेक जी ने भी तस्दीक़ कर दी कि हाँ यह हाग डीयर ही है और यह चिंता भी जतायी कि वन विभाग इतना ढीला क्यों है कि जानवरों की तस्करी अब भी हो रही है -जबकि क़ानून बहुत कड़े हैं ! महेंद्र मिश्रा जी ने इसे जानवर को बूढा कहकर पहेली की इतिश्री ही कर डाली -पर हो सकता कि रजनीश जी कुछ और जवाब माडरेशन में दबाये बैठे हों !
और होंग डीयर इसलिए कि इसकी चाल ढाल सूअरों से कुछ मिलती जुलती है !
सभी भाग लेने वालों को सादर नमन !
हम भारतीय मृग [एंटीलोप ] और हिरन [डीयर ]की पहचान को लेकर काफी कन्फ्यूज रहते है -पहले तो मृग और हिरन के फ़र्क को समझ लें !मोटा फ़र्क यह है कि जिसकी सींगे साल दर साल झड़ती और नया उगती हैं वह हिरन है और जिनकी सींगे गाय भैंसों की भाति पूरे जीवन भर स्थायी बनी रहती हैं वह मृग है ! तो वादा करें कि यह बात आप अपने बच्चों को और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचा देंगे -क्योंकि मृगऔर हिरन कीपहचान को लेकर पढ़े लिखे लोग भी गच्चा खाते रहते हैं ! अब आप ही बताईये कि राम ने सीता जी की फरमाईश पर किसका बध किया था -मृग या हिरन ? आप कहेंगे मृग -पर जिसे हम मृगछाला कहते हैं दरअसल वह अमूमन चीतल का ही होता है -चित्तीदार हिरन का ! सीता जी ने मृगछाला की फरमाईश की थी -तो मारा गया मृग और "मृगछाला " बनी हिरन की !! यही सब गड़बड़झाला हमारे यहाँ हजारो साल से है -वस्तुतः वह मृग प्रसंग चीतल यानी स्पाटेद डीयर को लेकर ही था उसकी खाल ही बहुत मोहक होती है पर चूंकि हमारे लोकजीवन में मृग और हिरन का विभेद बहुत साफ़ नही रहा है इसलिए भ्रम बना रहता है .
अब देखिये यहाँ भी जो उत्तर आए हैं उनमें भी यही भ्रम दिखता है -हम पहले कुछ मृगों को जान पहचान कर उनके नाम हृदयंगम कर लें -पहले मृग -चीरू [ मृग ] ,चिंकारा [इंडियन गजेल ]क्रष्ण मृग [ब्लैक बग -जिसे सलमान ने मारा था ],चौसिंगा और नीलगाय [ब्ल्यू बुल -घड़रोज ] जो एशिया की सबसे बड़ी/बड़ा मृग है {क्या आप जानते थे ??}
और अब हिरन -बारहसिंगा ,चीतल जिसका अक्सर मृगछाला दिखता है ! कस्तूरीमृग जो वस्तुतः हिरन ही है (यहाँ भी नाम का गड़बड़झाला है -कस्तूरी कुंडल बसे मृग ढूंढें वन माहिं ! ) ,साम्भर ,और इस पहेली वाला पाड़ा -हाग डीयर ,काकड़ या मुन्तजैक ,और छोटा सा मगर प्यारा हिरन पिसूरा या माउस डीयर -
अगली बार जब आप चिडियाघर या किसी वन्यजीव विहार बच्चों के साथ जायं तो यह फ़र्क ख़ुद समझें और उन्हें भी आजीवन याद रखने के लिए समझाएं और मृग या हिरन को भलीभांति पहचानने में उनकी मदद करें ! तो इस पिंगल को झेलने के बाद आईये दूसरे विजेताओं -पहेली चीयर लीडर्स का नाम बताएं ! पर अफ़सोस कि अल्पना वर्मा जी अपनी हैट्रिक से चूंक गयीं- वे अतिरिक्त बुद्धिमानी के चलते क्रिसमस के फेर में पड़ गयीं और सांताक्लाज की सवारी रेनडियर की कल्पना कर बैठीं और ख़ुद मुझे भी सुंदर पहेली बुझाने के एक मौके से वंचित भी कर डालीं ! उन्होंने उत्साह में शायद पहेली का विवरण भी ठीक से नही पढा जिसमे इस जानवर को आजमगढ़ -उत्तर प्रदेश में पाए जाने कीबात कही गयी थी ! अब रेनडियर भला भारत में कहाँ पाया जाता है ? मैंने उन्हें हिंट किया तो फिर वे सही जवाब पर तुरत फुरत लौटीं -अक्लमंद को इशारा काफी -पर तब तक देर हो चुकी थी -प्राईमरी के मास्टर साहब पहेली जीत चुके थे !
एक जवाब जो आंशिक रूप से सही था, रंजना (रंजू ) जी द्वारा दिया गयाथा -और पहले ही आया था _" हिरन जाति का कोई प्राणी" था ,पर सटीक नही था ! पहला जवाब ताऊ लेकर आए थे पर ग़लत -बारहसिंघा ,इन दिनों वे एक सैम नामक कुत्ते से बतियाने में इतने मशगूल है कि चित्र में बिना बारह सींगों को गिने ही बारहसिंगा बोल दिया . ताऊ यह सरासर ग़लत जवाब है ,यहाँ ब्लागजगत में तुम्हारी लट्ठ थोड़े ही चलेगी ! अब ताऊ के ग़लत जवाब से ज्ञान जी भी भरमा गए -बारहसिंगा ही बोला ! पहले तो प्राईमरी के मास्टर भी भरमाये थे पर सेकंड इफोर्ट में बूझ ही गए ! सीमा जी से मेरी गुहार रही है कि रोमन लिपि के बजाय देवनागरी में अपना जवाब दिया करें और अगर उन्होंने देवनागरी में दिया होता तो उनका जवाब सही होता पर अफ़सोस उन्होंने रोमन में लिखा और ग़लत जवाब दिया -साम्भर ! शमीमुद्दीन ने भी यही ग़लत जवाब दिया-साम्भर या चीतल ! मीत ने टेक्निकली तो सही उत्तरदिया हिरन का भाई ! पर सही और सटीक उत्तर तो पहले ही आ चुका था ! राज जी ने काकड़ बताया ! विष्णु वैरागी भी बारहसिंगा ही बोले ! अमित कुमार उत्तर जानते थे पर पहेली के रोमांच बनाए रखने के लिए सही उत्तर बताने के ख्वाहिश की बलि दे बैठे -मानवता उनके इस त्याग के लिए उनकी चिर ऋणी रहेगी ! वर्षा जी ने भी हाग डीयर ही बताया पर इसके लिए फिलीपींस जा पहुँची- उनका उत्साह सर माथे पर मोहतरमां अपना घर तो पहले देखना था -इसी को तो कहते हैं ना -कस्तूरी कुंडल बसे....! मोहन वशिस्ठ जी भी बारह बजा गए ! उनके जवाब में बारह तो आया सींग गायब हो गयी ! लवली जी कस्तूरी ढूंढ रही हैं -कस्तूरी मृग था उनका जवाब ! अभिषेक जी ने भी तस्दीक़ कर दी कि हाँ यह हाग डीयर ही है और यह चिंता भी जतायी कि वन विभाग इतना ढीला क्यों है कि जानवरों की तस्करी अब भी हो रही है -जबकि क़ानून बहुत कड़े हैं ! महेंद्र मिश्रा जी ने इसे जानवर को बूढा कहकर पहेली की इतिश्री ही कर डाली -पर हो सकता कि रजनीश जी कुछ और जवाब माडरेशन में दबाये बैठे हों !
और होंग डीयर इसलिए कि इसकी चाल ढाल सूअरों से कुछ मिलती जुलती है !
सभी भाग लेने वालों को सादर नमन !
प्राईमरी के मास्टर साहब ,प्रवीण त्रिवेदी जी को बहुत-बहुत बधाई. जब तक ऐसे जानकार शिक्षक हैं बच्चे आगे बढ़ते रहेंगे! अरविन्द जी, आपको भी मृग और हरिन का अन्तर इतनी सूक्ष्मता से बताने के लिए धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंप्राईमरी के मास्टर साहब ,प्रवीण त्रिवेदी जी को बहुत-बहुत बधाई.
जवाब देंहटाएंप्राईमरी के मास्टर साहब ,प्रवीण त्रिवेदी जी को सबसे पहले तो हार्दिक बधाई !
जवाब देंहटाएंइब समझ म्ह आगया कि आजकल वो क्यों लिखते हैं ..पीछा करो.. ठीक सै मास्साब इब तैं थारा ही पीछा करया करैंगै !
और अब मुझे यकीन हो गया कि ऐसे शिक्षकों के हाथ मे हमारे बच्चों का भविष्य पुर्णतया सुरक्षित है ! हमारे जैसे ताऊ उनको बिगाड नही पायेंगे !
आपने मृग और हिरण के फ़र्क मे जो समझाया है वो ताऊ के लिये तो एक पूरा लेशन हो गया सो आज तो दिन भर उसके रट्टे मारने पडेंगे तब जाकर कहीं याद हो पायेगा ! :)
रामराम !
प्रवीण त्रिवेदी जी को बहुत-बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंप्राईमरी के मास्टर साहब ,प्रवीण त्रिवेदी जी को बहुत-बहुत बधाई.
जवाब देंहटाएंRegards
मास्टर जी को बधाई और अरविन्द जी को धन्यवाद इतनी अच्छी जानकारी देने के लिए .
जवाब देंहटाएंमृग और हिरण एक ही समझते थे अब तक.. आज भ्रम दूर हुआ.. धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंमास्साब को बधाई!!
प्रवीण जी को बहुत बहुत बधाई और अरविंदजी को धन्यवाद। बहुत जानकारी भरी बातें बतलायी उन्होनें।
जवाब देंहटाएंप्रवीण जी, आप प्राइमरी ही नहीं यूनिवर्सिटी के मास्टरों से भी आगे निकले। अगर हमारे वश में हुआ, तो आपको डॉक्टरेट की डिग्री भेंट की जाएगी। पहेली जीतने की हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंअरविंद जी, आपने मृग और हिरण के फर्क को समझा कर बहुत अच्छा कार्य किया। मेरी समझ से इस भ्रम को बनाने में साहित्यकारों का बहुत बडा योगदान रहा है। 'तस्लीम' आपके नेतृत्व में इस वैज्ञानिक चेतना को ऐसे ही जगाती रहे, यही कामना है।
मास्टर जी को बधाई
जवाब देंहटाएंप्रवीण जी को बहुत बहुत बधाई.
जवाब देंहटाएंमैं हेट्रिक करने में ज़रा सा चूक गई लेकिन इतनी जानकारी इस बहाने मिल गई यही क्या कम है !
पहले सरसरी नज़र से देखा था और तुंरत जवाब लिख दिया--क्यूंकि हिरन जातियों में सिर्फ़ रेएंदीर की मादा के सर पर ही सींग होते हैं और क्रिसमस भी नज़दीक आ रहा तो तुरंत अंदाजा लगा कर लिख डाला.
चलिए एक सबक सीख लिया..-
**किसी भी सवाल का जवाब जल्दी में नहीं देना चाहिये.चाहे हार की संभावनाएं हों तब भी--
**जवाब देने से पहले विवरण दो बार कम से कम पढ़ लेना चाहिये.
आप की पहेलियों के बहाने बहुत कुछ नया पढ़ डाला और forest - fauna के बारे में और अधिक जानने की रूचि भी जागी. पहेली का जवाब लिखने के बाद भी मैं ने पढ़ना जारी रखा .
उत्तर प्रदेश में कहाँ कहाँ sanctuary हैं यहाँ की forest लाइफ कैसी है यह भी विस्तार से पता चल गया.
इस क्रम को जारी रखियेगा.शुभकामनायें.
एक बार फिर से धन्यवाद.
सभी विजेताओं को बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंमास्साब जी को हार्दिक बधाई!!
वाकई बहुत रोचक जानकारी मिली। ख़ासतौर पर नीलगाय और चौसिंगा वाली, मैं तो सचमुच चौंक गई। मास्टर जी को बधाई।
जवाब देंहटाएंप्राईमरी के मास्टर साहब ,प्रवीण त्रिवेदी जी को बहुत-बहुत बधाई.ओर हमे हराने के लिये आप का बहुत बहुत ध्न्यवाद
जवाब देंहटाएंप्रवीण जी को बहुत बधाई.
जवाब देंहटाएंpraveen मास्टर जी आप सच में एक अच्छे मास्टर हैं-आप ने 'सच 'कह दिया-- बहुत अच्छा लगा आप के व्यक्तित्व के इस पहलू को जान कर.
जवाब देंहटाएंमोडरेशन हटने के बाद मैं ने भी आप का जवाब पढ़ा था-जिस में आप ने लिखा था--'यह hog deer भी होसकता है'--'मतलब आप केवल अंदाजा लगा रहे थे-सच में -कौन जीता कौन नहीं--माउस clicks और नेट के तारों से जुडे हम सभी -इन पहेलियों के माध्यम से सीख रहे हैं हर बार कुछ नया--यही हमारा उद्देश्य है.
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंbahut hi bdhiya hai.
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