वे आयीं , देखा परखा और बस विजेता बन बैठीं ! तस्लीम पर अभी हाल ही में आयीं अल्पना जी ने तो वह कर दिखाया जिसकी तुलना तो बस उस पौराणि...
वे आयीं ,देखा परखा और बस विजेता बन बैठीं ! तस्लीम पर अभी हाल ही में आयीं अल्पना जी ने तो वह कर दिखाया जिसकी तुलना तो बस उस पौराणिक दृश्य से हो सकती है जिसमें यक्षप्रश्न का सटीक जवाब केवल युधिस्ठिर ही दे पाते हैं -और लोगों के ग़लत जवाबों से आजिज आ चुका यक्ष युधिष्ठिर के हर सही जवाब पर मन ही मन वाह वाह कर उठता है .तो अल्पना जी इस बार तस्लीम की चित्र पहेली रूपी यक्षप्रश्न की युधिस्ठिर ही बन बैठीं और उनका उतावालापॅन कहिये या ब्लागजगत के अपने बन्धु -बांधवियों के प्रति स्नेह कि उन्होंने उन्हें उत्तर देने का मौका हीनही दिया -तपाक से सही जवाब लेकर आ गयीं -उनके इष्ट मित्र सभी ग़लत जवाब के खतरों से बच गए ! इसे कहते हैं सच्चा और निश्छल उत्साह ! जी हाँ सच मानिए यह पहेली थोडा टेढी थी -पर जो जवाब आया उसे ज़ाकिर के शब्दों में कहें तो बिस्मिल्लाह ही ग़लत हो गया -अल्पना जी के पहले ही जोरदार जवाब के बाद पहेली सचमुच ही टायं टायं फिस हो गयी या फुस हो गयी .
पहेली को कोई तगडा चिडी प्रेमी ही सही बूझ सकता था जो पालतू पक्षियों का पारखी रहा हो और इस विषय पर अच्छा अध्ययन किया हो -चिडिओं को ख़ुद पालता हो .मैं अब भी कहता हूँ यदि यह पहेली इंग्लैंड में या अमेरिका में पूछी गयी होती तो एक नहीं अनेक सही जवाब आ जाते पर न जाने भारतीय विरासत को कौन घुन लगा कि यहाँ लोग बागों में आम तौर पर बस अपनी आजीविका-तेल नून लकडी के सिवा जैसे कोई और शगल सूझता ही नहीं !
जी हाँ यह पक्षी जो बुजेरिगर या बज्रीगर कहलाता है और दुनिया का एक माना जाना पेट बर्ड है अपनी चोंच एक मोलस्क जीव कटलफिश के आंतरिक स्केलेटन -से रगड़ रहा है .कटलफिश बोन उनके पिजरों में इसी लिए रखी जाती है जिससे उनकी चोंच की असामान्य वृद्धि न हो -और हाँ खाने में कैल्शिंयम् की भी पूर्ति होती रही .ऐसा उपक्रम इसलिए कि बुजेरिगर का कुदरती माहौल तो पिजरे में है नही जहाँ वह अपनी चोंच की देखभाल ठीक से कर इसलिए पक्षी प्रेमियों ने ऐसे नायाब तरीके खोज डाले हैं -बुजेरिगर पर आप यहाँ विस्तार से पढ़ सकते हैं -बड़ा प्यारा पक्षी है किसिम किसिम के रंगों वाला और पक्षी प्रजनकों में इसका नया रंग निकालने की दुनियाँ भर में होड़ सी लगी रहती है -मुझे याद है कि नारंगी रंग का पक्षी प्रजनित करने के लिए कभी लाखों डालर का इनाम था -मुझे पता नही नारंगी रंग वाला बुजेरिगर बाजार में आया भी या नही हाँ इस पक्षी की केवल आंख नारंगी /लाल होती है - मैंने अपनी नौकरी के शुरुआत में इसे पाला था और सहज ही पिजरें मे ही बच्चे प्राप्त किए थे -नर मादा की पहचान भी आसान सी ही है .
अब आईये जवाबों की एक पड़ताल कर ली जाय -सीमा गुप्ता जी बस चूक सी गयीं और झटपट अल्पना जी के साथ हो लीं ,मीत जी पहेलियाँ बुझाने लगे जब कि उन्हें जवाब देना था .राज भाटिया जी ने भी बिल्कुल सही उत्तरदिया -बधाई आपको भी राज जी ! विवेक ,अभिषेक चूके -ये सफ़ेद है क्या भाई ये सफ़ेद ?ताऊ जी ने ऊहापोह के बावजूद भी अल्पना जी के साथ हो लेने में अपना कल्याण समझा .अभिषेक ओझा जी ने सच्चे मन से स्वीकार कर लिया कि जवाब उन्हें नही पता -यह खेल भावना और जीवन मूल्यों के प्रति इमानदारी है -वे विद्या माता को नाराज नही करना चाहते और विद्या माता उन्हें ! लांग लिव डीयर ! उड़न जी इन दिनों भारत भ्रमण पर हैं -मेरे लाख चाहने के बाद भी वे मुझसे संपर्क नही कर रहे हैं -जबकि उन्हें बनारस भी आना था . किसी ब्लॉगर की हिम्मत की दाद देनी होगी कि वह बनारस आए और मुझे खैरमकदम का मौका भी न दे -जाहिर है उसका खूंटा कहीं और मजबूती से गडा है .बनारस में कई पुराने ठीहे /खूंटे मजबूती से जमें हैं . भाई जवाब आपका भी बिल्कुल दुरुस्त है -इसी खुशी मे मुझसे तत्काल संपर्क करे -पलक पावडे बिछाए आपका ही इन्तजार ही चल रहा है .नंबर फिर लिख लें -९४१५३००७०६ ! ।भूतनाथ, उड़न तश्तरी के साथ हो लिए तो बाकी अनिल पुसदकर ,अशोक पांडे और सिद्धार्थ त्रिपाठी और प्रवीण जी ने अल्पना जी का ही दामन पकडा .इस तरह सम्पन्न हुई यह पहेली प्रतियोगिता .
पहेली को कोई तगडा चिडी प्रेमी ही सही बूझ सकता था जो पालतू पक्षियों का पारखी रहा हो और इस विषय पर अच्छा अध्ययन किया हो -चिडिओं को ख़ुद पालता हो .मैं अब भी कहता हूँ यदि यह पहेली इंग्लैंड में या अमेरिका में पूछी गयी होती तो एक नहीं अनेक सही जवाब आ जाते पर न जाने भारतीय विरासत को कौन घुन लगा कि यहाँ लोग बागों में आम तौर पर बस अपनी आजीविका-तेल नून लकडी के सिवा जैसे कोई और शगल सूझता ही नहीं !
जी हाँ यह पक्षी जो बुजेरिगर या बज्रीगर कहलाता है और दुनिया का एक माना जाना पेट बर्ड है अपनी चोंच एक मोलस्क जीव कटलफिश के आंतरिक स्केलेटन -से रगड़ रहा है .कटलफिश बोन उनके पिजरों में इसी लिए रखी जाती है जिससे उनकी चोंच की असामान्य वृद्धि न हो -और हाँ खाने में कैल्शिंयम् की भी पूर्ति होती रही .ऐसा उपक्रम इसलिए कि बुजेरिगर का कुदरती माहौल तो पिजरे में है नही जहाँ वह अपनी चोंच की देखभाल ठीक से कर इसलिए पक्षी प्रेमियों ने ऐसे नायाब तरीके खोज डाले हैं -बुजेरिगर पर आप यहाँ विस्तार से पढ़ सकते हैं -बड़ा प्यारा पक्षी है किसिम किसिम के रंगों वाला और पक्षी प्रजनकों में इसका नया रंग निकालने की दुनियाँ भर में होड़ सी लगी रहती है -मुझे याद है कि नारंगी रंग का पक्षी प्रजनित करने के लिए कभी लाखों डालर का इनाम था -मुझे पता नही नारंगी रंग वाला बुजेरिगर बाजार में आया भी या नही हाँ इस पक्षी की केवल आंख नारंगी /लाल होती है - मैंने अपनी नौकरी के शुरुआत में इसे पाला था और सहज ही पिजरें मे ही बच्चे प्राप्त किए थे -नर मादा की पहचान भी आसान सी ही है .
अब आईये जवाबों की एक पड़ताल कर ली जाय -सीमा गुप्ता जी बस चूक सी गयीं और झटपट अल्पना जी के साथ हो लीं ,मीत जी पहेलियाँ बुझाने लगे जब कि उन्हें जवाब देना था .राज भाटिया जी ने भी बिल्कुल सही उत्तरदिया -बधाई आपको भी राज जी ! विवेक ,अभिषेक चूके -ये सफ़ेद है क्या भाई ये सफ़ेद ?ताऊ जी ने ऊहापोह के बावजूद भी अल्पना जी के साथ हो लेने में अपना कल्याण समझा .अभिषेक ओझा जी ने सच्चे मन से स्वीकार कर लिया कि जवाब उन्हें नही पता -यह खेल भावना और जीवन मूल्यों के प्रति इमानदारी है -वे विद्या माता को नाराज नही करना चाहते और विद्या माता उन्हें ! लांग लिव डीयर ! उड़न जी इन दिनों भारत भ्रमण पर हैं -मेरे लाख चाहने के बाद भी वे मुझसे संपर्क नही कर रहे हैं -जबकि उन्हें बनारस भी आना था . किसी ब्लॉगर की हिम्मत की दाद देनी होगी कि वह बनारस आए और मुझे खैरमकदम का मौका भी न दे -जाहिर है उसका खूंटा कहीं और मजबूती से गडा है .बनारस में कई पुराने ठीहे /खूंटे मजबूती से जमें हैं . भाई जवाब आपका भी बिल्कुल दुरुस्त है -इसी खुशी मे मुझसे तत्काल संपर्क करे -पलक पावडे बिछाए आपका ही इन्तजार ही चल रहा है .नंबर फिर लिख लें -९४१५३००७०६ ! ।भूतनाथ, उड़न तश्तरी के साथ हो लिए तो बाकी अनिल पुसदकर ,अशोक पांडे और सिद्धार्थ त्रिपाठी और प्रवीण जी ने अल्पना जी का ही दामन पकडा .इस तरह सम्पन्न हुई यह पहेली प्रतियोगिता .
जो भी हो पहेली मजेदार और मुश्किल भी थी, सभी विजेताओं को बधाई..
जवाब देंहटाएंRegards
हम तो अल्पना जी को बधाई देंगे की उनकी वजह से हमारा भी नाम विजेताओं की लिस्ट में हैं ! शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंविजेताओं को बधाई.
जवाब देंहटाएंमित्रो, इस बार की पहेली लाजवाब रही। अरविंद जी ने यह पहेली किसी खास मकसद से दी थी। उनके अनुसार कटलफिश बोन पंसारी की दुकानों पर 'समुद्र फेन' के नाम से मिलता है और पानी के बताशे अर्थात गोलगप्पे का कुरमुरापन बढाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। लेकिन जल्दबाजी में यह जानकारी उत्तर लिखते समय छूट गयी थी।
जवाब देंहटाएंलेकिन मिश्र जी ने यह तो आश्चर्यजनक जानकारी दे दी। इसका मतलब क्या इससे गोलगप्पा नॉनवेज मैटीरियल हुआ?
अल्पना जी और अन्य विजेताओं को बधाई।
अल्पना जी जिन्दाबाद.
जवाब देंहटाएंबहुत बधाई.
भाई साहब, अभी बनारस आया ही नहीं हूँ वरना इतनी हिम्मत कहाँ. :)
आज ही फोन करता हूँ.
हमें तो पता ही नहीं था ऐसे ही तुक्का चला दिया कि लग जाय तो तीर नहीं तो तुक्का . वैसे कभी कभी होता है कि सवाल कुछ ज्यादा ही आसान होता है हम बहुत हाई फाई उत्तर ढूँढते रहते हैं . उसी चक्कर में सफेद पंख बता दिया हमने . अल्पना जी के साथ रहने का मन तो था . पर नकल की बजाय हारना बेहतर समझा .
जवाब देंहटाएंजीतने वालों को बधाई .
ये क्या बता दिया ज़ाकिर भाई। अब तो गोलगप्पों मे भी मच्छ्ली का स्वाद आयेगा।
जवाब देंहटाएंजीतने वालों को बधाई ...
जवाब देंहटाएंअल्पना जी को बधाई व धन्यवाद। अपने साथ हमारा भी बेड़ा पार करा दिया।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद सभी बधाईयों का.
जवाब देंहटाएंऔर मेरे उत्तर में अपना विश्वास जिन सहयोगियों ने जताया, उनको भी धन्यवाद और बधाई.
[इत्तेफाक रहा होगा कि मैंने पहेली पहले देख ली थी.]
अब तो आगे से हर पहेली का बडे ध्यान से जवाब देना होगा.:)
अगली पहेली का इंतज़ार रहेगा.
इसका मतलब हमारा गोलगप्पा आज से बंद !
जवाब देंहटाएंगोल गप्पा तो मैं भी बहुत खाता हूँ , लेकिन जाकिर भाई की यह बात हर गोलगप्पे पर लागू नहीं होती है . क्योंकि मैंने कई शादियों में इसको बनवाया है , दरअसल मैं चाट का बहुत चटोरा आदमी हूँ .
जवाब देंहटाएंहो सकता है की कहीं और इसका इस्तेमाल शुरू हो .
बहरहाल मैं तो नहीं खाना छोडूंगा / अगर कोई हमारे फतेहपुर आना चाहे तो शाकाहारी गोल-गप्पे की गारंटी मेरी !!!!
अल्पना जी !!!! को बधाई!!!
आप सब को बधाई, अल्पना जी इस बार आप मेरे से पहले ना० लेगई, क्योकि मेरे पास भारत से ४,३० घण्टे का समय का अन्तर होता है, ओर मै शाम को(भारतीय समय के अनुसार ९,३०) से पहले नही आ पाता , बस यही हार गया, मेरे पास यह चिडियां करीब २० साल से है, कई बार मर गई, कई बार उड गई, ओर यह चिडिया बोलती भी है, अभी हमारे पास एक चिडिया है जो बोलती भी है, करीब ८ साल की होने को है, आप को पहला विजेता बनने की स्पेशल बधाई.
जवाब देंहटाएंअर्विन्द जी आप की अगली पहेली का इंत्जार रहेगा,धन्यवाद