इस बार उल्लास और चुनौती से भरा पहला सही जवाब आया राज भाटिया से -ममोला खंजन ,सीमा गुप्ता ने उसका सही सही जीनस भी बता दिया ! उड़न तश्तरी ने...
इस बार उल्लास और चुनौती से भरा पहला सही जवाब आया राज भाटिया से -ममोला खंजन ,सीमा गुप्ता ने उसका सही सही जीनस भी बता दिया ! उड़न तश्तरी ने तस्दीक़ भी कर दी और वो बागों वाली नहीं आयीं तो नही आयीं ! हम कब तक इंतज़ार करते ! लवली जी का भी जवाब बिल्कुल दुरुस्त रहा .अर्शिया जी ,डॉ दिनेशचन्द्र अवस्थी जी ने भी बिल्कुल सही फरमाया !
पर मजे कीबात तो देखिये रंजना (रंजू ) भाटिया जी को नजाने किस एंगल से यह नीलकंठ लगा -पता नहीं उह्नोने कभी नीलकंठ भी देखा या नही ,बकलमखुद में वे चिडियों का साहचर्य स्वीकार कर चुकी हैं .पर लगता है इधर ध्यान कहीं और है .मीनू खरे जी ने भी इसे बस प्यारी चिडिया कह कर अपना दायित्व पूरा किया .मीत ने सी बर्ड करार कर दिया .अनामदास भाई भी इसकी सुन्दरता पर ही रीझे रहे आगे बढे ही नहीं .रजनीश के तोभगवान ही मालिक है -इस ब्लॉग का ओनर बन्दा शायद भूल कर भी कभी सही जवाब नहीं दे पायाहै -क्या शहरों का रहना सचमुच मनुष्य को कुदरत से इतना दूर ला देता है ? या व्यक्ति की ही अपनी सीमायें हैं ?कविता जी का कमाल -रंजना जी के नहले पर दहला -उन्हें यह बुलबुल लगे है ! जीशान ने तो खैर मजाक किया पर ख़ुद मजाक बने बैठे हैं -ये भी विज्ञान के प्रतिष्ठित संचारक है !
जान शरद ऋतु खंजन आए ,पाई समय जिमि सुकृति सुहाए !
जी हाँ इस पक्षी की जानकारी सकडों साल पहले के कवियों को थी -जाडे का मौसम आते ही यह प्रवासी पक्षी भारत के मैदानों में फैल जाता है .तुलसी ऊपर की पंक्ति में कहते हैं कि शरद ऋतु को आया देख खंजन पक्षी आ गए हैं ठीक उसी तरह जैसे उपयुक्त समय आने पर ही अच्छे कामों की पूंछ होती है !
खंजन के नेत्र भी कवियों को खूब सुहाते रहे हैं -खंजन नयन रूप रस माते .....साहित्यकार रंजना जी ज़रा गौर फरमाएं और सभी को बताएं कि खंजन नयन के रचनाकार कौन हैं ?
पर मजे कीबात तो देखिये रंजना (रंजू ) भाटिया जी को नजाने किस एंगल से यह नीलकंठ लगा -पता नहीं उह्नोने कभी नीलकंठ भी देखा या नही ,बकलमखुद में वे चिडियों का साहचर्य स्वीकार कर चुकी हैं .पर लगता है इधर ध्यान कहीं और है .मीनू खरे जी ने भी इसे बस प्यारी चिडिया कह कर अपना दायित्व पूरा किया .मीत ने सी बर्ड करार कर दिया .अनामदास भाई भी इसकी सुन्दरता पर ही रीझे रहे आगे बढे ही नहीं .रजनीश के तोभगवान ही मालिक है -इस ब्लॉग का ओनर बन्दा शायद भूल कर भी कभी सही जवाब नहीं दे पायाहै -क्या शहरों का रहना सचमुच मनुष्य को कुदरत से इतना दूर ला देता है ? या व्यक्ति की ही अपनी सीमायें हैं ?कविता जी का कमाल -रंजना जी के नहले पर दहला -उन्हें यह बुलबुल लगे है ! जीशान ने तो खैर मजाक किया पर ख़ुद मजाक बने बैठे हैं -ये भी विज्ञान के प्रतिष्ठित संचारक है !
जान शरद ऋतु खंजन आए ,पाई समय जिमि सुकृति सुहाए !
जी हाँ इस पक्षी की जानकारी सकडों साल पहले के कवियों को थी -जाडे का मौसम आते ही यह प्रवासी पक्षी भारत के मैदानों में फैल जाता है .तुलसी ऊपर की पंक्ति में कहते हैं कि शरद ऋतु को आया देख खंजन पक्षी आ गए हैं ठीक उसी तरह जैसे उपयुक्त समय आने पर ही अच्छे कामों की पूंछ होती है !
खंजन के नेत्र भी कवियों को खूब सुहाते रहे हैं -खंजन नयन रूप रस माते .....साहित्यकार रंजना जी ज़रा गौर फरमाएं और सभी को बताएं कि खंजन नयन के रचनाकार कौन हैं ?
कमाल है, खंजन नयन के विषय में ख्याल आया था उस पक्षी को देख कर। शायद किसी काम से उठ गया और टिप्पणी करना रह गया।
जवाब देंहटाएंसूरदास के नयन!
राज भाटिया जी और सीमा गुप्ता जी को बधाई।
जवाब देंहटाएंआप सभी का धन्यवाद, अगले सवाल की पर्तीक्षा
जवाब देंहटाएं' Thanks and congrates to all readers for their right answers. and rest pls keep spirit,and wait for next puzzle'
जवाब देंहटाएंregards
राज भाटिया जी और सीमा गुप्ता जी को बधाई...
जवाब देंहटाएंविजेताओं को बधाई!!
जवाब देंहटाएंबहुत पहले 'खंजन नयन' पढ़ा था. सूरदास जी इस के नायक हैं. जहाँ तक याद है इस के लेखक अमृत लाल नागर है. इन का एक और उपन्यास है, 'मानस का हंस', तुलसीदास जी पर.
जवाब देंहटाएंराज जी ,सीमा जी को बधाई फ़िर सबको ..और खासकर समीर जी को ..सबसे जयादा सही जवाब वो ही देते हैं
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