Oxygen Level Improvement Medicine in Hindi
कोरोना (Covid-19) के मामले बढ़ने से देश में मेडिकल ऑक्सीजन की किल्लत हो गयी है। सिर्फ रोगी ही नहीं, उनके घरवाले भी बेहद पैनिक हैं। इसके कारण बहुत से रोगियों की सांसें भी अटक रही हैं। सांसों की इस डूबती हुई डोर को थामने के लिए सभी लोग परेशान हैं। वे मुंहमांगे पैसे देकर आक्सीजन सिलेंडर लेना चाहते हैं, जिसकी वजह से सिलेंडर की कालाबाजारी भी बेहद बढ़ गयी है।
मेडिकल ऑक्सीजन की इस किल्लत के कारण पिछले कुछ दिनों से ऐसी दवाओं के नाम सामने आ रहे हैं, जिनके बारे में दावा है कि वे शरीर में ऑक्सीजन का सेचुरेशन लेबल बढा देती हैं और कोरोना पेशेन्ट को झटपट आराम मिल जाता है। ऐसी ही एक दवा है ऐसपिडोस्परमा मदर टिंचर (Aspidosperma mother tincture)।
ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने वाली दवाएं Oxygen level improvement medicine
‘ऐसपिडोस्परमा' एक होम्योपैथिक दवाई है। इसके दावे को लेकर एक वीडिया काफी दिनों से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो के अनुसार ‘ऐसपिडोस्परमा मदर टिंचर' की 20 बूंदे पानी में डाल कर पीने से रोगी का ऑक्सीजन लेवल फटाफट बढ़ने लगता है।
दोस्तों, आप इतना तो जानते ही हैं कि जब कोरोना का वायरस हमारे शरीर में पहुंचता है, तो वह फेफड़े को अपनी गिरफ्त में ले लेता है। इस वजह से उसके टिश्यू डैमेज होने लगते हैं, जिससे उसके कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है और नतीजतन शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम होने लगता है।
एक मिनट के लिए हम यह मान लेते हैं कि कोरोना के कारण किसी व्यक्ति का फेफड़ा 25 पर्सेंट डैमेज हो चुका है, जिससे उसके शरीर में ऑक्सीजन का सेचुरेशन लेबल काफी गिर गया है। तो ऐसे में रोगी को दो तरह की दवाओं की ज़रूरत होगी। पहली, जो शरीर में कोरोना वायरस के प्रसार पर नियंत्रण करे, दूसरी जो फेफड़े के डैमेज को ठीक करे। जाहिर सी बात है कि ऐसा होने में समय लगेगा।
इसे आप इस तरह से भी समझ सकते हैं कि जब किसी व्यक्ति को चोट लगती है, तो उसकी त्वचा पर रगड़ या कट लग जाता है। उसे ठीक करने के लिए डॉक्टर उसकी मरहम पट्टी करते हैं और साथ में जख्म भरने वाली दवा भी देते हैं। इससे उस व्यक्ति के घाव कुछ दिनों में भर जाते हैं।
अब हम आते हैं। ऐसपिडोस्परमा के दावे पर। आक्सीजन की कमी को लेकर 'ऐसपिडोस्परमा' को लेकर किया जा रहा दावा कुछ ऐसा है कि आपको एक्सीडेंट में चाहे जैसी चोट लगी हो, बस इसे लगाओ और झटपट चोट गायब! अब आप ही बताइए क्या ऐसा हो सकता है?
मेरे विचार में ऐसा तो सिर्फ किसी जादू की छड़ी से ही संभव है। और आप जानते हैं कि जादू की छड़ी सिर्फ किस्से कहानियां में ही मिलती है। और हम यह भी जानते हैं कि ऐसपिडोस्परमा एक दवा मात्र है, तो फिर फेफड़ों का वह नुकसान जो एक सप्ताह में कोरोना की वजह से हुआ है, उसे कोई दवा इंस्टैंटली कैसे ठीक कर सकती है। इससे यह स्वयं ही स्पष्ट है कि यह दावा पूरी तरह से बेबुनियाद और भ्रामक है।
पीआईबी जोकि भारत सरकार की एक नोडल एजेंसी है और जिसे हम प्रेस इन्फार्मेशन ब्यूरो के नाम से भी जानते हैं, इस तरह की अफवाहों के प्रति बेहद जागरूक है। पीआईबी ने इस तरह की अफवाहों को रोकने के लिए ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर PIBFactCheck नाम से एकाउंट बनाए हैं, जिनपर इस तरह की अफवाहों के बारे में रेग्युलर अपडेट दिया जाता रहता है।
ऐसपिडोस्परमा के सम्बंध में पीआईबी ने अपने स्तर से जांच की है और बताया है कि यह दावा पूरी तरह से आधारहीन और झूठा है। इसके साथ ही आयुष मंत्रालय ने भी इस तरह के दावों का पूरी तरह से खण्डन किया है।
ऐसपिडोस्परमा मदर टिंचर की भांति ही आयुर्वेद की एक दवाई 'त्रिलोक्यचिन्तामणि रस' भी इन दिनों बेहद चर्चा में है। इसके बारे में भी लोगों द्वारा यह दावा है कि इसे लेने से शरीर में ऑक्सीजन लेवल तुरंत बढ़ जाता है। जबकि यह दावा भी पूरी तरह से असत्य है। आयुष मंत्रालय ने इस बारे में भी लोगों को सचेत किया है। मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा है— “आयुष मंत्रालय ऐसी असत्यापित स्त्रोंतों द्वारा प्रकाशित किसी भी विज्ञापन का समर्थन नहीं करता है। कृपा करके गंभीर हालातों में स्वयं दवा का इस्तेमाल न करें केवल चिकित्सक की सलाह से ही दवा लें।”
ऑक्सीजन सेचुरेशन लेबल कितना होना चाहिए Oxygen level parameters
आज पूरे देश में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यह वायरस सीधे फेफड़ों पर असर डाल रहा है, जिससे रोगी को सांस लेने में परेशानी होती है और उसके शरीर में ऑक्सीजन लेवल गिरने लगता है। इसलिए संक्रमित व्यक्ति के लिए ज़रूरी है कि वह अपना ऑक्सीजन सेचुरेशन लेबल समय-समय पर चेक करता रहे।
ऑक्सीजन सेचुरेशन लेबल के बारे में एक बात यह भी जानने वाली है कि यह एकदम से नहीं गिरता है। इसमें धीरे धीरे ही गिरावट आती है। डॉक्टर्स के अनुसार अगर आपके शरीर का ऑक्सीजन सेचुरेशन लेबल 94 तक है, तो ये नार्मल है। अगर यह 94 से 90 के बीच में है, तो माइल्ड माना जाएगा। इसमें आपको सजग रहना होगा, पर चिंता की कोई बात नहीं है। ऑक्सीजन लेबल 90 से 80 के बीच में होने पर रोगी को डाक्टर के सम्पर्क में रहना चाहिए और बैकअप में सिलेंडर का इंतजाम रखना चाहिए। क्योंकि उसे कभी भी उसकी ज़रूरत पड़ सकती है। और अगर ऑक्सीजन लेबल 80 से 70 के बीच में हो, तो रोगी को एक असिसटेंट की जरूरत होती है।
शरीर का आक्सीजन लेवल चेक करने के लिए आप अपने घर पर पल्स ऑक्सीमीटर रख सकते हैं। लेकिन अगर आप घर पर ऑक्सीजन लेबल चेक कर रहे हैं, तो इसके लिए कुछ चीजों का ध्यान जरूर रखें। ऑक्सीमीटर इस्तेमाल करने से पहले हाथ को अच्छी तरह से सेनेटाइज कर लेना चाहिए। ऑक्सीमीटर को पूरे एक मिनट तक उंगली पर लगाकर रखना चाहिए। इसके साथ ही इस बात का भी हमें ध्यान रखना चाहिए कि ऑक्सीजन चेक करते समय उंगली पर नाखून पॉलिश या रंग आदि नहीं लगा होना चाहिए।
ऑक्सीजन लेबल बढ़ाने वाले व्यायाम Oxygen levels increasing exercise
हम आपको यह भी बताना चाहेंगे कि आप अपने शरीर का ऑक्सीजन सेचुरेशन लेबल घर पर रहकर भी थोड़ा सा इम्प्रूव कर सकते हैं। इसके लिए आपको कुछ खास नहीं करना है। सिर्फ बिस्तर पर पेट के बल लेट जाएं और सीने के नीचे एक मोटा तकिया लगा लें। ऐसा करते समय आप एड़ी के पास पैरों के नीचे और अगर जरूरत हो तो सिर के नीचे भी तकिया लगा सकते हैं। मेडिकल टर्म में इसे प्रोन पोज़ीशन (Prone position) कहते हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि प्रोन पोज़ीशन में 40 मिनट तक लेटने से शरीर में 4 से 5 प्रतिशत तक आक्सीजन लेवल बढ़ जाता है।
इसके पीछे कारण यह है कि फेफड़ा 70 प्रतिशत क्षमता से काम करके भी शरीर की आक्सीजन की ज़रूरतों को पूरा कर देता है। उसके लगभग 30 प्रतिशत टिश्यू आमतौर से रेस्ट पोजीशन पर रहते हैं। ये इमरजेंसी के लिए बने होते हैं। लेकिन जब उनपर दबाव पड़ता है, तो वे टिश्यू भी काम करने लगते हैं। इससे शरीर में लगभग 5 प्रतिशत आक्सीजन बढ़ जाती है। ऐसा करने पर 90 से 80 आक्सीजन लेवल वाले मरीजों को आराम मिल जाता है।
दोस्तों, फेफड़े हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है। जीवन की डोर इन्हीं पर आश्रित है। इसलिए बीमार होने से पहले भी इनका ध्यान रखें, जिससे बीमारी की दशा में भी ये मजबूती से आपके साथ खड़े रहें। इसके लिए जरूरी है कि आप खुली हवा में टहलें, आराम मुद्रा में बैठकर गहरी सांस लें, गहरी सांस लेने के बाद उसे रोकें और यह चेक करें कि आप कितनी देर तक ऐसा कर सकते हैं। इन सबसे फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है। इसके अलावा खुल कर हंसने, सीटी बजाने और भस्त्रिका प्राणायाम करने से भी फेफड़े मजबूत बनते हैं।
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