How to Defeat Coronavirus in Hindi?
कोरोना को मैंने ऐसे हराया!
-नवनीत कुमार गुप्ता
कोरोना आज के दौर में ऐसा नाम जिसको सुनकर ही कंपकंपी सी उठ आ जाती है। लेकिन यदि मैं कहूं मैंने इस बीमारी से न केवल सामना किया बल्कि इससे उबर कर जीवन के प्रति नयी सोच भी विकसित की। यह लेख कोरोना से दो-दो हाथ करने के मेरे अनुभव पर आधारित है। इस लेख के लेखक को भी कोरोना हुआ था। हालांकि विडम्बना देखिए कोरोना हुआ भी टीका लगाने के दो दिन बाद। इसलिए बुखार होने पर दो दिन को ऐसा समझा कि यह टीेके लगने के बाद आने वाली सामान्य बुखार है तो एक-दो दिन में सही हो लाएगी। लेकिन जब तीसरे दिन खांसी भी चलने लगी। तब मामला गड़बड़ लगा। वैसे एक बात और बता दूं कि मेरा परिवार मुझसे तीन-चार दिन पहले ही कोरोना प्रभावित हो गया था और उनकी दवाएं चल रही थी। अब मैंने भी कोरोना के ईलाज के लिए चिकित्सक से सलाह ली। उनकी सलाह थी कि कोविड-19 टेस्ट कराने का समय नहीं है पहले सीटी स्कैन कराओ क्योंकि आपको खांसी काफी है। फिर क्या था मैंने टेस्ट कराया। रिपार्ट जल्द आ गयी तो पता चला मेरा सीटी वैल्यू 8 था यानी फेंफड़े 32 प्रतिशत डेमेज हो चुके थे। डॉक्टर ने बोला मुझे कोरोना माइल्ड ही है। मेरे लक्षणों को देखकर मेरा उपचार शुरू किया गया।
समय पर उपचार और चिकित्सक की सलाह पर बीमारी को परास्त करने में सफलता मिली। यह तो अच्छी बात थी कि मैंने बीमारी के लक्षण दिखने के दो दिन पहले ही कौवेक्सिन की पहली डोज ले ली थी। हो सकता है इस डोज ने बीमारी से उबरने में शरीर के मदद की हो। समाज में इस समय टीकों को लेकर जो भी अफवाह और मिथ्या धारणाएं चल रही हों लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि टीके सभी को लगवाने चाहिए क्योंकि इस बीमारी से बचाव के लिए उठाए जाने वाले कदमों में यह अतिमहत्वपूर्ण कदम है। इसलिए सभी को टीके लगवाना चाहिए। इनके बारे में किसी कुप्रचार के झांसे में नहीं आना चाहिए।
इस बीमारी के आरंभ में काफी परेशानी होती है जो दिन बीतने पर धीरे-धीरे कम होती जाती है। नए वायरस B.1.617.2 से होने वाले इस रोग में सबसे अधिक परेशान करने वाली बात होती है कोरोना नेगेटिव आने के बाद भी कमजोरी का रहना। इसके अलावा कोविड-19 के बाद अनेक दूसरी समस्याएं भी आ सकती है इसलिए हमें अपने शरीर में होने वाले बदलावों पर ध्यान रखना चाहिए।
कोरोना से लड़ाई में दवाओं के साथ ही प्रोटीन समृद्ध आहार का महत्वपूर्ण योगदान है। आहार हमारी शरीर को ऊर्जा देता है। इसलिए पोष्टिक आहार जिसमें दालें और सब्जियां हों उसका सेवना करना लाभदायक रहता है। इसके अलावा भरपूर मात्रा में पानी पीना भी आवश्यक है। हमें ताजा भोजन ही करना चाहिए। इन दिनों फ्रिज की चीजों और ठंडे पानी से दूर रहना ही समझदारी होगा। एसी और कूलर के उपयोग से भी बचना चाहिए। थोड़ा गुनगुना पानी लाभदायक साबित होता है।
इस बीमारी से लड़ाई में मेरी लिए जो सबसे लाभदायक रहा है वहा था समय पर ईलाज होना। जैसे ही मुझे पता चला कि मुझे कोविड-19 के लक्षण हैं तो मैंने अपने आप को आइसोलेशन में किया और एक अलग कमरे में रहा ताकि परिवार वालों को मुझसे संक्रमण न हों। इसके बाद डबल मॉस्क का उपयोग भी आरंभ किया। दोनों मॉस्क रोजाना बदल देता था। जो मुझे खाना देने आता वह दरवाजे पर खाना रखकर दूर खड़ा हो जाता ताकि उसे संक्रमण का खतरा न हो।
मेरे साथ अच्छी बात यह रही कि मेरा ऑक्सीजन स्तर 93 से कम नहीं गया। एकाध दिन यह 93 रहा लेकिन प्रोनिंग जैसे तकनीक इस समय मददगार रही और मेरा ऑक्सीजन स्तर संतुलन में आ गया।
पूरे 14 दिन तक दिन में तीन से चार बार 4 से 5 मिनट तक भाप लेना, गर्म पानी पीना समय पर दवा लेना दिनचर्या का हिस्सा बन गया था। थोड़ा आराम महसूस करने पर कपालभाति और अनुलोम-विलोम जैसे प्राणायाम करना भी आरंभ किया। इस समय मोबाईल पर कार्यालय का कार्य भी करता रहता जिससे दिन आसानी से कट जाता। खाली समय में विविध भारती पर गाने सुन कर मन प्रसन्न् हो जाता था। इस दौरान कभी भी मेरे मन में नकारात्मक विचार नहीं आए। मन सदैव खुश रहा। परिवार ने भी काफी हिम्मत बढ़ाई। इस तरह मैंने इस बीमारी से जंग जीत ली। आशा करता हूं इस बीमारी से प्रभावित सभी लोग इस बीमारी को परास्त कर जीवन पथ पर आगे बढ़ते रहें।
असल में वर्ष 2019 के अंत से आरंभ हुयी कोविड-19 या कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को स्तब्ध कर दिया है। इस बीमारी ने चाहे विकासशील हो या पिछले देश सभी को अपनी चपेट में लिया है। हमारे देश में भी सभी राज्य और सभी तबके के लोग इस बीमारी की गिरफ्त में आए हैं। इस बीमारी से सामना करने के लिए चिकित्सीय उपचार एवं सालह के अलावा आत्मबल भी महत्वपूर्ण है। क्योंकि कहा गया है कि मन के हार हार है और मन के जीते जीत।
समय पर उपचार और चिकित्सक की सलाह पर बीमारी को परास्त करने में सफलता मिली। यह तो अच्छी बात थी कि मैंने बीमारी के लक्षण दिखने के दो दिन पहले ही कौवेक्सिन की पहली डोज ले ली थी। हो सकता है इस डोज ने बीमारी से उबरने में शरीर के मदद की हो। समाज में इस समय टीकों को लेकर जो भी अफवाह और मिथ्या धारणाएं चल रही हों लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि टीके सभी को लगवाने चाहिए क्योंकि इस बीमारी से बचाव के लिए उठाए जाने वाले कदमों में यह अतिमहत्वपूर्ण कदम है। इसलिए सभी को टीके लगवाना चाहिए। इनके बारे में किसी कुप्रचार के झांसे में नहीं आना चाहिए।
इस बीमारी के आरंभ में काफी परेशानी होती है जो दिन बीतने पर धीरे-धीरे कम होती जाती है। नए वायरस B.1.617.2 से होने वाले इस रोग में सबसे अधिक परेशान करने वाली बात होती है कोरोना नेगेटिव आने के बाद भी कमजोरी का रहना। इसके अलावा कोविड-19 के बाद अनेक दूसरी समस्याएं भी आ सकती है इसलिए हमें अपने शरीर में होने वाले बदलावों पर ध्यान रखना चाहिए।
कोरोना से लड़ाई में दवाओं के साथ ही प्रोटीन समृद्ध आहार का महत्वपूर्ण योगदान है। आहार हमारी शरीर को ऊर्जा देता है। इसलिए पोष्टिक आहार जिसमें दालें और सब्जियां हों उसका सेवना करना लाभदायक रहता है। इसके अलावा भरपूर मात्रा में पानी पीना भी आवश्यक है। हमें ताजा भोजन ही करना चाहिए। इन दिनों फ्रिज की चीजों और ठंडे पानी से दूर रहना ही समझदारी होगा। एसी और कूलर के उपयोग से भी बचना चाहिए। थोड़ा गुनगुना पानी लाभदायक साबित होता है।
इस बीमारी से लड़ाई में मेरी लिए जो सबसे लाभदायक रहा है वहा था समय पर ईलाज होना। जैसे ही मुझे पता चला कि मुझे कोविड-19 के लक्षण हैं तो मैंने अपने आप को आइसोलेशन में किया और एक अलग कमरे में रहा ताकि परिवार वालों को मुझसे संक्रमण न हों। इसके बाद डबल मॉस्क का उपयोग भी आरंभ किया। दोनों मॉस्क रोजाना बदल देता था। जो मुझे खाना देने आता वह दरवाजे पर खाना रखकर दूर खड़ा हो जाता ताकि उसे संक्रमण का खतरा न हो।
मेरे साथ अच्छी बात यह रही कि मेरा ऑक्सीजन स्तर 93 से कम नहीं गया। एकाध दिन यह 93 रहा लेकिन प्रोनिंग जैसे तकनीक इस समय मददगार रही और मेरा ऑक्सीजन स्तर संतुलन में आ गया।
पूरे 14 दिन तक दिन में तीन से चार बार 4 से 5 मिनट तक भाप लेना, गर्म पानी पीना समय पर दवा लेना दिनचर्या का हिस्सा बन गया था। थोड़ा आराम महसूस करने पर कपालभाति और अनुलोम-विलोम जैसे प्राणायाम करना भी आरंभ किया। इस समय मोबाईल पर कार्यालय का कार्य भी करता रहता जिससे दिन आसानी से कट जाता। खाली समय में विविध भारती पर गाने सुन कर मन प्रसन्न् हो जाता था। इस दौरान कभी भी मेरे मन में नकारात्मक विचार नहीं आए। मन सदैव खुश रहा। परिवार ने भी काफी हिम्मत बढ़ाई। इस तरह मैंने इस बीमारी से जंग जीत ली। आशा करता हूं इस बीमारी से प्रभावित सभी लोग इस बीमारी को परास्त कर जीवन पथ पर आगे बढ़ते रहें।
असल में वर्ष 2019 के अंत से आरंभ हुयी कोविड-19 या कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को स्तब्ध कर दिया है। इस बीमारी ने चाहे विकासशील हो या पिछले देश सभी को अपनी चपेट में लिया है। हमारे देश में भी सभी राज्य और सभी तबके के लोग इस बीमारी की गिरफ्त में आए हैं। इस बीमारी से सामना करने के लिए चिकित्सीय उपचार एवं सालह के अलावा आत्मबल भी महत्वपूर्ण है। क्योंकि कहा गया है कि मन के हार हार है और मन के जीते जीत।
-लेखक परिचय-

नवनीत कुमार गुप्ता पिछले दस वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन आदि जनसंचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के लिए प्रयासरत हैं। आपकी विज्ञान संचार विषयक लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा इन पर गृह मंत्रालय के ‘राजीव गांधी ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार' सहित अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। आप विज्ञान संचार के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ‘विज्ञान प्रसार’ से सम्बंद्ध हैं। आपसे निम्न मेल आईडी पर संपर्क किया जा सकता है:

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