Covid 19 and Food Preservation
कोविड-19 और खाद्य संरक्षण
नवनीत कुमार गुप्ता
सदियों से रोटी, कपड़ा और मकान एक व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकताएं रही हैं। कोविड-19 महामारी के इस दौर में, वैश्विक स्तर पर करोड़ों लोगों के लिए अपना पेट भरने की चिंता सताती है। ऐसे में सभी के लिए आहार उपलब्ध कराने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उत्तरदायित्व और बढ़ जाता है । इस दिशा में विश्व खाद्य दिवस 2020 विश्वव्यापी कोविड-19 महामारी के व्यापक प्रभावों से निपटने के लिए दुनिया भर में सभी को आहार उपलब्ध कराने की याद दिलाता है। इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत कार्यरत खाद्य व कृषि संगठन अपनी स्थापना की 75 वीं वर्षगांठ मना रहा है। इस संगठन की स्थापना 16 अक्टूबर 1945 में कनाडा के क्यूबेक शहर में हुई थी। 1951 में इसका मुख्यालय रोम स्थानांतरित किया गया।प्रतिवर्ष विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर लगभग 150 देशों में अनेक आयोजन किए जाते हैं। जिससे संयुक्त राष्ट्र के कैलेंडर के यह दिन सबसे प्रसिद्ध दिनों में से एक बनता है। आउटरीच गतिविधियों के माध्यम से सरकारें, व्यवसायीं, गैर सरकारी संगठन, मीडिया और आम जनता इस अभियान से जुड़ती है।
यह दिवस उन लोगों के लिए दुनिया भर में जागरूकता और कार्यवाही को प्रेरित करता हैं जो भूख से पीड़ित हैं। ऐसे अभियान सभी के लिए पोषक आहार सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर देते हैं। वर्तमान में दुनिया भर के देश कोविड-19 महामारी के प्रभावों को झेल रहे हैं, उसे देखते हुए विश्व खाद्य दिवस खाद्य प्रणालियों को अधिक टिकाऊ, मजबूत और लचीला बनाने के लिए प्रेरित करता है।
दो अरब से अधिक लोगों के पास सुरक्षित, पौष्टिक और पर्याप्त भोजन की नियमित पहुंच नहीं हो पा रही है। कोविड-19 महामारी इस संख्या में 8 से 13 करोड़ लोगों को जोड़ सकती है। 2050 तक वैश्विक आबादी के लगभग 10 अरब तक होने की संभावना है। ऐसे में इतनी बड़ी आबादी को पौष्टिक और पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराने की बड़ी जिम्मेदारी होगी। हालांकि हमें यह याद रखना चाहिए कि सभी का पेट भरने की जिम्मेदारी केवल सरकारों की ही नहीं है। हमारे स्वास्थ्य और भोजन प्रणाली दोनों में सुधार करने की जिम्मेदारी हमारी भी है।
कुपोषण का प्रभाव वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रति वर्ष 3.5 खरब अमरीकी डॉलर आंका गया है। इस तथ्य के बावजूद कि कम से कम तीस हजार खाद्य पौधों की प्रजातियां उपलब्ध हैं। लेकिन केवल नौ पौधों की प्रजातियों का कुल फसल उत्पादन में 66 प्रतिशत का हिस्सा है। इस स्थिति को देखते हुए हमें लोगों को पोषण युक्त आहार उपलब्ध कराने और ग्रह को बनाए रखने के लिए विभिन्न प्रकार के खाद्यात्रों को हमारे आहार में शामिल करने की आवश्यकता है।
वेश्विक स्तर पर मोटापे की बढ़ती समस्या के साथ 2014 के बाद से भूखमरी की घटनाओं में भी लगातार वृद्धि हुई है। ऐसी समस्या के समाधान के लिए खाद्य प्रणालियों को मजबूत करने की दिशा में कार्य करना होगा।
स्थानीय खाद्यान्न को पंसद करें
आज जब हर क्षेत्र में 'लोकल के लिए बनें वोकल' की बात हो रही है तो आहार के क्षेत्र में भी यह बात सटिक बैठती है। इसके लिए हमें स्थानिय स्तर पर उपलब्ध होने वाले खाद्यात्रों को प्राथमिकता देनी होगी। स्थानिय स्तर पर किसानों के बाजार से स्थानीय खाद्य पदार्थों को खरीदकर हम हमारे मध्य के खाद्य नायकों का समर्थन कर सकते हैं। ऐसा करने में, हम आप छोटे किसानों की मदद कर सकते हैं जिससे हमारी स्थानीय अर्थव्यवस्था भी प्रोषित होगी और फसल विविधता भी प्रोत्साहित होगी।चुनें मौसमी खाद्यान्न
क्या आप जानते हैं कि जब आप सीजन में उपज खरीदते हैं तो आप अपने कार्बन पदचिह्न को कम करते हैं। जब भोजन दुनिया के एक हिस्से में वहां उस समय के मौसम से बाहर हो जाता है तो इसे आयात करना पड़ता है और अपने स्थानीय बाजार में आने से पहले एक लंबा सफर तय करना पड़ता है। ऐसे में स्थानिय स्तर पर उपलब्ध मौसमी खाद्यान्न की उपयोगिता पर्यावरण अनुकूल भी साबित होगी।आहार विविधता
स्वस्थ आहार स्वस्थ जीवन में अहम योगदान देता है। जब हम विविध खाद्य पदार्थ खाने के लिए चुनते हैं, तो हम विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। यह न केवल हमारे शरीर के लिए स्वास्थ्यवर्धक है, बल्कि मृदा और हमारे पर्यावरण के लिए हितकर है क्योंकि विविध आहार जैव विविधता के लिए लाभदायक है!खाद्यान्न संरक्षण में वैज्ञानिकों का महत्व
एक विशाल देश होने के साथ ही भारत में विभिन्न भौगोलिक पारितंत्र उपस्थित है। ऐसी दशा में यहां हर वर्ष कोई न कोई प्राकृतिक आपदा आती रहती है जैसे कभी बाढ़, कभी चक्रवात, कभी सूखा आदि। इस स्थिति में प्राकृतिक आपदा के दौरान लाखों लोगों के लिए आहार की व्यवस्था करने की आवश्यकता होती है। इसके अलावा विभिन्न महामारियों में भी ऐसी स्थिति आती है। जब काफी लोगों को पोष्टिक आहार की आवश्यकता होती है। ऐसे समय में काफी प्रवासी लोगों, बेघर हुए लोगों को समुचित आहार उपलब्ध कराए जाना महत्वपूर्ण होता है।इसके लिए ऐसी रेडी टू ईट फूड की आवश्यकता होती है जो पोष्टिक भी हो। इस दिशा में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद के विभिन्न संस्थान कार्य कर रहे हैं। इन संस्थानों में मैसूर में स्थित सीएसआइआर-केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (CSIR-CFTRI) एवं पालमपुर में कार्यरत सीएसआइआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (CSIR-IHBT) संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
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