राजस्थान के भीलवाड़ा से 20 कि.मी. दूर ग्राम आसींद के बंक्या राणी मंदिर में भूत उतारने की घटना।
भूत भगाने के नाम पर सिर एवं मुँह पर जूते पकड़कर चलाने एवं मारपीट के मामले
डॉ. दिनेश मिश्र की पहल पर आसींद (राजस्थान) में महिलाओं पर होने वाली प्रताडऩा पर रोक
अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति को अगस्त 2016 में जानकारी प्राप्त हुई कि राजस्थान के भीलवाड़ा से 20 कि.मी. दूर ग्राम आसींद के बंक्या राणी मंदिर में हर शनिवार और रविवार को करीब 500 महिलाएँ भूत प्रेत बाधा से ग्रस्त होने के नाम पर झाड़-फूंक के लिए लायी जाती है, जिन्हें वहां का पुजारी (भोपा) मारता, पीटता है, सर पर, मुंह में जूते रखवा कर चलवाता है। इतना ही नहीं उसी गंदे जूते से उन पीडि़त महिलाओं को पानी पिलाया जाता है, पीठ और सर के बल रेंग कर उन्हें 200 सीडिय़ों नीचे उतरा जाता है। इससे उनके कपडे फट जाते, हाथ पैर, सर और कोहनियों से खून बहने लगता है, छह सात घंटे की यातना से गुजरने के बाद ही उन्हें इस प्रताडऩा से मुक्ति मिलती है।
दु:ख इस बात का है कि हजारों अंधविश्वासी इस दृश्य को इस उम्मीद में देखते रहते हैं कि इस इलाज से शायद कोई चमत्कार हो जाये और पीडि़ता की बीमारी दूर हो जाये। एक विडम्बना यह कि प्रताडि़त महिलायें दर्द से चीखती-चिल्लाती हैं पर उनकी कोई सुनवाई नहीं होती। इस प्रथा पर रोक नहीं लग पा रही है। यह जानकारी मिलने के पश्चात् समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र ने भीलवाड़ा के जिला कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर इस कुरीति पर रोक लगाने की मांग की और कार्यवाही ना होने पर उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस श्री एच. एल. दत्तु तथा महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती ललिता कुमारमंगलम को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी और इस कुप्रथा को बंद करने की मांग की।
उन्होंने लिखा कि वह स्वयं उसी स्थान पर जाकर इस कुरीति को रोकेंगे तथा वहां जनजागरण अभियान चलाया जाएगा तदुपरांत आसींद में मानव अधिकार आयोग एवं महिला आयोग द्वारा कार्यवाही प्रारंभ हुई। भीलवाड़ा के पुलिस अधीक्षक एवं जिलाधीश से ड्रग एंड मैजिक रेमेडी एक्ट के अंतर्गत दोषी भोपाओं (बैगाओं) पर कार्यवाही की मांग की गई। डॉ. दिनेश मिश्र की पहल के बाद उक्त मामले पर कार्यवाही आरंभ हुई तथा दो बैगाओं पर ड्रग एवं मेजिक रेमेडी एक्ट के अंतर्गत कार्यवाही की गई तथा सीढियों एवं मंदिर परिसर मेें सीसीटीवी कैमरे लगाये गये तथा महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुलिस की व्यवस्था हुई, जिससे महिलाओं को कोई भी व्यक्ति भूत उतारने जैसी घटनाओं और अंधविश्वास के नाम पर प्रताडि़त ना कर पाए।
इसके उपरांत इसी वर्ष अप्रैल में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग सम्मुख पेशी में पुलिस अधीक्षक एवं जिला कलेक्टर की रिपोर्ट प्राप्त हुई की उक्त मंदिर परिसर में अब इस प्रकार की प्रताडऩा पर नियंत्रण कर लिया गया है।
डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा कि मानसिक रूप से असंतुलित और मनोरोग से ग्रसित महिलाओं को भूत, प्रेत ग्रस्त मानने एवं उन्हें भूत भगाने के नाम पर उन्हें शारीरिक एवं मानसिक रूप से प्रताडि़त करने का अंधविश्वास 21 वीं सदी में भी चरम सीमा पर है, यह परंपरा सभ्य समाज के लिए शर्मनाक है और अति निंदनीय है। देश में अनेक स्थानों में ऐसे प्रकरण सामने आ रहे हैं जिनमें शासन को त्वरित कार्यवाही की आवश्यकता है ताकि अनेक निर्दोष महिलाओं एवं बच्चों को अंधविश्वास की इस कुपरंपरा एवं प्रताडऩा से बचाया जा सके।
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आज अंधविश्वास घटने के स्थान पर बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं . कुछ तर्क के पहरुए मारे गये हैं कुछ की ओर बन्दूक की नालें कभी भी घूम सकती हैं .यह भीड़ और ट्रालरों का दौर है... पर आशाएं बनी रहनी चाहिए ...पोस्ट के लिए धन्यवाद .
जवाब देंहटाएंशर्मनाक! दर्दनाक! हम 21 सदी में भी प्रागैतिहासिक काल की मानसिकता में जी रहे हैं.
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