“आजादी के बाद, भारत अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी और ज्ञान उत्पादन में अग्रणी भूमिका में रहा है। आज, हमने संचार प...
“आजादी के बाद, भारत अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी और ज्ञान उत्पादन में अग्रणी भूमिका में रहा है। आज, हमने संचार प्रौद्योगिकी, आईटी, फार्मास्यूटिकल्स और जैव प्रौद्योगिकी में सर्वोत्तम प्रयास करते हुए अभिनव उपलब्धियां प्राप्त की हैं। इन उपलब्धियों ने हमारे देश के बारे में धारणाओं को बदल दिया है। प्रौद्योगिकीयों ने हमारे लोगों और हमारी अर्थव्यवस्था दोनों की मदद की है। पिछले साल ही, हमने भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट प्रणाली जैसी उपलब्धियां हासिल की हैं। हम चंद्रयान -2 मिशन के लिए तैयारी भी कर रहे हैं। आज दवाओं और टीकों में भारत की एक अग्रणी प्रतिष्ठा है।” ये बातें राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के अवसर पर कहीं।
राष्ट्रपति ने कहा कि “अब हमें नई सीमाओं का पता लगाना है। सरकार ने रोबोटिक्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डिजिटल निर्माण, बिग डेटा विश्लेषण, क्वांटम संचार, और इंटरनेट में युवा तकनीशियनों को प्रशिक्षित करने के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है। सरकार स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों के लिए सफल प्रौद्योगिकी समाधानों और जल उपलब्धता की चुनौती को पूरा करने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। ये 21वीं सदी की चुनौतियां हैं जिन्हें 21वीं शताब्दी के समाधानों की आवश्यकता है।”
समारोह में पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे नवाचार और प्रौद्योगिकी प्रयासों में गुणवत्ता पर जोर दिया जा रहा है। आज के पुरस्कार विजेता उदाहरण हैं कि हम कैसे नवाचार से आगे बढ़ रहे हैं, जोखिम लेने की क्षमता और सरलता के साथ - हम कैसे कल्पना और नवाचार के वास्तविक छलांग बना रहे हैं। उत्पादों और प्रक्रियाओं से परे, प्रौद्योगिकी इनक्यूबेटर के बीच नई ऊर्जा हमें प्रोत्साहित कर रही है।
माननीय राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अलावा इस अवसर पर केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान तथा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने विभिन्न साझेदारों, वैज्ञानिकों तथा इंजीनियरों को पुरस्कृत किया, जिनके नवाचारों ने समाज के उत्थान का कार्य किया है। इस अवसर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के महानिदेशक डा. गिरिश साहनी, जैवप्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डा. रेणु स्वरूप, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड की सचिव डा. बिंदू डे एवं भारतीय सर्वेक्षण विभाग के मेजर जनरल गिरीश कुमार भी उपस्थित थे।
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विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की तरफ से प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड अथवा टीडीबी देश में नवाचारों तथा तकनीकी उपलब्धियों को सम्मानित करने के लिए प्रतिवर्ष 11 मई को “राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस” पर नई दिल्ली में एक भव्य आयोजन करती है। इस वर्ष ऐतिहासिक रूप से इस महत्त्वपूर्ण दिवस को मनाने के लिए नई दिल्ली के विज्ञान भवन में समारोह का आयोजन किया गया। इस वर्ष के समारोह की विषय वस्तु थी: ‘स्वदेशी प्रौद्योगिकियों का व्यवसायीकरण: बेंच साइड से व्यापार तक यात्रा’।
इस दौरान डॉ. हर्षवर्धन ने वर्ष 2018 के उत्पाद के रूप में प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड के सहयोग से एम्पियर वेहिकल्स, कोयम्बटूर द्वारा विकसित लीथियम आयन बैट्री के लिए चार्जर का लोकार्पण किया।
इस अवसर पर विभिन्न श्रेणियों के अन्तर्गत राष्ट्रीय पुरस्कार वितरित किये गए। इनमें कुछ राष्ट्रीय पुरस्कार नवाचारों के सफल वाणिज्यीकरण के लिए थे, जैसे वर्ग ए में रोटावायरस वैक्सिन यानी रोटावैक के उत्पादन के लिए भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड को पुरस्कृत किया गया। वर्ग बी में तकनीकी के सफल वाणिज्यीकरण का पुरस्कार एन्वीजन साइंटिफिक प्राइवेट लिमिटेड, सूरत को एल्ब्यूमिनस डीईएस+ के लिए दिया गया, जो मधुमेह के मरीजों के लिए दवा है। एन्जियोप्लास्टी प्रक्रिया में धमनी खुला रखने के लिए स्टेंट छोटे जाल ट्यूब होते हैं। दवा देने के लिए स्टेंट में बहुलक की कोटिंग होती है, जो किसी भी बाधा को दूर कर उचित समय पर दवा उत्सर्जन में मदद करती है। ये आयोजन में दिये गए कई पुरस्कारों में शामिल हैं। इसके अलावा आईआईटी खडगपुर और आईआईटी कानपुर सहित भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलोर के शिक्षकों को अध्येतावृत्ति के लिए सम्मानिक किया गया।
समारोह में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, जैव प्रौद्योगिकी विभाग एवं एनआरडीसी द्वारा स्थापित सम्मानों से अनेक नवोन्मेषकों को सम्मानित किया गया। इस दौरान एकस्व पर एक पुस्तक को भी विमोचन डा हर्षवर्धन द्वारा किया गया।
हमारे देश में प्रतिवर्ष 11 मई को “राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस” के रूप में मनाया जाता है। 1998 में इसी दिन भारत ने पोकरण में सफल परमाणु परीक्षण कर महत्त्वपूर्ण तकनीकी पड़ाव हासिल किया था, बेंगलुरु में स्वदेश निर्मित पहले विमान हंस-3 ने परीक्षण उड़ान भरी थी तथा उसी दिन “त्रिशूल” मिसाइल का भी सफल परीक्षण किया गया। हंस-3 प्रशिक्षण एवं निगरानी तथा हवा से तस्वीरें लेने के लिए दो सीटों वाला एक हल्का विमान था। जबकि त्रिशूल छोटी दूरी के लिए त्वरित प्रतिक्रिया युक्त जमीन से हवा में प्रहार करने वाला मिसाइल था। इसका अर्थ ये है कि इसे दुश्मन के विमानों या मिसाइलों को मार गिराने के लिए जमीन पर तैनात किया जा सकता था।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस का आयोजन वैज्ञानिक शोध, तकनीकी रचनात्मकता तथा नवाचारों के लिए भारत की संकल्प शक्ति का प्रतीक है, जिनका संयोजन राष्ट्रीय सामाजिक-आर्थिक लाभ तथा वैश्विक मान्यता के लिए किया जाता है। ये दिन वैज्ञानिकों, अनुसंधानकर्ताओं तथा कम्पनियों को पुरस्कृत कर तकनीकी नवाचारों तथा उनके सफल वाणिज्यीकरण को मान्यता देता है। साथ ही इसका अनुसरण करने के लिए अन्य लोगों को प्रोत्साहित करता है तथा लगातार तकनीकी उत्कृष्टता के प्रयासों के अनुकूल माइक्रो तथा मैक्रो-पारिस्थितिक तंत्र विकसित करता है।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस एक ऐसा अवसर है, जिसमें सभी साझेदार, वैज्ञानिक, इंजीनियर, योजना निर्माता तथा राष्ट्र निर्माण और प्रबंधन में जुड़े अन्य लोग विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उपलब्धियों का आकलन करते हैं, तथा विशेषकर पिछले वर्ष के विकास का मूल्यांकन कर भविष्य में विकास के लिए नए तथा बेहतर नवाचार के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
-लेखक परिचय-
नवनीत कुमार गुप्ता पिछले दस वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन आदि जनसंचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के लिए प्रयासरत हैं। आपकी विज्ञान संचार विषयक लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा इन पर गृह मंत्रालय के ‘राजीव गांधी ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार' सहित अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। आप विज्ञान संचार के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ‘विज्ञान प्रसार’ से सम्बंद्ध हैं। आपसे निम्न मेल आईडी पर संपर्क किया जा सकता है:
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