Indian Tsunami Early Warning System in Hindi
सुनामी के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली
-नवनीत कुमार गुप्ता
26 दिसम्बवर 2004 को आई सूनामी दुनिया के सबसे शक्तिशाली तूफानों में से एक थी और यह परिमाण के अनुसार सबसे अधिक घातक भी रही थी। इसे देखते हुए हमारे देश ने इस आपदा से निपटने के लिए तैयारी शुरू कर दी थी और 15 अक्टूबर 2007 से सुनामी और तूफान महोर्मि के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली को स्थापित किया गया। भारतीय सूनामी पूर्व चेतावनी केन्द्र (Indian Tsunami Early Warning System) तब से ही कार्यरत है।
अब यह केंद्र क्षेत्रीय सूनामी सेवाप्रदाता (RTSP) बन गया है और हिंद महासागर के आस-पास के देशों को परामर्शी सेवाएं प्रदान करता है। भारतीय सूनामी पूर्व चेतावनी प्रणाली (Tsunami warning system) को अक्तूबर 2012 में हिन्द महासागर क्षेत्र के लिए क्षेत्रीय सूनामी सेवा प्रदाता के रूप में मान्यता प्रदान की जा चुकी है।
इस केंद्र द्वारा हिंद महासागर में आने वाले संभावित सूनामीजनित भूकंपों का पता लगाया जाता है। ऐसे भूकंपों के स्थाेन तथा उनके परिमाण के निर्धारण का भी प्रयास किया जाता है और उनसे संबंधित सेवाएं प्रदान की जाती हैं। यह केंद्र वास्तविक समय सूनामी मॉडलिंग और जलप्लावन मानचित्रण पर भी कार्य कर रहा है। यह केंद्र सुनामी के सही समय के आँकड़ों, सुनामी प्रणाली, मानक संचालन प्रक्रियाओं, ज्वार मापन प्रणाली इत्यादि से संबंधित जानकारी प्रदार करने के लिए भी प्रयासरत है।
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इस केंद्र द्वारा अब तक अनेक भूकंपों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है। 11 मार्च, 2011 को जापान के पूर्वी तट पर भूकंप के आने के 7 मिनट के भीतर भारतीय महासागर क्षेत्र के लिए इससे किसी प्रकार का खतरा नहीं होने के बारे में जानकारी दी थी।
भारतीय सूनामी पूर्व चेतावनी केन्द्र द्वारा अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह में विस्तृत सेंसर प्रणाली स्थापित की जा रही है, जिससे भूकम्पों का वास्तविक समय में निरीक्षण किया जा सकेगा। अब तक द्वीप समूह में 28 स्थानों पर ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम के साथ मजबूत मोशन सेंसर लगाए जा चुके हैं। भारतीय सूनामी पूर्व चेतावनी केन्द्र द्वारा भूकम्प तथा सूनामी उत्पन्न करनेवाली प्रशांत महासागर की सीमा में प्रमुख सबडक्शन ज़ोन प्लेट की सीमाएं मापने के लिए भूकंप निगरानी केंद्र, सुनामी प्लावक तथा टाइड गॉज का नेटवर्क स्थापित किया जा रहा है, जो लगातार ऐसी आपदाओं का निरीक्षण करेगा है।
इसके अलावा यहां पर संभावित सूनामी खतरा आकलन पर अनुसंधान और विकास कार्य भी किए जा रहे हैं। इस प्रकार यह केंद्र बहु आपदा (तूफान मर्होमि) पूर्वानुमान सेवा के विकास और कार्यान्ववयन से संबंधित कार्य कर रहा है। इस कार्य में अन्य संस्थाएं भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र, हैदराबाद, राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (National Institute of Ocean Technology - NIOT), चेन्नैय एवं एकीकृत तटीय एवं समुद्री क्षेत्र प्रबंधन परियोजना निदेशालय, (Integrated Coastal and Marine Area Management - ICMAM), चेन्नैय भी सहयोग करती हैं।
-लेखक परिचय-
नवनीत कुमार गुप्ता पिछले दस वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन आदि जनसंचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के लिए प्रयासरत हैं। आपकी विज्ञान संचार विषयक लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा इन पर गृह मंत्रालय के ‘राजीव गांधी ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार' सहित अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। आप विज्ञान संचार के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ‘विज्ञान प्रसार’ से सम्बंद्ध हैं। आपसे निम्न मेल आईडी पर संपर्क किया जा सकता है:
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