क्लाउड कंप्यूटिंग (cloud computing) के फायदों पर केद्रिंत एक शोधपरक आलेख।
सूचना तकनीक एवं इंटरनेट के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षो से क्लाउड कम्प्यूटिंग का जादू हर किसी के सिर चढ़कर बोलकर रहा है। वर्तमान समय में क्लाउड कंप्यूटिंग ने इंटरनेट पर डेटा एक्सेस और स्टोर करने की प्रक्रिया में जो महत्वपूर्ण परिवर्तन किये हैं, उनके कारण आज हर किसी में क्लाउड कंप्यूटिंग के उपयोग प्रति रुझान बढ़ रहा है। फिर भी भारत में अभी काफी व्यक्ति ऐसे हैं जो इस तकनीक से अनजान हैं। इस लेख में लेखक ने क्लाउड कंप्यूटिंग के परिचय, क्लाउड कंप्यूटिंग द्वारा उपलब्ध सेवाएं, क्लाउड कंप्यूटिंग के लाभ, क्लाउड कंप्यूटिंग से आये महत्वपूर्ण परिवर्तन, समस्याए एवं समाधान, भारत में केंद्र एवं राज्य सरकारों का क्लाउड कंप्यूटिंग उपयोग की पहल आदि पर विस्तार से प्रकाश डाला है।
सूचना तकनीक के क्षेत्र में क्लाउड कंप्यूटिंग का बढ़ता खुमार
-मनोज कुमार
क्लाउड कंप्यूटिंग एक ऐसी तकनीक है जो हमें इंटरनेट पर आभासी संसाधनों को उपलब्ध कराती है। यहाँ आभासी संसाधनों से आशय है ऐसे संसाधन, जिनके लिए आपको अपने सिस्टम पर हार्ड ड्राइव की जरूरत नहीं होती है। यही क्लाउड कंप्यूटिंग की विशेषता है। और भी सरल शब्दों में हम "क्लाउड कंप्यूटिंग" को एक प्रयोगकर्ता के तौर पर (user point of view) यह समझ सकते हैं कि क्लाउड कंप्यूटिंग तकनीक में कंप्यूटिंग, डेटा ऐक्सेस से लेकर डेटा स्टोर का तक का सारा काम नेटवर्क पर ही होता है।
क्लाउड कंप्यूटिंग सेवा का प्रयोग करते समय हमको ऐसा प्रतीत होता है जैसे ये क्लाउड कंप्यूटिंग दवारा उपलब्ध कराये गए प्लेटफार्म, सॉफ्टवेयर और खासकर कि हमारे उपयोग का डेटा हमारे कंप्यूटर सिस्टम में ही स्थापित हो, जबकि वास्तव में यह सब उस कंपनी के सर्वर पर स्टोर होते हैं जो हमें क्लाउड कंप्यूटिंग की सुविधा उपलब्ध करा रही होती है। कंपनी के इस सर्वर को ही क्लाउड कहा जाता है।
क्लाउड कंप्यूटिंग के लाभ:
क्लाउड कंप्यूटिंग तकनीक के उपयोग से होने वाले प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:
• इसके उपयोग से हम कहीं पर भी कभी भी अपने लैपटॉप, विंडोज मोबाइल द्वारा क्लाउड पर स्टोर हुए डेटा को ऑनलाइन एक्सेस कर सकते हैं।
• प्रयोगकर्ता को स्टोरेज डिवाइस की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं होती है।
• मंहगे सॉफ्टवेयर खरीदने की जरूरत नहीं होती है।
• प्रयोगकर्ता को मेंटेनेंस की टेंशन नहीं होती है।
• कंप्यूटर पर वायरस की वजह से डेटा को होने वाले नुकसान से भी बच जाते हैं।
• कंप्यूटिंग क्षमता अधिक होती है। इसके अन्तर्गत आमतौर से 10 जी.बी. तक स्पेस फ्री में मिल जाता है।
क्लाउड कंप्यूटिंग से आये महत्वपूर्ण परिवर्तन:
अगर हम क्लाउड कंप्यूटिंग के इतिहास में जाएं, तो पाएंगे की क्लाउड कंप्यूटिंग का विकास वेब बेस्ड ईमेल के कांसेप्ट से हुआ है। क्योंकि ई-मेल के सर्वर भी आपके मेल अकाउंट की सारी जानकारी अपने नेटवर्क पर रखते हैं और इसे कभी भी और कहीं से भी एक्सेस किया जा सकता है। लेकिन यह आज के क्लाउड कंप्यूटिंग से अलग है। जैसे-जैसे सूचना तकनीक के क्षेत्र में विकास हुए, वैसे-वैसे क्लाउड कंप्यूटिंग के क्षेत्र में कदम रखने वाली सूचना तकनीकी कंपनियों ने उपयोगकर्ताओं को छोटे स्थान की जगह अपना पूरा डेटा ऑनलाइन सर्वर्स पर रखने की सुविधा प्रदान की जाने लगी।
इस सुविधा से सबसे बड़ा परिवर्तन अल्ट्राबुक नामक लैपटॉप के रूप में देखने में आया है, जिसमें हार्ड डिस्क नहीं होती थी। इस लैपटॉप में सी.डी/डी.वी.डी. राइटर की भी जरूरत नहीं थी क्योंकि डेटा को क्लाउड से एक्सेस करना होता है। इसकी तवह से बिजली की खपत में भी कमी आई और बैटरी की लाइफ को भी बढ़ाया जा सका। क्लाउड कंप्यूटिंग के उपयोग से उन कंपनियों की तस्वीर बदल गयी, जो अपना सारा काम ऑनलाइन करती हैं। क्योंकि इसके उपयोग से उन्हें लम्बे-चौड़े आई.टी.विभाग बनाने से मुक्ति मिल गयी है, जिसकी वजह से उनके खर्चों में जबरदस्त कमी आई है।
क्लाउड कंप्यूटिंग के उपयोग से सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनियां को भी बहुत सुविधा हुयी। इसे यहाँ हम एक उदारहण की मदद से समझ सकते हैं जैसे की आप कोई सोफ्टवियर कंपनी चलाते हैं और आपका एक ऑफिस भारत में है और दूसरा ऑफिस किसी और देश में है तथा तीसरा किसी और देश में है। मान लीजिये कि आपको अपनी कम्पनी के द्वारा बनाये गए सॉफ्टवेयर को विभिन्न प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम और प्लेटफार्म पर टेस्ट करना है तो ऐसी स्थिति में आप माइक्रोसॉफ़्ट कंपनी की "Microsoft’s Azure" क्लाउड सेवा का उपयोग करके क्लाउड पर उपलब्ध वर्चुअल मशीन्स पर हर प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम और एनवायरमेंट में अपने सॉफ्टवेयर की टेस्टिंग कर सकते हैं।
इससे होने वाले लाभ को आप कुछ इस तरह भी देख सकते हैं कि आपको कोई कंप्यूटर खरीदना नहीं है, ना ही किसी सॉफ़्टवेयर या स्टोरेज की समस्या है और न कोई और तकनीकी अड़चन। यह सब माइक्रोसॉफ़्ट करेगी जो आपको क्लाउड सेवा उपलब्ध करा रही है और आपके सॉफ़्टवेयर इंजीनियर को सीधे उसकी डिस्क पर हर प्रकार का एनवायरमेंट क्लाउड के जरिये मिल जाएगा। आज का समय में यह मॉडल काफी कम्पनियों में प्रयोग किये जा रहे हैं।
इन सब सुविधाओं के कारण क्लाउड कंप्यूटिंग ने आज सॉफ्टवेयर कंपनी, वेब बायस्ड कंपनी, सरकारी विभाग और व्यक्ति विशेष के काम करने के तरीकों को न सिर्फ बदला है, बल्कि उसे आसान और सुविधाजनक बना दिया है।
क्लाउड कंप्यूटिंग द्वारा दी गयी सेवाएं:
क्लाउड कंप्यूटिंग मुख्यत: तीन प्रकार की सेवाएं प्रदान करती है-
(1) सॉफ्टवेयर सेवा: सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन जैसे सी.आर.एम., ऑफिस सूट आदि को इंटरनेट पर क्लाउड कंप्यूटिंग की मदद से केवल वेब ब्राउज़र के दवारा प्रयोग किया जा सकता है। आपको अलग से अपने कंप्यूटर में ये सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करने की जरूरत नहीं है। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, वर्डप्रेस, जोहो, सलेसफोर्स आदि कुछ ऐसी कंपनियां हैं, जो प्रयोगकर्ता की जरूरत के सभी सॉफ्टवेयर क्लाउड कंप्यूटिंग के जरिये उपलब्ध कराती हैं।
(2) प्लेटफार्म सेवा: यहाँ आप प्लेटफार्म सेवा और सॉफ्टवेयर सुविधा में कंफ्यूज न हो। प्लेटफार्म सेवा से मतलब है कि वो वातावरण और टूल्स जिन पर आप सॉफ्टवेयर की टेस्टिंग करते हैं या अन्य इसी प्रकार की अन्य सेवा जैसे कि गूगल अप्प्स इंजन, बूंगी कनेक्ट आदि क्लाउड कंप्यूटिंग की प्लेटफार्म सेवा के उदाहरण हैं।
(3) इंफ्रास्ट्रक्चर/हार्डवेयर सेवा: इस सेवा से तात्पर्य है कि उपयोगकर्ता को वर्चुअल (आभासी) वातावरण में डेटा के लिए जरूरी सभी कंप्यूटिंग क्षमतायें उपलब्ध करना और साथ ही साथ क्लाउड पर सोटरेज स्पेस भी उपलब्ध कराना। Amazon’s EC2 and S3, Mozy, GoGrid, आदि इस सेवा के कुछ उदहारण हैं।
समस्या एवं समाधान:
क्लाउड कंप्यूटिंग के उपयोग में क्लाउड पर स्टोर डेटा की सिक्योरिटी की चिंता अक्सर प्रयोगकर्ता को सताती है। इसी वजह से कुछ लोग अभी इसको अपनाने से हिचकते हैं। लेकिन इसके लिए समाधान भी उपलब्ध हैं। ये कंपनियाँ इन संमस्याओं के समाधान हेतु नयी-नयी सिक्योरिटी अल्गोरिथम प्रयोग कर रही हैं। ऐसे हल खोजे और बनाये जा रहे हैं जो डेटा में कोई भी हेर-फेर नज़र आने पर तत्काल जाँच करके उस परिवर्तन को नाकाम करेंगे और साथ ही कंपनी को डेटा में हुई हेर-फेर व उसके संभावित कारणों के बारे में सूचना दे देंगे। इसके अतिरिक्त, क्लाउड कंप्यूटिंग सेवा उपलब्ध करने वाली कंपनी आपके डेटा की कई प्रतियाँ बनाकर उन्हें अलग-अलग स्थानों पर मौजूद सर्वर्स पर रखती हैं, जिससे किसी संकट के समय एक सर्वर के ख़राब या बन्द हो जाने पर भी वह अपने ग्राहकों या कर्मचारियों को उपलब्ध करा सकें।
केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों की पहल:
केंद्र सरकार ने भी क्लाउड कंप्यूटिंग के महत्व को समझते हुए प्रयोगकर्ताओं को ई गवर्नेंस सेवाएं क्लाउड कंप्यूटिंग के माध्यम से उपलब्ध करना शुरू कर दिया है। इसके लिए भारत सरकार के संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने एक महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘जीआई क्लाउड’ (GI Cloud) आरंभ किया है, जिसे ‘मेघराज’ नाम दिया गया है।
4 फरवरी, 2014 को केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने नई दिल्ली में मेघराज परियोजना के अंतर्गत ‘राष्ट्रीय क्लाउड’ (National Cloud) का शुभारंभ किया। मेघराज का उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार की क्लाउड कंप्यूटिंग व्यवस्था को कायम करना है। इससे न केवल सूचना प्रौद्योगिकी अवसंरचना का बेहतर इस्तेमाल हो सकेगा, बल्कि ई-प्रशासन सेवाओं को भी तेजी से उपलब्ध कराया जा सकेगा।
इसके अंतर्गत सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के अपने निजी क्लाउड होंगे, साथ ही एक राष्ट्रीय क्लाउड आधारित नेटवर्क भी स्थापित किया जाएगा, जो सभी राज्य डाटा केंद्रों को आपस में जोड़ेगा। सर्वर और भंडारण जैसे सूचना प्रौद्योगिकी संसाधन सरकारी विभागों के बीच साझा किए जाएंगे और आवश्यकतानुसार प्रदान किए जा सकेंगे। पहले चरण में दिसंबर, 2013 में राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केंद्र द्वारा दिल्ली में क्लाउड सेवा शुरू की गई।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने भी कुछ महत्वपूर्ण विभागों को उनके द्वारा दी जाने वाली सेवाओं को क्लाउड कंप्यूटिंग के मदद से उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
सारांश:
वर्तमान समय में क्लाउड कंप्यूटिंग का उपयोग इसकी विशेषताओं के कारण सूचना तकनीक के क्षेत्र में दिन-प्रतदिन बढ़ता जा रहा है और प्रयोगकर्ताओं के कार्यों को आसान बना रहा है। आने वाले समय क्लाउड कंप्यूटिंग का है और क्लाउड कंप्यूटिंग बेस्ड ऍप्लिकेशन की संख्या में भी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। क्लाउड कंप्यूटिंग का उपयोग ई. लर्निंग के क्षेत्र में भी बढ़ता जा रहा है और विद्यार्थियों के लिए सुवधिजनक साबित हो रहा है।
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लेखक परिचय:
मनोज कुमार युवा एवं उत्साही लेखक हैं।
आप जून 2009 से ब्लॉग जगत में सक्रिय हैं और नियमित रूप से अपने ब्लॉग 'डायनमिक' के द्वारा विज्ञान संचार को मुखर बना रहे हैं।
इसके अलावा आप 'साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन' के सक्रिय सदस्य के रूप में भी जाने जाते हैं।
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इसके अलावा आप 'साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन' के सक्रिय सदस्य के रूप में भी जाने जाते हैं।
उपयोगी जानकारी!
जवाब देंहटाएंnice info.
जवाब देंहटाएंvery nice informatiion
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रीया...
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