यूनिस्को द्वारा वर्ष 2015 को 'अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश वर्ष' घोषित करने के उपलक्ष्य में उसकी महत्ता पर केंद्रित एक विशेष लेख।
अंतराष्ट्रीय प्रकाश एवं प्रकाश आधारित प्रौद्योगिकी वर्ष-2015 पर विशेष लेख
2015: प्रकाशिकी के उत्सव का वर्ष
नवनीत कुमार गुप्ता
तारों, ग्रहों की आरंभिक समझ के प्रयास से लेकर प्रकाश संश्लेषण में प्रकाश के महत्व को समझने के प्रयास में प्रकाश की प्रकृति एवं उसके गुणों को समझा जा सका है। प्रकाश की समझ ने विज्ञान के प्रत्येक क्षेत्र में क्रांति का आगाज किया है। प्रकृति में प्रकाश और रंगों के अनेक आश्चर्यचकित दृश्य देखे जा सकते हैं, सूर्योदय और सूर्यास्त, इंद्रधनुष एवं छायाएं कुछ ऐसे उदाहरण हैं जो हमारे आसपास पाए जाने वाली प्रकाशीय परिघटनाएं हैं। इस प्रकार ऐसी अनेक गतिविधियों के माध्यम से हम प्रकृति में रंगों एवं प्रकाश के अवलोकन द्वारा विज्ञान की सुंदरता और सुलभता को समझ सकते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कहां रहते हैं और किस युग में रहते हैं। ऐसी सार्वभौमिक घटनाओं के माध्यम से हम प्रकाश के माध्यम से प्रकृति को समझ सकते हैं। प्रकाश के आधारभूत वैज्ञानिक गुणों के अध्ययन ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं इंजीनियरिंग आदि सभी क्षेत्रों को व्यापक स्तर पर प्रभावित किया है।
प्रकाश की समझ ने बदली दुनिया:
बिग-बैंग के प्रकाश से हमें ब्रहांड की उत्पत्ति के बारे में जानकारी मिलती है। एक्स-रे से लेकर अवरक्त लेजरों की प्रौद्योगिकीयों ने हमारे जीवन में सहायक अनेक ऐसी युक्तियां प्रदान की हैं जिनसे अनेक रोगों के निदान एवं उपचार में सहायता मिलती है। इस क्षेत्र में उन्नत खोजों जैसे नैनोफोटोनिक्स, क्वांटम ऑप्टिस आदि से नयी मूलभूत खोजों का अवसर मिलेगा। मानव जाति और हमारे जीवमंडल के विकास में प्रकाश एक प्रमुख घटक है। प्रकाश विज्ञान और इसके अनुप्रयोगों के विविध क्षेत्रों में हुए विकास से समस्त मानव जाति लाभान्वित होकर संयुक्त राष्ट्र सहस्राब्दिक विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की ओर अग्रसर है।
इस प्रकार प्रकाश की समझ हमें प्रकृति के अनेक परिघटनाओं से अवगत कराती है। इसीलिए प्रकाश को समझना और उसके अनुप्रयोगों का धारणीय विकास में उपयोग करना महत्वपूर्ण साबित होगा। इसी उद्देश्य के अंतर्गत वर्ष 2015 को अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश एवं प्रकाश आधारित प्रौद्योगिकी वर्ष-2015 घोषित किया गया है।
ऐतिहासिक वर्षगांठों का वर्ष:
सन् 2015 प्रकाश से संबंधित अनेक ऐतिहासिक वर्षगांठों का वर्ष है। इस वर्ष प्रकाशिकी विज्ञान के इतिहास के आरंभ यानी इब्न अल हायथम के प्रकाश संबंधी कार्य को 1015 वर्ष हो रहे हैं। इसके अलावा सन् 2015 में प्रकाश की तरंग प्रकृति के सिद्धांत को भी 100 साल पूरे हो रहे हैं। इस वर्ष मैक्सवेल के प्रकाश के विद्युतचुम्बकीय सिद्धांत को प्रतिपादित हुए 150 वर्ष पूरे हो रहे हैं।
आइंस्टीन द्वारा सन् 1905 में विश्व प्रसिद्ध प्रकाश वैद्युत सिद्धांत प्रतिपादित किया गया था जिसको आधार बनाकर सन् 1915 में सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत अस्तित्व में आया था। इसके अलावा सन् 1965 में पेनजियास और विल्सन द्वारा माइक्रोवेव पृष्ठभूमि की खोज की गई थी।
इन सभी महत्वपूर्ण वैज्ञानिक सिद्धांतों एवं अनुसंधानों की वर्षगांठ के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश वर्ष विभिन्न परिपेक्ष्यों में वैज्ञानिक खोजों की निरन्तरता को दर्शाने का महत्वपूर्ण अवसर है जिसके माध्यम से हम विज्ञान शिक्षा को प्रोत्साहित कर सकते हैं। विज्ञान शिक्षा का प्रोत्साहन विषेशकर विकासशील देशों में एवं युवाओं और महिलाओं में किया जाना महत्वपूर्ण साबित होगा।
अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश-वर्ष:
पेरिस स्थित यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृति संगठन) मुख्यालय मे 190वीं बैठक के दौरान सन् 2015 को अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश वर्ष के रूप में मनाए जाने का प्रस्ताव रखा गया जिसे 19 नवम्बर, 2013 को आयोजित यूनेस्को की सामान्य सम्मेलन में पारित किया गया। इसके उपरांत संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 3 दिसम्बर 2013 को वर्ष 2015 को अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश एवं प्रकाश आधारित प्रौद्योगिकी वर्ष के रूप में मनाए जाने पर घोषणा की। यूनेस्को के अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित किए जा रहे अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश वर्ष 85 से अधिक देशों के करीबन 100 सहयोगियों द्वारा प्रेरित एक अनुशासनिक शैक्षणिक एवं आउटरीच परियोजना है। इन सहयोगियों में विभिन्न शोध संस्थान, विश्वविद्यालय, विज्ञान केंद्र एवं वैज्ञानिक बिरादरी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
आयोजन का लक्ष्य:
अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश वर्ष यूनेस्को के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देगा। यूनेस्को गरीबी मिटाने, शांति और अहिंसा की संस्कृति के प्रसार के लिए कार्यरत है इसके साथ ही ऊर्जा दक्षता के साथ प्राकृतिक संसाधनों एवं नवीकरणीय ऊर्जा का धारणीय उपयोग करते हुए प्राकृतिक आपदाओं में कमी और शमन के लिए विज्ञान का उपयोग किया जाना शामिल है। इसके अतिरिक्त यूनेस्को के उद्देश्य में सतत विकास के लिए विज्ञान और यूनेस्को द्वारा प्रौद्योगिकी का विकास, शिक्षा और लैंगिक समानता के लिए यूनेस्को की प्राथमिकताओं के अनुसार अफ्रीका पर विषेश ध्यान देना, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में क्षमता निर्माण के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना शामिल है। इन सभी बातों का ध्यान अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश वर्ष के दौरान रखा जाएगा।
प्रकाश विज्ञान और इससे संबंधित प्रौद्योगिकीयों के अनुप्रयोगों को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य, ऊर्जा, सूचना एवं संचार, फाइबर ऑप्टिस, खगोलविज्ञान, वास्तुकला, पुरातत्व में इनके उपयोग एवं भविष्य में इन क्षेत्रों में और अधिक विकास की संभावनाओं से नकारा नहीं जा सकता। ऊर्जा दक्षता में प्रौद्योगिकी और डिजाइन महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ ही प्रकाशीय प्रदूषण और ऊर्जा के अपव्यय में कमी ला सकते हैं।
अनुशासनिक शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए प्रकाश विज्ञान एक सुलभ विषय है। प्रकाशिकी यानी फोटोनिकी के नाम से प्रसिद्ध प्रकाश आधारित प्रौद्योगिकियों का लक्ष्य वैश्विक स्तर पर जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना शामिल है जिसके अंतर्गत बाल मृत्युदर में कमी, मातृ स्वास्थ्य में सुधार और बीमारियों का मुकाबला किया जाना है। हरित प्रकाशिकी क्षेत्र के द्वारा अनुप्रयोगों में प्रकाश प्रौद्योगिकी के द्वारा ऊर्जा उत्पादन करते हुए धारणीय पर्यावरण के निर्माण पर जोर दिया जाना शामिल है।
20वीं सदी के दौरान इलेक्ट्रॉनिक्स की क्रांति को प्रकाश आधारित प्रौद्योगिकी की मदद से 21वीं सदी में अधिक तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा। इस आयोजन के उद्देश्यों में इस विषय पर वैश्विक जागरूकता एवं प्रकाश संबंधी विज्ञान और प्रौद्योगिकी शिक्षा में वृद्धि के द्वारा धारणीय विकास, ऊर्जा, सामुदायिक स्वास्थ्य की चुनौतियां का सामना करते हुए पिछड़े और विकासशील स्तर के देशों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जाना शामिल है।
इस वर्ष के आयोजन से प्रकाश पर आधारित 19वीं और 20वीं सदी की ऐसी उल्लेखनीय खोजों को लक्ष्य किया जाएगा, जिन्होंने प्रकाश को विज्ञान का केंद्रीय तत्व बनाया। इसके अलावा आधारभूत प्रकाश विज्ञान और उसके अनुप्रयोगों दोनों की महत्वपूर्ण खोजों पर प्रकाश डाला जाएगा जिससे उन क्षेत्रों में विज्ञान को कैरियर के रूप में बढ़ावा मिले। इसके साथ ही सतत विकास एवं विकासशील देशों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रकाशीय प्रौद्योगिकी के महत्व का प्रसार भी किया जाएगा। प्रकाश का कला और संस्कृति के साथ संबंध को प्रसारित करते हुए उसकी व्याख्या की जाएगी। इसके साथ ही सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित रखने के लिए प्रकाशीय प्रौद्योगिकी की भूमिका में वृद्धि की जाएगी।
सभी की भागीदारी:
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश वर्ष की घोषणा प्रकाश के महत्व को सुनिश्चित करने के साथ ही हमारे द्वारा इसके अनुप्रयोगों के महत्व की सराहना करने का अवसर है। कण भौतिकी से लेकर ब्रहांड विज्ञान तक आधारभूत विज्ञान के रूप में प्रकाश ब्रहांड की खिड़की के रूप में उपस्थित है। हमारे प्रयास प्रकाश के उन गुणों को समझने की ओर हैं जिनसे विज्ञान एवं इंजीनियरिंग के विभिन्न क्षेत्रों में क्रांति का जन्म हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश वर्ष एक वैष्विक पहल है जिसमें दुनिया के सभी नागरिकों के द्वारा प्रकाश और प्रकाशीय प्रौद्योगिकीयों का उनके जीवन में महत्व को रेखांकित करना है ताकि भविष्य में समाज विकास के पथ पर अग्रसर होता रहे।
अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश वर्ष की गतिविधियों को क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्यान्वित किया जाएगा। विभिन्न देशों में इससे संबंधित गतिविधियों की योजनाएं इस प्रकार बनायी जा रही हैं जिससे सभी उम्र और सभी क्षेत्र के व्यक्ति विज्ञान एवं संस्कृति में प्रकाश की भूमिका की सराहना करते हुए विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों के आपसी संबंधों को समझते हुए धारणीय विकास की लिए प्रेरित हों।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर भारत सदैव विज्ञान संबंधी आयोजनों में भागीदार रहा है। इसी परिप्रेक्ष्य में भारत में अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश एवं प्रकाश आधारित प्रौद्योगिकी वर्ष -2015 पर विषेश आयोजन किए जा रहे हैं। इस अवसर पर देश के अनेक स्थानों पर विशेष कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। इन आयोजनों की सूची अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश वर्ष की वेबसाईट http://www.light2015.org पर देखी जा सकती है। इसके अलावा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत विज्ञान संचार के लिए कार्यरत संस्था विज्ञान प्रसार इस अवसर पर प्रकाषिकी से संबंधित अनेक कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है जिनमें दृश्य कार्यक्रमों का निर्माण भी शामिल है।
प्रकाश प्रौद्योगिकी में नवाचारों की संभावनाएं:
प्रकाश संबंधी विज्ञान से जनित प्रौद्योगिकी क्षेत्र को फोटोनिक्स कहा जाता है और यह विषय फोटोनिक्स युक्तियों के महत्वपूर्ण उपयोगी क्षेत्रों जैसे चिकित्सा, संचार एवं ऊर्जा के अनुप्रयोगों से संबंधित है। प्रकाश कंपनों ने वायरलैस प्रौद्योगिकियों द्वारा संसार के सुदूर क्षेत्रों तक संचार स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आधुनिक जीवन में प्रकाश महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रकाश प्रौद्योगिकी समाज की ऊर्जा सुरक्षा के लिए आवश्यक हो गयी हैं जिससे दक्षतापूर्वक सूर्यप्रकाश को ऊर्जा के अन्य रूपों में बदलने के साथ ही निम्न लागत पर हरित भवनों का निर्माण किया जा सके।
इसी के समान पृथ्वी के पर्यावरण मापन और सेंसिंग के लिए प्रकाषीय और फोटोनिक्स प्रौद्योगिकियों महत्वपूर्ण साबित हो रही हैं। हालांकि ये उदाहरण इंजीनियरिंग से भी संबंधित हैं लेकिन ये प्रकाशीय प्रौद्योगिकियों के द्वारा सरल बनकर हमारे लिए महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं। कमजोर दृष्टि वालों के लिए चश्मे बहुत काम के होते हैं जो कि साधारण प्रकाशीय उपकरण है। इसी प्रकार अनेक रोगों की पहचान और निदान में प्रकाशीय उपकरणों की मदद ली जाती है। इस प्रकार हम समझ सकते हैं कि प्रकाशीय प्रौद्योगिकी 21वीं सदी में अनेक नवाचारों का आधार बनेगी।
प्रकृति में प्रकाश:
आर्कटिक में बर्फीले क्रिस्टल, रेगिस्तानों में मृग मरीचिका, पानी को हिलाने पर छवि का हिलना आदि प्राकृतिक प्रकाशीय परिघटनाओं के ऐसे उदाहरण हैं। वर्तमान समय में प्राकृतिक छवियों को सीधे न देखकर इंटरनेट की मदद से ज्यादा देखा जाने लगा। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश वर्ष की गतिविधियां हमें प्रकृति के सानिध्य में प्रकाश के विभिन्न प्राकृतिक घटनाक्रम को देखने को प्रेरित करती है। हालांकि आधुनिक कृत्रिम प्रकाशीय व्यवस्था के महत्व के साथ हमें प्रकाशीय प्रदूषण से भी सावधान रहने की आवश्यकता है।
प्रकाश और संस्कृति:
प्रकाश और संस्कृति का संबंध करोड़ों साल पुराना है। अधिकांश जीव सूरज की किरण के साथ अपनी दिनचर्या आरंभ करते हैं और सूर्यास्त होने पर विश्राम। प्रकाश एक ऐसा विषय है जो मानवता को एकता के सूत्र में बांधे रखता है। हर व्यक्त चाहे वह किसी भी देश का हो एक ही सूर्य को देखता है। हर संस्कृति के लोग प्रकाश की प्राकृतिक सुंदरता को देखते आए हैं। अतीत में सभी इंद्रधनुष जैसी प्रकाशीय घटना को आश्चर्य के साथ निहारते रहे हैं।
प्रकाश का प्रभाव मानवीय संस्कृति पर लगातार बना रहा है। प्रकाश ने विज्ञान और कला के मध्य एक सेतु का काम किया है। कुछ संस्कृतियों में प्रकाश पर्व का आयोजन किया गया तो कुछ लोग दीपावली के द्वारा प्रकाश की महत्ता के आगे नतमस्त थे। आधुनिक युग में चित्रकारी में प्रकाशीय प्रौद्योगिकी का महत्व बढ़ रहा है।
इसके अलावा भवनों में किया जाने वाला आकर्षक प्रकाश विन्यास हमको आकर्शित करता है। इस दिशा में भी प्रयास किए जा रहे हैं कि प्राकृतिक प्रकाश और कम तेज रोशनी से किस प्रकार ऐतिहासिक इमारतों को संरक्षित किया जा सकता है। प्रकाश साहित्य और संस्कृति का आवश्यक अंग है। फोटोग्राफी कला में प्रकाश के बेहतरीन उपयोग का महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। प्रकाश हमें प्रभावित करने के साथ दृश्य और कला, साहित्य और मानवीय सोच पर अपना प्रभाव दर्शाता है। इसीलिए प्रकाश आधुनिक समय में दो क्षेत्रों विज्ञान और संस्कृति के मध्य सेतू का कार्य कर मानवीय समुदाय के जीवन में विविध रंग भर सकता है।
दैनिक जीवन में प्रकाश:
अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश वर्ष का आशय केवल विज्ञान और प्रौद्योगिकी तक ही सीमित नहीं है। सदियों से प्रकाश का अर्थ मानवता की व्यापकता के संदर्भ में समाज को प्रेरित करने वाले विभिन्न क्षेत्रों जैसे कला, संगीत, साहित्य और दर्शन से रहा है। प्रकाश ऐसा विषय है जो विज्ञान और संस्कृति के आरपार विद्यमान है। प्रकाश के माध्यम से ही मानव स्वयं को, दूसरों को और इस ब्रहांड में विभिन्न स्थानों को देख पाता है। प्रकाश मानवीय गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह आधारभूत स्तर से ही यानी प्रकाश संश्लेषण से ही जीवन के लिए आवश्यक बन जाता है।
इसके अलावा इसके अनेक अनुप्रयोगों जैसे दवा, संचार, मनोरंजन और संस्कृति आदि ने समाज में क्रांति लायी है। प्रकाश पर आधारित उद्योग मुख्य तौर पर आर्थिक युक्तियां हैं। इसके अलावा प्रकाश आधारित युक्तियां सीधे तौर पर मानव की आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ ही सूचना, सतत विकास को प्रेरित करने और सामाजिक स्वास्थ्य में वृद्धि करने के लिए भी उत्प्रेरक का कार्य करती हैं। विज्ञान के सभी क्षेत्र प्रकाश और पदार्थ के साथ उसकी क्रिया से संबंधित सिद्धांतों पर आधारित है। इसके अलावा प्रकाश इस ब्रहांड एवं उपपरमाण्विक संसार के बारे में हमारी समझ का मुख्य संदेशवाहक भी है।
प्रकाश के अध्ययन का इतिहास सदियों पुराना है जो विकसित होकर विज्ञान के सभी क्षेत्रों को प्रभावित कर रहा है। हालांकि 20वीं सदी के दौरान प्रकाश के आधुनिक सिद्धांत का जन्म हुआ जिसके कारण लेसर के अनुप्रयोगों को खोजा गया। इसके साथ ही व्यापक स्तर पर प्रकाषीय युक्तियों ने समाज को उन्नत बनाया। एक्स रे से अवरक्त विकिरणों तक के प्रकाशीय वर्णक्रम ने जीवन में सहायक अनेक प्रौद्योगिकीयों को उपलब्ध कराया है। प्रकाशीय प्रौद्योगिकीयों ने चिकित्सा निदान और उपचार जगत में महत्वपूर्ण प्रगति की है। प्रकाश एवं फोटोनिक्स भविष्य की मुख्य प्रौद्योगिकीयों का मुख्य आधार साबित होंगी। इसीलिए यह आवश्यक है कि प्रतिभावान युवा मस्तिष्क इस क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए आकर्षित हो।
संभावनाओं की राह:
वैश्विक स्तर पर युवाओं को लक्षित करते हुए प्रकाश से संबंधित विभिन्न शैक्षिक गतिविधियों का निर्माण करते हुए लैगिंक समानता के विशय को उठाते हुए उभरती अर्थव्यवस्थाओं और विकासशील देशों के लोगों को साथ जोड़ना है। इस वर्ष शैक्षिक एवं अनुभवी समाज और उद्योग द्वारा प्रकाश समन्वित गतिविधियों के एक केंद्रीय सूचना स्रोत की तरह कार्य करते हुए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा दिए जाने की पहल की जाएगी। जनमानस के मध्य इस बात की समझ बढ़ानी होगी कि किस प्रकार प्रकाश और प्रकाश आधारित प्रौद्योगिकियां दैनिक जीवन में सभी के जीवन से जुड़ी होने के साथ ही भविष्य में वैश्विक समुदाय के विकास का केंद्रीय तत्व भी हैं।
अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश वर्ष यूनेस्को के उस लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में कदम होगा जिसके अंतर्गत शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति और संचार के माध्यम से सांस्कृतिक संवाद स्थापित करने एवं गरीबी उन्मूलन के साथ शांति की राह पर चलते हुए सतत विकास किया जा सके। उम्मीद है कि वर्तमान एवं भविष्य में प्रकाश की केन्द्रीय भूमिका के प्रति वैश्विक जागरूकता के प्रसार में अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश वर्ष एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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लेखक परिचय:
नवनीत कुमार गुप्ता पिछले दस वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन आदि जनसंचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के लिए प्रयासरत हैं। आपकी विज्ञान संचार विषयक लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा इन पर गृह मंत्रालय के ‘राजीव गांधी ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार' सहित अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। आप विज्ञान संचार के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ‘विज्ञान प्रसार’ से सम्बंद्ध हैं। आपसे मेल आईडी ngupta@vigyanprasar.gov.in पर संपर्क किया जा सकता है।
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