जीवन में हर व्यक्ति ऐश के साथ रहना चाहता है। हर व्यक्ति चाहता है कि उसके पास इतनी दौलत हो कि वह किसी शहंशाह की तरह राज करे। हर व्यक्...
जीवन में हर व्यक्ति ऐश के साथ रहना चाहता है। हर व्यक्ति चाहता है कि उसके पास इतनी दौलत हो कि वह किसी शहंशाह की तरह राज करे। हर व्यक्ति चाहता है कि उसका जीवन साथी दुनिया में सबसे खूबसूरत हो। इसके साथ ही हर व्यक्ति चाहता है कि वह इतना प्रभावशाली हो कि लोग उसके आगे सिर झुकाएं और पलक झपकते ही उसके हर हुक्म को बजा लाएं। ज्योतिषी अथवा भविष्य बताने वाले लोग मानव मन की इसी कमजोरी का फायदा उठाते हैं और अपना उल्लू सीधा करते हैं। इसी बात को आस्ट्रेलिया के शहर लिजमोर के निवासी मनजीत सिंह बोपाराय अपने एक लेख 'यदि मैं किस्मत बताने वाला होता' में बताते हुए लिखते हैं कि मानव मन की किन कमजोरियों का लाभ ज्योतिषी और भविष्य बताने वाले लोग करते हैं। तो आइए पढ़ते है मनजीत सिंह बोपाराय का यह लेख-
एक किस्मत बताने वाले के तौर पर अब मेरे लिए दोहरा रोल करके धन कमाना बहुत आसान है। किस्मत बताने वालों की भविष्वाणियों अथवा तौर तरीकों का अध्ययन किया जोने के कारण मैं उनके द्वारा भविष्यवाणियां करने में प्रयोग किए जाने वाले हथकंडों के बारे में भली प्रकार जानता हूँ। यदि कोई व्यक्ति मुझे अपनी मिस्मत के बारे में पूछता तो मैं ऐसा करता:
पहले मैं उसकी उम्र पर दृष्टि डालता। मैं उसकी जिंदगी के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए यूँ ही बातचीत छेड़ देता। मैं उसके शरीर, भाषा, तौर-तरीके तथा चेहरे के हाव भाव को भांप कर उसकी शख्सियत के बारे में कुछ संकेत प्राप्त कर लेता। यदि ग्राहक कोई नवयुवक होता, मैं उसकी प्रशंसा में कहता, ''यूं तो आप में बहुत ही शक्ति और साहस है।'' उसके बाद मैं कहता, ''आप तो अपने ही ढ़ंग से काम करना पसंद करते हैं।'' यह एक ऐसी बात है, जो हर व्यक्ति को किस्मत बताने वालों समेत सरलता से कही जा सकती है क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति अपने ही ढंग से सोचना तथा तर्क करना पसंद करता है।
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बस फिर क्या फिर तो मैं इस प्रकार की मीठी तथा धूर्ततापूर्ण बातों की झड़ी लगा देता। जैसे कि ''आपका गुस्सा बहुत ही खराब है, सावधान रहता। आपकी बुद्धि बहुत तेज है, उत्साह भी बहुत है पर इच्छाशक्ति की कमी है। पक्के इरादों के बावजूद आप दुचिती का शिकार होकर असफल हो जाते हैं। आप जब कोई प्रोग्राम बनाते हैं, या कोई विशेष निर्णय लेते हैं, तो अक्सर आपकी जल्दबाजी क कारण पासा पलट जाता है। प्यार के मामलों में भी जल्दबाजी काम बिगाड़ती है। आपको अपने निर्णयों तथा कार्यक्रमों में सुधार करना चाहिए तथा इनसे अधिक से अधिक लाभ लेने के लिए किसी अन्य से भी मशवरा करना चाहिए।''
यह बातें लगभग हरेक व्यक्ति पर लागू होती हैं। यदि कभी देर हो जाए तो हम तेजी से आगे बढ़ना चाहते हैं। इस व्यस्तता भरे तेज रफतार, अधिक जिम्मेदारियां तथा प्रतियोगितापूर्ण जीवन के अर्थ हैं कि हम बहुत ही तेज तथा निपुण हैं।
बहुत से लोग प्रेम तथा इश्क की बातें सुन कर प्रसन्न हो जाते हैं। मैंने देखा है कि बहुत सारे लोग विशेष तौर पर प्रेम सम्बंधों के बारे में ही पूछते हैं। तो मैं ग्राहक के पुराने प्रेम सम्बंधों के विषय में उसकी किस्मत की भविष्यवाणी करता। भविष्य में उसके बेहद प्रसन्नतापूर्ण प्रेम सम्बंधों की आस बंधाता। मैं ऐसे ग्राहकों से कहता, ''आप बहुत बातूनी हैं। समय तथा धन की फिजूलखर्ची कहते हैं।'' यह भविष्वाणी बहुत ही सुरक्षित है तथा कई व्यक्तियों पर सरलता से लागू हो जाती है। वास्तव में हम सदैव योजनाबद्ध ढंग से पैसा नहीं खर्च कर सकते हैं। अचानक आवश्यकता, अचानक आए हुए मेहमान, बीमारी, दुर्घटना या इस प्रकार के अन्य कारण हमें बजट से अधिक खर्च करने के लिए विवश कर देते हैं।
किस्मत बताने वाले ऐसी अन्य भविष्यवाणियां भी करते हैं तथा प्राय: उनके वार्तालाप का ढ़ंग इस प्रकार का होता है, जैसे ''आप बहुत दयालु हैं। यदि कोई उधार मांगता है, तो आप मना नहीं कर पाते हैं। आप पैसा वापस मांगते समय झिझकते हैं। आप कला तथा प्रक़ति के पुजारी हैं। सुंदरता आपको मोह लेती है। भविष्य में आपकी सारी कठिनाईयां हल हो जाएंगी।''
किस्मत बताने वाला जैसा मौका हो उसके अनुसार भविष्वाणी भी कर देता है, ''आप बहुत जिद्दी हैं तथा अक्सर आपकी जिद के कारण ही आपका अपनी पत्नी/पति/पुत्र रिश्तेदारों या दोस्तों से झगड़ा भी हो जाता है। आप कोई बात छुपा कर नहीं रख सकते। आप बहुत ही शक्की हैं, अपनी पत्नी या पति (जैसा मौका हो) पर शक करते हैं तथा यह शक ही बेवजह बसह का कारण बनता है। आपको अार्थिक तथा माकुम चिंता ने घेरा है।'' राजा से रंक तक हर एक को ऐसी चिंताएं होती हैं। यह चिंताएं हमारे जीवन का अटूट अंग हैं।
किस्मत बताने वाले के तौर पर मैं एक और बढि़या भविष्वाणी भी करता, ''आप सफर करना पसंद करते हैं तथा बहुत जल्द आप विदेश की यात्रा पर जाने वाले हो।''
भारत तथा अविकसित देशों में नौकरीशुदा या बेरोजगार इंजीनियर या वैज्ञानिक जब किस्मत बताने वाले के पास जाते हैं तो एक प्रश्न अवश्य ही पूछते हैं, ''मैं विदेश कब जाऊंगा'' या 'क्या मेरे हाथ पर विदेश रेखा है' यदि मेरा ग्राहक इनके जैसा हाता, तो मैं उसे कहता कि बाहर जाने के 99 प्रतिशत अवसर हैं।
ग्राहक का कारोबारी रूतबा भविष्यवाणियां करने में सहायक होता। यदि मेरा कोई ग्राहक बेरोजगार होता, तो मैं उसकी दर्द भरी हालत के लिए किसी ग्रह को दोषी ठहराता या फिर कहता उसकी मस्तक रेखा, भाग्य रेखा पर दाग है या फिर उसकी किस्मत रेखा ही नहीं है जिस कारण वह बेरोजगार है। मैं शीघ्र ही भविष्य में उसे अच्छी नौकरी मिलने का आश्वासन देता और उसका उपाय भी बताता। यदि ग्राहक नौकरीशुदा होता, तो उसे तरक्की होने का झांसा देता या उसे नौकरी के अतिरिक्त कोई अन्य धंध करने की सलाह दे देता।
बड़ी सरलता से मैं बच्चों के विषय में भविष्यवाणी कर दिया करता। निर्धन देशों में ज्यादातर लोग पुत्र के विषय में सुनना चाहते हैं। इसलिए मैं पुत्रों के बारे में ही भविष्यवाणियां करता। संयोग के सिद्धांत के अनुसार मेरे 50 प्रतिशत ग्राहकों के तो पुत्र पैदा हो ही जाने थे। इस घटना के महत्वपूर्ण होने के कारण वह तो मेरे पक्के ग्राहक बन जाते। इस संदर्भ में मैं आपको एक रोचक घटना बताता हूँ:
एक बार मैं एक प्रसिद्ध किस्मत बताने वाले अपने एक मित्र के पास गया। बातचीत के दौरान मैंने उससे पूछा- आप अपने ग्राहाकें कैसे फंसाते हैं। उसी समय दो औरतें अपनी किस्मत के बारे में पूछने आईं। उनमें से एक ने पुत्र के बारे में विशेष तौर पर पूछा। उसने पहली औरत को पुत्र पैदा होने के बारे में भविष्यवाणी की जैसा कि वह प्राय: करता रहता था। वह औरत यह खुशखबरी सुन कर बहुत प्रसन्न हुई। उसके बाद जब वह औरत चली गयी, तो उसने दूसरी औरत से कहा- तेरी सहेली के तो लड़की होगी, पर तुम यह बात उसे मत बताना क्योंकि वह बहुत संवेदनशील है। मैं इस हालत में उसे दु:खी नहीं करता चाहता।
मुझे यह सुनकर बहुत हैरानी हुई। जब वे औरतें वहां से चली गयीं, तो उसने मुझे कहा कि किस्मत बताता तो ट्रिक से भरी एक कला है। मैंने उससे पूछा कि दूसरी औरत को ऐसा कहने में क्या ट्रिक है, तो उसने जवाब दिया- यह तो बहुत ही सीधी सी बात है कि यदि पुत्र हुआ तो वह मुझे भगवान की तरह मानेगी तथा सहेली की बात नहीं सुनेगी। लेकिन यदि लड़की हुई तो मैं अपने पक्ष में यह कहूंगा कि मैंने सच्ची बात उसकी सहेली को पहले ही बता दी थी। यहॉं एक बात और विशेष ध्यान देना आवश्यक है कि मैं बच्चों की गिनती नहीं बताऊंगा। देखा कितनी आश्चर्यजनक और फुलप्रूफ है यह ट्रिक।
इसी तरह विद्यार्थियों के लिए भविष्वाणियां बनाई जाती हैं। यह एक सच्चाई है कि स्कूलों तथा कालेजों के 90 प्रतिशत नतीजे बढिया ही होत हैं तथा कई बार तो नतीजे इससे भी अच्छे होते हैं। इसीलिए यह भविष्वाणी करना सुरक्षित ही होती है कि विद्यार्थी परीक्षा पास कर सकेंगे। यदि मेरा ग्राहक विद्यार्थी है तो मैं पूरे विश्वास से भविष्वाणी कर दूँगा कि वह पास हो जाएगा।
इसी तरह विद्यार्थियों के लिए भविष्वाणियां बनाई जाती हैं। यह एक सच्चाई है कि स्कूलों तथा कालेजों के 90 प्रतिशत नतीजे बढिया ही होत हैं तथा कई बार तो नतीजे इससे भी अच्छे होते हैं। इसीलिए यह भविष्वाणी करना सुरक्षित ही होती है कि विद्यार्थी परीक्षा पास कर सकेंगे। यदि मेरा ग्राहक विद्यार्थी है तो मैं पूरे विश्वास से भविष्वाणी कर दूँगा कि वह पास हो जाएगा।
अपने ग्राहकों को प्रसन्न करने के लिए मैं झूठे आदमी की भांति भूतकाल के बारे में बहाने बनाऊंगा एक चापलूस की भांति वर्तमान को सराहूँगा तथा निपुण एवं चतुर राजनीतिज्ञ की भांति भविष्य को सुनहरा बनाने के दावे करूँगा। साथ ही मैं करमुक्त फीस के तौर पर लेकर मन ही मन हसूँगा कि पैसा कमाना कितना आसान है और लोगों को बुद्धू बनाना कितना सरल।
ईमानदार आदमी अपनी रोजी रोटी ईमानदारी तथा अच्छे कामों द्वारा कमाते हैं। बेईमान व्यक्ति अन्य काम करने वाले लोगों की कमाई को धोखे से लूट कर ऐसा करते हैं। किस्मत बताने वाले धोखेबाजों के काम भी चोरों, डाकुओं, जेबकतरों के धंधे की तरह एक जुर्म हैं। पर सरकार किस्मत बताने वालों पर मुकमदा चलाने से घबराती है क्योंकि उनके धंधे को धर्म ने स्वीकार किया है। लोकतंत्र में बहुत से व्यक्ति धर्म में अंधविश्वास रखते हैं तथा गिनती में कम होने के बावजूद भी यह धोखेबाज, दिमागों को दूषित करने वाला, किस्मत बताने का अंधा धंधा बिना किसी रोक-टोक के चालू रखते हैं।
मैं आशा करता हूँ कि वह दिन दूर नहीं जब तर्कशील सरकारें भोले-भाले लोगों की इस लूट व मस्तिष्क को दूषित करने के ढ़ंग को खत्म कर देगी। मेरी लोगों से यह अपील है कि किस्मत बताने वालों के दावों पर बिलकुल विश्वास न करें। उनकी भविष्वाणियॉं अनुमान के सिद्धान्त से बढि़या नहीं हैं। एक साधारण व्यक्ति भी ऐसी भविष्यवाणियं सरलता से कर सकता है।
* 'ज्योतिष झूठ बोलता है: Mind Pollution of Fortune Telling' पुस्तक (तर्कभारती प्रकाशन-तर्कशील निवास, के0सी0 रोड, बरनाला-148101 पंजाब) से साभार।
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मनजीत सिंह बोपाराय आस्ट्रेलिया के लिजमोर शहर के निवासी हैं और पंजाब की तर्कशील सोसाइटी से सक्रिय रूप से जुड़े रहे हैं तथा ज्योतिषियों के लिए 10 हजार आस्ट्रेलियन डॉलर की चुनौती रख चुके हैं। लेकिन उनकी इस चुनौती को स्वीकार करने का साहस कोई भी व्यक्ति नहीं जुटा सका है।
ज्योतिष के बारे में अन्य सामग्री के लिए कृपया इन्हें भी देखें:
ब्लॉग जगत में आप का भविष्य काफी उज्जवल है टिप्पणियों की गिनती ना करे आप की पोस्ट लोगों को काफी पसंद आती है एक बड़ा पाठक वर्ग है आप का | इस बात से आप परेशान ना हो की लोग आप की बात मानते नहीं है :)
जवाब देंहटाएंडॉ अरविन्द मिश्र की कुण्डली जो शत प्रतिशत सत्य है ,इस ज्योतिषी को मेरा नमन ,आप भी इन्हें आजमायें ,प्रबल संस्तुति है -
जवाब देंहटाएंआप बहुत दयालु हैं। यदि कोई उधार मांगता है, तो आप मना नहीं कर पाते हैं। आप पैसा वापस मांगते समय झिझकते हैं। आप कला तथा प्रक़ति के पुजारी हैं। सुंदरता आपको मोह लेती है। भविष्य में आपकी सारी कठिनाईयां हल हो जाएंगी।'
आप बहुत जिद्दी हैं तथा अक्सर आपकी जिद के कारण ही आपका अपनी पत्नी/पति/पुत्र रिश्तेदारों या दोस्तों से झगड़ा भी हो जाता है। आप कोई बात छुपा कर नहीं रख सकते।
आप सफर करना पसंद करते हैं तथा बहुत जल्द आप विदेश की यात्रा पर जाने वाले हो।''
ज्योतिष मार्तंड ,त्रिकालदर्शी मनजीत सिंह बोपाराय
एक श्रेष्ठ पोस्ट -बहुत बहुत साधुवाद !
त्रिकालदर्शी महामायावी संगीता पुरी जी का इस पोस्ट के विषय में क्या कहना है ? देखता हूँ कि अक्सर वो ऐसी बातों पर मुंह में दही जमा कर बैठ जाती हैं और अगर बोलेंगी भी तो जलेबी की तरह बातों को घुमाती हैं. उनके भक्त भी नहीं आये यहाँ ?
जवाब देंहटाएंभारतीय समाज में ज्योतिष को एक विज्ञानं कहकर लोगों को भरमाना बहुत आसान है ... इसलिए कुछ लोग आज भी ज्योतिष को एक तर्कसम्मत विज्ञानं शाखा कहकर चलाने की कोशिश में जुटे रहते हैं ... इन लोगों का तो खैर अपना स्वार्थ है ... पर शायद कुछ सोये हुए लोगों को जगाने का काम करेगा ये पोस्ट ...शानदार !
जवाब देंहटाएंदुःख इस बात की है कि पढ़े लिखे समझदार लोग ऐसे पोस्ट नहीं पढते ... वो जाकर ऐसे पोस्ट पढते हैं जहाँ ज्योतिष के बकवास लिखे हुए हैं ...
तर्कशील सरकारें भोले-भाले लोगों की इस लूट व मस्तिष्क को दूषित करने के ढ़ंग को खत्म कर देगी।
जवाब देंहटाएंक्या अभी तक किसी भी सरकार ने इस धंधे पर पाबंदी नहीं लगाई?
"अगर आप इस क्रिया को विधिवत सम्पन्न करलें, तो आपका जीवन स्वर्ग से सुंदर हो जाएगा और आप इस दुनिया पर किसी शहंशाह की तरह राज करेंगे "
जवाब देंहटाएंआपकी सलाह मान कर इस क्रिया को विधिवत संपन्न कर भी लूं तो एक शंका है ? सलाह तो और भी लोग मानेंगे फिर मैं राज किन पर करूँगा ? :)
बहरहाल अच्छी पोस्ट :)
यह सही हैं कि अधिकांश कथित ज्योतिषी इन मनोवैज्ञानिक भावनाओं का फ़ायदा उठाते है।
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंiseke chakkar me kabhee nahee pade fir bhee ghar ke har sadsy ke dil par raj karte hai jee.........
:)
bada shandaaar profession adopt karne ke chances aapne hame de diya...badhai..:)
जवाब देंहटाएंkal se hi try marta hoon:P
बहुत सटीक आलेख....आभार
जवाब देंहटाएंमै आपके विचारों से पूरी तरह सहमत हूँ . लेकिन चिंता की बात तो ये है की हमारे देश के कुछ भोले भाले नागरिक , अनपढ़ ही नहीं बल्कि पढ़े लिखे समझधार लोग भी वियर्थ में अपना समय और पैसा गवा देते है इन जोयितिष की बातो में आकर .खासकर की गावो में तो हालत और भी ख़राब है .............अकसर तांत्रिक की बातो में आकर आये दिन नयी नयी घटनाएं सुनने को मिलती रही है.
जवाब देंहटाएंअच्छा और जनोपयोगी आलेख।
जवाब देंहटाएंज्योतिष की दो शाखाओं- गणित और फलित- में गणित खंड बिल्कुल सही है लेकिन फलित ज्योतिष का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।
यदि कोई व्यक्ति समाचार पत्रों में छपने वाले सभी बारह राशियों के भविष्यफल को पढ़े तो उसे लगेगा कि सभी उसके उपर लागू हो रहे हैं। यह भविष्य कथन की भाषा का ही खेल है।
ज्योतिष इसलिए फल-फूल रहा है क्योंकि यह ‘लॉ ऑफ प्रोबेबिलिटी‘ पर आधारित है। जो भविष्य कथन कहा गया वह या तो सत्य होगा या असत्य, अर्थात 50-50 प्रतिशत संभावनाएं हैं। इसलिए समग्र रूप से 50 प्रतिशत भविष्य कथन के सत्य होने की संभावना हमेशा बनी रहती है। इसी तथ्य का लाभ किस्मत बताने वालों को मिल रहा है।
@बेनामी जी .. बेनामियों से मैं बातें नहीं करती .. मेरा पक्ष जानना हो तो अपने नाम पते के साथ आइए .. दुनियाभर के ज्योतिषी क्या करते हैं .. उससे मुझे कोई मतलब नहीं .. मेरे अपने लेख के बारे में कुछ जानना समझना हो तो मुझसे बात करें !!
जवाब देंहटाएंअच्छा आलेख है... अधूरा सा लगता है... थोड़ी मेहनत की जरूरत थी। बजाय की ज्योतिष विषय या ज्योतिषियों को कोसने के अच्छे उदाहरण अच्छे तरीके से मनोवैज्ञानिक विश्लेषण के साथ पेश किए जाने चाहिए थे। मैंने कुछ महीने पहले ही ऐसा लेख लिखा था, उसमें तीन उदाहरण कारण और व्यवहार के साथ उल्लेखित किए थे, यह उसकी भौंडी नकल लग रहा है। बोपाराय जी के अपने विचार हैं लेकिन इन्हें पुष्ट किए जाने की जरूरत है। इससे पहले उन्हें साइकोलॉजी और एस्ट्रोलॉजी के बारे में कुछ पढ़ लेना चाहिए... वरना यही समझा जाएगा कि वे भी 'भौजी' के साथ मजाक कर रहे हैं :)
जवाब देंहटाएंसिद्धार्थ जी, यह लेख 'ज्योतिष झूठ बोलता है' पुस्तक से लिया गया है, जो आज से तकरीबन 8 वर्ष पहले प्रकाशित हुई है। यह पुस्तक वर्तमान में पंजाबी, अंग्रेजी और हिन्दी में उपलब्ध है। पोस्ट में लेखक की वेबसाइट का पते का लिंक भी है, जिसमें पुस्तकों के बारे में भी बताया गया है।
जवाब देंहटाएंवैसे नकल की संभावना तो बाद वाले में बनती है, पहले लिखने वाला भी नकल कर सकता है, यह मामला पहली बार देख रहा हूँ। :)
मैं आपसे पूर्णत: सहमत नही हू वास्तविकता यह हैं की वर्तमान में काँच व हीरे एक ही थैली में हैं
जवाब देंहटाएंजो हीरा हैं वह अस्तित्व व गुण छिपा रहा हैं काँच हीरा बन छा रहा हैं गर माननीय रजनीश जी की बात सत्य हैं तो आपका भविष्य क्या बता रहा हैं ?